राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-2764/2001
(जिला उपभोक्ता फोरम, बुलंदशहर द्वारा परिवाद संख्या-134/1995 में पारित निर्णय दिनांक 17.05.2001 के विरूद्ध)
यूपी स्टेट इलेक्ट्रिकसिटी बोर्ड व एक अन्य। .........अपीलार्थीगण@विपक्षीगण
बनाम
राजपाल सिंह पुत्र श्री जोधा सिंह निवासी ग्राम जगतपुर उर्फ सुलतानपुर
परगना सिकन्दराबाद जिला बुलंदशहर। .......प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री इसार हुसैन, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक 05.01.2022
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या 134/95 राजपाल सिंह बनाम उ0प्र0 राज्य विद्युत परिषद व एक अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दि. 17.05.2001 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। इस निर्णय व आदेश द्वारा विद्युत कनेक्शन जारी करने का आदेश दिया गया है तथा परिवाद व्यय के रूप में रू. 500/- 30 दिन के अंदर अदा करने का आदेश दिया गया है। अदा न करने पर 12 प्रतिशत ब्याज के लिए भी आदेशित किया गया है।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी का विद्युत कनेक्शन की विद्युत आपूर्ति ट्रांसफार्मर चोरी हो जाने के कारण बंद हो गई, जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट दि. 13.02.92 को थाने पर दर्ज कराई गई। विपक्षीगण द्वारा परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि तक ट्रांसफार्मर नहीं बदला गया और तब से चक्की बंद पड़ी है। फरवरी 1992 तक रू. 8181/- विद्युत बिल बकाया था, जिसे जमा करने के लिए परिवादी तैयार है, परन्तु विद्युत विभाग ने रू. 351963/- बिल भेजा है, जो गलत है।
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3. लिखित कथन में यह स्वीकार किया गया कि दि. 11.02.92 को ट्रांसफार्मर चोरी हो गया और कोई दूसरा ट्रांसफार्मर नहीं लगाया गया, परन्तु उल्लेख किया गया है कि परिवादी पर रू. 46259/- बकाया है।
4. दोनों पक्षकारों के साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात जिला उपभोक्ता मंच द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि चूंकि ट्रांसफार्मर चोरी हो चुका है, इसलिए दि. 11.02.92 के पश्चात का विद्युत बिल वसूलना उचित नहीं है।
5. इस निर्णय व आदेश के विरूद्ध अपील इन आधारों पर प्रस्तुत की गई है कि जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय तथ्य एवं विधि के विपरीत है। साक्ष्य की अनुचित व्याख्या करते हुए मनमाना निर्णय पारित किया गया है।
6. केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना। प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश का अवलोकन किया गया।
7. स्वयं अपीलार्थी को यह तथ्य स्वीकार है कि दि. 11.02.92 को विद्युत ट्रांसफार्मर चोरी हो चुका है। कभी भी विद्युत ट्रांसफार्मर नहीं लगाया गया, इसलिए विद्युत विभाग अपनी इस चूक के कारण अन्य किसी नियम का हवाला नहीं दे सकता। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय में हस्तक्षेप करना उचित प्रतीत नहीं होता, सिवाए इसके कि 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज अदा करने का आदेश अनुचित है, क्योंकि ब्याज अत्यधिक उच्च दर से लगाया गया है। इसी प्रकार परिवादी ने विद्युत कनेक्शन जारी करने के अनुतोष की कोई मांग नहीं की है, इसलिए विद्युत कनेक्शन जारी करने का आदेश भी अपास्त होने योग्य है। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
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आदेश
8. अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश इस रूप में परिवर्तित किया जाता है कि विद्युत कनेक्शन जारी करने का आदेश अपास्त समझा जाएगा तथा परिवाद व्यय की जगह उस पर केवल 6 प्रतिशत प्रतिवर्ष का ब्याज देय होगा।
उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की
वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार) सदस्य सदस्य
निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित
किया गया।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार) सदस्य सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-2