Uttar Pradesh

StateCommission

A/2012/2571

Sipani Automobiles - Complainant(s)

Versus

Rajpal Singh - Opp.Party(s)

Arun Tandan

25 Oct 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2013/1882
( Date of Filing : 20 Aug 2013 )
(Arisen out of Order Dated 01/10/2002 in Case No. C/2001/34 of District Agra-I)
 
1. Sanjay Kumar Solanki
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Rajpal Singh
a
...........Respondent(s)
First Appeal No. A/2013/1883
( Date of Filing : 20 Aug 2013 )
(Arisen out of Order Dated 11/05/2005 in Case No. EA/06/2003 of District Agra-I)
 
1. Sanjay Kumar Solanki
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Rajpal Singh
a
...........Respondent(s)
First Appeal No. A/2012/2571
( Date of Filing : 12 Nov 2012 )
(Arisen out of Order Dated 01/10/2002 in Case No. C/2001/34 of District Agra-I)
 
1. Sipani Automobiles
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Rajpal Singh
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 25 Oct 2021
Final Order / Judgement

(सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या 1882/2013

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, प्रथम आगरा द्वारा परिवाद संख्‍या 34/2001 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 01.10.2002 के विरूद्ध)

संजय कुमार सोलंकी, पुत्र श्री भगवान सिंह सोलंकी, निवासी- ग्राम बरसै, पोस्‍ट कन्‍या गुरूकुल, हाथरस.                                  ….अपीलार्थी

बनाम

1.   राजपाल सिंह, पुत्र केहरी सिंह, निवासी- मलूपुर, तहसील-एैत्‍मादपुर, थाना खंदौली, जिला आगरा।

2.   आर.के. सिपानी, प्रबंध निदेशक, सियानी आटोमोबाइल्‍स फोर मैस्‍ट्रो मोटर्स लि., सूरत रोड, बंगलौर।

3.   शाखा प्रबंधक, केनरा बैंक, खंदौली, आगरा।                   ....प्रत्‍यर्थीगण

एवं

अपील संख्‍या 2571/2012

सिपानी आटो मोबाइल्‍स लि.  (अब जाना जाता है मै. मैस्‍ट्रो मोटर्स लि.) द्वारा आर.के. सिपानी, प्रबंध निदेशक, 149/150 बंदापुरा ग्राम, मार्सर पोस्‍ट, कस्‍बा होब्‍ली, अनेकल तालुक, बंगलौर.....                       ....अपीलार्थी

बनाम

1.   राजपाल सिंह, पुत्र केहरी सिंह, निवासी- मलूपुर, तहसील-एैत्‍मादपुर, थाना खंदौली, जिला आगरा।

2.   संजय कुमार सोलंकी, प्रोपराइटर मै. बबली मोटर्स, निकट मंडी समिति, अलीगढ़ रोड, हाथरस, वर्तमान पता: गांव बरसे डा. कन्‍यागुसकुए (सासन), जिला हाथरस।

3.   शाखा प्रबंधक, केनरा बैंक, खंदौली, आगरा।                            

                                                                                                              ....प्रत्‍यर्थीगण

एवं

अपील संख्‍या 1883/2013

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, प्रथम आगरा द्वारा परिवाद संख्‍या 06/2003 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 11.08.2005 के विरूद्ध)

संजय कुमार सोलंकी, पुत्र श्री भगवान सिंह सोलंकी, निवासी- ग्राम बरसै, पोस्‍ट कन्‍या गुरूकुल, हाथरस.                                  ….अपीलार्थी

बनाम

1.   राजपाल सिंह, पुत्र केहरी सिंह, निवासी- मलूपुर, तहसील-एैत्‍मादपुर, थाना खंदौली, जिला आगरा।

2.   आर.के. सिपानी, प्रबंध निदेशक, सियानी आटोमोबाइल्‍स फोर मैस्‍ट्रो मोटर्स लि., सूरत रोड, बंगलौर।

3.   शाखा प्रबंधक, केनरा बैंक, खंदौली, आगरा।                            

                                                                                                               ....प्रत्‍यर्थीगण

समक्ष :-

1.   मा. श्री राजेन्‍द्र सिंह,          सदस्‍य

2.   मा. श्री सुशील कुमार,         सदस्‍य

उपस्थिति:-

अपीलार्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित-      श्री ओ.पी. दुबेल

प्रत्‍यर्थी राजपाल सिंह की ओर से उपस्थित-          श्री अनिल कुमार मिश्रा

प्रत्‍यर्थी आर.के. सिपानी की ओर से उपस्थित-   श्री अरूण टंडन

प्रत्‍यर्थी बैंक की ओर से उपस्थित-            श्री राघवेन्‍द्र सिंह

दिनांक :

मा. सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित निर्णय

1.   अपील संख्‍या 1883/13 धारा 27 उपभोक्‍ता संरक्ष्‍ण अधिनियम के अन्‍तर्गत पारित आदेश 11.08.2005 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी है।  

2.   परिवाद संख्‍या 34/01 राजपाल सिंह बनाम आर.के. सिपानी, प्रबंध निदेशक, सिपानी आटोमोबाइल तथा 02 अन्‍य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 01.10.02 के विरूद्ध अपील संख्‍या 1882/13 संजय कुमार सोलंकी द्वारा प्रस्‍तुत की गयी है। इसी निर्णय एवं आदेश के विरूद्ध अपील संख्‍या 2571/12 सिपानी आटो मोबाइल लि. द्वारा प्रस्‍तुत की गयी है। चूंकि उपरोक्‍त वर्णित तीनों अपीलें एक ही पक्षकारों के मध्‍य एक ही विषयवस्‍तु से संबंधित हैं, अत: तीनों अपीलों का निस्‍तारण एक साथ किया जाता है।

3.   परिवाद संख्‍या 34/01 में निर्णय दिनांक 01.10.02 को पारित किया गया है जबकि अपील संख्‍या 2571/12 दिनांक 12.11.12 को प्रस्‍तुत की गयी है तथा अपील संख्‍या 1883/13 दिनांक 19.08.13 को प्रस्‍तुत की गयी है। अपील संख्‍या 1882/13 में देरी को माफ करने के लिये आवेदन संख्‍या 21 प्रस्‍तुत किया गया है जिसमें उल्‍लेख है कि एकपक्षीय निर्णय एवं आदेश दिनांक 01.12.02 की जानकारी दिनांक 04.07.13 को उस समय हुयी जब पुलिस का सिपाही वारंट लेकर गांव में आया। इस आवेदन को उपरोक्‍त तिथि के अलावा अन्‍य किसी तिथि को परिवाद के विचारण/निर्णय की जानकारी का कोई उल्‍लेख नहीं है।

4.   अपील संख्‍या 2571/12 में अपील प्रस्‍तुत करने में हुयी देरी को माफ करने के लिये आवेदन संख्‍या 30 प्रस्‍तुत किया गया है। इस आवेदन में केवल यही उल्‍लेख किया गया है कि शपथ पत्र में दिये गये कारणों के आधार पर देरी माफ की जाये। इस शपथ पत्र में यह उल्‍लेख है कि जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा प्रमाणित निर्णय की प्रतिलिपि प्रेषित नहीं की गयी। दिनांक 12.10.12 को अपीलार्थी को यह ज्ञान हुआ है कि कोई आर्डर पास किया गया है जब स्‍थानीय पुलिस अरेस्‍ट वारंट दिनांक 28.07.12 के साथ उपस्थित हुयी।

5.   इस प्रकार दोनों अपीलों में परिवाद संख्‍या 34/01 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 01.10.02 की जानकारी उस समय होना कहा गया जिस समय स्‍थानीय पुलिस का सिपाही वारंट लेकर अपीलार्थीगण के पास उपस्थित हुआ। अत: इस पीठ को इस बिन्‍दु पर विचार करना है कि क्‍या यथार्थ में अपीलार्थीगण को परिवाद संख्‍या 34/01 में पारित निर्णय दिनांक 01.10.02 की जानकारी उस तिथि को हुयी है जिस तिथि को स्‍थानीय पुलिस का सिपाही वारंट लेकर दोनों अपीलार्थीगण के पास भिन्‍न भिन्‍न तिथियों में उपस्थित हुआ है।

6.   जिला उपभोक्‍ता मंच के निर्णय में उल्‍लेख है कि सभी विपक्षीगण को नोटिस भेजे गये तथा सभी पर नोटिस की तामील हुयी है परन्तु विपक्षी संख्‍या 1 एवं 2 द्वारा कोई प्रति दावा प्रस्‍तुत नहीं किया गया है न ही न्‍यायालय में उपस्थित आये। विपक्षी संख्‍या 3 यानी बैंक द्वारा प्रति दावा प्रस्‍तुत किया गया है। उनके अधिवक्‍ता भी न्‍यायालय में उपस्थित आये और उनके द्वारा न्‍यायालय के समक्ष बहस भी की गयी। जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा अपने निर्णय में विशुद्ध रूप से उल्‍लेख किया है कि विपक्षी संख्‍या 1 एवं 2 पर नोटिस प्रेषित किये गये जिनकी पर्याप्‍त रूप से तामील हुयी। भारतीय साक्ष्‍य अधिनियम की धारा 114 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा अपने निर्णय में वर्णित उपरोक्‍त निष्‍कर्ष सत्‍य होने की अवधारणा की जायेगी जब त‍क कि अपीलार्थीगण द्वारा उस अवधारणा का खण्‍डन न किया गया हो। सिपानी मोटर्स ने शपथ पत्र संख्‍या 31 में यह उल्‍लेख नहीं किया कि उन्‍हें परिवाद पत्र की सुनवाई करते समय नोटिस नहीं भेजा गया न ही उन्‍हें नोटिस प्राप्‍त हुआ। शपथ पत्र में केवल यह उल्‍लेख है कि निर्णय पारित होने के पश्‍चात् निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि प्रेषित नहीं की गयी। इसी प्रकार डीलर संजय कुमार रस्‍तोगी ने अपने आवेदन संख्‍या 21 में यह उल्‍लेख नहीं किया कि परिवाद पत्र के विचारण के समय नोटिस प्राप्‍त नहीं हुआ है। उनके द्वारा केवल यह कथन किया गया कि जब पुलिस मौके पर पहुँची तब जानकारी हुयी। अत: स्‍पष्‍ट है कि अपील में कारित देरी का जो हवाला दिया गया है वह तथ्‍यात्‍मक नहीं है क्‍योंकि निर्णय में किये गये उल्‍लेख के अनुसार इन दोनों अपीलार्थीगण पर W.S. दाखिल करने के लिये नोटिस भेजी गयी। नोटिस की तामील हुयी परन्‍तु दोनों अपीलार्थीगण न्‍यायालय में उपस्थित नहीं हुये।

7.   किसी भी निर्णय/आदेश के विरूद्ध पारित अपील में कारित देरी पर्याप्‍त कारणों के आधार पर माफ की जा सकती है। प्रस्‍तुत केस में देरी माफ करने का यथार्थ में जो कारण लिया गया है वह निर्णय में दिये गये विवरण से असंगत है। निर्णय में उल्‍लेख है कि विपक्षी संख्‍या 1 एवं 2 को नोटिस भेजी गयी। तामील पर्याप्‍त हुयी जबकि दोनों अपीलार्थीगण द्वारा इस तथ्‍य से इंकार नहीं किया किया गया है कि उन्‍हें कोई नोटिस नहीं भेजी गयी या नोटिस प्राप्‍त नहीं हुयी। अत: स्‍पष्‍ट है कि उन्‍हें प्रारम्‍भ से ही इस तथ्‍य का ज्ञान था कि उनके विरूद्ध उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है परन्‍तु वह जिला उपभोक्‍ता मंच के समक्ष उपस्थित नहीं हुये और जब परिवादी परिवाद में पारित डिक्री के अनुपालन का प्रयास करता रहा और जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा निष्‍पादन कार्यवाही के दौरान दण्‍डात्‍मक कार्यवाही की गयी। उसके बाद अपील प्रस्‍तुत की गयी और देरी माफ करने का असत्‍य आधार लिया गया। अत: उक्‍त दोनों अपीलें देरी के कारण खारिज होने योग्‍य हैं।  

8.   अपील संख्‍या 1883/13 इजराय वाद संख्‍या 6/2003 में पारित आदेश दिनांक 11.08.2005 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी है। इस आदेश के अनुसार दोनों निर्णीत ऋणी को 06-06 माह के साधारण कारावास की सजा से दण्डित किया गया है और दण्‍ड को भोगने के लिये वारंट जारी किया गया है।  

9.   सभी पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍ता को सुनने के पश्‍चात् इस पीठ का मत है कि निर्णीत ऋणीगण के विरूद्ध पारित दण्‍डात्‍मक आदेश अगले 02 माह के लिये स्‍थगित होने योग्‍य है। यदि निर्णीत ऋणी द्वारा जिला उपभोक्‍ता मंच के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कर दिया जाता है यानी प्रश्‍नगत् राशि जमा करा दी जाती है तब 06-06 माह के दण्‍डादेश  का आदेश अपास्‍त समझा जायेगा और यदि इस मध्‍य परिवाद पत्र में वर्णित राशि ब्‍याज सहित जमा नहीं कराई जाती तब यह आदेश बहाल रहेगा और दोनों निर्णीत ऋणीगण के विरूद्ध जारी वारंट का निष्‍पादन कराया जायेगा। ब्‍याज राशि उसी दर से अदा की जायेगी जिस दर का उल्‍लेख जिला उपभोक्‍ता मंच ने अपने निर्णय में किया है। इस आयोग के समक्ष जो राशि जमा कराई गयी है वह जिला उपभोक्‍ता मंच को समायोजन के लिये वापस लौटाई जाए। 

आदेश

10.  अपील संख्‍या 1883/13 इस प्रकार निस्‍तारित की जाती है कि जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित दण्‍डादेश अगले 02 माह तक स्‍थगित रहेगा। यदि 02 माह के अन्‍दर परिवाद संख्‍या 34/01 में पारित निर्णय व आदेश का अनुपालन कर दिया जाता है तब दण्‍डादेश का आदेश निरस्‍त समझा जायेगा और यदि इस अवधि के अन्‍तर्गत इस आदेश का अनुपालन नहीं किया जाता है तब दण्‍डोदश का आदेश प्रभावी रहेगा और वे गैर जमानती वारंट का निष्‍पादन कराया जायेगा।

अपील संख्‍या 2571/12 एवं अपील संख्‍या 1882/13 देरी के आधार पर खारिज की जाती हैं।

     उभयपक्ष अपना अपना वाद-व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

(राजेन्‍द्र सिंह)                                    (सुशील कुमार)

   सदस्‍य                                            सदस्‍य

 

आशीष श्रीवास्‍तव

आशु0, कोर्ट नं.2

 

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.