Uttar Pradesh

StateCommission

A/872/2015

Central Bank Of India - Complainant(s)

Versus

Rakesh Kumar - Opp.Party(s)

Zafar Aziz

22 Mar 2016

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/872/2015
(Arisen out of Order Dated 25/02/2015 in Case No. C/62/2014 of District Auraiya)
 
1. Central Bank Of India
Auraiya
...........Appellant(s)
Versus
1. Rakesh Kumar
Auraiya
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary MEMBER
 HON'BLE MR. Sanjay Kumar MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 22 Mar 2016
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखन

अपील संख्‍या-872/2015

                                              (मौखिक)

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, औरैया द्वारा परिवाद संख्‍या 62/2014 में पारित आदेश दिनांक 25.02.2015 के विरूद्ध)

सेन्‍ट्रल बैंक आफ इण्डिया शाखा मिहौली, परगना, तहसील व जिला औरैया द्वारा शाखा प्रबन्‍धक                   ...................अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम

राकेश कुमार                           .................प्रत्‍यर्थी/परिवादी

 

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

माननीय श्री राम चरन चौधरी, सदस्‍य।

माननीय श्री संजय कुमार, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री जफर अजीज,                  

                           विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री शिव प्रकाश गुप्‍त,

                          विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक: 07-10-2017         

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

परिवाद संख्‍या-62/2014 राकेश कुमार बनाम सेन्‍ट्रल बैंक आफ इण्डिया व एक अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, औरैया द्वारा पारित निर्णय और आदेश  दिनांक  25.02.2015 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

''परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध 55,000 रू0 की बसूली हेतु स्‍वीकार किया जाता है। इस धनराशि  पर  वादयोजन  की  तिथि  से  वास्‍तविक

 

-2-

भुगतान की तिथि तक 7 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज भी देय होगा। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि उपरोक्‍ता अनुसार धनराशि निर्णय के एक माह में परिवादी को अदा करें।''

जिला फोरम के आक्षेपित निर्णय और आदेश से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षीगण सेन्‍ट्रल बैंक आफ इण्डिया ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री जफर अजीज और प्रत्‍यर्थी की ओर से  विद्वान  अधिवक्‍ता श्री शिव प्रकाश गुप्‍त उपस्थित आए हैं।

हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

     अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने उपरोक्‍त परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि उसका खाता विपक्षी सेन्‍ट्रल बैंक आफ इण्डिया की शाखा मिहौली में है। समाचार पत्रों से ज्ञात हुआ कि शाखा में कैशियर ने गबन किया है। तब वह बैंक गया तो पता चला कि उसके खाते में 46,000/-रू0 कम पाया गया। उसने बैंक से अपनी इस धनराशि की मांग की, परन्‍तु बैंक ने अदा नहीं किया। अत: विवश होकर उसने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया है।

     अपीलार्थी बैंक की ओर से विपक्षीगण ने जिला फोरम के समक्ष लिखित कथन प्रस्‍तुत किया है, जिसमें स्‍वीकार किया गया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी का खाता बैंक में है, परन्‍तु उनका कथन है कि उसकी जमा धनराशि की प्रविष्टि सिस्‍टम में नहीं है  और  दिनांक 01.05.2011

 

-3-

को 5000/-रू0 निकाले गए हैं, किन्‍तु सिस्‍टम में अंकित नहीं है। इसी प्रकार दिनांक 18.03.2011 को 50,000/-रू0 और 20,000/-रू0 निकाले गए हैं। उसकी प्रविष्टि भी सिस्‍टम में नहीं है।

विपक्षीगण ने लिखित कथन में यह भी कथन किया है कि 50,000/-रू0 जमा पर्ची पर बैंक की गोल मोहर लगी है, जबकि जमा पर्ची पर गोल मोहर नहीं लगायी जाती है।

     जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरान्‍त यह निष्‍कर्ष निकाला है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा कथित धनराशि अपीलार्थी/विपक्षी बैंक में जमा की गयी है, परन्‍तु उसके खाते में 46,000/-रू0 की धनराशि कम दर्शित की जा रही है। अत: जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए उपरोक्‍त प्रकार से आदेश पारित किया है।

     अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश त्रुटिपूर्ण है। जिला फोरम ने जो मानसिक कष्‍ट हेतु क्षतिपूर्ति प्रदान की है वह अनुचित है और वाद व्‍यय की भी धनराशि अधिक है।  

     प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश उचित और विधिसम्‍मत है।

     हमने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।

     स्‍वयं अपीलार्थी बैंक की ओर से प्रस्‍तुत लिखित कथन से स्‍पष्‍ट है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के खाते की प्रविष्टि सिस्‍टम में त्रुटिपूर्ण ढंग से की गयी है और प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने पासबुक  और  जमा  रसीद  प्रस्‍तुत  कर

 

-4-

कथित धनराशि अपने खाते में जमा करना प्रमाणित किया है। अत: जिला फोरम ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी के कथन पर विश्‍वास करते हुए प्रश्‍नगत धनराशि जो वापस करने हेतु आदेशित किया है वह उचित है। जिला फोरम ने जो 3000/-रू0 वाद व्‍यय दिलाया है वह भी उचित है, परन्‍तु जिला फोरम ने जो 6000/-रू0 की धनराशि मानसिक कष्‍ट हेतु प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्रदान की है वह उचित नहीं प्रतीत होती है क्‍योंकि स्‍वीकृत रूप से बैंक के कैशियर पर गबन का आरोप है। अत: ऐसी स्थिति में कर्मचारी द्वारा गबन की गयी धनराशि को अदा करने हेतु बैंक की Vicarious Liability बनती है। अत: हम इस मत के हैं कि जिला फोरम द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को मानसिक कष्‍ट हेतु प्रदान की गयी 6000/-रू0 क्षतिपूर्ति की धनराशि को अपास्‍त किया जाना उचित है।

     इसके साथ ही उचित प्रतीत होता है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी को उसकी प्रश्‍नगत धनराशि पर ब्‍याज उसी दर पर दिया जाए जिस दर पर उसके खाते में जमा धनराशि पर ब्‍याज देय है।

     उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को मानसिक कष्‍ट हेतु प्रदान की गयी 6000/-रू0 क्षतिपूर्ति की धनराशि अपास्‍त की जाती है तथा जिला फोरम का आक्षेपित निर्णय और आदेश संशोधित करते हुए अपीलार्थी बैंक को आदेशित किया जाता है कि वह प्रत्‍यर्थी/परिवादी की जमा धनराशि 46000/-रू0 उसके खाते में जमा धनराशि पर देय ब्‍याज की दर से परिवाद की तिथि से अदायगी की तिथि तक ब्‍याज सहित प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अदा करे। इसके साथ ही अपीलार्थी  बैंक  प्रत्‍यर्थी/परिवादी  को  जिला

 

-5-

फोरम द्वारा प्रदान की गयी 3000/-रू0 वाद व्‍यय की धनराशि भी अदा करेगा।

     अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

     धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

 

                 

  (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)   (राम चरन चौधरी)    (संजय कुमार)        

        अध्‍यक्ष             सदस्‍य             सदस्‍य

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1    

      

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. Sanjay Kumar]
MEMBER

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