राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या : 358/2014
(सुरक्षित)
(जिला उपभोक्ता फोरम, चित्रकूट द्वारा परिवाद संख्या-10/2012 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 02-01-2014 के विरूद्ध)
- CSC Incharge, M/s PACL India Limited Karvy Tehsil Karvy Chitrakoot.
- M/s PACL India Ltd, Present Address 7th Floor, Gopaldas Bhawan, 28, Barakhamba Road, New Delhi-110001.
अपीलार्थीगण
बनाम्
Ram Asrey, Son of Puttulal H.No. Village, Mau Tehsil Mau, District-Chitrakoot.
प्रत्यर्थी
समक्ष :-
1- मा0 श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2- मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य।
उपस्थिति :
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित- कोई नहीं।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित- श्री बी0 के0 उपाध्याय।
दिनांक :18-12-2017
मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य द्वारा उद्घोषित निर्णय
परिवाद संख्या-10/2012 राम आसरे बनाम् शाखा प्रबन्धक, पी0ए0सी0एल0इण्डिया लि0 व दो अन्य में जिला फोरम, चित्रकूट द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश दिनांक 02-01-2014 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अनतर्गत इस आयोग के समक्ष प्रस्तुत की है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवादी का परिवाद अंशत: स्वीकार करते हुए विपक्षीगण को आदेशित किया है कि वह आदेश की तिथि से एक माह के अंदर परिवादी को उसके पुत्र पिन्स कुमार द्वारा लिये गये योजना संख्या-54 के संबंध में दुर्घटना बीमा हित लाभ के रूप में 93750/-रू0 का भुगतान करें। इसके अतिरिक्त विपक्षीगण को यह भी आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को 93750/-रू0 की धनराशि पर प्रार्थना पत्र दिये जाने की तिथि से अंतिम भुगतान किये जाने की तिथि तक 06 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज व 2,000/-रू0 वाद व्यय के रूप में भी अदा करें।
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संक्षेप में इस केस के तथ्य इस प्रकार हैकि परिवादी के लड़के पिन्स कुमार गुप्ता ने विपक्षी संख्या-1 के कार्यालय से नई किश्त भुगतान योजना संख्या-54 पेमेन्ट प्लान लिया था जिसकी किश्त 10420/-रू0 प्रथम किश्त के रूप में जमा किया गया। उक्त प्लान 72 माह की थी जिस पर 62500/-रू0 जमा करने पर 96300/-रू0 का भुगतान तथा दुर्घटना मुआवजा 93750/-रू0 बताया गया था। उक्त पालिसी में परिवादी नामिनी था। परिवादी का घर एला पूजा प्रान्त केरल में बना है जहॉं परिवादी व उसका लड़का गया था जहॉं दिनांक 03-01-2011 को समय 9.00 बजे सुबह दुर्घटना हो गयी और परिवादी के लड़की की मृत्यु हो गयी जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट उसी दिन थाना कुराती कार्ड जिला ऐला पूजा प्रान्त केरल में की गयी थी। दिनांक 03-01-2011 को परिवादी के लड़के का पोस्टमार्टम किया गया और दिनांक 20-01-2011 को मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया गया। परिवादी द्वारा उसके लड़के की मृत्यु के संबंध में समस्त अभिलेख विपक्षी संख्या-1 के समक्ष दिये गये और दिनांक 10-08-2011 को रजिस्टर्ड डाक से अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस भेजी गयी परन्तु विपक्षीगण द्वारा उसका भुगतान नहीं किया गया।
विपक्षीगण की ओर से लिखित कथन प्रेषित किया गया जिसमें कहा गया कि पी0ए0सी0एल0 लि0 एक रियल स्टेट कम्पनी है। कम्पनी को खरीदने व बेचने का कार्य देश भर में निश्चित प्लान के अन्तर्गत करती है। कम्पनी का पूरा कार्य परदर्शिता के साथ संचालित किया जाता है। इसके लिए कम्पनी व उपभोक्ता के मध्य एक अनुबंध निष्पादित होता है और उसके तहत उपभोक्ताओं को प्लाट आवंटित होता है। यह भी कहा गया कि पीएसीएल लि0 कोई बीमा कम्पनी नहीं है और न ही किसी तरह का कोई बीमा पालिसी किसी उपभोक्ता को प्रदान करती है। विपक्षीगण के विरूद्ध कोई वाद हेतुक उत्पन्न नहीं हुआ है क्योंकि परिवादी शिकायत दर्ज होने से पूर्व ही भुगतान राशि 10420/-रू0 चेक के द्वारादिनांक 07-07-2011 को प्राप्त कर चुका है। अतिरिक्त कथन में यह भी कहा गया कि परिवादी उपभोक्ता की परिधि में नहीं आता है। विपक्षीगण वपरिवादी के पुत्र के मध्य एक करार निष्पादित किया गया था उस करार की शर्तों व अनुबंध के अनुसार यदि परिवादी को कोई शिकायत है तो उसे मध्यस्थल एवं सुलह अधिनियम 1996 के नियमों के तहत कार्यवाही की जानी चाहिए। यह भी कहा गया कि परिवादी को विपक्षीगण से दुर्घटना क्लेम राशि 93,750/-रू0 को 12 प्रतिशत के साथ पाने का अधिकारी नहीं है क्योंकि उसके विरूद्ध को वाद हेतुक उत्पन्न नहीं हुआ है।
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अपीलार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रत्यर्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री बी0के0 उपाध्याय उपस्थित आए।
हमने प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना है तथा आक्षेपित निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपीलार्थी की ओर से अपील के तथ्यों में यह लिखा गया है कि जिला फोरम ने बिना आधार के गलत तथ्यों पर आदेश पारित किया है जो विधि विरूद्ध है। अपीलार्थी ने यह भी लिखा है कि वह रियल स्टेट का काम करता है और निश्चित प्लान के तहत विभिन्न स्थानों में सम्पत्तियों को खरीदने व बेचने का कार्य करती है। कोई बीमा पालिसी उपभोक्ताओं को नहीं दी जाती है। प्रत्यर्थी के पुत्र ने जो पैसा जमा किया था उसका भुगतान चेक के माध्यम से दिनांक 07-07-2011 को किया जा चुका है। उसने सेवा में कोई नहीं की है अत: अपील स्वीकार कर जिला फोरम के आदेश को अपास्त किया जाए।
प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम ने सभी तथ्यों पर विस्तृत विवेचना के बाद विधि अनुकूल आदेश पारित किया है। प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्धान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि अन्य व्यक्तियों को इसी संबंध में कम्पनी ने दुर्घटना हित लाभ अदा कर दिया है, इसी आकार व कीमत के प्लाट थे। इसके संबंध में कुछ कागजात भी दाखिल किये है।
पत्रावली का परिशीलन यह दर्शाता है कि अपीलार्थी विपक्षीगण ने राम असारे को कम्पनी के नियमानुसार भुगतान नहीं किया है क्योंकि अपीलार्थी ने स्वयं यह स्वीकार किया है कि दिनांक 07-07-2011 को चेक के माध्यम से प्रत्यर्थी को 10420/-रू0 का भुगतान कर दिया है। इसलिए वह और अधिक धनराशि की मांग नहीं कर सकता है जबकि प्रत्यर्थी की ओर से पी0ए0सी0एल0 लि0 के कुछ कागजात 29 लगायत 36 दाखिल किये है उनसे यह स्पष्ट है कि कागज संख्या-34 पर किश्त भुगतान योजना पेमेन्ट प्लान दिये है जिसमें प्लान कोड-54 जो प्रत्यर्थी के पुत्र द्वारा लिया गया था। इससे स्पष्ट है कि जिला फोरम ने जो आदेश पारित किया है वह विधि के अनुसार सही है और उसमें हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है। तद्नुसार अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील निरस्त की जाती है।
उभयपक्ष अपना-अपना अपीलीय व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(राम चरन चौधरी) (बाल कुमारी)
पीठासीन सदस्य सदस्य
कोर्ट नं0-5 प्रदीप मिश्रा, आशु0