Uttar Pradesh

StateCommission

A/757/2022

Electricity Urban Distrbution Division - Complainant(s)

Versus

Ram Bharosey Lal - Opp.Party(s)

Santosh Kumar Mishra

05 Dec 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/757/2022
( Date of Filing : 10 Aug 2022 )
(Arisen out of Order Dated 22/06/2022 in Case No. C/2021/306 of District Bareilly-I)
 
1. Electricity Urban Distrbution Division
Bareilly
...........Appellant(s)
Versus
1. Ram Bharosey Lal
Dist. Bareilly
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 05 Dec 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-757/2022

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, प्रथम बरेली द्धारा परिवाद सं0-306/2021 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 22.6.2022 के विरूद्ध)

1- इलैक्ट्रिसिटी अर्बन डिस्‍ट्रीब्‍यूशन डिवीजन, प्रथम एम.वी.वी. निगम लिमिटेड, बरेली द्वारा अधिशासी अभियंता।

2- मध्‍यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड काटजू मार्ग बरेली द्वारा चीफ इंजीनियर।

                                              ........... अपीलार्थी/विपक्षीगण

बनाम              

रामभरोसे लाल पुत्र श्री नन्‍हें लाल, निवासी स्‍वरूप नगर चाहबाई तहसील व जिला बरेली।

…….. प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष              

अपीलार्थीगण के अधिवक्‍ता:- श्री संतोष कुमार मिश्रा

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता     :- श्री अनिल कुमार मिश्रा एवं श्री के0एम0 त्रिपाठी

दिनांक :- 05.12.2022

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा इस न्‍यायालय के सम्‍मुख धारा-41 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम बरेली द्वारा परिवाद सं0-306/2021 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 22.6.2022 के विरूद्ध योजित की गई है।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी वर्ष-1987 से बिजली उपभोग के सम्‍पूर्ण बिल नियमानुसार अदा करता आ रहा है तथा अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 द्वारा प्रेषित वसूली प्रमाण पत्र सं0-2649 दिनांक 30.9.2021 देय धनराशि रू0 50,249.00 भू-राजस्‍व की बकाया वसूली करने हेतु जिलाधिकारी को भेजा गया, जिसकी जानकारी दिनांक 11.11.2021 को हुई, अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा निर्गत प्रपत्र सं0-1 कार्यालय पत्र सं0-343 दिनांक 27.01.2021 उ0प्र0 सरकारी बिजली व्‍यवसाय

-2-

संस्‍था देयों की वसूली अधिनियम 1958 की धारा-3 के अधीन डिमाण्‍ड नोटिस प्रत्‍यर्थी/परिवादी को कभी तामील नहीं हुआ। इसके साथ-साथ अंतिम राजस्‍व निर्धारण हेतु पत्रांक 278 दिनांक 16.01.2021 भी प्राप्‍त नहीं हुआ है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी के कथनानुसार पोल सं0 जी0यू0 15/3/3 पर अचानक र्स्‍पाकिंग से आग लग गई तथा विभागीय विद्युत मीटर जल गया एवं स्‍ट्रीट लाइट भी जल गई, जिससे चौराहे पर 4-5 दिन अंधेरा रहा, जिसके कारण विभाग द्वारा अतिरिक्‍त केबिल डालकर बल्‍व लगा दिया गया तथा बाद में नियमित लगाया गया। दिनांक 14.7.2020 को पुलिस प्रवर्तन दल/चैकिंग दल द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी के संयोजन का निरीक्षण किया गया, जिसकी जानकारी प्रत्‍यर्थी/परिवादी को नहीं दी गई और न ही तथाकथित केबिल आदि का इन्‍वेन्‍टरी बनाकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी से पुष्टि करायी गई एवं एक पक्षीय जॉच आख्‍या भेजी गई, जो भ्रामक तथा पूर्वाग्रह से कि‍सी के द्वारा प्रायोजित करायी गई। प्रत्‍यर्थी/परिवादी के कथनानुसार अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी से अंतिम राजस्‍व निर्धारण कर रू0 50,249.00 भुगतान की मॉग की जा रही है, जिसका विद्युत उपभोग प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा कभी नहीं किया गया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी समय-समय पर बिल आनलाइन जमा करता रहा, इसके बावजूद बिजली विभाग मनमाने तरीके से व स्‍वयं अनुचित लाभ पाने हेतु पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी से रू0 50,249.00 की मॉग कर रहा है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा कोई विद्युत चोरी नहीं की गई, अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख परिवाद वसूली प्रमाण पत्र को वापस लिए जाने एवं शारीरिक मासिक क्षतिपूर्ति दिलाये जाने हेतु प्रस्‍तुत किया गया है।

     अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत कर परिवाद पत्र के कथनों से इंकार किया गया तथा यह कथन किया गया कि दिनांक 14.7.2020 को प्रत्‍यर्थी/परिवादी के मकान परिसर पर संयोजित केबिल के अतिरिक्‍त एल0टी0 लाइन से कटिया डालकर विद्युत चोरी होती हुई पाई गई एवं प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विरूद्ध धारा-126 विद्युत अधिनियम के अन्‍तर्गत राजस्‍व

-3-

निर्धारण बकाया वसूलने के उद्देश्‍य से आर0सी0 कार्यवाही की गई। यह भी कथन किया गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी को दिनांक 18.9.2020 पत्रांक 1538 प्रोविजनल राजस्‍व निर्धारण दिनांक 16.01.2021 पत्रांक 278 को अंतिम राजस्‍व निर्धारण दिनांक 23.01.2021 को पत्रांक सं0-344 धारा-3 के अधीन डिमाण्‍ड नोटिस व दिनांक 30.9.2021 को पत्रांक 2649 डी0एम0 बरेली को भेजा गया था, जिसका उत्‍तर प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा नहीं दिया गया। यह भी कथन किया गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने मीटर जलने के संबंध में कोई लिखित शिकायत अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 के खण्‍ड कार्यालय में नहीं की। दिनांक 14.7.2020 को पुलिस पवर्तन दल बरेली द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी के मकान परिसर पर चेकिंग की गई, चेकिंग के दौरान प्रत्‍यर्थी/परिवादी के मकान परिसर पर एल0टी0 लाइन से सीधे संयोजित केबिल के अतिरिक्‍त अलग से दूसरी दो कोर केबिल पास की एल0टी0 लाइन जोड़कर 1956 वाट की विद्युत चोरी मकान पर पाई गई तथा मौके पर ही जॉच रिपोर्ट का प्रारूप उपभोक्‍ता निरीक्षण प्रपत्र दिनांक 14.7.2020 तैयार किया गया एवं विद्युत अधिनियम के अन्‍तर्गत राजस्‍व निर्धारण वसूलने के उद्देश्‍य से नियमानुसार कार्यवाही की गई।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍य पर विस्‍तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को स्‍वीकार कर निम्‍न आदेश पारित किया गया है:-

''परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध स्‍वीकार किया जाताहै। तद्नुसार वसूली नोटिस निरस्‍त किया जाता है। विपक्षीगण परिवादी को उसके द्वारा जमा धनराशि रू0 50,000.00 (पचास हजार रू0) 30 दिन में वापस करेंगे। इस सम्‍बन्‍ध में रू0 2000.00 (दो हजार रू0) खर्चा मुकदमा परिवादी विपक्षीगण से 30 दिन में प्राप्‍त करेगा। यह रू0 2000.00 (दो हजार रू0) खर्चा मुकदमा आगे के बिलों में समायोजित होगा।''

 

-4-

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग के प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/विपक्षीगण विद्युत विभाग द्वारा प्रस्‍तुत अपील योजित की गई है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: तथ्‍य और विधि के विरूद्ध है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह भी कथन किया गया कि प्रस्‍तुत प्रकरण विद्युत चोरी से सम्‍बन्धित है एवं दिनांक 14.7.2020 को पुलिस पवर्तन दल बरेली नगर द्वारा प्रत्‍यर्थी के मकान परिसर पर चेकिंग की गई एवं चेकिंग के दौरान प्रत्‍यर्थी के मकान परिसर पर एल0टी0 लाइन से सीधे संयोजित केबिल के अतिरिक्‍त अलग से दूसरी दो कोर केबिल पास की एल0टी0 लाइन जोडकर 1956 वाट की विद्युत चोरी मकान पर होना पाई गई। यह भी कथन किया गया कि मौके पर ही जॉच रिपोर्ट का प्रारूप उपभोक्‍ता निरीक्षण प्रपत्र दिनांक 14.7.2020 तैयार किया गया एवं विद्युत अधिनियम के अन्‍तर्गत राजस्‍व निर्धारण वसूलने के उद्देश्‍य से नियमानुसार कार्यवाही की गई।

परिवाद पत्र की धारा-7 में उल्लिखित यह कथन गलत है कि पोल सं0 जी0यू0 15/3/3 पर अचानक र्स्‍पाकिंग से आग लग गई तथा विभागीय विद्युत मीटर जल गया एवं स्‍ट्रीट लाइट भी जल गई, जिससे चौराहे पर 4-5 दिन अंधेरा रहा, जिसके कारण विभाग द्वारा अतिरिक्‍त केबिल डालकर बल्‍व लगा दिया गया तथा बाद में उसे नियमित लगाया गया। यह भी कथन किया गया कि प्रत्‍यर्थी द्वारा मीटर जलने के सम्‍बन्‍ध में कोई लिखित सूचना विपक्षी सं0-1 के खण्‍ड कार्यालय में नहीं दी गई। अपीलार्थी की ओर से जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश को अपास्‍त कर अपील को स्‍वीकार किये जाने की प्रार्थना की गई है।

अपने कथन के समर्थन में अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा पुनरीक्षण याचिका सं0-1112/2014 Walmik vs Maharashtra State Electricity Distribution Co. Ltd.  में पारित निर्णय के निम्‍न अंश बल दिया गया है:- 

-5-

‘’7. In my view, one the opposite party takes a plea that the case in question was a case of theft of electricity, the Consumer Forum would not have jurisdiction to entertain the complaint and go into the question as to whether there was actually theft of electricity or not.’’

प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: तथ्‍य और विधि के अनुकूल है, जिसमें किसी प्रकार के हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है एवं यह भी कथन किया गया कि प्रत्‍यर्थी द्वारा दिनांक 18.12.2019 से 07.3.2021 तक लगातार विद्युत उपभोग के बिल निरंतर जमा किये जाते रहे हैं एवं अपीलार्थी द्वारा मनमाना वसूली प्रमाण पत्र जारी किया गया है।

मेरे द्वारा उभय पक्ष की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍तागण को विस्‍तार पूर्वक सुना तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया।

वर्तमान प्रकरण में यह तथ्‍य पाया जाता है कि प्रत्‍यर्थी को 04 किलो वाट का विद्युत कनेक्‍शन अपीलार्थी विद्युत विभाग द्वारा स्‍वीकृत किया गया है, किन्‍तु अपीलार्थी के अनुसार दिनांक 14.7.2020 को प्रत्‍यर्थी अतिरिक्‍त तार डालकर विद्युत चोरी करता हुआ पाया गया, जिसमें एक ए0सी0 एक पंखा व 09 सीएफएल बल्‍व 1596 वाट की बिजली चोरी होना बताया गया है, लेकिन न तो कोई मौके पर केबिल उतारने का फर्द तैयार किया गया और न ही स्‍वतंत्र गवाहों के व प्रत्‍यर्थी/परिवादी के हस्‍ताक्षर युक्‍त कोई प्रपत्र ही प्रस्‍तुत किया गया है, जिससे यह प्रमाणित हो सके कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी बिजली चोरी करता हुआ पाया गया। प्रस्‍तुत मामले में विद्युत चोरी से सम्‍बन्धित स्‍पष्‍ट एवं सटीक साक्ष्‍य प्रस्‍तुत किये जाने का अभाव है, जिससे कि विद्युत चोरी का मामला प्रमाणित हो सके।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा प्रस्‍तुत पुनरीक्षण याचिका सं0-1112/2014 Walmik vs Maharashtra State Electricity Distribution Co. Ltd.  में पारित निर्णय में दी गई विधि व्‍यवस्‍था पर बल दिया है,

-6-

परन्‍तु चूंकि वर्तमान प्रकरण में विद्युत चोरी से सम्‍बन्धित तथ्‍य को अपीलार्थी/विद्युत विभाग द्वारा प्रमाणित नहीं किया जा सकता है, अत्एव मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा पारित निर्णय में दी गई विधि व्‍यवस्‍था का लाभ प्रस्‍तुत मामले में अपीलार्थी को नहीं दिया जा सकता है।

उक्‍त समस्‍त तथ्‍यों पर विस्‍तार से चर्चा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपने प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश में की है और समस्‍त तथ्‍यों पर विचारोंपरांत परिवाद को स्‍वीकार किया है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: विधि अनुकूल है, उसमें किसी प्रकार कोई अवैधानिकता अथवा विधिक त्रुटि अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा अपील स्‍तर पर इंगित नहीं की जा सकी है, विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में किसी प्रकार के हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता अपील स्‍तर पर प्रतीत नहीं हो रही है, अत्एव प्रस्‍तुत अपील बलहीन होने के कारण निरस्‍त की जाती है।

धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत जमा धनराशि रू0 25,000.00 मय अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को विधिनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जावे।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

                                            (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                

                                               अध्‍यक्ष                                                                                                              

हरीश सिंह, पी0ए0 ग्रेड-2.,

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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