Rajasthan

Kota

CC/211/2013

Dr. Rajendra Prasad Sharma - Complainant(s)

Versus

Rajya Beema & Pravdhayi Nidhi Vibhag, Senior Director - Opp.Party(s)

Ramesh Rathor

04 Aug 2015

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, कोटा (राजस्थान)।
परिवाद संख्या:-211/2013
डा0 राजेन्द्र प्रसाद शर्मा पुत्र रामगोपाल शर्मा आयु 60 साल जाति ब्राहमण निवासी 5-ए-1 तलवंडी कोटा।              -परिवादी

                    बनाम
01. उपनिदेशक, राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग, जिलाधीश     कार्यालय परिसर, कोटा।
02.    उपनिदेशक, राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग, मीरा चैक     श्री गंगानगर।
03.    उपनिदेशक, राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग, बनी पार्क,     जयपुर।
04.    संयुक्त निदेशक, राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग, कोटा,     जिला कोटा।                           -विपक्षीगण
समक्ष:-
भगवान दास     ः    अध्यक्ष    
महावीर तंवर     ः    सदस्य
हेमलता भार्गव    ः    सदस्य
    परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-

01.    श्री रमेश राठौर, अधिवक्ता, परिवादी की ओर से। 
02.    श्री रितेश मेवाडा, लोक अभियोजक, विपक्षीगण की ओर से। 

            निर्णय             दिनांक 04.08.2015
         

    परिवादी ने विपक्षीगण के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के अन्तर्गत लिखित परिवाद प्रस्तुत कर संक्षेप में सेवा दोष बताया है कि राज्य सेवा से सेवा निवृत के उपरान्त जी0पी0एफ0 सं. 501561 के अन्तर्गत देय राशि का भुगतान 01.03.13 को करने के बजाय 10.04.13 को अर्थात्  40 दिन की देरी से किया गया तथा विपक्षीगण को कानूनी नोटिस अधिवक्ता के जरिये भेजा गया जो प्राप्त हो गये जिसका झूंठा जवाब प्रेषित किया गया, जिससे परिवादी को आर्थिक नुकसान के साथ-साथ मानसिक संताप हुआ। 
    विपक्षीगण की ओर से जवाब प्रस्तुत कर संक्षेप में कहा गया है कि परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत विधिवत नहीं आता है परिवादी उनका उपभोक्ता नहीं है इसलिये परिवाद चलने योग्य नहीं है। परिवादी के जी.पी.एफ. क्लेम राशि के भुगतान में उनकी ओर से कोई विलम्ब नहीं हुआ है आहरण एवं वितरण कार्यालय की ओर से विलम्ब हुआ है। परिवाद खारिज करने का निवेदन किया है। 
    परिवादी ने साक्ष्य में अपने शपथ-पत्र के अलावा विपक्षीगण को प्रस्तुत नोटिस, पोस्टल रसीद, ए/डी आदि दस्तावेजात की प्रति प्रस्तुत की है।  
    विपक्षीगण ने साक्ष्य में संयुक्त निदेशक अतिका आजाद के शपथ-पत्र के अलावा ब्लाक मुख्य चिकित्सा कार्यालय पदमपुर की ओर से 13.12.12 को प्रस्तुत पत्र, उनकी ओर से अंतिम भुगतान प्राप्त पत्र,कार्यालय टिप्पणी, अधिकार -पत्र आदि दस्तावेजात की प्रति प्रस्तुत की गई।
    हमने दोनो पक्षों की बहस सुनी। पत्रावली का अवलोकन किया गया। 
    यह र्निविवाद है कि परिवादी राज्य सेवा से सेवा निवृत कर्मचारी है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सिविल अपील संख्या 5476/2013 डा0 जगमित्तार सेन भगत  व अन्य बनाम निदेशक, स्वास्थ्य सेवा हरियाणा और आदि में पारित निर्णय दिनांक 11.07.13 मेे व्यवस्थ दी है कि -राज्य सेवक उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत उपभोक्ता नहीं है तथा सेवा निवृति के फलस्वरूप प्राप्त होने वाले परिलाभ के संबंध में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत कोई उपचार प्राप्त नहीं है। वह सक्षम प्रशासनिक अधिकरण या सिविल न्यायालय या अन्य मंच से उपचार प्राप्त कर सकता है। इस विधिक स्थिति के परिपेक्ष्य में हम पाते है कि परिवाद इस मंच, में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्र्तगत विपक्षीगण के संदर्भ में उपभोक्ता नहीं होने से उसका परिवाद चलने योग्य नही है। इसी आधार पर परिवादी का परिवाद खारिज होने योग्य है। गुण-दोष पर कोई विचार करने की आवश्यकता नहीं है। परिवादी सक्षम राज्य प्रशासनिक अधिकरण या अन्य सिविल न्यायालय में  उपचार  प्राप्त करने के लिये स्वतंत्र है।  

                   आदेश 
    अतः परिवादी डा0 राजेन्द्र प्रसाद शर्मा  का परिवाद, विपक्षीगण के विरूद्ध खारिज किया जाता है। परिवाद खर्च पक्षकारान अपना-अपना स्वयं वहन करेगे।       


(महावीर तंवर)                 (हेमलता भार्गव)                (भगवान दास)  
  सदस्य                        सदस्य                       अध्यक्ष
 

     निर्णय आज दिनंाक 04.08.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया। 
                                     
  सदस्य                  सदस्या                    अध्यक्ष
           

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