राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-2357/1998
(जिला उपभोक्ता आयोग, कानपुर नगर द्धारा परिवाद सं0-826/1993 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 29.8.1997 के विरूद्ध)
कानपुर विकास प्राधिकरण द्वारा सचिव, मोतीझील कानपुर।
.......... अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
श्रीराम बच्चन राम विश्वकर्मा, निवासी एल.आई.जी.-144 बर्रा- II जनता नगर, कानपुर।
…….. प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री पीयूष मणि त्रिपाठी
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : कोई नहीं।
दिनांक :-20-9-2022
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी/कानपुर विकास प्राधिकरण द्वारा इस आयोग के सम्मुख धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता आयोग, कानपुर नगर द्वारा परिवाद सं0-826/1993 में पारित निम्न निर्णय/आदेश दिनांक 29.8.1997 के विरूद्ध योजित की गई है:-
''आदेश किया जाता है कि इस आदेश की प्राप्ति के 30 दिन के अन्दर विपक्षी परिवादी का पट्टा जमा की गई दिनांक 20.3.1991 की धनराशि 12,209.75 पैसे (बारह हजार दो सौ नौ रूपये 75 पैसे) पर 20.3.1991 से 18 प्रतिशत ब्याज अदायगी की तिथि तक का अदा करे। विपक्षी परिवादी को उसके नाम पर आवंटित भवन का पट्टा प्रदान करे तथा 5,000.00 (पॉच हजार रूपये) बतौर हर्जाना परिवादी को प्रदान करे।''
उपरोक्त आदेश के परिपेक्ष्य में अपीलार्थी/प्राधिकरण के अधिवक्ता के कथनानुसार प्रत्यर्थी/परिवादी को आवंटित भवन सं0-एल/343 एल0आई0जी0 जरौली
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का वास्तविक कब्जा प्राप्त कराया जा चुका है, परन्तु प्रस्तुत अपील में पारित जिला उपभोक्ता आयोग के आदेश के अनुसार जो जमा धनराशि पर ब्याज की देयता निर्धारित की गई है अर्थात 18 प्रतिशत ब्याज प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक, वह अत्याधिक है, साथ ही अपीलार्थी प्राधिकरण को हर्जाने के रूप में जो धनराशि की देयता रू0 5,000.00 निर्धारित की गई है, वह भी अत्याधिक है।
मेरे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का परिशीलन किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रस्तुत अपील लगभग 24 वर्षों से अधिक समय से लम्बित है, अत्एव समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए तथा न्यायहित में, मैं जिला उपभोक्ता आयोग के उपरोक्त निर्णय को निम्नवत संशोधित किया जाना उपयुक्त पाता हॅू, तद्नुसार आदेशित किया जाता है कि जिला उपभोक्ता आयोग के आदेश में उल्लिखित देय ब्याज की देयता 18 प्रतिशत के स्थान पर 09 प्रतिशत संशोधित की जाती है साथ ही हर्जाना की धनराशि रू0 5,000.00 को संशोधित करते हुए 3,000.00 रू0 निर्धारित किया जाना समुचित पाया जाता है, तद्नुसार प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए निस्तारित की जाती है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की बेवसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
हरीश आशु.,
कोर्ट नं0-1