मौखिक
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ०प्र० लखनऊ
अपील संख्या- 2523/2007
नवरंग ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन
बनाम
राकेश वर्मा
समक्ष:-
- माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य
- माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय सदस्या
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: विद्वान अधिवक्ता श्री वी०पी०शर्मा
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई उपस्थित नहीं।
दिनांक- 07.07.2023
माननीय सदस्या श्रीमती सुधा उपाध्याय द्वारा उदघोषित
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी नवरंग ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन की ओर से विद्वान जिला आयोग, प्रथम लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या- 656/2001 राकेश शर्मा बनाम मै0 नवरंग ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक- 30-07-2007 के विरूद्ध योजित की गयी है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री वी०पी० शर्मा उपस्थित हुए। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है।
पीठ द्वारा केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का सम्यक रूप से परिशीलन किया गया।
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परिवाद पत्र के तथ्यों के अनुसार परिवादी द्वारा वर्ष 2000 में विपक्षी कम्पनी को कुल 6 बार माल बस्ती जिले में पहॅुचाने के लिए सुपुर्द किया गया, परन्तु परिवादी ने इस माल को वापस बस्ती से मंगवाया जिसका कुल मूल्य 73,449.72/-रू० था। विपक्षी ने केवल 32,851.21/-रू० ही वापस किये। रू० 40,598.51/- वापस नहीं किया इसलिए परिवाद जिला आयोग के समक्ष योजित किया गया।
विपक्षी ने यह स्वीकार किया है कि सामान वापसी होने पर कुछ सामान ही वापस किया गया और शेष सामान लेने के कहा गया परन्तु परिवादी शेष सामानों को लेने नहीं आया।
दोनों पक्षकारों को सुनने तथा उभय-पक्ष के साक्ष्यों पर विचार करने के उपरान्त जिला उपभोक्ता आयोग ने यह निष्कर्ष अंकित किया कि स्वयं परिवादी ने स्वीकार किया है कि माल वापसी के लिए बुक किया गया था जिसमें से कुछ सामान वापस भी किया गया। इसलिए अवशेष माल की कीमत को अदा करने लिए आदेश दिया गया।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि वापसी के माल का भाड़ा नहीं दिया गया है इसलिए अपीलार्थी माल वापस करने के लिए उत्तरदायी नहीं है। अपीलार्थी द्वारा अपने तर्क के समर्थन में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित Saddler Shoes Pvt. Ltd. vs Air India & ors on 28 august 2001 प्रस्तुत किया है जिसमें व्यवस्था है कि रि-बुकिंग करते समय यदि भाड़ा नहीं दिया गया है तब रि-बुकिंग की संविदा नहीं मानी जा सकती है परन्तु प्रस्तुत केस में स्थिति भिन्न है क्योंकि स्वयं अपीलार्थी ने लिखित कथन में स्वीकार किया है कि रि-बुकिंग के अनुसार कुछ माल वापस किया गया है और शेष माल प्राप्त करने के लिए परिवादी को कहा गया है। प्रस्तुत केस में रि-बुकिंग करने का तथ्य स्थापित है, अत: जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश में किसी
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हस्तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है, तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है। जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
कृष्णा–आशु0 कोर्ट नं0 3