मौखिक
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग उ0प्र0 लखनऊ
अपील संख्या 1249 सन 2022
सहदेव सिंह पुत्र श्री सोहनपाल सिंह निवासी ग्राम मिताली तहसील व जिला बागपत ।
.................. अपीलार्थी
-बनाम-
राम शाखा प्रबन्धक जिला सहकारी बैंक लि0 मेरठ शाखा अग्रवाल मण्डी टटीरी तहसील व जिला बागपत ।
.....................प्रत्यर्थी
समक्ष
मा० न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष ।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता – श्री विनीत कुमार ।
प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता – श्री अरविंद कुमार।
दिनांक - 04.03.2024
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील जिला उपभोक्ता आयोग, बागपत द्वारा परिवाद संख्या 24 सन 2021 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 01.10.2022 के विरुद योजित की गयी है।
संक्षेप में परिवादी का कथन इस प्रकार है, कि परिवादी, विपक्षी का उपभोक्ता है। प्रार्थी का जिला सहकारी बैंक लिमिटेड, मेरठ की शाखा अग्रवाल मण्डी टटीरी, तहसील व जिला बागपत में खाता संख्या-3010 है तथा परिवादी का अतिरिक्त गन्ना वित्त पोषक ऋण विपक्षी द्वारा दिनांक 16.02.2021 को अंकन 95,400/-रुपये स्वीकृत हो चुका है, लेकिन परिवादी को अदा नही किया गया, ऐसी दशा में परिवादी ने दिनांक 17.02.2021 को रजिस्ट्रर्ड डाक द्वारा प्रार्थना पत्र यह मांग करते हुए विपक्षी को भेजा, कि अंकन 90,000/-रुपये उसके खाता संख्या 3010 में ट्रांसफर कर दे, परन्तु उक्त प्रार्थना पत्र भेजने के बावजूद विपक्षी द्वारा ऋण अदा नही किया और परिवादी ने दिनांक 26.02.2021 को रजिस्ट्रर्ड कानूनी नोटिस भेजकर भी उक्त ऋण की धनराशि, खाता संख्या 3010 में ट्रांसफर करने की मांग की, जिसे विपक्षी द्वारा अदा न करने के कारण, परिवादी द्वारा प्रस्तुत, परिवाद अंकन 90,000/-रुपये की ऋण धनराशि खाते में प्रदान करने व मानसिक क्षतिपूर्ति अंकन 20,000/-रुपये मय परिवाद खर्च अंकन 10,000/-रुपये विपक्षी से प्राप्त करने हेतु किया है।
विपक्षीगण की तरफ से जवाबदावा दाखिल करके उल्लिखित किया गया है, कि विपक्षी, मुख्यालय जिला सहकारी बैंक लि. मेरठ और विभागीय उच्चाधिकारियों द्वारा समय-समय पर निर्गत किये गये आदेशों व दिशा-निर्देशों के अनुपालन में ही कार्य करने के लिए अधिकृत है। परिवादी का बचत खाता संख्या 3010 अपने यहां होना स्वीकार किया है तथा शेष आरोप गलत कहा है। परिवादी की गन्ना वित्त पोषक ऋण सीमा अंकन 93.940/-रुपये जिला सहकारी नियन्धक सहकारी समीति के द्वारा अनुमोदित है तथा सदस्य की के. सी.सी. ऋण सीमा 01.04.2018 से 31.03.2023 तक अंकन 95.400/-रुपये स्वीकृत है, जिसमें से अंकन 48.433/-रुपये का उपभोग परिवादी कर रहा है तथा ऋण सीमा के विरुद्ध अंकन 47,067/-रुपये मात्र ऋण अवशेष है। परिवादी समिति का सदस्य है, इसलिए यह बैंक के उपभोक्ता की श्रेणी में नही आता और न ही यह उत्तर प्रदेश सहकारी समीति अधिनियम 1965 की धारा 19 के अन्र्त्तगत उक्त ऋण लेने के लिए पात्र है। परिवादी विभागीय नियमों के विरुद्ध ऋण की धनराशि प्राप्त करने का प्रयास कर रहा था परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है और न ही उक्त कार्य बैंक के लिए सेवा की श्रेणी में आता है, इसलिए उक्त वाद "उपभोक्ता विवाद" नही है। परिवादी का बचत खाता संख्या 3010 है तथा जिस चैक द्वारा ऋण की मांग वह कर रहा है उस चैक का उक्त खाता से कोई संबंध नहीं है। परिवादी द्वारा दिनांक 17.02.2021 को चैक नम्बर 566243 अंकन 90,000/-रुपये भुगतान हेतु रजिस्ट्रर्ड डाक द्वारा अपने जिला सहकारी बैंक के बचत खाता संख्या 21/3010 में अंतरित करने हेतु अनुरोध किया गया, जो नियमों के विरुद्ध है तथा नियम विरुद्ध ऋण का वितरण किया जाना सम्भव नही है, जिसका उल्लेख परिपत्रांक सी. 235/78प. अधि.2012-13 दिनांकित 07.12.2013 में स्पष्ट है। परिवादी समिति का सदस्य है तथा सदस्य स्तर पर सदस्य का एक अन्य खाता होता है. जिससे समिति सदस्यों को ऋण दिया जाता है, जिसका बचत खाता से कोई संबंध नहीं है। वाद उत्तर प्रदेश सहकारी समिति अधिनियम 1965 की धारा 111 के अन्तर्गत पोषणीय नही है और धारा 70 के अन्तर्गत विवाद खत्म करना चाहिये था परन्तु परिवादी ने नही किया। अधिनियम की धारा 19 के अनुसार "सदस्य उस समय तक अपने अधिकार का प्रयोग नही करेगा जब तक कि देय का भुगतान न कर दिया जाये"। परिवादी विपक्षी से कोई क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकारी नही है, उसने परिवाद लालच व दुराशय से प्रेरित होकर योजित किया है। इसलिए वाद उपरोक्त खारिज होने योग्य है।
विद्वान जिला आयोग ने अपने विवेच्य निर्णय में यह अवधारित करते हुए कि विपक्षी द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है तथा परिवादी वांछित अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं है, परिवादी का परिवाद खारिज कर दिया।
पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य एवं अभिलेख का भलीभांति परिशीलन करने तथा उपस्थित विद्वान अधिवक्ता के तर्को को सुनने के पश्चात मेरे विचार से जिला मंच ने उभय पक्षों द्वारा दाखिल सभी अभिलेखों व शर्तो का अवलोकन करते हुए साक्ष्यों की पूर्ण विवेचना करते हुए प्रश्नगत परिवाद में विवेच्य निर्णय पारित किया है, जो कि तथ्यों एवं साक्ष्यों से समर्थित एवं विधि-सम्मत है एवं उसमें हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है। तद्नुसार प्रस्तुत अपील खारिज किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील खारिज की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
उभय अपीलों में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
सुबोल श्रीवास्तव
पी0ए0(कोर्ट नं0-1)