Uttar Pradesh

StateCommission

A/2003/456

Bhagirathi Cold Storage - Complainant(s)

Versus

Rajmani Mishra - Opp.Party(s)

Sanjay Verma

22 Jan 2015

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2003/456
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Bhagirathi Cold Storage
Jaunpur
...........Appellant(s)
Versus
1. Rajmani Mishra
Jaunpur
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखन

अपील संख्‍या-456/2003

(सुरक्षित)

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, जौनपुर द्वारा परिवाद संख्‍या- 416/1997 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 30-1-2000 के विरूद्ध)        

1-भागीरथी कोल्‍ड स्‍टोरेज एण्‍ड आइस फैक्‍ट्री लालबहादुर शास्‍त्री मार्ग शाहगंज जौनपुर द्वारा भागीदार श्री अशर्फी लाल  उम्र लगभग 38 वर्ष पुत्र श्री राम अजोर यादव।

2-प्रोपराइटर भागीरथी कोल्‍ड स्‍टोरेज एण्‍ड आइस फैक्‍ट्री लालबहादुर शास्‍त्री मार्ग शाहगंज, जौनपुर द्वारा भागीदार उपरोक्‍त।

                                                                                                             .अपीलार्थीगण/विपक्षीगण          

  बनाम

1-राजमणि मिश्र उम्र लगभग 50 वर्ष पुत्र श्री मोतीलाल मिश्रा  निवासी मौजा-

2-मनोज कुमार मिश्र उम्र लगभग 25 वर्ष पुत्र श्री राजमणि मिश्र  जगदीशपुर परगना अगुली  तहसील- शाहगंज, जिला- जौनपुर द्वारा भागीदार उपरोक्‍त।

                                                 .प्रत्‍यर्थीगण/परिवादीगण

समक्ष:-

1-माननीय श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्‍य।

   2-माननीय श्री राजकमल गुप्‍ता, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित:  कोई नहीं।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित  : श्री अनिल कुमार मिश्रा, विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक- 12-08-2015

माननीय श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्‍य, द्वारा उदघोषित

निर्णय

     अपीलकर्ता ने यह अपील जिला उपभोक्‍ता फोरम जौनपुर द्वारा परिवाद संख्‍या- 416/1997 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 30-1-2000 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई है। जिला उपभोक्‍ता फोरम द्वारा निम्‍न आदेश पारित किया गया है:-

      “परिवादीगण द्वारा संस्थित परिवाद मु0 11000-00 रूपये क्षतिपूर्ति एवं 5000-00 रूपये मानसिक संताप कुल मिलाकर मु0 16000-00 रूपये धनराशि के निमित्‍त एक पक्षीय वाद व्‍यय के साथ विपक्षीगण के विरूद्ध आज्ञप्‍त किया जाता है। क्षतिपूर्ति की उपर्युक्‍त धनराशि को विपक्षीगण को परिवादीगण के हित में निर्णय की तिथि से दो माह की अवधि के अर्न्‍तगत भुगतान निमित्‍त आदेश दिया जाता है।”

      संक्षेप में केस के तथ्‍य इस प्रकार से हैं कि परिवादी ने एक मार्च 1997 से 30 नवम्‍बर 1997 तक के लिए 58 बोरा आलू  विपक्षी सं0-1 भागीरथी कोल्‍ड स्‍टोरेज एण्‍ड आइस फैक्‍ट्री लाल बहादुर शास्‍त्री मार्ग शाहगंज जौनपुर के यहॉ जमा किया। उक्‍त आलू

(2)

के रख-रखाव के निमित्‍त उसने परिवादीगण से मु0 1260-00 रूपये बतौर अग्रिम धनराशि  प्राप्‍त किया और तद्नुसार रसीदें दिनांक 23-07-1998 व 01-03-1997 परिवादीगण के हित में निर्गत किया। उर्पयुक्‍त आलू में से परिवादीगण सं0-1 का 48 बोरा तथा परिवादी सं0-2 का 10 बोरा उत्‍तम आलू का बीज था। परिवादी सं0-1 ने दिनांक 10-10-1997 को विपक्षी सं0-1 को मु0 825-00 रूपये धनराशि अदा करके 11 बोरा आलू निकलवा कर वापस लिया। उसी प्रकार परिवादी सं0-2 ने भी  दिनांक 10’10-1997को 450-00 रूपये धनराशि जमा करने के पश्‍चात 6 बोरा आलू निकलवा कर वापस लिया। परिवादीगण ने विपक्षी सं0-1 से जमा की गई मु0 1260-00 रूपये की अग्रिम धनराशि को समायोजित करने के पश्‍चात शेष 41 बोरा आलू निकालने के लिए अनुरोध किया, लेकिन उन्‍होंने उपर्युक्‍त 41 बोरा आलू को जिसका मूल्‍य मु0 11,000-00 रूपये था, अवैधानिक ढंगसे लाभ कमाने के लिए बेच दिय, जिससे वह अपने खेतों में आलू नहीं बो सका और उन्‍हें गम्‍भीर क्षति हुई। अत: उन्‍होंने मु0 11000-00 रूपये आलू से हुई क्षति तथा मु0 15,000-00 रूपये क्षतिपूर्ति कुल मिलाकर 26,000-00 रूपये क्षतिपूर्ति दिलाये जाने हेतु विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद संस्थित किया है।

      विपक्षीगण प्रकाशन के माध्‍यम से पर्याप्‍त रूप से अनुपालित होने के बावजूद लिखित अभिकथन नहीं प्रस्‍तुत किया गया। अत: उनके विरूद्ध दिनांक 17-03-1999 को एक पक्षीय सुनवाई हेतु आदेश पारित किया गया।

अपीलार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रत्‍यर्थी के तरफ से विद्वान अधिवक्‍ता श्री अनिल कुमार मिश्रा, उपस्थित है। प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता की बहस सुनी गई। पत्रावली का अवलोकन किया गया तथा अपील आधार का अवलोकन किया गया।

      अपील के आधार में कहा गया है कि विपक्षी सं0-1 पेशे से अधिवक्‍ता व कानून वेत्‍ता है, जिन्‍हें सभी प्रकार के दावपेंच का ज्ञान है, जबकि उन्‍होंने संलग्‍नक-2 कागजसं0-10 ग में अंकित 19 बोरा आलू दिनांक 15-11-1997 को निकाला था, जिसमें उन्‍हें रसीद सं0-2810 में रूपया 1402-20 पैसा जमा करने पर रसीद दिया था और उन्‍हें संलग्‍नक3 व कागज सं0-10ग/ 3 का 18 बोरा आलू यानी कुल 37 बोरा की निकासी दिनांक 15-11-1997 को 19 बोरा लिया था तथा 18 बोरा दिनांक 16-11-1997 को उक्‍त के साथ मनोज कुमार मिश्र संलग्‍नक-2 कागज सं0-10ग/2 का 4 बोरा कुल 22

(3)

बोरा की निकासी ली गई थी, जिससे  विपक्षी पूर्व की निकासी दिनांक 10-10-1997 को 6 बोरा मनोज कुमार तथा 11 बोरा राजमणि मिश्र की कुल 17 बोरा दिनांक 10-10-1997 व दिनांक 15-11-1997 को 19 बोरा तथा दिनांक 16-11-1997 को 22 बोरा इस प्रकार उसने 58 बोरा की निकासी ले चुका है सिर्फ अपीलार्थी की मात्र इतनी ही कमी या गलती रही है कि अपीलार्थी के प्रतिनिधि विपक्षी को जानते  व पहचानते थे उन पर विश्‍वास करते फार्म- डी के खोने के कथन पर निकासी दे दिया था। उक्‍त भूल के कारण वह 41 बोरे की मांग गलत कर रहे है, जबकि अपीलार्थी के निकासी खाता सं0-149 तथा स्‍टाक रजिस्‍टर खाता संख्‍या 250 व 654 में उल्‍लेख है, जिसकी पुष्टि हेतु संलग्‍नक-6 व लगायत 7  तथा उससे सम्‍बन्धित कैश मेमों संख्‍या 2810 व 2809 संलग्‍नक 8 व 9 के रूप में प्रस्‍तुत है। यह भी कहा गया है कि विद्वान फोरम ने पक्षपातपूर्ण ढंग से आदेश पारित करने में यह भी गलती किया है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने दिनांक 10-10-1997 को कागज सं0-10 ग/5 से रूप्‍या 825 व 10 ग/6 से रूप्‍या 450 कुल रूपया 1275 और 10ग/4 में रूपया 300 यानी कुल रूपया 1575-00 जमा करने का साक्ष्‍य दिया गया वही परिवाद प्रार्थना पत्र तथा आदेश मे रूपया 1260-00 का उल्‍लेख है, इससे उक्‍तादेश अपास्‍त होने योग्‍य है। यह भी कहा गया है कि अपीलार्थीगण को विद्वान जिला फोरम के आदेश दिनांक 30-04-2000 की जानकारी विगत सप्‍ताह होने पर पत्रावली का निरीक्षण कराया, जिससे यह विदित हुआ कि प्रत्‍यथी/परिवादीगण धारा-27 के अन्‍तर्गत प्रार्थना पत्र दिया है और विद्वान जिला फोरम ने निष्‍पादन वाद संख्‍या-03/2001 राजमणि मिश्र बनाम मेसर्स भागीरथी कोल्‍ड स्‍टोरेज एण्‍ड आइस फैक्‍ट्री प्रस्‍तुत करके अपीलार्थी के खिलाफ बिना जमानती वारण्‍ट दिनांक 14-02-2003 के लिए प्राप्‍त कर लिया है, जिससे संलग्‍नक-13 के रूप में प्रस्‍‍तुत किया जा रहा है। यह भी कहा गया है कि प्रार्थीगण को परिवाद व आदेश तथा कार्यवाही की वास्‍‍तविक जानकारी दिनांक 10-02-2003 को ही हुई और जानकारी होने पर उक्‍तादेशों की प्रमाणित प्रतिलिपि प्राप्‍त करने पर प्रश्‍नगत अपील बिना किसी बिलम्‍ब के प्रस्‍तुत की गई है।

      इस प्रकार से अपील के आधार से स्‍पष्‍ट होता है कि पक्षों के बीच रसीदों व लेन-देन का विवाद बरकरार है, लेकिन प्रतिवादीगण अपना प्रतिवादपत्र भी जिला फोरम के समक्ष दाखिल नहीं कर पाये थे और मौजूदा प्रकरण में साक्ष्‍यों का आंकलन किया जाना जरूरी है और रसीदों का तामील किया जाना जरूरी है। अत: हम यह पाते हैं कि मौजूदा

(4)

प्रकरण पुन: साक्ष्‍य/सुनवाई के लिए रिमाण्‍ड किया जाना न्‍यायोचित होगा। तद्नुसार अपीलकर्ता की अपील स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

     अपीलकर्ता की अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता फोरम जौनपुर द्वारा परिवाद संख्‍या- 416/1997 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 30-1-2000 को अपास्‍त करते हुए उक्‍त प्रकरण को रिमाण्‍ड किया जाता है तथा जिला उपभोक्‍ता फोरम को निर्देशित किया जाता है कि वह उक्‍त प्रकरण में उभय पक्ष को पुन: साक्ष्‍य/सुनवाई का समुचित अवसर प्रदान करते हुए इसका निस्‍तारण यथाशीघ्र गुणदोष के आधार पर करना सुनिश्चित करें।

            उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वयं वहन करें।

 

(राम चरन चौधरी)                          ( राज कमल गुप्‍ता )

  पीठासीन सदस्‍य                                सदस्‍य

आर.सी. वर्मा, आशु.  कोर्ट नं0 5

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta]
MEMBER

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