दायरा तिथि- 26-05-2015
निर्णय तिथि- 15-09-2016
समक्ष- जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, फोरम हमीरपुर (उ0प्र0)
उपस्थिति- श्री रामकुमार अध्यक्ष,
श्रीमती हुमैरा फात्मा सदस्या
परिवाद सं0- 34/2015 अंतर्गत धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
राजकुमार पुत्र मोदीलाल निवासी मु0 बदनपुर कालपी चौराहा शहर व जिला हमीरपुर।
.....परिवादी।
बनाम
राजपूत मोटर्स द्वारा दिलीप सिंह हटवारा जरिया चौराहा सरील, तहसील सरीला जिला हमीरपुर।
. .......विपक्षी।
निर्णय
द्वारा- श्री, रामकुमार ,पीठासीन अध्यक्ष,
परिवादी ने यह परिवाद विपक्षी से दि0 29-11-14 को क्रय किये गये खराब व पुराने ई-रिक्शा को बदलकर नया ई-रिक्शा दिलाने या उसे ठीक कराने अथवा मु0 75000/- रू मय 10 प्रतिशत ब्याज सहित वापस दिलाने तथा आर्थिक क्षति के रूप में मु0 15000/- तथा वाद व्यय का मु0 5000/- रू0 दिलाये जाने हेतु उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत प्रस्तुत किया है।
परिवाद पत्र में परिवादी का संक्षेप में कथन यह है कि उसने अपने परिवार के भरण पोषण व स्वरोजगार हेतु विपक्षी से ई-रिक्शा मु0 75000/- रू0 में दि-29-11-14 को क्रय किया था। परन्तु विपक्षी द्वारा मु0 53815/- का ही बिल दिया गया था। ई-रिक्शा लेने के कुछ दिन बाद ही खराब हो गया तथा ठीक प्रकार से नहीं चल सका। जिसमें उसकी चेचिस, बाडी, स्पीट मीटर व कन्ट्रोलर भी खराब हो गया। जिससे परिवादी को आर्थिक व मानसिक कष्ट हुआ। जबकि रिक्शा गारण्टी अवधि में था। जिसकी शिकायत परिवादी ने विपक्षी से की लेकिन विपक्षी ने परिवादी को कमजोर व गरीब समझकर भगा दिया। विपक्षी ने उसके साथ अनैतिक व्यापार जैसा व्यवहार किया है। ई-रिक्शा न चलने के कारण परिवादी के परिवार का भरण पोषण कठिन हो गया है। परिवादी ने दि0 10-04-15 को जरिए अधिवक्ता एक नोटिस विपक्षी को रजिस्ट्री से भेजी लेकिन विपक्षी ने कोई जवाब नहीं दिया। दि0 10-05-15 को परिवादी ने विपक्षी की दुकान पर जाकर रिक्शा ठीक कराने व बदलकर नया देने को कहा तो विपक्षी ने स्पष्ट रूप से इंकार कर दिया। इस कारण परिवादी को फोरम में यह परिवाद दायर करना पड़ा।
विपक्षी ने परिवाद पत्र के विरूद्ध अपना जवाबदावा पेश करके परिवादी को ई-रिक्शा मु0 75000/- रू0 में दि0 29-11-14 को क्रय करना तथा मु0 53815/- रू0 का बिल देना स्वीकार किया है। विपक्षी ने कहा है कि एक बार शोरूम से रिक्शा बाहर जाने के बाद हमारी कोई गारण्टी नहीं होती है। कम्पनी द्वारा भी न तो रिक्शा वापस लेती है और न ही बदलती है। ग्राहको की सुविधा हेतु हम अतिरिक्त गैराज बनाए हुए
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है और उचित भुगतान पर रिक्शा ठीक करवाते है। विपक्षी के शोरूम में दर्जनों रिक्शे खड़े रहते है और ग्राहक को छूट दे दी जाती है कि वह अपनी पसन्द से चलाकर रिक्शा खरीदे और उसी की कीमत ग्राहक से ली जाती है। परिवादी ने 53815/- का बिल देना कहा है लेकिन 75000/- रू0 उससे लिए गये थे। परन्तु यह नहीं लिखा कि 22000/- रू0 में बैट्री व अन्य सामान भी खरीदा था। विपक्षी ने कई बार परिवादी के रिक्शे को ठीक किया जिसका खर्चा मु0 5000/- रू0 आज भी परिवादी पर बकाया है। 5000/- रू0 न देने के कारण परिवादी ने झूठा परिवाद फोरम में पेश किया है। परिवादी आज भी रिक्शा लगातार चला रहा है। इस कारण परिवादी का दावा खारिज किये जाने योग्य है।
परिवादी ने अभिलेखीय साक्ष्य में सूची न0 3 से 3 अभिलेख, सूची न0 13 से 2 अभिलेख तथा स्वयं का शपथपत्र कागज सं0 12 दाखिल किया है।
विपक्षी ने अभिलेखीय साक्ष्य में सूची न0 18 से 1 अभिलेख तथा दिलीप सिंह राजपूत मोटर्स का शपथपत्र कागज सं- 16 तथा दाखिल किया है।
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता को विस्तार से सुना विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता बहस हेतु उपस्थित नहीं हुए यद्यपि उनके द्वारा पत्रावली पर लिखित बहस पहले ही दाखिल की जा चुकी है।
उपरोक्त के विवेचन से यह स्पष्ट है कि परिवादी ने विपक्षी की एजेन्सी से दि0 29-01-14 को बैटरी चालित ई-रिक्शा खरीदा था। पत्रावली पर दाखिल रसीद सं0 4 से विदित है कि परिवादी ने रिक्शे की कीमत 83815/- अदा किया तथा परिवादी ने बैटरी, मीटर चार्जर आदि भी उसी समय क्रय किया जिसकी कीमत 22000/- रू0 विपक्षी को अदा किया। इन तथ्यों को विपक्षी ने अपने जवाबदावा के पैरा 1 व 8 में स्वीकार किया है।
परिवादी के अनुसार रिक्शा खऱीदने के कुछ दिन बाद ही उसमें खराबी आ गई। उसकी स्पीड कम हो गई। रिक्शे की बाडी व चेचिस भी टूट गई। रिक्शे का कन्ट्रोलर भी खराब हो गया। परिवादी ने उन कमियों को ठीक करने के लिए विपक्षी से कहा तो विपक्षी ने रिक्शा क्रय करते समय रसीद में दी गई शर्तों के अनुसार रिक्शा की मरम्म्त करने तथा रिक्शा वापस करने से साफ इंकार कर दिया। इस तरह से उसने सेवा में कमी किया है। विपक्षी ने स्वयं कागज सं0 19 से रसीद का प्रारूप पत्रावली पर दाखिल किया है जिसमें निम्न 4 शर्तों आंग्ल भाषा में लिखी है।
शर्त न0 1 के अनुसार – यदि पूरी धनराशि का भुगतान माल क्रय करने के 7 दिन के अंदर नहीं किया जाता तो उक्त धनराशि पर 24 प्रतिशत ब्याज देय होगा।
2-शोरूम/ गोदाम से एक बार माल बाहर निकल जाने पर विक्रेता की कोई जिम्मेदारी नहीं है।
3-बिका माल न वापस किया जायेगा और न बदला जायेगा।
4-माल लेने के पहले क्रेता माल की गुणवत्ता ठीक से जांच ले।
इन्हीं शर्तों का सहारा लेकर विपक्षी अपने दायित्वों से बचना चाहता है। वास्तव में विधि की दृष्टि से उपरोक्त शर्त अनैतिक व्यापार की श्रेणी में आती है। पत्रावली पर दाखिल कागज सं0 14 व 15 जो विपक्षी द्वारा जारी कैश मेमों व रसीदें है, से यह विदित है कि विपक्षी विभिन्न प्रकार की रसीदे समय समय पर जारी अपनी सुविधानुसार करता है। यह कृत्य. भी अनैतिक व्यापार की श्रेणी में आता है। विपक्षी
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का यह कथन स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है कि वह दिल्ली स्थित जिस एजेन्सी से ई-रिक्शा खरीदता है। उक्त एजेन्सी द्वारा उसे कोई गारन्टी नहीं दी जाती है। वह दिल्ली स्थित ई-रिक्शा कम्पनी से किन शर्तों पर माल खरीदता है उससे परिवादी का कोई वास्ता व सरोकार नहीं है। विपक्षी का यह कथन विधि विरूद्ध है कि एक बार माल शोरूम/गोदाम से निकल जाने पर उसकी कोई जिम्मेदारी नहीं है। विपक्षी की यह कथन कि क्रेता रिक्शा खरीदने के पहले उसको चलाकर उसकी गुणवत्ता जांच सकता था। विपक्षी के इस कथन से फोरम सहमत नहीं है क्योंकि परिवादी ने गुणवत्ता जांचने के लिए कोई प्रशिक्षण विशेष नहीं ले रखा है। न ही किसी अनपढ, अल्प शिक्षित अथवा सामान्य व्यक्ति से यह अपेक्षा की जाती है कि वह ई-रिक्शा का भौतिक निरीक्षण करके उसकी गुणवत्ता जांच सकता है। अतएव विपक्षी द्वारा प्रस्तुत रसीद की शर्ते बचाव का पर्याप्त आधार नहीं है। विपक्षी ने पत्रावली पर ऐसा कोई साक्ष्य पेश नहीं किया है जिससे साबित हो कि परिवादी ने ई-रिक्शा को ठीक से हैन्डिल नहीं किया, जिससे रिक्शे की स्पीड में कमी आ गई। रिक्शे का स्पीड मीटर व कन्ट्रोलर खराब हो गया तथा रिक्शे की बाडी व चेचिस टूट गई। विपक्षी का यह कथन स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है कि परिवादी की लापरवाही के कारण रिक्शा 2-3 बार पलट गया और परिवादी उससे सवारी ढोने की बजाय माल ढोता है। विपक्षी ने परिवादी से रिक्शे का मूल्य रू0 53815/- तथा बैटरी व अन्य सामान का मूल्य रू0 22000/- चार्ज किया है। उसका दायित्व है कि वह क्रेता को गुणवत्ता का माल दे। परिवादी प्रस्तुत परिवाद पत्र में वर्णित तथ्यों को साबित करने में सफल रहा है कि वह विपक्षी का उपभोक्ता है और विपक्षी ने सेवा में कमी किया है। तदनुसार परिवाद पत्र स्वीकार किया जाने योग्य है।
-आदेश-
परिवादी का परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि परिवादी को उसके रिक्शे की कीमत 53815/- रू0 तथा वाद व्यय का 2000/- रू0 तथा मानसिक क्लेश का 3000/- रू0 अन्दर 30 दिवस अदा करे। अन्यथा व उक्त धनराशि पर 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी अदा करेगा। निर्धारित अवधि में यदि विपक्षी उक्त धनराशि की अदायगी नहीं करता है तो परिवादी को यह अधिकार हासिल है कि वह फोरम के माध्यम से उक्त धनराशि की वसूली विधि अनुसार कर ले।
(हुमैरा फात्मा) (रामकुमार)
सदस्या अध्यक्ष
यह निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित व दिनांकित करके उद्घोषित किया गया।
(हुमैरा फात्मा) (रामकुमार)
सदस्या अध्यक्ष