Uttar Pradesh

StateCommission

A/2342/2015

Uppcl - Complainant(s)

Versus

Rajveer Singh - Opp.Party(s)

Isar Hussain

22 Feb 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2342/2015
( Date of Filing : 09 Nov 2015 )
(Arisen out of Order Dated 29/09/2015 in Case No. C/13/2010 of District Etawah)
 
1. Uppcl
Etawah
...........Appellant(s)
Versus
1. Rajveer Singh
Etawah
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 22 Feb 2023
Final Order / Judgement

                                                 (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-2342/2015

(जिला आयोग, इटावा द्वारा परिवाद संख्‍या-13/2010 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 29.09.2015 के विरूद्ध)

                                    

दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0, एक्‍जीक्‍यूटिव इंजीनियर, इलेक्ट्रिसिटी डिस्‍ट्रीब्‍यूशन डिवीजन II, फ्रेन्‍ड्स कालोनी, इटावा।

अपीलार्थी/विपक्षी

                                               बनाम            

राजवीर सिंह पुत्र वंशीधर, निवासी बलरई, तहसील, जसवंत नगर, जिला इटावा।

       प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-                            

1. माननीय श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

2. माननीय श्री सुशील कुमार , सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित    : श्री इसार हुसैन, विद्वान अधिवक्‍ता

                                                      के सहायक अधिवक्‍ता श्री कासिम जैदी।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित     : श्री उमेश कुमार शर्मा, विद्वान

    अधिवक्‍ता।

दिनांक:  31.03.2023

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.          परिवाद संख्‍या-13/2010, राजवीर सिंह बनाम दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0 में विद्वान जिला आयोग, इटावा द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 29.09.2015 के विरूद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है। इस निर्णय एवं आदेश द्वारा विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए परिवादी के विरूद्ध जारी विद्युत बिल को निरस्‍त किया और भविष्‍य में विद्युत शुल्‍क अदा न करने का आदेश पारित किया और साथ ही अंकन 23,375/-रू0 एक माह के अंदर वापस करने के लिए भी आदेशित किया है।

2.         परिवाद का कथन इस प्रकार है कि परिवादी ने 10 हार्स पावर का विद्युत कनेक्‍शन प्राप्‍त करने के लिए दिनांक 08.09.2008 को आवेदन प्रस्‍तुत किया था। अधिशासी अभियंता द्वारा अंकन 15,875/-रू0 का आंकलन किया गया, जो दिनांक 11.02.2009 को जमा कर दिया गया, परन्‍तु अनुबंध की प्रक्रिया पूर्ण कर विद्युत लाईन चालू नहीं की गई, इसके बावजूद दिनांक 19.07.2010 को अंकन 64,963/-रू0 का बिल भेज दिया गया, जिसमें कोई रीडिंग नहीं दर्शायी गयी। शिकायत करने पर कोई सुनवाई नहीं हुई, इसलिए परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

3.         विपक्षी का कथन है कि अनुबंध की औपचारिकताएं परिवादी ने पूर्ण नहीं की, इसलिए विद्युत कनेक्‍शन चालू नहीं हुआ, परन्‍तु परिवादी ने तार डालकर विद्युत उपभोग प्रारम्‍भ कर दिया और आटा चक्‍की चलाना प्रारम्‍भ कर दिया। दिनांक 31.12.2010 को मौके पर जांच की गई तब आटा चक्‍की चलाते हुए पाए गए तथा 100-100 वाट के दो बल्‍ब जलते हुए पाए गए, इसलिए बिल जारी किया गया।

4.         दोनों पक्षकारों की साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात विद्वान जिला आयोग ने यह निष्‍कर्ष दिया कि जांच आख्‍या किस कर्मचारी द्वारा तैयार की गई, इसका उल्‍लेख नहीं किया गया। अधिशासी अभियंता के आदेश के बाजवूद विद्युत आपूर्ति प्रारम्‍भ नहीं की गई, इसलिए विद्युत बिल जारी करने का आदेश अनुचित है। तदनुसार उपरोक्‍त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया।

5.         उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

6.         अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि स्‍वंय परिवादी ने अनुबंध निष्‍पादित करने में सहयोग नहीं किया। जांच के दौरान परिवादी मौके पर आटा चक्‍की चलाते हुए पाया गया, इसलिए परिवादी पर 1,50,000/-रू0 विद्युत शुल्‍क बकाया हो चुका है। परिवाद दायर करने का समय केवल 02 वर्ष है। समयावधि से बाहर यह परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है।

7.         विद्वान जिला आयोग ने अपने निर्णय में यह निष्‍कर्ष दिया है कि जांच रिपोर्ट के तथ्‍य को साबित नहीं किया गया। इस आयोग के समक्ष भी इस तथ्‍य को स्‍पष्‍ट नहीं किया गया कि जांच करने वाले कर्मचारी के क्‍या नाम हैं। उनके द्वारा किस आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई, इसलिए मौके पर अवैध विद्युत कनेक्‍शन चालू होने का, जांच करने के संबंध में यथार्थ में कोई अकाट्य साक्ष्‍य मौजूद नहीं है, इसलिए जांच के आधार पर तैयार किया गया विद्युत शुल्‍क अवैधानिक है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित किया गया आदेश हस्‍तक्षेप करने योग्‍य नहीं है, सिवाय इस बिन्‍दु के कि जिस तिथि से विद्युत कनेक्‍शन चालू किया गया है, उस तिथि से परिवादी विद्युत शुल्‍क अदा करने के लिए उत्‍तरदायी है। प्रस्‍तुत अपील तदनुसार आंशिक रूप से स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

8.         प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 29.09.2015 के अंतर्गत विद्युत कनेक्‍शन जारी करने से पूर्व विद्युत बिल को निरस्‍त करने का आदेश पुष्‍ट किया जाता है तथा विद्युत विभाग द्वारा जिस तिथि से विद्युत आपूर्ति प्रवाहित की गई है, उस तिथि से विद्युत विभाग विद्युत शुल्‍क प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत रहेगा।

          अपीलार्थी द्वारा अपील प्रस्‍तुत करते समय अपील में जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित विधि अनुसार संबंधित जिला आयोग को निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

           आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

   (सुशील कुमार)                           (राजेन्‍द्र सिंह)

     सदस्‍य                                  सदस्‍य

 

           निर्णय एवं आदेश आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

 

(सुशील कुमार)                           (राजेन्‍द्र सिंह)

  सदस्‍य                                  सदस्‍य

 लक्ष्‍मन, आशु0, कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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