(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-474/2009
उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद बनाम राम औतार गुप्ता
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
दिनांक: 28.11.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. निष्पाद वाद सं0-15/2008, में विद्वान जिला आयोग, मेरठ द्वारा पारित आदेश दिनांक 27.1.2009 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री मनोज मोहन के सहायक श्री संजय कुंतल तथा प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री वी.एस. बिसारिया को सुना गया तथा प्रश्नगत आदेश/पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. विद्वान जिला आयोग ने निष्पादन कार्यवाही के दौरान विपक्षीगण के खाते से अंकन 1,89,532/-रू0 कुर्क कर फोरम में जमा करने का आदेश पारित किया है, इस राशि में से रू0 1,83,775.40 पैसे परिवादी को अदा करने के लिए आदेशित किया है। शेष राशि विपक्षीगण को वापस कर दी जाए।
3. इस आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि रू0 1,83,775.40 पैसे अदा करने का आदेश नियमों के अनुरूप नहीं है तथा माननीय राज्य आयोग के निर्णय के अनुसार भी नहीं है। अंकन 1,02,970/-रू0 परिवादी द्वारा अधिक प्राप्त कर लिए गए हैं, जो निर्णीत ऋणी वापस प्राप्त करने के लिए अधिकृत है। विद्वान जिला आयोग ने गलत व्याख्या करते हुए अधिक धनराशि उपलब्ध कराई है।
4. डिक्री होल्डर के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि राज्य आयोग के निर्णय के अनुक्रम में राशि की गणना की गई है, इसलिए अपील खारिज होने योग्य है।
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5. विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित आदेश के अवलोकन से ज्ञात होता है कि परिवादी निर्णय के अनुसार ब्याज की राशि प्राप्त करने के लिए अधिकृत है, इसलिए विपक्षीगण की आपत्ति स्वीकार होने योग्य नहीं है। तदनुसार आपत्ति खण्डित की गई। राज्य आयोग द्वारा पारित संयुक्त निर्णय अपील सं0-1605/2002 एवं अपील सं0-2066/2002 की प्रति पत्रावली पर मौजूद है। इस निर्णय के अवलोकन से ज्ञात होता है कि इस राशि पर ब्याज के लिए भी आदेशित किया गया है। अत: ब्याज की गणना विधिसम्मत है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
6. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2