राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील सं0-1676/2011
(जिला उपभोक्ता आयोग, देवरिया द्वारा परिवाद सं0-142/2005 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 01-03-2006 के विरूद्ध)
शंकर मशीन्स, सिविल लाइन देवरिया, निकट दूरदर्शन केन्द्र, देवरिया द्वारा प्रोपराइटर।
............अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2.
बनाम
1. राजवंशी शर्मा पुत्र श्री शिव राज शर्मानिवासी ग्राम आराजी मेदी पट्टी, पोस्ट-मेहाहररंगपुर, जिला देवरिया।
............प्रत्यर्थी/परिवादी।
2. रामजीत निवासी सिनेमा हाल के पास पथरदेवां, पोस्ट-पथरदेवां, जनपद-देवरिया।
3. शखा प्रबन्धक, उ0प्र0 सहकारी ग्राम विकास बैंक लि0, देवरिया।
............प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण।
समक्ष:-
1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक :- 21-06-2024.
मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
जिला उपभोक्ता आयोग, देवरिया द्वारा परिवाद सं0-142/2005 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 01-03-2006 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर बल देने के लिए पक्षकारों की ओर से कोई उपस्थित नहीं है, अत: पीठ द्वारा स्वयं अपील पत्रावली एवं प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश का अवलोकन किया गया।
अपीलार्थी शंकर मशीन्स के विद्वान अधिवक्ता की मृत्यु होने पर कार्यालय द्वारा अपीलार्थी को नोटिस प्रेषित की गई। नोटिस की प्रति पत्रावली पर मौजूद है, परन्तु अपील पर बल देने के लिए अपीलार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है और न ही कोई नया अधिवक्ता नियुक्त किया गया है।
-2-
परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी ने कृषि कार्य हेतु एक इंजन क्रय किया था, जो एक माह बाद ही खराब हो गया। विपक्षी सं0-1 द्वारा कई बार इंजन की मरम्मत करवाई गई, किन्तु इंजन सही नहीं हुआ। इसलिए विद्वान जिला आयोग ने दोष रहित नया इंजन उपलब्ध कराने के लिए विपक्षी सं0-1 व 2 के विरूद्ध आदेश पारित किया। यह सही है कि इस केस में कोई विशेषज्ञ रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई है कि इंजन में निर्माण सम्बन्धी त्रुटि थी, परन्तु पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि इंजन वारण्टी अवधि में ही खराब हुआ और परिवादी द्वारा इसकी शिकायत करने पर विपक्षी द्वारा इंजन की मरम्मत करवाई गई, फिर भी इंजन ठीक नहीं हुआ। वारण्टी अवधि में इंजन को ठीक करने अथवा बदलकर दोष रहित दूसरा इंजन देने का दायित्व विपक्षीगण का है।
अत: स्पष्ट है विद्वान जिला आयोग ने प्रत्येक तथ्य का उचित एवं विधिक रूप से विश्लेषण करते हुए प्रश्नगत आदेश पारित किया है, जिसमें किसी हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है।
तदनुसार अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
वर्तमान अपील निरस्त की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग, देवरिया द्वारा परिवाद सं0-142/2005 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 01-03-2006 की पुष्टि की जाती है।
अपील व्यय उभय पक्ष अपना-अपना स्वयं वहन करेंगे।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
दिनांक :- 21-06-2024.
प्रमोद कुमार,वैय0सहा0ग्रेड-1, कोर्ट नं.-2.