(राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0 लखनऊ)
सुरक्षित
अपील संख्या 825/2013
(जिला मंच महोबा द्वारा परिवाद सं0 91/2011 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 13/02/2013 के विरूद्ध)
1- महाप्रबंधक, उत्तर मध्य रेलवे, इलाहाबाद जोन- इलाहाबाद।
2- स्टेशन मास्टर रेलवे महोबा, जिला महोबा।
…अपीलार्थीगण/विपक्षीगण
बनाम
1- रक्षा द्विवेदी पुत्री प्रेम किशोर द्विवेदी।
2- रेश नाबालिग पुत्र शिव कुमार।
3- देवांश नाबालिग ज्ञानेश अवस्थी।
4- कृष्णांश नाबालिंग पुत्र ज्ञानेश अवस्थी।
5- बंटी नाबालिंग पुत्र भगवती।
6- अंशू नाबालिग पुत्र महेन्द्र।
समस्त निवासीगण- गॉधीनगर महोबा, परगना, तहसील व जिला महोबा।
.........प्रत्यर्थीगण/परिवादीगण
समक्ष:
1. मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठा0 न्यायिक सदस्य।
2. मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता श्री पी0पी0 श्रीवास्तव।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक 01-01-2015
मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठा0 न्यायिक सदस्य द्वारा उदघोषित ।
निर्णय
अपीलार्थी ने प्रस्तुत अपील विद्वान जिला मंच महोबा द्वारा परिवाद सं0 91/2011 रक्षा द्विवेदी बनाम महाप्रबंधक, उत्तर मध्य रेलवे में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 13/02/2013 के विरूद्ध प्रस्तुत की है, जिसमें कि विद्वान जिला पीठ ने निम्नलिखित निर्णय/आदेश पारित किया है:-
‘’ परिवादीगण का परिवाद खिलाफ विपक्षीगण इस प्रकार स्वीकार किया जाता है कि परिवादिनी विपक्षी सं0 1 से प्रत्येक परिवादी की दर से मु0 2,000/ रूपये बतौर क्षतिपूर्ति एवं मानसिक कष्ट के एवज में 1,000/ रूपये प्रति परिवादी की दर से तथा वाद व्यय के रूप में मु0 2500/ रूपये संयुक्त रूप से पाने के हकदार होंगे। विपक्षीगण परिवादीगण को उपरोक्त धनराशि इस निर्णय से अंदर एक माह प्राप्त करायें अन्यथा परिवादीगण विपक्षीगण से इस धनराशि पर
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09 प्रतिशत सालाना की दर से ब्याज भी पाने के हकदार होंगे। विपक्षी सं0 2 के विरूद्ध परिवाद निरस्त किया जाता है।‘’
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि उन्होंने दिनांक 12/05/2011 को कानपुर सेन्ट्रल स्टेशन से हरिद्वार जाने के लिए गाड़ी सं0 14163 संगम एक्सप्रेस (लिंक एक्सप्रेस) की बर्थ सं0 66, 67, 69, 70, 71, 72 का रिजर्वेशन कराया था और यात्रा करने के लिये ये लोग दिनांक 13/0622011 को समय से रेलवे स्टेशन कानपुर पहुंच गये थे। परिवादीगण की यात्रा दिनांक 13/06/11 को होनी थी। परिवादीगण के साथ अन्य सीट सं0 13, 14, 16, 32, 41, 44 42, 43, 45, 46, के यात्रीगण भी कर रहे थे। परिवादीगण द्वारा कानुपर स्टेशन से ही टी.डी.सी. स्टेशन तक ट्रेन में चल रहे टी0सी0 से बार-बार प्रार्थना की गई कि वह उन्हें बर्थ दिला दे। इस बात को उन्होंने लिखकर भी दिया। परिवादीगण अत्यधिक कष्ट उठाकर कानपुर से हरिद्वार तक गये और बर्थ न मिलने के कारण बीमार हो गये। परिवादीगण को बीमारी के इलाज में लगभग 30,000/ रूपये खर्च उठाना पड़ा। इस संबंध में परिवादीगण के साथ चल रहे उनके साथी अनिल चतुर्वेदी ने दिनांक 14/06/11 को गार्ड को चलती गाड़ी में लिखित शिकायत भी दी थी। इसके बावजूद रेलवे द्वारा उनको बर्थ उपलब्ध नहीं कराई गई और न ही कोई क्षतिपूर्ति दी गई। दिनांक 11/07/11 को परिवादीगण ने महोबा रेलवे स्टेशन जाकर इस संबंध में शिकायत भी की तो उन्होंने यह कहकर भगा दिया कि रेलवे विभाग द्वारा यात्रियों के साथ आये दिन होने वाली ऐसी गलतियों की कोई क्षतिपूर्ति नहीं दी जा सकती। अत: परिवादीगण द्वारा जिला फोरम के समक्ष विपक्षीगण द्वारा की गई सेवा में कमी हेतु कुल 63,000/ रूपये दिलाये जाने हेतु परिवाद प्रस्तुत किया।
विपक्षीगण/अपीलार्थीगण की ओर से जवाबदावा प्रस्तुत किया गया जिसमें उन्होंने इस तथ्य को स्वीकार किया है कि ट्रेन सं0 14163 में दिनांक 13/06/11 को कानपुर से हरिद्वार तक 06 लोगों का आरक्षण पी.एन.आर. नंबर 2649359924 पर था। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि अपरिहार्य कारणों से टूण्डला स्टेशन तक आरक्षित शायिकायें परिवादीगण को उपलब्ध नहीं कराई जा सकी। जहां तक परिवादीगण की बीमारी का प्रश्न है। इससे उन्होंने इंकार किया है। श्री अनिल कुमार चतुर्वेदी द्वारा इस तथ्य की शिकायत किया जाना भी उन्होंने स्वीकार किया है। अतिरिक्त कथन में उन्होंने यह कहा है कि दिनांक 13/06/11 को उपरोक्त ट्रेन के कोच सं0 एस-8 व 9 में कानपुरसे अलीगढ़ चेकिंग स्टाफ श्री सुनील कुमार सिंह ने स्पष्ट किया
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है कि उक्त कोचों में किसान रैली के लोगों द्वारा कानपुर से अनाधिकृत रूप से कर लिया गया था। ट्रेन चलने के उपरांत आरक्षित यात्रियों को बर्थ प्रदान करने का भरसक प्रयास किया। ट्रेन के इटावा स्टेशन पहुंचने पर जी.आर.पी. व आर.पी.एफ. द्वारा कोच खाली करने का प्रयास किया गया लेकिन वह इसमें सफल नहीं हुये। टूण्डला स्टेशन के बाद उनको बर्थ उपलब्ध करा दी गई थी। ऐसी परिस्थितियों में उन्होंने परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने की प्रार्थना की गई है।
अपीलकर्ता की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री पी0पी0 श्रीवास्तव के तर्कों को सुना गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
प्रश्नगत निर्णय/आदेश का अवलोकन किया गया एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों का परिशीलन किया गया।
अपीलकर्ता की ओर से अपील को प्रस्तुत किये जाने में हुए विलंब को क्षमा किये जाने हेतु प्रार्थना पत्र दिया गया है तथा उसके समर्थन में श्री आलोक कुमार मिश्रा का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है जिसमें कि विलंब का समुचित कारण दिया गया है। अत: अपील को प्रस्तुत किये जाने में हुए विलंब को क्षमा किये जाने हेतु दिया गया प्रार्थना पत्र स्वीकार किया जाता है एवं विलंब क्षमा किया जाता है।
अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्वान जिला मंच महोबा को प्रश्नगत निर्णय को पारित करने का क्षेत्राधिकार नहीं है, क्योंकि कानपुर सेन्ट्रल स्टेशन से जाने के लिए संगम एक्सप्रेसमें रिजर्वेशन कराया गया था। अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 12 (सी) के अनुसार एक से अधिक उपभोक्ता होते है, ऐसी परिस्थितियों में जिला मंच की अनुमति दिया जाना आवश्यक है किन्तु बिना उसके अनुमति के यह परिवाद प्रस्तुत किया गया है। अत: प्रश्नगत निर्णय/आदेश निरस्त किये जाने योग्य है।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 11 (2- क) के अंतर्गत यह परिवाद रेलवे विभाग के विरूद्ध प्रस्तुत किया जा सकता है। जहां कि विरोधी पक्षकार (अपीलार्थी/विपक्षी) अपना कारोबार चलाता है या जहां उसका शाखा कार्यालय है अथवा व्यक्तिगत रूप से अधिलाभ के लिए कार्य करता है। अत: ऐसी परिस्थितियों में विद्वान जिला मंच महोबा को प्रस्तुत परिवाद का श्रवण का क्षेत्राधिकार है।
जहां तक उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 (सी) के अंतर्गत विभिन्न उपभोक्ताओं के विद्वान जिला मंच से समेकित परिवाद प्रस्तुत किये जाने की अनुमति लिये
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जाने का प्रश्न है इस संबंध में यह उल्लेखनीय है कि परिवादी/प्रत्यर्थी रक्षा द्विवेदी स्वयं वयस्क है और अन्य परिवादीगण 18 साल से कम उम्र की है जिन्हें की पक्षकार उनके संरक्षक के माध्यम से बनाया गया है। अत: ऐसी परिस्थितियों में यदि समेकित परिवाद दाखिल करने हेतु कोई आदेश विद्वान जिला मंच द्वारा नहीं प्राप्त किया गया है तो इस आधार पर पूरे परिवाद को अस्वीकार नहीं किया जा सकता है, क्योंकि संगम एक्सप्रेस (लिंक एक्सप्रेस) में कानपुर से हरिद्वार जाने के लिए रिजर्वेशन कराया गया था और उन्हें बर्थ सं0 66, 67, 69, 70, 71, 72 दी गई थी। अत: ऐसी परिस्थिति में परिवादीगण द्वारा प्रस्तुत किया गया परिवाद गुणदोष के आधार पर निर्णित किया जाना न्याय के हित में है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 (3) में यह प्राविधान दिया गया है कि विद्वान जिला मंच द्वारा परिवाद में कार्यवाही किये जाने हेतु वह अनुमति दे सकेगा किन्तु यह भी परन्तुक दिया गया है कि इस उपधारा के अधीन तब तक नामंजूर नहीं किया जायेगा जब तक की परिवाद को परिवादी को सुने जाने का अवसर नहीं प्रदान किया गया हो।
प्रस्तुत प्रकरण में परिवादिनी/प्रत्यर्थी के साथ अन्य नाबालिंग बच्चों का आरक्षण था। अत: ऐसी परिस्थितियों में यदि नाबालिंग बच्चों द्वारा समेकित परिवाद प्रस्तुत किये जाने के लिए यदि कोई औपचारिक अनुमति उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 (3) के अंतर्गत नही दिया गया है तो ऐसी परिस्थितियों में पूरे परिवाद को निरस्त किया जाना न्यायोचित नहीं होगा।
प्रश्नगत निर्णय/आदेश के अवलोकन से यह विदित होता है कि ट्रेन के इटावा स्टेशन पर पहुंचने पर जी0आर0पी0 व आर0पी0एफ0 द्वारा कोच खाली कराने का प्रयास किया गया लेकिन वह इसमें सफल नहीं हुए किन्तु टूण्डला स्टेशन के बाद उनको बर्थ उपलब्ध करा दी गई। अत: ऐसी परिस्थितियों में मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में विद्वान जिला मंच द्वारा क्षतिपूर्ति की धनराशि दिलाई गई है। परिवादिनी रक्षा द्विवेदी के साथ जो अन्य नाबालिक छोटे-छोटे बच्चे सहयात्री थे उनके मानसिक कष्ट एवं पीड़ा की कल्पना की जा सकती है जो उन्हें पहुंची हो क्योंकि आरक्षण के बाद भी वे आरक्षित सीटों पर यात्रा नहीं कर सके और टूण्डला स्टेशन के बाद उन्हें बर्थ उपलब्ध कराई गयी जो कि अपीलार्थी द्वारा सेवा में कमी का घोतक है। यदि रेलवे विभाग के जी0आर0पी0 व आर0पी0एफ0 के द्वारा भी कोच खाली कराने में सफल नहीं
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हुए तो इसके लिए संपूर्ण रेलवे प्रशासन मय पुलिस फोर्स के दोषी हैं एवं रेलवे विभाग द्वारा की गई सेवा में कमी को परिलक्षित करता है।
विद्वान जिला मंच ने समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए विधि अनुसार निर्णय/आदेश पारित किया गया है जिसमें कि कोई हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है, तद्नुसार अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील निरस्त की जाती है। विद्वान जिला मंच महोबा द्वारा परिवाद सं0 91/2011 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 13/02/2013 की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपना अपीलीय व्यय स्वयं वहन करेंगे।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध कराई जाय।
(अशोक कुमार चौधरी)
पीठा0 सदस्य
(बाल कुमारी)
सुभाष चन्द्र आशु0 सदस्य
कोर्ट नं0 3