जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।
उपस्थित - (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
(2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य
परिवाद सं0-111/2006
तीरथ राजी उम्र लगभग 50 साल पत्नी राम चेत वर्मा निवासी ग्राम भरथुआ परगना मिझौड़ा पो0 फतेहपुर बेलाबाग तहसील अकबरपुर जिला अम्बेडकर नगर। .............. परिवादिनी
बनाम
1. राजेश कुमार पुत्र जीत नरायन वर्मा निवासी ग्राम परसौली पो0 रनीवाॅं परगना मिझौड़ा तहसील अकबरपुर जिला अम्बेडकर नगर।
2. सहारा इडिंया शाखा गोशाईगंज जिला फैजाबाद द्वारा शाखा प्रमुख।
3. सहारा इंडिया कमांड कार्यालय सहारा इंडिया भवन 1 कपूर थल्ला कामपलेक्स लखनऊ 226024 द्वारा सहारा प्रमुख। .......... विपक्षीगण
निर्णय दिनाॅंक 12.05.2015
उद्घोषित द्वारा: श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य।
निर्णय
परिवादिनी के परिवाद का संक्षेप इस प्रकार है कि विपक्षी संख्या 1 विपक्षी संख्या 2 का सदस्य है और उसका सदस्यता कोड संख्या 0177110067 है। परिवादिनी ने विपक्षी संख्या 1 के माध्यम से विपक्षी संख्या 2 द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं में से एक स्कीम गोल्डन 7 (जी-7) में अपना एक खाता रुपये 1,200/- छमाही जमा करने का खोला। जिसका खाता संख्या 0177150037 है, जिसमें परिवादिनी ने रुपये 9,600/- जमा किया था। परिवादिनी ने उक्त खाता दिनांक 12.07.1995 को खोला था, जो सात वर्ष के लिये था और जिसकी पूर्णावधि दिनांक 12.07.2002 को थी। विपक्षीगण ने परिवादिनी को न तो पास बुक दी और न ही जमा धनराशि की कोई रसीद ही दी। पूर्णावधि के बाद परिवादिनी ने अपनी जमा धनराशि रुपये 9,600/- को वापस करने के लिये विपक्षीगण से लिखित व मौखिक कई बार कहा मगर विपक्षीगण ने परिवादिनी को भुगतान नहीं किया। विपक्षीगण ने दिनांक 19.02.2004 को बताया कि शिकायत की जांच चल रही है। इससे परिवादिनी निश्चिंत हो गयी कि फिर कोई जवाब आयेगा। दिनांक 18.10.2005 को विपक्षी संख्या 2 व 3 ने परिवादिनी का क्लेम इस आधार पर खारिज कर दिया कि परिवादिनी ने पत्र दिनांक 17.07.2005 व 01-09-2005 का उत्तर नहीं दिया जिसमें उससे जानकारी मांगी गयी थी और परिवादिनी ने जानकारी नहीं दी। परिवादिनी को विपक्षीगण 2 व 3 का कथित पत्र मिला ही नहीं था और न ही परिवादिनी को यह ज्ञान है कि विपक्षीगण ने क्या जानकारी मांगी थी। विपक्षीगण ने परिवादिनी का भुगतान न कर के अपनी सेवा में कमी की है। परिवादिनी को विपक्षीगण से क्षतिपूर्ति रुपये 10,000/-, स्कीम में जमा धनराशि रुपये 9,600/- व परिवाद व्यय दिलाया जाय।
विपक्षी संख्या 1 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। विपक्षी संख्या 2 व 3 ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत किया है तथा परिवादिनी के परिवाद के कथनों से इन्कार किया हैै। विपक्षीगण ने अपने कथन में कहा है कि परिवादिनी ने गोल्डन-7 योजना मंे दिनांक 29-06-1996 को 84 माह के लिये खाता संख्या 17715003729 गोसाईगंज षाखा में खोला था और कुल रुपये 2,400/- जमा किया था। उक्त खाते की अवधि दिनांक 29-06-2003 को पूरी हो गयी थी। खाते के पूर्ण हो जाने के बाद परिवादिनी ने कभी भुगतान के लिये विपक्षीगणों के कार्यालय में संपर्क नहीं किया। परिपक्वता तिथि के 2 वर्श 10 माह 23 दिन पश्चात दिनांक 22.05.2006 को प्रस्तुत परिवाद दाखिल किया है। इस प्रकार परिवादिनी का परिवाद मियाद बाहर है। प्रस्तुत परिवाद में न तो मियाद के लाभ की याचना की गयी है और न ही कोई स्पश्टीकरण दिया है और न ही कोई विलम्ब क्षमा करने का कारण ही बताया है। इस प्रकार परिवादिनी का परिवाद खारिज होने योग्य है। परिवादिनी ने जो खाता संख्या 17715003739 उल्लिखित किया है, वह खाता परिवादिनी के नाम का नहीं है, बल्कि अन्य खातेदार श्री मुन्नाराय का है। परिवादिनी द्वारा रुपये 9,600/- जमा किये जाने का कथन मिथ्या एवं काल्पनिक है। खाता संख्या 17715003739 में मात्र रुपये 10/- जमा हैं। खाते का ओपनिंग फार्म एवं लेजर संलग्न है। परिवादिनी ने रुपये 200/- मासिक के हिसाब से खाता खोला था, मगर दिनांक 29-06-1996 को रुपये 1,200/- तथा दिनांक 30.06.1997 को रुपये 1,200/- परिवादिनी ने जमा किया था। परिवादिनी ने प्रत्येक माह के प्रथम सप्ताह में रुपये 200/- जमा करने के बजाय 6-6 माह में दो बार अनियमित ढं़ग से रुपये जमा किये थे। इसके बाद परिवादिनी ने कभी कोई रुपया जमा नहीं किया। 84 माह में परिवादिनी द्वारा रुपये 16,800/- जमा किया जाना था, किन्तु परिवादिनी ने मात्र रुपये 2,400/- ही जमा किया था और आज तक कुल रुपये 2,400/- ही जमा है। परिवादिनी ने ओपनिंग फार्म में अपना अंगूठा लगाया है और योजना के अनुसार नियमित धनराषि जमा नहीं की है। स्कीम की संविदा की षर्तें दोनों पक्षों पर समान रुप से लागू हैं। परिवादिनी ने अपने भुगतान को प्रमाणित करने के लिये भुगतान की कोई रसीद दाखिल नहीं की है। खाता धारकों का लेजर कम्प्यूटर द्वारा तैयार किया जाता है। जिसे उत्तरदाता ने दाखिल किया है। परिवादिनी उक्त खाते का भुगतान आवेदन कर के प्राप्त कर सकती है। परिवादिनी ने खाता खोलने की तिथि से 12 माह तक 12 किष्तों की अदायगी नहीं की है और खाता 84 माह तक नहीं चलाया है, इसलिये स्कीम के अनुसार परिवादिनी का खाता लैप्स की श्रेणी में आ गया है और उक्त खाते पर कोई ब्याज देय नहीं है। परिवादिनी द्वारा भुगतान के लिये आवेदन न देने से भुगतान नहीं किया जा सका है। जिसके लिये परिवादिनी स्वयं जिम्मेदार है। परिवादिनी का परिवाद फोरम में पोशणीय नहीं है अतः खारिज किये जाने योग्य है।
पत्रावली कई पेषियों से बहस में होने के बावजूद परिवादिनी ने दिनंाक 23-04-2015 को फिर से मौका प्रार्थना पत्र दिया जो निरस्त किया गया और परिवादिनी को निर्णय के पूर्व बहस करने का अवसर दिया किन्तु परिवादिनी की ओर से कोई बहस के लिये नहीं आया। विपक्षी संख्या 2 व 3 के विद्वान अधिवक्ता की बहस को सुना एवं पत्रावली का भली भंाति परिषीलन किया। परिवादिनी ने अपने पक्ष के समर्थन में अपना षपथ पत्र, सूची पर विपक्षी संख्या 2 को लिखे गये पत्र दिनांक 10.09.2003 की छाया प्रति, परिवादिनी की ओर से रामचेत वर्मा द्वारा विपक्षी संख्या 2 को लिखे गये पत्र दिनांक 11.02.2004 की छाया प्रति, विपक्षीगण की ओर से परिवादिनी के पति को लिखे गये पत्र दिनांक 19.02.2004, 18.10.2005, 14.07.2005, 01.09.2005 की छाया प्रतियां दाखिल की हैं जो षामिल पत्रावली हैं। विपक्षी संख्या 2 व 3 ने अपने पक्ष के समर्थन में अपना लिखित कथन दाखिल किया है जो षामिल पत्रावली है। परिवादिनी ने अपने पक्ष के समर्थन में कोई ऐसा साक्ष्य इस आषय का दाखिल नहीं किया हैै जिससे यह प्रमाणित हो कि परिवादिनी ने रुपये 9,600/- विपक्षगण के यहां जमा किये थे। परिवादिनी ने जमा धनराषि की भी कोई रसीद दाखिल नहीं की है। विपक्षी संख्या 1 ने भी कोई ऐसा साक्ष्य या परिवादिनी के पक्ष में कोई बात नहीं कही है जिससे परिवादिनी की बात प्रमाणित हो सके। जब कि विपक्षीगण ने बताया कि परिवादिनी ने मात्र रुपये 2,400/- उनके यहां जमा किया था। जिसे विपक्षीगण नियमानुसार बिना ब्याज वापस करने को तैयार हैं। बल्कि विपक्षीगण ने दिनांक 28.07.2009 को एक प्रार्थना पत्र दे कर प्रार्थना पत्र के साथ रुपये 2,400/- का एक चेक संख्या 766761 दिनांकित 28.07.2009 दाखिल किया था जिसे परिवादिनी ने प्राप्त नहीं किया है। विपक्षीगण ने अपनी सेवा में कोई कमी नहीं की है। परिवादिनी अपना परिवाद प्रमाणित करने में असफल रही है। परिवादिनी मात्र रुपये 2,400/- वापस पाने की अधिकारिणी है। विपक्षीगण परिवादिनी को दूसरा चेक बना कर दे और पत्रावली पर दाखिल चेक को वापस ले लें। परिवादिनी का परिवाद विपक्षीगण के विरुद्ध अंाशिक रुप से स्वीकार एवं अंाशिक रुप से खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादिनी का परिवाद विपक्षीगण के विरुद्ध अंाशिक रुप से स्वीकार एवं अंाशिक रुप से खारिज किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह पत्रावली पर दाखिल चेक संख्या 766761 दिनांकित 28.07.2009 को वापस ले कर। परिवादिनी को रुपये 2,400/- का भुगतान आदेश की दिनांक से 30 दिन के अन्दर करें। विपक्षीगण परिवादिनी को परिवाद व्यय के मद में रुपये 1,000/- (रुपये एक हजार मात्र) भी अदा करेें। विपक्षीगण द्वारा उक्त भुगतान यदि निर्धारित अवधि 30 दिन में नहीं किया जाता है तो विपक्षीगण परिवादिनी को आदेष की दिनांक से समस्त धनराषि पर 6 प्रतिषत साधारण वार्शिक ब्याज भी देंगे।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) (चन्द्र पाल)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 12.05.2015 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) (चन्द्र पाल)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष