Uttar Pradesh

StateCommission

A/1115/2017

Sriram Transport Finance co Ltd - Complainant(s)

Versus

Rajnath Yadav - Opp.Party(s)

Samanvya Dhar Dwivedi, Shri. A. R. Mishra

21 Oct 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1115/2017
( Date of Filing : 23 Jun 2017 )
(Arisen out of Order Dated 04/05/2017 in Case No. C/204/2015 of District Faizabad)
 
1. Sriram Transport Finance co Ltd
(Through its Authorised Representative) Having Offict at Shri Ganesh Complex Opp. Naveen Subji Mandi Near Public Usru Road No. 28 RTO Office Road Gorakhpur lucknow Highway Faizabad
...........Appellant(s)
Versus
1. Rajnath Yadav
S/O Sri Girdhari Yadav R/O Vill. Mangari Post Mangari Pargana PAshchimrath Tehsil Bikapur Distt. Faizabad U.P.
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 21 Oct 2022
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-1115/2017

श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेन्‍स कंपनी लिमि‍‍टेड, (द्वारा अधिकृत रिप्रिजेंटेटिव) कार्यालय श्री गणेश काम्‍पलेक्‍स, अपोजिट नवीन सब्‍जी मण्‍डी, निकट पब्लिक उसरू रोड नं0-28, आरटीओ आफिस रोड, गोरखपुर-लखनऊ हाईवे, फैजाबाद।

                             अपीलार्थी/विपक्षीगण

बनाम्  

राजनाथ यादव पुत्र गिरधारी यादव, निवासी ग्राम मंगारी, पोस्‍ट मंगारी, परगना पश्चिमरथ, तहसील बीकापुर, जिला फैजाबाद, उत्‍तर प्रदेश।

                      प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-                                                              

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य

2. माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित         : श्री समन्‍वय धर द्विवेदी।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित                : कोई नहीं।

दिनांक:  21.10.2022 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.                    परिवाद संख्‍या-204/2015, राजनाथ यादव बनाम श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेन्‍स कंपनी लिमिटेड तथा एक अन्‍य में विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग, फैजाबाद द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 04.05.2017 के विरूद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है। इस निर्णय एवं आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद अंशत: स्‍वीकार करते हुए विपक्षीगण को आदेशित किया है कि परिवादी के पक्ष में दो माह के अन्‍दर अदेयता प्रमाण पत्र जारी करें।

2.          अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री समन्‍वय धर द्विवेदी उपस्थित आए। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है, जबकि उनकी ओर से दाखिल आपत्‍ति‍ एवं श्री आर.के. सिंह का वकालतनामा पत्रावली पर मौजूद है, परन्‍तु वह उपस्थित नहीं है। अत: केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

 

-2-

3.          अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि परिवादी द्वारा लिए गए ऋण का समय पर भुगतान नहीं किया गया, इसलिए परिवादी पर ब्‍याज चढ़ता गया। उनके द्वारा यह भी तर्क किया गया कि परिवादी ने अंकन 42,207/- रूपये की क्रेडिट लिमिट भी प्राप्‍त की हुई थी, इस राशि का भी उपभोग किया गया, परन्‍तु इस राशि का भी भुगतान नहीं किया गया। यह भी तर्क किया गया कि वर्ष 2014 के पश्‍चात से कभी भी बकाया किश्‍तों का भुगतान नहीं किया गया, इसलिए परिवादी पर ऋण राशि ब्‍याज सहित बकाया होने के कारण अदेयता प्रमाण पत्र जारी करने का आदेश विधिसम्‍मत नहीं है।

4.          अपीलार्थी की ओर से अपने तर्क के समर्थन में परिवादी के ऋण से संबंधित खाता विवरण की प्रतिलिपि प्रस्‍तुत की गई है, जो शपथ पत्र से समर्थित है, इस दस्‍तावेज के अवलोकन से ज्ञात होता है कि ऋण अदा करने के लिए जो किश्‍तें नियत की गई थीं, उन किश्‍तों का भुगतान देय तिथि तक नहीं किया गया, इसलिए देरी से भुगतान करने के कारण ब्‍याज लगना प्रारम्‍भ हो गया। दिनांक 28.03.2014 के पश्‍चात कोई भुगतान नहीं किया गया, जबकि इस तिथि को अंकन 1,99,677/- रूपये परिवादी पर बकाया थे, इसलिए बकाया राशि होने के कारण अदेयता प्रमाण पत्र जारी करने का आदेश दिया जाना उचित नहीं है। तदनुसार प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार होने और प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश अपास्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

5.             प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 04.05.2017 अपास्‍त किया जाता है, परन्‍तु प्रस्‍तुत केस की परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए अपीलार्थी से अपेक्षित है कि वह परिवादी को ओटीएस योजना का लाभ प्रदान करते हुए ऋण के भुगतान के संबंध में सहमति के आधार पर कोई निर्णय लेकर विवाद को समाप्‍त करें।

            उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वंय वहन करेंगें।

 

 

-3-

            अपीलार्थी द्वारा अपील प्रस्‍तुत करते समय अपील में जमा धनराशि अपीलार्थी को एक माह के अन्‍दर विधि अनुसार मय अर्जित ब्‍याज सहित वापस की जाए।

      आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

(विकास सक्‍सेना)                        (सुशील कुमार)

  सदस्‍य                                 सदस्‍य

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-2

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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