मौखिक
उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-429/2008
दिनेश प्रताप शाही
बनाम
प्रबंधक राजकीय कृषि बीज गोदाम व अन्य
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित:श्री ए0 के0 श्रीवास्तव,
विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं
दिनांक :12.02.2024
माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी दिनेश प्रताप शाही की ओर से विद्वान जिला आयोग, गोरखपुर द्वारा परिवाद संख्या- 20/2005, दिनेश प्रताप शाही बनाम प्रबंधक राजकीय कृषि बीज गोदाम व अन्य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 24.09.2007 के विरूद्ध योजित की गयी है।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री ए0 के0 श्रीवास्तव उपस्थित है। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता की बहस सुनी गई। प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का सम्यक परिशीलन किया गया।
परिवादी का कथन है कि परिवादी ने 28.05.2004 को विपक्षी संख्या-01 के गोदाम से 60 किलोग्राम मंसूरी सांभा बीज किस्त बी0 बी0 टी0-5204 अपने 6 एकड़ खेत में बोने के लिये क्रय किया था। उक्त बीज की गुणवत्ता का जमाव न्यूनतम 80 प्रतिशत, भौतिक 98 प्रतिशत अनुवांशिक शुद्धता 98 प्रतिशत घोषित किया गया था। परिवादी उक्त बीज को दिनांक 30.05.2004 को नर्सरी में डाला और दिनांक 21.06.2004 को खेत में रोपाई किया। परिवादी ने बीज को बावस्टीन नामक दवा से शोधित किया। धान की फसल प्रारम्भ में ठीक थी परन्तु बाद में उसमे रोग लग गया और फसल पीली पड़ गई जिसके कारण परिवादी को नुकसान हुआ। अत: परिवादी ने फसल उत्पादन आर्थिक व मानसिक क्षतिपूर्ति दिलाये जाने हेतु परिवाद संस्थित किया है।
विपक्षी संख्या-02 ने अपने प्रतिवाद पत्र में कथन किया है कि यह परिवादी को साबित करना है कि गोदाम से भेजा गया 60 किलोग्राम मंसूरी सांभा बीज ही अपनी 6 एकड़ खेत में बोया था। प्रश्नगत बीज के संबंध में शकाणु/झुलसा बीज के संबंध में कोई परीक्षण नहीं किया गया है। परिवादी ने गलत आधारों पर परिवाद प्रस्तुत किया है।
जिला आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का अवलोकन करने के उपरान्त परिवाद को अस्वीकार कर दिया है।
अपीलार्थी द्धारा अपील में कथन किया गया है कि जिला मंच द्धारा पारित निर्णय/आदेश में तथ्यों को सही रूप से विश्लेषित नहीं किया गया है। अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता ने कथन किया है कि बीज की गुणवत्ता में कमी के कारण धान की फसल में रोग लग गया जिससे उसे नुकसान हुआ। अपीलार्थी द्धारा अपने इस कथन के समर्थन में कोई साक्ष्य/विशेषज्ञ की राय प्रस्तुत नहीं किया है, जिससे स्पष्ट हो सके कि बीज की गुणवत्ता में कमी के कारण फसल में रोग लगा। पीठ के मत में बीज की गुणवत्ता में कमी होने पर फसल की उत्पादन क्षमता पर असर पड़ता न कि फसल किसी बीमारी से ग्रस्त होती है।
तद्नुसार जिला आयोग द्धारा पारित निर्णय/आदेश उचित एवं तथ्यों को विश्लेषित करते हुए दिया गया है, जिसमे हस्तक्षेप करने का कोई उचित आधार नहीं है। अत: प्रस्तुत अपील खारिज किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील खारिज की जाती है। जिला मंच द्धारा पारित निर्णय/आदेश की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि राज्य आयोग के समक्ष जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित नियमानुसार वापस की जावेगी।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
रंजीत, पी0 ए0, कोर्ट नं0-03