Uttar Pradesh

StateCommission

A/578/2019

Ex. Engineer Dakshinanchal Vidyut Vitran Nigam Ltd - Complainant(s)

Versus

Raksh Pal Singh - Opp.Party(s)

Mohan Agarwal

10 Aug 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/578/2019
( Date of Filing : 07 May 2019 )
(Arisen out of Order Dated 13/07/2018 in Case No. C/26/2009 of District Etah)
 
1. Ex. Engineer Dakshinanchal Vidyut Vitran Nigam Ltd
Electricity Distribution Division Aruna Nagar Railway Road Etah
...........Appellant(s)
Versus
1. Raksh Pal Singh
S/O Sri Malikhan Singh R/O Village Chirganwa Pargana and Tehsil Jalesar Distt. Etah
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 10 Aug 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-578/2019

(सुरक्षित)

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, एटा द्वारा परिवाद संख्‍या 26/2009 में पारित आदेश दिनांक 13.07.2018 के विरूद्ध)

एक्‍जीक्‍यूटिव इंजीनियर, दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0 इलैक्ट्रिसिटी डिस्‍ट्रीब्‍यूशन डिवीजन, अरूणा नगर, रेलवे रोड, एटा                           

                           ........................अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम

रक्ष पाल सिंह पुत्र श्री मलिखान सिंह

निवासी- ग्राम-चिरगांवा, परगना व तहसील-जलेसर, जिला-एटा

                              .....................प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

1. माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य। 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री मोहन अग्रवाल,

                            विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री आर0डी0 क्रान्ति,

                          विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक: 07.09.2022

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

     प्रस्‍तुत अपील अपीलार्थी एक्‍जीक्‍यूटिव इंजीनियर, दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0 द्वारा इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला उपभोक्‍ता आयोग, एटा द्वारा परिवाद संख्‍या-26/2009 रक्षपाल सिंह बनाम अधिशासी अभियन्‍ता दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 13.07.2018 के विरूद्ध योजित की गयी।

प्रश्‍नगत निर्णय और आदेश के द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उपरोक्‍त परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया गया:-

''परिवादी का परिवाद विरूद्ध विपक्षी आंशिक रूप से निम्‍न प्रकार से स्‍वीकार किया जाता है।

विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि  वह  परिवादी  से  जमा

 

 

-2-

कराये गये समन शुल्‍क 15,000/-रु0 (पन्‍द्रह हजार रुपये) विद्युत बिल 30,131/-रू0 (तीस हजार एक सौ इकतीस रुपये) व अन्‍य बिल 5,50/-रु0 (पांच सौ रुपये) व स्‍टार्टर, मोटर के तार, केबिल, रिन्‍चों का थैला तथा एक मोटा रस्‍सा कीमती लगभग 2,000/-रू0 (दो हजार रुपये) कुल 47,681/-रु0 (सैंतालीस हजार छ: सौ इक्‍यासी रुपये) इस निर्णय एवं आदेश के उपरान्‍त एक माह के अन्‍दर प्रदान करे। यदि विपक्षी उपरोक्‍त धनराशि एक माह के अन्‍दर प्रदान नहीं करता है तो निर्णय के दिनांक से वास्‍तविक रूप से वसूल होने तक उपरोक्‍त धनराशि मय 7% (सात प्रतिशत) वार्षिक साधारण ब्‍याज भी अदा करेगा।

विपक्षी को यह भी आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को मानसिक व शारीरिक कष्‍ट के लिए 3,500/-रू0 (तीन हजार पांच सौ रुपये) व वाद व्‍यय के रूप में 500/-रु0 (पांच सौ रुपये) प्रदान करे।''

हमारे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुना गया तथा आक्षेपित निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।

     संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के पिता श्री मलिखान सिंह के नाम से नलकूप विद्युत कनेक्‍शन सं0 0902/005720 स्‍वीकृत था, जिससे प्रत्‍यर्थी/परिवादी के खेतों की सिंचाई हो रही थी। उक्‍त नलकूप का बोरिंग दिनांक 03.11.2006 को खराब हो गया, जिसकी सूचना प्रत्‍यर्थी/परिवादी के चाचा              श्री महावीर सिंह द्वारा दिनांक 04.01.2007 को अपीलार्थी/विपक्षी को पंजीकृत डाक से दी गयी, जिसके माध्‍यम से अपीलार्थी/विपक्षी से यह अपेक्षा की गयी कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा दूसरी जगह बोरिंग करा लिया गया है, जिस पर विद्युत लाइन शिफ्ट कर दी जाये तथा उक्‍त पत्र में प्रत्‍यर्थी/परिवादी के पिता की मृत्‍यु की भी सूचना दी गयी। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी के कार्यलय में जाकर लिखित सूचना अपने पिता की मृत्‍यु की बाबत तथा उपरोक्‍त विद्युत कनेक्‍शन को अपने नाम स्‍थानान्‍तरित कराने हेतु दी गयी, परन्‍तु अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा न तो विद्युत लाइन ही

 

 

-3-

नये बोरिंग पर शिफ्ट की गयी तथा न ही उक्‍त विद्युत कनेक्‍शन प्रत्‍यर्थी/परिवादी के नाम स्‍थानान्‍तरित किया गया, जिस कारण प्रत्‍यर्थी/परिवादी के खेतों की सिंचाई नहीं हो सकी, जिससे प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अत्‍यधिक आर्थिक क्षति पहुँची।  

     प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि दिनांक 03.11.2006 से प्रत्‍यर्थी/परिवादी का उक्‍त विद्युत कनेक्‍शन से कोई सिंचाई कार्य नहीं हुआ तथा न ही बोरिंग खराब होने की वजह से विद्युत का उपभोग हो सका, इसके बावजूद भी अपीलार्थी/विपक्षी के कर्मचारियों/अधिकारियों द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विरूद्ध अवैधानिक एवं अनाधिकृत रूप से विद्युत चोरी की बाबत एफ0आई0आर0 दिनांक 06.12.2007 को दर्ज करा दी गयी, जो कि बाद में जांच करने के पश्‍चात् एफ0आई0आर0 के तथ्‍य असत्‍य होने के कारण मुकदमें में फाइनल रिपोर्ट नं0 89/07 दिनांक 09.12.2007 लगा दी गयी तथा हेल्‍प लाइन लखनऊ द्वारा पत्रांक सं0 1500 दिनांक 11.04.2008 के द्वारा जांच करने के आदेश पर दिनांक 19.04.2008 को श्री महेन्‍द्र सिंह जे0ई0 द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कनेक्‍शन वैध मानते हुए चोरी न होना तथा उपभोक्‍ता को निर्दोष माना गया।

     प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि अपीलार्थी/विपक्षी के विभागीय कर्मचारियों द्वारा दिनांक 07.12.2007 को प्रत्‍यर्थी/परिवादी को एफ0आई0आर0 का भय दिखाकर तथा डरा धमका कर प्रत्‍यर्थी/परिवादी से 15,000/-रू0 शमन शुल्‍क बताते हुए अवैधानिक तरीके से जमा करवा लिया गया तथा दिनांक 17.12.2007 को अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा एक राजस्‍व निर्धारण नोटिस प्रत्‍यर्थी/परिवादी को दिया गया, तदोपरान्‍त प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा दिनांक 04.01.2008 को उक्‍त नोटिस के विरूद्ध प्रत्‍यावेदन जिलाधिकारी, एटा को दिया गया, जो कि अपीलार्थी/विपक्षी को जिलाधिकारी, एटा के द्वारा भेजा गया, जिसके जवाब में अपीलार्थी/विपक्षी  द्वारा  पत्रांक  सं0 707 वि0 वि0 ख0 (डी) रैड,

 

 

-4-

दि0 19.02.2008 के द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को समस्‍त अभिलेखों सहित अपने कार्यालय में बुलाया गया, जिस पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी अपने पास उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेखों को लेकर अपीलार्थी/विपक्षी के कार्यालय पहुँचा तब अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा अपने अधीनस्‍थ कर्मचारियों को मौखिक रूप से निर्देशित किया गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी विद्युत विभाग का पुराना उपभोक्‍ता है, जिसकी बाबत सहानुभूति पूर्वक विचार करके नोटिस वापस लेने तथा समन शुल्‍क वापस करने का आश्‍वासन दिया।

     प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि अपीलार्थी/विपक्षी के कर्मचारियों द्वारा दिनांक 06.12.2007 को छापे में प्रत्‍यर्थी/परिवादी का स्‍टार्टर, मोटर के केबिल, रिन्‍चों का थैला, एक मोटा रस्‍सा आदि ले लिया गया, जिसे वापस करने हेतु अपीलार्थी/विपक्षी को प्रार्थना पत्र दिया गया, जिस पर अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा लाइन शिफ्ट करने व सामान वापस करने के आदेश दिये, परन्‍तु उसका क्रियान्‍वयन  नहीं किया गया। इसके अतिरिक्‍त चौधरी महेन्‍द्र सिंह विधायक वि0 सं0 क्षे0 कोल अलीगढ़ के द्वारा जारी पत्र दिनांक 05.01.2008 जिलाधिकारी, एटा को पंजीकृत डाक द्वारा प्रेषित किया गया, जिसकी एक प्रति ऊर्जा मंत्री को आवश्‍यक कार्यवाही हेतु प्रेषित की गयी, जिसमें निर्धारण नोटिस एवं मु0 15,000/-रू0 वापस किये जाने के लिए निर्देशित किया गया। इसके अतिरिक्‍त प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा दिनांक 01.02.2008 को एक शिकायती पत्र ऊर्जा मंत्री, उ0प्र0 सरकार को भेजा गया। इसके अतिरिक्‍त प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपने खराब बोरिंग की बाबत तथा लाइन शिफ्टिंग की बाबत एक आख्‍या खण्‍ड विकास अधिकारी जलेसर के माध्‍यम से भी जांच कराकर अपीलार्थी/विपक्षी को प्रेषित की गयी। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा पुन:दिनांक 26.03.2008 को अपीलार्थी/विपक्षी के पत्रांक सं0 707/19.02.2008 की बाबत विभागीय कार्यवाही न होने के कारण पुन: शिकायती पत्र दिया गया, परन्‍तु अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा कोर्इ कार्यवाही नहीं की गयी।

 

 

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     प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा मौखिक आश्‍वासन देने के बावजूद भी न तो नोटिस वापस की गयी तथा न ही समन शुल्‍क वापस किया गया तथा न ही लाइन शिफ्ट की गयी तथा यह कि बोरिंग खराब रहने के बावजूद भी विद्युत विभाग द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को मु0 30,131/-रू0 का विद्युत बिल अनाधिकृत तरीके से बिना विद्युत उपभोग किये हुए ही भेजा गया, जिसे प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा भयवश दिनांक 31.01.2008 को जमा करना पड़ा तथा इसके अतिरिक्‍त प्रत्‍यर्थी/परिवादी को मु0 550/-रू0 की अतिरिक्‍त रसीद भी काटी गयी। प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को लगातार परेशान किया जाता रहा तथा प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा लिखित एवं व्‍यक्तिगत रूप से सम्‍पर्क करके मौखिक शिकायतें करने के बावजूद भी अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी से अवैधानिक तरीके से उक्‍त धनराशि जमा करायी गयी, जबकि दिनांक 03.11.2006 के पश्‍चात् प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा विद्युत का कोई उपयोग नहीं किया गया।

     प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी की लाइन न शिफ्ट करके तथा विद्युत कनेक्‍शन प्रत्‍यर्थी/परिवादी के नाम स्‍थानान्‍तरित न करने के साथ-साथ अवैध रूप से रूपया जमा कराने के कारण विद्युत विभाग द्वारा लापरवाही एवं सेवा में कमी की गयी है, जिससे क्षुब्‍ध होकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख परिवाद योजित करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।

     जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से उत्‍तर पत्र प्रस्‍तुत किया गया, जिसमें मुख्‍य रूप से कहा गया कि वर्तमान परिवाद नितान्‍त असत्‍य एवं भ्रामक है तथा वास्‍तविक स्थिति एवं तथ्‍यों के पूर्णत: विपरीत है। वर्तमान परिवाद विधि विरूद्ध है तथा विधि अनुसार पोषणीय नहीं है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी  को

 

 

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वर्तमान परिवाद योजित करने का कोई विधिक अधिकार प्राप्‍त नहीं है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी को वर्तमान परिवाद योजित करने का कोर्इ वाद कारण उत्‍पन्‍न नहीं हुआ है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा बोरिंग फेल होने की सूचना प्रेषित नहीं की गयी। उल्‍लेखनीय है कि बोरिंग फेल होने की दशा में सम्‍बन्धित बी0डी0ओ0 द्वारा सत्‍यापन प्रमाण पत्र निगम के सक्षम अधिकारी के समक्ष वांछित कनेक्‍शन विच्‍छेदन शुल्‍क जमा कर कनेक्‍शन विच्छेदित कराया जाता है तत्‍पश्‍चात् अन्‍य स्‍थान पर बोरिंग शिफ्ट कर पुन: बी0डी0ओ0 द्वारा प्रदत्‍त बोरिंग फिटनेस प्रमाण पत्र प्रस्‍तुत कर शिफ्टिंग शुल्‍क अनुमांग पत्र की राशि/शुल्‍क का भुगतान कर नवीन अनुबन्‍ध निष्‍पादित करने के पश्‍चात् कनेक्‍शन की शिफ्टिंग करायी जाती है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन इसके विपरीत पूर्णतया असत्‍य एवं भ्रामक है।

     अपीलार्थी/विपक्षी का कथन है कि मृतक श्री मलिखान सिंह यदि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के पिता थे तो प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा उनके समस्‍त उत्‍तराधिकारीगण की सहमति प्राप्‍त कर कोई नामान्‍तरण की कार्यवाही कर निगम के साथ कोई अनुबन्‍ध निष्‍पादित नहीं किया गया। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी अपीलार्थी/विपक्षी निगम का उपभोक्‍ता नहीं है तथा परिवाद इस आधार पर निरस्‍त होने योग्‍य है।

अपीलार्थी/विपक्षी का कथन है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा उक्‍त कथित कनेक्‍शन शिफ्ट न कराया जाकर अन्‍य स्‍थान पर बोरिंग कर नितान्‍त विधि विरूद्ध तरीके से नंगी लाइन बनाकर 450 मीटर की दूरी पर एल0टी0 लाइन पर दूसरी केबिल डालकर 7.5 अश्‍व शक्ति का अवैध नलकूप प्रयोग किया जा रहा था, जिस कारण निरीक्षण दल द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विरूद्ध प्रथम सूचना अंकित करायी गयी, जिसके समन हेतु प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा निर्धारित मु0 15,000/-रू0 की धनराशि जमा कर अपना अपराध कनफेश किया गया है, जिस आधार पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विरूद्ध                       मु0 57,180/-रू0 का राजस्‍व अन्‍तर्गत धारा 126 व धारा 127 अधिनियम सं0 36 वर्ष 2003 के अन्‍तर्गत निर्धारित  किया  गया,

 

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जिसके विरूद्ध प्रत्‍यर्थी/परिवादी का प्रत्‍यावेदन असत्‍य एवं बलहीन पाये जाने के कारण राजस्‍व निर्धारण अन्तिम कर दिया गया, जिसके विरूद्ध प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा कोई अपील सक्षम प्राधिकारी के समक्ष नहीं की गयी। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी अब कोई आपत्ति करने का अधिकारी नहीं है। वर्तमान परिवाद धारा 145 अधिनियम सं0 36 वर्ष 2003 के प्राविधानों से बाधित है अत: जिला उपभोक्‍ता आयोग को वर्तमान परिवाद के श्रवण का क्षेत्राधिकार नहीं है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा कथित 30,136/-रू0 व मु0 5,50/-रू0 का भुगतान श्री मलिखान सिंह के नाम स्‍वीकृत नलकूप के सम्‍बन्‍ध में किया गया, परन्‍तु अनेक बार निर्देशित किये जाने के पश्‍चात् भी प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अन्‍य आवश्‍यक औपचारिकतायें पूर्ण नहीं की गयी, न ही कनेक्‍शन अपने नाम स्‍थानान्‍तरित एवं शिफ्ट कराया गया।

अपीलार्थी/विपक्षी का कथन है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा उक्‍त धनराशि विद्युत चोरी करते हुये पकड़े जाने के पश्‍चात् जमा की गयी है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी को कोई क्षति अपीलार्थी/विपक्षी के कारण नहीं हुई है, बल्कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा आपराधिक कृत्‍य करते हुए सार्वजनिक धन एवं राजस्‍व की क्षति कारित की गयी है। अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है तथा यह कि‍ परिवाद पूर्ण रूप से कालबाधित है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद पूर्णतया असत्‍य, आधारहीन व बलहीन है, जो निरस्‍त होने योग्‍य है।

जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्‍त प्रस्‍तरवार सभी तथ्‍यों की विवेचना करते हुए अपने निर्णय में निम्‍न तथ्‍य अंकित किये गये हैं:-

''परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत कागज सं0 4/1 से स्‍पष्‍ट कहा है कि उसने विपक्षी को दिनांक 14.10.2008 को पंजीकृत डाक से एक नोटिस दिया था जिसका कोई भी जबाव विपक्षी द्वारा दिया जाना नहीं पाया जाता है।  कागज

 

 

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सं0 4/2 से स्‍पष्‍ट है कि परिवादी ने विपक्षी अधिशासी अभियन्‍ता विद्युत वितरण खण्‍ड एटा को एक प्रार्थनापत्र इस आशय का प्रस्‍तुत किया था कि उसके पिता के नाम प्रश्‍नगत विद्युत कनेक्‍शन है जो दिनांक 03.11.2006 से नलकूप बोरिंग खराब हो जाने के कारण बन्‍द पडा था। जिसकी सूचना दिनांक 04.01.2007 को दी जा चुकी है। इसके एक वर्ष बाद दूसरी जगह कराकर चलाने की कोशिश की तो तिलक सिंह जे.ई. ने दिनांक 06.12.2007 को छापा मारकर दिनांक 07.12.2007 को जे.ई. व एस.डी.ओ. साहब ने समन शुल्‍क 15,000/-रु0 वसूल कर लिए और स्‍टार्टर, मोटर के तार, केबिल, रिन्‍चों का थैला तथा एक मोटा रस्‍सा वापिस नहीं किया। इस पर एस.डी.ओ. तृतीय ने आदेशित किया है कि नियमानुसार शिफ्टिंग प्राक्‍कलन बनाये। इस प्रकार एस.डी.ओ. तृतीय ने शिफ्टिंग की कार्यवाही प्रारम्‍भ कर दी। कागज सं0 4/3 से स्‍पष्‍ट है कि अधिशासी अभियन्‍ता द्वारा उपखण्‍ड अधिकारी विद्युत वितरण उपखण्‍ड तृतीय जलेसर एटा को दिनांक 11.04.2008 को हैल्‍पलाइन लखनऊ से प्राप्‍त शिकायतों के सम्‍बन्‍ध में यह आख्‍या दी गई है कि राजपाल सिंह पुत्र श्री मलिखान सिंह महावीर सिंह पुत्र श्री प्‍यारेलाल को कोई ट्यूववैल कनेक्‍शन नहीं है, पर दोनों एक दो साल से ट्यूववैल चलाकर चोरी कर रहे हैं। कागज सं0 4/4 महेन्‍द्र जे.ई. द्वारा अधिशासी अभियन्‍ता विद्युत वितरण खण्‍ड अरूणानगर एटा को आख्‍या प्रस्‍तुत की है कि गांव चिरगंवा में जाकर चेक किया तो महावीर सिंह, मलिखान सिंह पुत्रगण प्‍यारेलाल गांव चिरगंवा के यहां साइड पर कनेक्‍शन स्‍वीकृत मिला। कनेक्‍शन नं0 0902/005702 का हर माह बिल जमा कर रहे हैं। मौके पर एल.टी. लाइन बनी है। कोई चोरी नहीं मिली है। यह आख्‍या दिनांक 19.04.2008 की है। जबकि चैकिंग रिपोर्ट कागज सं0 4/8 दिनांकित 06.12.2007 के अनुसार परिवादी रक्षपाल सिंह पुत्र श्री मलिखान सिंह द्वारा अवैध रूप से एल.टी. लाइन पर करीब 60 मीटर केबिल डालकर तथा कुछ हिस्‍सों में 3 तारों की नंगी लाइन बनाकर 7.50 हार्स पावर मोटर चलाकर नलकूप चलाता पाया गया। केबिल काटकर कब्‍जे में लेकर थाने में एफ.आई.आर. की गई है। एक तरफ विपक्षी चैकिंग रिपोर्ट के आधार पर परिवादी को बिजली चोरी करना कह रहा है। दूसरी तरफ विपक्षी के अधिकारी महेन्‍द्र जे.ई. की आख्‍या दिनांकित 19.04.2008 से चोरी न होने की बात कहा रहा है। यहां यह भी उल्‍लेखनीय है कि चोरी न होने पर दिनांकित 26.02.2009 को प्रथम सूचना रिपोर्ट अंकित करायी गई है और 19.04.2008 को चोरी होना नहीं पाया गया है और उसके उपरान्‍त 15,000/-रू0 समन शुल्‍क व 5,50/-रु0 अन्‍य शुल्‍क व 30,131/-रु0 लिए गए हैं और समन शुल्‍क के आधार पर करायी गई प्रथम सूचना  रिपोर्ट  वापिस  लेने  हेतु  अधिशासी

 

 

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अभियन्‍ता की आख्‍या प्रस्‍तुत की गई है। कागज सं0 4/5 से स्‍पष्‍ट है कि परिवादी के पिता के भाई महावीर सिंह ने लाइन शिफ्टिंग हेतु प्रार्थनापत्र प्रस्‍तुत किया था और उसके बड़े भाई मलिखान सिंह की मृत्‍यु हो गई है और यह प्रार्थनापत्र विपक्षी को पंजीकृत डाक से भेजा गया है। कागज सं0 4/6 से स्‍पष्‍ट है कि विपक्षी ने परिवादी को दिनांक 17.12.2007 को राजस्‍व निर्धारण नोटिस दिया है और इसको अन्तिम रूप नहीं दिया गया है और परिवादी पर 57,180/-रु0 राजस्‍व के बताये गये हैं। कागज सं0 4/7 से दिनांक 09.01.2008 को परिवादी द्वारा जिलाधिकारी एटा के समक्ष प्रार्थनापत्र प्रस्‍तुत किया है कि उससे जबरन समन शुल्‍क 15,000/-रु0 जमा करा लिया है जिसे वापिस दिलाया जाये और राजस्‍व निर्धारण नोटिस वापिस कराया जाये। कागज सं0 4/8 चैकिंग रिपोर्ट बतायी जाती है। जो दिनांक 06.12.2007 की है जबकि कागज सं0 4/4 से स्‍थनीय जे.ई. महेन्‍द्र सिंह द्वारा स्‍वीकृत कनेक्‍शन का बिल हर माह जमा करने की बात कही गई है और मौके पर एल.टी. लाइन बने होने की बात कही गई है और यह भी कहा गया है कि कोई चोरी नहीं की गई है। कागज सं0 4/9 से अधिशासी अभियन्‍ता (राजस्‍व) ने परिवादी को सूचित किया है और अभिलखों सहित अपने कार्यालय में बुलाया है। कागज सं0 4/10 से विपक्षी ने परिवादी को 30,131/-रु0 का बिल देना कहा है। कागज सं0 4/11 से परिवादी के पिता मलिखान सिंह द्वारा 5,50/-रु0 व 30,131/-रु0 जमा करना कहा गया है। कागज सं0 4/12 से चौधरी महेन्‍द्र सिंह विधायक कोल अलीगढ़ द्वारा जिलाधिकारी एटा को पत्र प्रेषित किया है कि परिवादी को पार्टीबन्‍दी के चलते गलत तथ्‍यों के आधार पर राजस्‍व निर्धारण का नोटिस दिया गया है और 15,000/-रु0 समन शुल्‍क भी जमा करना कहा गया है। कागज सं0 4/13 से परिवादी ने ऊर्जा मंत्री उत्‍तर प्रदेश सरकार को पत्र प्रेषित करते हुए प्रार्थना की है कि 15,000/-रु0 समन शुल्‍क वापिस कराया जाये। राजस्‍व निर्धारण नोटिस निरस्‍त किया जाये। कागज सं0 4/14 से परिवादी ने अधिशासी अभियन्‍ता विद्युत वितरण खण्‍ड एटा को पत्र प्रेषित किया है। बोरिंग पर लाइन शिफ्टिंग के सम्‍बन्‍ध में आदेश किये गये। इस पर खण्‍ड विकास अधिकारी द्वारा आख्‍या प्रेषित की गई है कि बोरिंग का स्‍थानीय निरीक्षण के समय पाया गया कि वह अन्‍य लोगों से जानकारी करने पर पाया गया कि परिवादी की पुरानी बोरिंग वर्तमान में खराब है और उसने पुन: बोरिंग करा ली है। अत: लाइन शिफ्टिंग की कार्यवाही की जाये। इस अभिलेख से स्‍पष्‍ट है कि खण्‍ड विकास अधिकारी ने पुरानी बोरिंग खराब होने को प्रमाणित कर दिया है। यह अभिलेख दिनांक 04.05.2008 का है। पुरानी बोरिंग खराब होने से परिवादी के कथनानुसार ट्यूववैल नहीं चला  है।  लेकिन

 

 

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विपक्षी द्वारा एक बार विद्युत चोरी की बात कही गई है और दूसरी बार विद्युत चोरी न करने की बात कही गई है और समन शुल्‍क लेकर प्रथम सूचना रिपोर्ट भी वापिस लेने की बात कही गई है। जब चोरी हुई ही नहीं है तो समन शुल्‍क किस बात का लिया गया है। इस अवधि में ट्यववैल चला ही नहीं है तो विद्युत बिल क्‍यों भेजा गया है जबकि उपखण्‍ड अधिकारी की आख्‍या से यह स्‍पष्‍ट है कि बोरिंग खराब है। कागज सं0 4/15 छायाप्रति शपथपत्र है जिसमें परिवादी ने कहा है कि उसका ट्यूववैल बोरिंग खराब होने के कारण नहीं चला है। कागज सं0 4/16 से परिवादी ने अधिशासी अभियन्‍ता विद्युत वितरण खण्‍ड एटा को सूचित किया है कि दिनांक 07.12.2007 को एस.डी.ओ. साहब ने समन शुल्‍क 15,000/-रु0 वसूल किया गया है। जब उसकी बोरिंग खराब है, की सूचना प्रेषित की गई है। कागज सं0 4/17 से उपखण्‍ड अधिकारी विद्युत वितरण उपखण्‍ड तृतीय जलेसर द्वारा प्रभारी निरीक्षक कोतवाली जलेसर को सूचना प्रेषित की है कि समन शुल्‍क जमा कर दिया गया है। अत: प्रथम सूचना रिपोर्ट वापिस/निरस्‍त की जाये। चोरी न पाये जाने के उपरान्‍त प्रथम सूचना रिपोर्ट निरस्‍त करने की संस्‍तुति तो ठीक है, लेकिन समन शुल्‍क लेना उचित नहीं है। परिवादी से 15,000/-रु0 समन शुल्‍क लिया गया है। कागज सं0 14/1, कागज सं0 14/2 तथा कागज सं0 14/3 प्रथम सूचना रिपोर्ट की छायाप्रति है। कागज सं0 14/4 विपक्षी अधिशासी अभियन्‍ता विद्युत वितरण खण्‍ड एटा द्वारा प्राथमिकी वापिस करने की सूचना थानाध्‍यक्ष थाना जलेसर को है। कागज सं0 14/5 से परिवादी ने अधिशासी अभियन्‍ता विद्युत वितरण खण्‍ड एटा को पत्र प्रेषित करके प्रार्थना की है कि उसका विद्युत कनेक्‍शन परिवादी के नाम करे। विद्युत लाइन दूसरे बोरिंग पर शिफ्ट करायी जाये इस प्रकार परिवादी ने समय-समय पर अपनी बोरिंग खराब होने के सम्‍बन्‍ध में सूचना प्रेषित की है। बोरिंग खराब होने को खण्‍ड विकास अधिकारी द्वारा प्रमाणित भी किया है। बोरिंग खराब होने के कारण विद्युत चोरी न किये जाने को विपक्षी के कर्मचारी द्वारा प्रमाणित किया गया है। जब चोरी ही नहीं की गई तब फिर प्रथम सूचना रिपोर्ट क्‍यों दर्ज करायी गई है। अनावश्‍यक रूप से समन शुल्‍क लेकर वापिस/निरस्‍त कराने की संस्‍तुति की गई है। बोरिंग फेल होने के कारण ट्यूववैल का उपयोग न होने पर भी विद्युत बिल लिया गया है। यहां तक कि चैकिंग कागज सं0 4/8 के अनुसार केबल काटकर कब्‍जे में लेने की बात कही गई है। जबकि परिवादी ने कहा है कि उसका स्‍टार्टर, मोटर के तार, केबिल, रिन्‍चों का थैला तथा एक मोटा रस्‍सा भी वापिस नहीं किया है। इस प्रकार विपक्षी अनावश्‍यक रूप से प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने

 

 

 

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और अनावश्‍यक रूप से समन शुल्‍क 15,000/-रु0 व 5,50/-रु0 व 30,131/-रु0 विद्युत बिल अनावश्‍यक रूप से जमा कराने का दोषी पाया जाता है। इस प्रकार विपक्षी ने परिवादी की सेवा में त्रुटि की है। अत: परिवादी का परिवाद विरूद्ध विपक्षी आंशिक रूप से निम्‍न प्रकार से स्‍वीकार होने योग्‍य है।''

तद्नुसार विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा प्रश्‍नगत आदेश दिनांक 13.07.2018 पारित किया गया।

जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा ऊपर उल्लिखित तथ्‍यों के परिशीलन, पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍तागण को विस्‍तार से सुनने के उपरान्‍त यह तथ्‍य निर्विवादित रूप से पाया गया कि जहॉं तक बिजली चोरी करने के सम्‍बन्‍ध में प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विरूद्ध कार्यवाही किये जाने, एफ0आई0आर0 प्रस्‍तुत किये जाने के तथ्‍य से यह स्‍पष्‍ट रूप से पाया गया कि चूँकि दिनांक 03.11.2006 को प्रत्‍यर्थी/परिवादी के नलकूप की बोरिंग खराब हो जाने के कारण प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी को दिनांक 04.01.2007 को सूचित किया गया, परन्‍तु उसकी सूचना पर कोई कार्यवाही न होने के कारण जब प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा नलकूप की बोरिंग दूसरी जगह कराकर चलाये जाने की कार्यवाही की जा रही थी तब अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से तिलक सिंह जे0ई0 ने दिनांक 06.12.2007 को छापा मारा तथा जबरदस्‍ती प्रत्‍यर्थी/परिवादी से 15,000/-रू0 वसूल किये तथा यह कथन किया कि‍ जो उपकरण बोरिंग स्‍थल पर उपलब्‍ध थे उन्‍हें कब्‍जे में लिया गया एवं प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विरूद्ध एफ0आई0आर0 दर्ज की गयी, जिस सम्‍बन्‍ध में कागज संख्‍या-4/4 महेन्‍द्र जे0ई0 द्वारा अधिशासी अभियन्‍ता विद्युत वितरण खण्‍ड अरूणानगर एटा को आख्‍या प्रस्‍तुत की, जिसमें यह तथ्‍य उल्लिखित किये गये कि उनके द्वारा चेक किये जाने पर महावीर सिंह, मलिखान सिंह पुत्रगण प्‍यारेलाल के यहॉं साइड पर कनेक्‍शन स्‍वीकृत मिला तथा कनेक्‍शन संख्‍या 0902/005702 का विद्युत बिल उनके द्वारा माहवार जमा किया जा रहा था तथा यह कि मौके पर एल0टी0 लाईन भी  पायी  गयी

 

 

-12-

तथा किसी प्रकार की कोई चोरी न तो पायी गयी, न ही उल्लिखित की गयी। उपरोक्‍त महावीर सिंह, मलिखान सिंह, जहॉं पर जे0ई0 महेन्‍द्र द्वारा चेकिंग की गयी, का सम्‍बन्‍ध प्रत्‍यर्थी/परिवादी रक्षपाल सिंह से यह है कि वह मलिखान सिंह का पुत्र है, जिसके विरूद्ध चेकिंग के दौरान दिनांक 06.12.2007 को जे0ई0 तिलक सिंह द्वारा जो आख्‍या प्रस्‍तुत की गयी उसके अनुसार अवैध रूप से एल0टी0 लाईन पर करीब 60 मीटर केबिल डालकर कुछ हिस्‍सों में 3 तारों की नंगी लाइन बनाकर 7.50 हार्सपावर का मोटर चलाकर नलकूप चलाया जाना उल्लिखित है। उपरोक्‍त सम्‍बन्‍ध में एफ0आई0आर0 की गयी, जिसके परिप्रेक्ष्‍य में महेन्‍द्र जे0ई0 द्वारा दिनांक 19.04.2008 को चोरी न कहने की बात उल्लिखित की गयी। प्रथम सूचना रिपोर्ट में यह तथ्‍य उल्लिखित किये गये कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के पिता मलिखान सिंह की मृत्‍यु हो गयी है एवं प्रत्‍यर्थी/परिवादी पर 57,180/-रू0 राजस्‍व का बकाया बताया गया, जिसके विरूद्ध शमन शुल्‍क के रूप में 15,000/-रू0 जमा कराया गया। साथ ही 550/-रू0 व अन्‍य शुल्‍क के मद में 30,131/-रू0 जमा कराया गया।

जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों को उल्लिखित करते हुए तथा अपीलार्थी/विपक्षी विद्युत विभाग द्वारा चोरी न किये जाने की आख्‍या को दृष्टिगत रखते हुए प्रत्‍यर्थी/परिवादी से लिये गये समन शुल्‍क 15,000/-रू0 को वापस किये जाने हेतु आदेशित किया गया। साथ ही विद्युत बिल के विरूद्ध लिये गये 30,131/-रू0 व अन्‍य बिल के 550/-रू0 व प्रत्‍यर्थी/परिवादी के कब्‍जे से प्राप्‍त उपकरण की कीमत 2,000/-रू0 उल्लिखित करते हुए कुल धनराशि 47,681/-रू0 एक माह की अवधि में वापस किये जाने का आदेश पारित किया गया, जो हमारे विचार से उचित प्रतीत होता है।

चूँकि इस न्‍यायालय द्वारा पारित अन्‍तरिम आदेश               दिनांक 09.05.2019 के अनुसार जिला उपभोक्‍ता अयोग के आदेश

 

 

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के विरूद्ध वसूली की कार्यवाही स्‍थगित की गयी थी, तद्नुसार उपरोक्‍त धनराशि अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा एक माह की अवधि में प्रत्‍यर्थी/परिवादी को वापस प्राप्‍त करायी जाये अन्‍यथा की स्थिति में उपरोक्‍त धनराशि पर जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 13.07.2018 से भुगतान की तिथि तक                 06 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज की देयता भी सुनिश्चित की जाती है।

तद्नुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

अपीलार्थी द्वारा प्रस्‍तुत अपील में जमा धनराशि               25,841/-रू0 अर्जित ब्‍याज सहित जिला उपभोक्‍ता आयोग, एटा को 01 माह में विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

      (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                (सुशील कुमार)       

              अध्‍यक्ष                         सदस्‍य   

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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