सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या- 2564/2016
(जिला उपभोक्ता फोरम, औरैया द्वारा परिवाद संख्या- 141/2015 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 15-03-2016 के विरूद्ध)
Dakshinanchal Vidyut Vitran Nigam Ltd., Vidyut Vitran Khand, Auraiyya through Adhishashi Abhiyanta, Dakshinanchal Vidyut Vitran Khand, Auraiyya.
अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
Ram Babu Sharma, Son of Sri Angnoo Prasad, Resident of Village Mihauli, Post Office Panhar, Pargana & District-Auraiyya.
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता, श्री दीपक मेहरोत्रा के
सहयोगी श्री मनोज कुमार
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री विद्वान अधिवक्ता टी०एच० नकवी
दिनांक- 06-01-2020
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या– 141 सन् 2015 राम बाबू शर्मा बनाम दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम विद्युत वितरण खण्ड औरैया में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, औरैया द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 15-03-2016 के विरूद्ध यह अपील धारा- 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
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आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
" परिवाद विपक्षी के विरूद्ध 4,19,649/-रू0 की वसूली हेतु स्वीकार किया जाता है इस धनराशि पर वाद योजन की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 07 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज भी देना होगा। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि उपरोक्तानुसार धनराशि निर्णय के एक माह में परिवादी को अदा करें।‘’
जिला फोरम के निर्णय से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी, Dakshinanchal Vidyut Vitran Nigam Ltd ने यह अपील प्रस्तुत की है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री दीपक मेहरोत्रा के सहयोगी श्री मनोज कुमार और प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री टी0एच0 नकवी उपस्थित आए हैं।
मैंने उभय-पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
मैंने अपीलार्थी की ओर से प्रस्तुत लिखित तर्क का भी अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम विद्युत वितरण खण्ड औरैया के विरूद्ध इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि उसने अपने जीविकोपार्जन हेतु विश्वकर्मा कृषि यन्त्र निर्माण उद्योग के लिए विद्युत कनेक्शन लेने हेतु आवेदन अपीलार्थी/विपक्षी के यहॉं प्रस्तुत किया जिस पर अपीलार्थी/विपक्षी ने स्वीकृति प्रदान की और
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250/रू० रसीद संख्या- 3/ 572216 द्वारा दिनांक 14-10-1998 को कोटेशन बनवाने हेतु जमा किया और दिनांक 11-11-1998 को कोटेशन तैयार हुआ। उसके बाद कोटेशन की धनराशि अपीलार्थी/विपक्षी के यहॉं जमा की गयी। उसके बाद विद्युत मीटर का किराया 11,279/-रू० दिनांक 22-03-1999 को अपीलार्थी/विपक्षी के यहॉं प्रत्यर्थी/परिवादी ने जमा किया। तब प्रत्यर्थी/परिवादी को शीघ्र विद्युत लाइन देने का आश्वासन दिया गया। अत: प्रत्यर्थी/परिवादी ने वेल्डिंग मशीन, डी०एस० चावला आइस कोल्ड कम्पनी की 20,000/-रू० में, एक ड्रिल मशीन 5000/-रू० में एक ग्राइन्डिंग मशीन 4000/-रू० में व अन्य टूल्स 4000/-रू० में खरीदा। इस प्रकार उसने कुल 36,000/-रू० खर्च किया है।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि उसने अपीलार्थी/विपक्षी के कर्मचारियों से कई बार लाइन चालू करने के लिए कहा परन्तु उन्होंने कोई कार्यवाही नहीं की। तब उसने तहसील दिवस में दिनांक 29-07-2003 को आवेदन पत्र दिया कि उसकी जमा धनराशि वापस दिलायी जाए और विद्युत विभाग के कर्मचारियों की लापरवाही से उसे हुयी क्षति की पूर्ति हेतु क्षतिपूर्ति दिलायी जाए। फिर भी कोई कार्यवाही नहीं हुयी। तब क्षुब्ध होकर उसने अपीलार्थी/विपक्षी को नोटिस भेजा परन्तु अपीलार्थी/विपक्षी ने दिनांक 01-03-2014 को कतई इन्कार कर दिया तब उसने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया है और निम्न अनुतोष चाहा है:-
(अ) यह कि परिवादी को प्रतिवादी से क्षतिपूर्ति के रूप में 5,08000/- रूपया क्षतिपूर्ति करायी जावे।
(ब) यह कि परिवादी को प्रतिवादी से मानसिक क्षतिपूर्ति हेतु 50,000/-रू० दिलाया जावे।
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(स) यह कि परिवादी को प्रतिवादी से वाद व्यय हेतु 20,000/-रू० दिलवाए जाने की कृपा की जाए।
(द) यह कि अन्य उपशम जो हितकर परिवादी हो, प्रदान की जाए।
जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है और कहा गया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी बी०पी०एल० कार्ड धारक है, उसका नि:शुल्क विद्युतीकरण किया गया था और संयोजन चालू किया गया था। उसके जिम्मा 37,975/-रू० का विद्युत बिल बकाया है। प्रत्यर्थी/परिवादी के मीटर का नम्बर 45383 है। परिवाद गलत कथन के साथ प्रस्तुत किया गया है।
जिला फोरम ने उभय-पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार करने के उपरान्त यह माना है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने स्वरोजगार से जीविकोपार्जन के लिए उद्योग निदेशालय के नियमानुसार आवेदन किया था। अपीलार्थी/विपक्षी ने कनेक्शन स्वीकार किया था और इस्टीमेट भी बनाया गया था। जिला फोरम ने अपने निर्णय में यह भी माना है कि अपीलार्थी/विपक्षी के निर्देशानुसार धनराशि भी जमा की गयी फिर भी अपीलार्थी/विपक्षी ने कनेक्शन चालू नहीं किया। अत: जिला फोरम ने परिवाद स्वीकार करते हुए आदेश उपरोक्त प्रकार से पारित किया है।
अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश तथ्य और साक्ष्य के विरूद्ध है। प्रत्यर्थी/परिवादी का विद्युतीकरण नि:शुल्क किया गया था। उसने गलत कथन के आधार पर परिवाद प्रस्तुत किया है। जिला फोरम का निर्णय दोषपूर्ण है और निरस्त किये जाने योग्य है।
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प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश तथ्य और विधि के अनुसार है। प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी के यहॉं विद्युत कनेक्शन हेतु आवेदन किया और कोटेशन प्राप्त कर वांछित धनराशि जमा किया । मीटर की फीस भी जमा किया फिर भी उसे विद्युत कनेक्शन नहीं दिया गया है और वह अपना उद्योग स्थापित नहीं कर सका है। प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि अपील बल रहित है और निरस्त किये जाने योग्य है।
मैंने उभय-पक्ष के तर्क पर विचार किया है।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी से कनेक्शन लगवाने हेतु आवेदन किया था और अपीलार्थी/विपक्षी की स्वीकृति प्राप्त होने पर अपीलार्थी/विपक्षी के निर्देशानुसार दिनांक 11-11-1998 को कोटेशन तैयार किया गया। कोटेशन की धनराशि उसने जमा किया और उसके बाद अपीलार्थी/विपक्षी के निर्देशानुसार विद्युत मीटर का किराया 11,279/-रू० भी उसने दिनांक 22-03-1999 को जमा किया परन्तु अपीलार्थी/विपक्षी ने कनेक्शन उसे नहीं दिया और विद्युत लाइन चालू नहीं किया। तब तहसील दिवस में दिनांक 29-07-2003 को उसने प्रार्थना-पत्र दिया और निवेदन किया कि जमा की गयी धनराशि वापस करायी जाए और विद्युत विभाग की लापरवाही से उसे जो क्षति हुयी है उसे दिलाया जाए।
परिवाद-पत्र के कथन एवं परिवाद-पत्र में याचित अनुतोष से स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने वर्ष 2003 में तहसील दिवस में दिये गये आवेदन पत्र में कनेक्शन दिलाए जाने की मांग न करके जमा धनराशि वापस दिलाने और क्षतिपूर्ति दिलाए जाने की मांग की है। परिवाद पत्र में याचित अनुतोष में भी
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उसने कनेक्शन दिलाए जाने की मांग नहीं किया है। अत: यह मानने हेतु उचित आधार है कि प्रत्यर्थी/परिवादी वर्ष 2003 से ही विद्युत कनेक्शन की मांग छोड़ चुका है। प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद वर्ष 2015 में प्रस्तुत किया है। जिला फोरम ने आक्षेपित निर्णय में 2500/-रू० मासिक की दर से क्षतिपूर्ति प्रत्यर्थी/परिवादी को 12 वर्ष के लिए उस अवधि हेतु दिया है जिस अवधि में प्रत्यर्थी/परिवादी स्वयं कनेक्शन की मांग नहीं कर रहा है। अत: जिला फोरम ने जो 3,60,000/-रू० क्षतिपूर्ति प्रत्यर्थी/परिवादी को दिलाया है वह तथ्य साक्ष्य एवं विधि के विरूद्ध है और अपास्त किये जाने योग्य है।
प्रत्यर्थी/परिवादी ने 11,529/-रू० की जमा रसीद प्रस्तुत किया है। अपीलार्थी/विपक्षी ने प्रत्यर्थी/परिवादी की जमा धनराशि के बदले कनेक्शन देना नहीं बताया है और न ही प्रत्यर्थी/परिवादी को यह धनराशि वापस करना बताया है। अत: प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा जमा धनराशि 11,529/-रू० प्रत्यर्थी/परिवादी को 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से जमा की तिथि से ब्याज के साथ वापस दिलाया जाना उचित है।
जिला फोरम ने जो 10,000/-रू० मानसिक कष्ट हेतु क्षतिपूर्ति व 5000/-रू० वाद व्यय दिया है वह उचित है उसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है और जिला फोरम का निर्णय व आदेश संशोधित करते हुए अपीलार्थी/विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह प्रत्यर्थी/परिवादी की जमा धनराशि 11,529/-रू० जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ उसे वापस करें साथ ही जिला फोरम द्वारा आदेशित
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मानसिक कष्ट हेतु क्षतिपूर्ति 10,000/-रू० एवं वाद व्यय 5000/-रू० उसे अदा करें।
अपील में उभय-पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
अपील में धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत जमा धनराशि 25,000/-रू० व उस पर अर्जित ब्याज जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित किया जाए।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
कृष्णा, आशु0
कोर्ट नं01