राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
(मौखिक)
अपील संख्या-1429/2019
मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लि0
बनाम
राम बक्श सिंह
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
3. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री सन्तोष कुमार मिश्रा,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 27.06.2023
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील अपीलार्थी द्वारा इस न्यायालय के सम्मुख जिला उपभोक्ता आयोग, रायबरेली द्वारा परिवाद संख्या-65/2018 राम बक्श सिंह बनाम मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लि0 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 30.07.2019 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री सन्तोष कुमार मिश्रा को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी को विपक्षी द्वारा वर्ष 2011 में एक किलोवाट का घरेलू विद्युत कनेक्शन प्रदान किया गया था, जिसके संबंध में विपक्षी द्वारा वर्ष 2015 तक नियमित रूप से मीटर रीडिंग के आधार पर बिल प्रदान किया जाता रहा, जिसका परिवादी द्वारा नियमित रूप से भुगतान किया जाता रहा। परिवादी के विरूद्ध माह नवम्बर 2015 के पूर्व किसी भी प्रकार का बकाया अवशेष नहीं रहा। परिवादी द्वारा वर्ष 2016 व
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वर्ष 2017 में विपक्षी द्वारा खोले गये कम्प्यूटर केन्द्रों पर जाकर भुगतान किया गया।
परिवादी का कथन है कि उसके द्वारा दिनांक 08.10.2018 को मु0 2,593/-रू0 का पूरा भुगतान जन सुविधा केन्द्र के माध्यम से विपक्षी को किया गया, परन्तु दिनांक 08.10.2018 को पूरा बकाया भुगतान समाप्त कर दिये जाने के उपरान्त भी विपक्षी द्वारा परिवादी को एक रिवाइज्ड बिल दिनांकित 08.10.2018 दिया गया, जिसमें बिल की अवधि दिनांक 26.09.2018 से दिनांक 08.10.2018 उल्लिखित की गयी तथा 21 माह का बकाया उल्लिखित करते हुए 74,420/-रू0 का बकाया दर्शित किया गया, जो विपक्षी की लापरवाही एवं सेवा में कमी है।
परिवादी का कथन है कि उसके द्वारा वर्ष 2015 से वर्ष 2018 के मध्य प्रतिमाह विद्युत बिल का भुगतान किया गया, परन्तु विपक्षी द्वारा परिवादी से फर्जी बिल के भुगतान की मांग की गयी तथा कनेक्शन विच्छेदित करने की धमकी दी गयी। अत: क्षुब्ध होकर परिवादी द्वारा विपक्षी के विरूद्ध जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख परिवाद योजित करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख विपक्षी द्वारा लिखित कथन प्रस्तुत किया गया तथा मुख्य रूप से कथन किया गया कि परिवादी को सही आगणन के आधार पर विद्युत बिल दिया गया। परिवादी द्वारा बिना किसी औचित्य एवं बिना किसी वाद कारण के परिवाद प्रस्तुत किया गया। परिवाद निरस्त होने योग्य है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्त यह पाया गया कि विपक्षी द्वारा घोर उपेक्षा, लापरवाही एवं सेवा में शिथिलता पूर्वक कार्य करते हुए रिवाइज्ड बिल दिनांक 26.09.2018 से
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दिनांक 08.10.2018 तक का भेजा गया, जो निरस्त होने योग्य है। तदनुसार जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा परिवाद स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया गया:-
''परिवादी का परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी द्वारा परिवादी को भेजे गये रिवाइज्ड बिल दिनांकित-26-09-2018 ता 08-10-2018 बावत 21 महीना सम्बन्धित धनराशि 74,420/-रू0 को निरस्त किया जाता है। परिवादी विपक्षी से शारीरिक, मानसिक व आर्थिक क्षति के लिए 8,000/-रू0 व परिवाद व्यय के मद में 3,000/-रू0 पाने का अधिकारी है।
विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्त वर्णित धनराशि को एक माह के अन्दर परिवादी को अदा करे।''
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुनने तथा समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए तथा जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त हम इस मत के हैं कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा समस्त तथ्यों का सम्यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया, परन्तु हमारे विचार से जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा जो शारीरिक, मानसिक व आर्थिक क्षति के लिए 8,000/-रू0 व परिवाद व्यय के मद में 3,000/-रू0 अदा करने हेतु आदेशित किया गया है, उसे न्यायहित में समाप्त किया जाना उचित है।
तदनुसार प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है तथा जिला उपभोक्ता आयोग, रायबरेली द्वारा परिवाद संख्या-65/2018 राम बक्श सिंह बनाम मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लि0 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 30.07.2019 को संशोधित करते हुए शारीरिक, मानसिक व आर्थिक क्षति के लिए 8,000/-रू0 व परिवाद व्यय के मद में 3,000/-रू0 की देयता को समाप्त किया जाता है। जिला उपभोक्ता आयोग का शेष आदेश
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यथावत् रहेगा।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य सदस्य
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1