Uttar Pradesh

StateCommission

A/2014/777

M/s Panchsheel Buildtech Pvt Ltd - Complainant(s)

Versus

Rajesh Kumar - Opp.Party(s)

T H Naqvi

07 Sep 2015

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2014/777
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. M/s Panchsheel Buildtech Pvt Ltd
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Rajesh Kumar
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Sanjay Kumar PRESIDING MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।                                                                             

                                                                    सुरक्षित

अपील सं0-७७७/२०१४

 

(जिला मंच, गौतम बुद्ध नगर द्वारा परिवाद सं0-९६/२०१३ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक २८-०२-२०१४ के विरूद्ध)

 

मै0 पंचशील बिल्‍डटेक प्रा0लि0 द्वारा अशोक चौधरी निदेशक कम्‍पनी उक्‍त पंजीकृत कार्यालय प्‍लाट नं0-०६, सैक्‍टर १६ कौशाम्‍बी, गाजियाबाद-२०१०१० साइट कार्यालय प्‍लाट नं0 जी.एम. ०१, सैक्‍टर १६ बी, ग्रेटर नोएडा, जिला गौतम बुद्ध नगर। कारपोरेट कार्यालय एच-१६९, सैक्‍टर ५३, नोएडा, जिला गौतम बुद्ध नगर, उत्‍तर प्रदेश।

                                                        ........... अपीलार्थी/विपक्षी।

बनाम

राजेश कुमार पुत्र श्री गेंदा सिंह निवासी ए-५७, अम्‍बेडकर कालोनी, छतरपुर, नई दिल्‍ली।

                                                        ...........  प्रत्‍यर्थी/परिवादी।

समक्ष:-

१-  मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य।

२-  मा0, श्री संजय कुमार, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से उपस्थित  : श्री वाई0डी0 शर्मा विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित   : श्री एस0पी0 सक्‍सेना विद्वान अधिवक्‍ता।

 

दिनांक :-  १८-०९-२०१५.

 

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी सदस्‍य द्वारा उदघोषित

 

निर्णय

      प्रस्‍तुत अपील, जिला मंच, गौतम बुद्ध नगर द्वारा परिवाद सं0-९६/२०१३, राजेश कुमार बनाम पंचशील बिल्‍डटेक प्रा0लि0, में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक २८-०२-२०१४ के विरूद्ध योजित की गयी है।

      संक्षेप में इस प्रकरण के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी राजेश कुमार ने अपीलकर्ता/विपक्षी कम्‍पनी से फ्लैट सं0-२०२, खण्‍ड सं0-ए-०४, क्षेत्रफल ७५७ वर्ग फीट को क्रय करने हेतु दिनांक २१-०५-२०१० को बुकिंग धनराशि १,३१,६०९/- रू० इस फ्लैट की कुल कीमत १५,४४,९६२/- रू० के परिप्रेक्ष्‍य में अदा की, जिसकी रसीद अपीलकर्ता/विपक्षी द्वारा जारी की गयी। प्रत्‍यर्थी/परिवादी बाद में भी फ्लैट की किश्‍तें अपीलकर्ता/विपक्षी को अदा करता रहा। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा कुल धनर‍ाशि ४,०४,४५४/- रू० अपीलकर्ता/विपक्षी को अदा की गयी। साइट

 

 

-२-

पर आन्‍दोलन एवं प्‍लानिंग बोर्ड के कारण कार्य नहीं हो सकता जिस कारण ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण द्वारा दिनांक २१-१०-२०११ से २४-०८-२०१२ तक की समयावधि को शून्‍य काल घोषित किया गया तथा समस्‍त बिल्‍डरों को निर्देशित किया गया कि उनके द्वारा क्रेताओं से शून्‍य काल की अवधि का कोई ब्‍याज आदि नहीं लिया जायेगा। दिनांक १३-१२-२०१२ को अपीलकर्ता/विपक्षी के कार्यालय से एक पत्र प्रत्‍यर्थी/परिवादी को भेजा गया, जो उसे दिनांक २४-१२-२०१२ को प्राप्‍त हुआ। इस पत्र द्वारा १८ प्रतिशत की दर से ६९,९४७/- रू० ब्‍याज के जोड़कर कुल ५,३२,२८५/- रू० जमा करने को कहा गया, जबकि ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के आदेशानुसार कोई ब्‍याज नहीं जोड़ा जा सकता था। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने इस पत्र के साथ अपीलकर्ता/विपक्षी के कार्यालय में दिनांक २६-१२-२०१२ को सम्‍पर्क किया परन्‍तु कोई सन्‍तोषजनक उत्‍तर उसे प्राप्‍त नहीं हुआ। दिनांक२७-१२-२०१२ को प्रत्‍यर्थी/परिवादी, अपीलकर्ता/विपक्षी के कारपोरेट कार्यालय गया और वहॉं उसे बताया गया कि कम्‍पनी के निदेशक बाहर गये हैं एवं दिनांक २९-१२-२०१२ को आने के लिए कह गये हैं। दिनांक २९-१२-२०१२ को अपीलकर्ता/विपक्षी के कारपोरेट कार्यालय में जाने पर निदेशक ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी से मिलने से इन्‍कार कर दिया तथा कहा गया कि अब कुछ नहीं हो सकता है। यह भी कहा गया कि किश्‍तें जमा करने की अन्तिम तिथि २८-१२-२०१२ थी, जो अब समाप्‍त हो चुकी है अत: प्रश्‍नगत फ्लैट का आबंटन निरस्‍त किया जा रहा है। अपीलकर्ता/विपक्षी  द्वारा दिनांक १६-०१-२०१३ को एक पत्र प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्रेषित करते हुए उसे सूचित किया गया कि किश्‍त का भुगतान न होने के कारण उसके प्रश्‍नगत फ्लैट का आबंटन निरस्‍त कर दिया गया है। तत्‍पश्‍चात् प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से दिनांक ०२-०२-२०१३ को एक नोटिस इस आशय का अपीलकर्ता/विपक्षी को प्रेषित कराया था कि वह किश्‍त जमा करने को तैयार है परन्‍तु अपीलकर्ता/विपक्षी द्वारा उक्‍त नोटिस को बिना प्राप्‍त किये प्रत्‍यर्थी/परिवादी के अधिवक्‍ता को ऐसे ही वापस कर दिया। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा जिला मंच के समक्ष परिवाद इस अनुतोष हेतु योजित किया गया कि पत्र दिनांक १६-०१-२०१३ जिसके द्वारा प्रश्‍नगत फ्लैट का आबंटन निरस्‍त किया गया, को निरस्‍त कर दिया जाय। साथ ही अपीलकर्ता/विपक्षी को निर्देशित‍ किया जाय कि वह प्रत्‍यर्थी/परिवादी से शेष धनराशि प्राप्‍त करे। मानसिक व आर्थिक क्षति के रूप में ५०,०००/- रू० प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अपीलकर्ता से दिलाया जाय।

     

 

-३-

अपीलकर्ता/विपक्षी के कथनानुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने संविदा की शर्तों के अनुसार किश्‍तों का भुगतान समय से नहींकिया। बुकिंग की सम्‍पूर्ण धनराशि भी प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने ०५ माह में जमा की। संविदा की शर्तों के अनुसार फ्लैट की कीमत की ४० प्रतिशत धनराशि बुकिंग तिथि से ६० दिन के अन्‍दर प्रत्‍यर्थी/परिवादी को जमा करनी थी, किन्‍तु निर्धारित अवधि में प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने यह धनराशि अपीलकर्ता द्वारा कई मांग पत्र भेजे जाने के बाबजूद जमा नहीं की। अन्‍तत: दिनांक १३-१२-२०१२ को ५,३२,२८५/- रू० जमा करने हेतु प्रत्‍यर्थी/परिवादी को नोटिस भेजी गयी। इस धनराशि में वाद अवधि दिनांक २१-१०-२०११ से २४-०८-२०१२ के मध्‍य का कोई ब्‍याज नहीं जोड़ा गया है। यह अवधि जीरो पीरियड घोषित की गयी थी। जीरो पीरियड के मध्‍य का कोई ब्‍याज प्रत्‍यर्थी/परिवादी से नहीं मागा गया था। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा निर्धारित अवधि में संविदा की शर्तों के अनुसार किश्‍तों की अदायगी न किये जाने के कारण अपीलकर्ता ने प्रश्‍नगत फ्लैट का प्रत्‍यर्थी/परिवादी के पक्ष में आबंटन, पत्र दिनांकित १६-०१-२०१३ के द्वारा निरस्‍त कर दिया गया। अपीलकर्ता ने सेवा में कोई त्रुटि नहीं की है।

      उभय पक्ष के प्रलेखीय साक्ष्‍यों उनके तर्कों के आधार पर जिला मंच द्वारा प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश के अन्‍तर्गत प्रत्‍यर्थी/परिवादी के परिवाद को आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए अपीलकर्ता/विपक्षी के पत्र दिनांक १६-०१-२०१३ को निरस्‍त किया गया तथा अपीलकर्ता/विपक्षी को यह निर्देश भी दिया गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी से प्रश्‍नगत फ्लैट का बकाया Agreed मूल्‍य लेकर ०३ माह के अन्‍दर पुरानी टर्म्‍स एण्‍ड कण्‍डीशन्‍स पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी के नाम रजिस्‍ट्री कराके फ्लैट का कब्‍जा उसे दे दें। जिला मंच के इसी निर्णय से क्षुब्‍ध होकर अपीलकर्ता/विपक्षी द्वारा यह अपील प्रस्‍तुत की गयी है।

      पीठ द्वारा अपीलकर्ता/विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री वाई0डी0 शर्मा एवं प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री एस0पी0 सक्‍सेना को विस्‍तारपूर्वक सुना एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेखों/प्रलेखीय साक्ष्‍यों का गहनता से परिशीलन किया गया।

      अपीलकर्ता/विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि विद्वान जिला मंच ने पत्रावली में उपलब्‍ध साक्ष्‍य का उचित परिशीलन न करते हुए प्रश्‍नगत निर्णय   एवं आदेश पारित किया है। विद्वान जिला मंच ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलकर्ता/विपक्षी को

 

 

-४-

प्रेषित आवेदन पत्र सं0-१०५ दिनांकित २२-०५-२०१० की विश्‍वसनीयता पर सन्‍देह व्‍यक्‍त किया है, जबकि स्‍वयं प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने इस आवेदन पत्र की विश्‍वसनीयता को अस्‍वीकार नहीं किया है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी के पक्ष में अपीलकर्ता/विपक्षी द्वारा जारी किया गया आबंटन पत्र दिनांक २८-०२-२०११ आवेदन पत्र सं0-१०५ दिनांकित २२-०५-२०१० के आधार पर जारी किया गया। यदि इस आवेदन पत्र की विश्‍वसनीयता सन्दिग्‍ध मानी जाती है तो सम्‍पूर्ण संविदा, जिसके आधार पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने प्रश्‍नगत परिवाद योजित किया है, वह भी सन्दिग्‍ध हो जायेगी। इस प्रकार आवेदन पत्र के सम्‍बन्‍ध में जिला मंच का निष्‍कर्ष त्रुटिपूर्ण है। प्रश्‍नगत फ्लैट के सम्‍बन्‍ध में जो आबंटन पत्र दिनांक २८-०२-२०११ अपीलकर्ता/विपक्षी द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी के पक्षमेंजारी किया गया था, उसमें निर्दिष्‍ट टर्म्‍स एण्‍ड कण्‍डीशन्‍स (नियम एवं शर्तों) के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्रश्‍नगत फ्लैट की बुकिंग की तिथि से ६० दिनि के अन्‍दर फ्लैट की कुल कीमत की ४० प्रतिशत धनराशि जमा करनी थी, किन्‍तु प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने विभिन्‍न तिथियों में कुल मिलाकर ४,०४,४५४/- रू० अपीलकर्ता/विपक्षी को अदा किये। संविदा की शर्तों के अनुसार भुगतान हेतु प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अपीलकर्ता/विपक्षी द्वारा समय-समय पर मांग पत्र एवं अनुस्‍मारक पत्र दिनांक २९-१०-२०१०, २२-११-२०१०, ११-०१-२०११, २७-०३-२०११, १२-०४-२०११, ०१-०५-२०११ एवं १३-१२-२०१२ को भेजे गये, किन्‍तु प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा मांग पत्रों के अनुसार भुगतान न करने के कारण अन्‍तत: पत्र दिनांक १६-०१-२०१३ द्वारा अपीलकर्ता/विपक्षी ने प्रश्‍नगत फ्लैट का आबंटन निरस्‍त कर दिया।

      प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि अपील कालबाधित है। उनके द्वारा यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि यद्यपि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने प्रश्‍नगत फ्लैट की बुकिंग धनराशि १,३१,६०९/- रू० अपीलकर्ता/विपक्षी को दिनांक २१-०५-२०१० को अदा की, किन्‍तु फ्लैट का आबंटन पत्र अपीलकर्ता/विपक्षी कम्‍पनी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी के पक्ष में दिनांक २८-०२-२०११ को जारी किया गया। अत: अपीलकर्ता/विपक्षी कम्‍पनी द्वारा भेजे गये मांग पत्र दिनांक २१-०५-२०१० एवं २५-०५-२०१० एवं अनुस्‍मारक पत्र दिनांक २९-१०-२०१०,     २२-११-२०१० एवं ११-०१-२०११ निर्थक हैं। इसके बाबजूद प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने इन मांग पत्रों के अनुपालन में २,५०,०००/- रू० अपीलार्थी/विपक्षी कम्‍पनी को अदा किये। आबंटन पत्र     दिनांकित २८-०२-२०११ के अनुसार किश्‍तों की अदायगी ब्‍लॉक की कास्टिंग पर की जानी थी।

 

-५-

अपीलकर्ता/विपक्षी द्वारा जारी किया गया पत्र दिनांक १६-०१-२०१३ पक्षकारों के मध्‍य निष्‍पादित संविदा की शर्तों के विरूद्ध है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से आगे यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया   गया कि अपीलकर्ता/विपक्षी ने जीरो अवधि के मध्‍य का भी १८ प्रतिशत की दर से ब्‍याज मु० ६९,९४७/- रू० मांगा है, जिसका वह अधिकारी नहीं है। यह भी तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि अपीलकर्ता/विपक्षी द्वारा जारी किये गये पत्र दिनांक १३-१२-२०१२ के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी को ५,३२,२८५/- रू० की अदायगी दिनांक २८-१२-२०१२ तक करने को कहा गया तथा अपीलकर्ता/विपक्षी ने पत्र दिनांकित १६-०१-२०१३ द्वारा प्रश्‍नगत फ्लैट का आबंटन तत्‍काल प्रभाव से निरस्‍त कर दिया, जो पक्षकारों के मध्‍य निष्‍पादित संविदा की शर्तों के विरूद्ध है। नियमों के अनुसार भुगतान की अन्तिम तिथि दिनांक २८-१२-२०१२ से ३० दिन के बाद निरस्‍तीकरण प्रभावी होना चाहिए था। इस प्रकार पत्र दिनांकित १६-०१-२०१३ मनमाना एवं अवैध है।

      जहॉं तक प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता के इस तर्क का प्रश्‍न है कि प्रस्‍तुत अपील कालबाधित है। उल्‍लेखनीय है कि इस आयोग के आदेश दिनांक २२-०५-२०१५ द्वारा तत्‍कालीन पीठ ने यह निष्‍कर्ष दिया है कि प्रस्‍तुत अपील समय-सीमा अवधि के अन्‍तर्गत योजित की गयी है एवं अंगीकार की जाने योग्‍य है। इस आदेश के उपरान्‍त पुन: इस प्रश्‍न पर विचार करने का कोई औचित्‍य नहीं है।

      अब महत्‍वपूर्ण प्रश्‍न यह है कि क्‍या प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने प्रश्‍नगत फ्लैट के सम्‍बन्‍ध में पक्षकारों के मध्‍य निष्‍पादित शर्तों के अनुसार किश्‍तों की अदायगी करने में त्रुटि की है, यदि हॉं, तो प्रभाव ?

     यह तथ्‍य निर्विवाद है कि प्रश्‍नगत फ्लैट का विक्रय मूल्‍य पक्षकारों के मध्‍य मु० १५,२९,४६२/- रू० तय हुआ था। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने दिनांक २१-०५-२०१० को बुकिंग की धनराशि के रूप में १,३१,६०९/- रू० जमा किया। बुकिंग की शेष धनराशि २९-१०-२०१० को जमा की गयी। इस प्रकार बुकिंग की धनराशि के रूप में प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा १,५३,८६५/- रू० जमा किया गया। इसके उपरान्‍त प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा २,५०,०००/- रू० चेक सं0-०७२१०४ दिनांकित ०१-०३-२०११ के माध्‍यम से दिनांक ०३-०३-२०११ को जमा किया गया। इस प्रकार यह तथ्‍य निर्विवाद है कि प्रश्‍नगत फ्लैट के क्रय हेतु भुगतान के रूप में प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने कुल ४,०४,४५४/- रू० जमा

 

 

-६-

किया है।

      महत्‍वपूर्ण तथ्‍य यह भी है कि पक्षकारों के मध्‍य भुगतान के सम्‍बन्‍ध में संविदा के अनुसार क्‍या शर्तें रखी गयी थीं ?

          प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से यह कथन किया गया है कि उसने बुकिंग की धनराशि मई  २०१० में जमा की, किन्‍तु प्रश्‍नगत फ्लैट का आबंटन पत्र अपीलकर्ता/विपक्षी ने तत्‍काल जारी नहीं किया, बल्कि यह पत्र दिनांक २८-०२-२०११ को जारी किया। आबंटन पत्र जारी किए जाने से पूर्व अपीलकर्ता/विपक्षी द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को किश्‍तों का भुगतान हेतु नोटिस जारी किया जाने का कोई औचित्‍य नहीं है।

      यह तथ्‍य निर्विवाद है कि अपीलकर्ता/विपक्षी ने दिनांक २८-०२-२०११ को प्रत्‍यर्थी/परिवादी के पक्ष में आबंटन पत्र जारी किया। इस आबंटन पत्र के अवलोकन से यह विदित होता है कि भुगतान के प्रारूप के रूप में संविदा के अनुसार यह निश्चित हुआ था कि बुकिंग के समय फ्लैट के विक्रय मूल्‍य का १० प्रतिशत बुकिंग के समय क्रेता द्वारा अदा किया जायेगा एवं १० प्रतिशत बुकिंग की तिथि के ४५ दिन के बाद अदा किया जायेगा तथा २० प्रतिशत बुकिंग की तिथि के ६० दिन के अन्‍दर अदा किया जायेगा। इस प्रकार ०६ लाख रू० से अधिक धनराशि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलकर्ता/विपक्षी को बुकिंग की तिथि से ६० दिन के अन्‍दर अदा की जानी थी, जबकि स्‍वीकृत रूप से प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा कुल धनराशि ४,०४,४५४/- रू० अपीलकर्ता/विपक्षी कम्‍पनी को आबंटन पत्र निरस्‍त किया जाने तक अदा की गयी। यदि फ्लैट का आबंटन पत्र निर्गत किए जाने की तिथि २८-०२-२०११ को बुकिंग की तिथि मान लिया जाय तब भी इस तिथि से ६० दिन की अवधि अर्थात् २७-०४-२०११ तक प्रत्‍यर्थी/परिवादी को ०६ लाख रू० से अधिक धनराशि अपीलकर्ता/विपक्षी कम्‍पनी को अदा करनी थी। अपीलकर्ता/विपक्षी के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी को किश्‍तों की अदायगी हेतु दिनांक २९-१०-२०१०, २२-११-२०१०, ११-०१-२०११, २७-०३-२०११, १२-०४-२०११, ०१-०५-२०११ एवं १३-१२-२०१२ को मांग पत्र भेजे गये। प्रत्‍यर्थी/परिवादी के कथनानुसार आबंटन पत्र जारी किये जाने के पूर्व भेजे गये मांग पत्र निरर्थक थे। यहॉं यह उल्‍लेख्‍नीय है कि आबंटन पत्र निर्गत किया जाने के बाद भी दिनांक २७-०३-२०११, १२-०४-२०११, ०१-०५-२०११ एवं १३-१२-२०१२ को प्रत्‍यर्थी/परिवादी को किश्‍तों की बकाया धनराशि

 

 

-७-

जमा करने हेतु मांग पत्र भेजे गये, जिनके परिप्रेक्ष्‍य में प्रत्‍यर्थी/परिवादी का मात्र यह कथन है कि दिनांक ०१-०३-२०११ के चेक द्वारा २,५०,०००/- रू० अदा किया गया। इस प्रकार यह स्‍पष्‍ट है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने पक्षकारों के मध्‍य निष्‍पादित संविदा के अनुसार किश्‍तों की अदायगी अपीलकर्ता/विपक्षी कम्‍पनी को नहीं की।

      प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि मांग पत्र दिनांकित    १३-१२-२०१२ द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी से ५,३२,२८५/- रू० की मांग की गयी तथा यह धनराशि दिनांक २८-१२-२०१२ तक जमा किये जाने की अपेक्षा की गयी, किन्‍तु अपीलकर्ता/विपक्षी ने अपने पत्र दिनांक १६-०१-२०१३ द्वारा प्रश्‍नगत फ्लैट का आबंटन पत्र निरस्‍त कर दिया। यह निरस्‍तीकरण दिनांक २८-१२-२०१२ के उपरान्‍त ३० दिन की अवधि बीतने के उपरान्‍त प्रभावी होना चाहिए था, किन्‍तु इससे पूर्व दिनांक १६-०१-२०१३ को ही प्रश्‍नगत फ्लैट का आबंटन निरस्‍त कर दिया। उल्‍लेखनीय है कि आबंटन पत्र दिनांकित २८-०२-२०११ में उल्लिखित शर्त सं0-१ (बी) के अनुसार अपार्टमेण्‍ट की किश्‍तों का भुगतान पेमेण्‍ट प्‍लान में निर्धारित तिथि अथवा उससे पूर्व आबंटी द्वारा किया जायेगा। यदि इस अवधि के मध्‍य आबंटी द्वारा भुगतान नहीं किया जाता है तब आबंटन निरस्‍त कर दिया जायेगा एवं अपार्टमेण्‍ट के बेसिक मूल्‍य का १० प्रतिशत जब्‍त करके शेष धनराशि बिना किसी ब्‍याज के वापस कर दी जायेगी। इस शर्त में यह भी उल्लिखित है कि कम्‍पनी का किश्‍तों के भुगतान हेतु मांग पत्र एवं अनुस्‍मारक पत्र भेजने का कोई दायित्‍व नहीं होगा। प्रत्‍यर्थी/परिवादी को यह स्‍वीकार है कि उसने बुकिंग की धनराशि दिनांक २२-०५-२०१० को जमा की थी तथा अपीलकर्ता द्वारा उसे कम्‍प्‍यूटर आई.डी. नम्‍बर १०५ आबंटित किया गया था। आबंटन पत्र दिनांकित २८-०२-२०११ में भी आवेदन पत्र सं0-१०५ दिनांकित २२-०५-२०१० का उल्‍लेख है और इसी आवेदन पत्र के सन्‍दर्भ में प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्रश्‍नगत फ्लैट का आबंटन पत्र जारी किया गया था। आवेदन पत्र सं0-१०५ दिनांकित २२-०५-२०१० की धारा-११ में भी यह स्‍पष्‍ट रूप से उल्लिखित है कि किश्‍तों की पेमेण्‍ट प्‍लान के अनुसार अदायगी होगी। इस धारा में यह भी स्‍पष्‍ट रूप से उल्लिखित है कि आबंटी को निर्धारित तिथि पर किश्‍तों के भुगतान हेतु अलग से कोई पत्र जारी नहीं किया जायेगा। आबंटी का यह दायित्‍व होगा कि वह नियत तिथि अथवा उससे पूर्व किश्‍तों का भुगतान करे। यदि किश्‍तों का भुगतान देय तिथि के

 

 

-८-

उपरान्‍त किया जाता है तब स्‍वाभाविक (आटोमेटिक) रूप से आबंटन का निरस्‍तीकरण अपीलकर्ता/विपक्षी कम्‍पनी द्वारा स्‍वविवेकानुसार बिना आबंटी को कोई पूर्व सूचना दिये कर दिया जायेगा। ऐसी स्‍िथति में प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क स्‍वीकार किये जाने योग्‍य नहीं है कि आबंटन निरस्‍तीकरण हेतु जारी किय गया पत्र दिनांकित १६-०१-२०१३ अवैध है।

      उपरोक्‍त तथ्‍यों के आलोक में हमारे विचार से प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने पक्षकारों के मध्‍य निष्‍पादित संविदा के अनुसार निर्धारित अवधि में किश्‍तों की अदायगी नहीं की है। अत: अपीलकर्ता/विपक्षी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी के प्रश्‍नगत फ्लैट का आबंटन निरस्‍त करके कोई सेवा में त्रुटि नहीं की है। विद्वान जिला मंच ने पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य का उचित परिशीलन न करते हुए प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश पारित किया है।

      प्रस्‍तुत प्रकरण के सन्‍दर्भ में एक अन्‍य महत्‍वपूर्ण तथ्‍य यह है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने ४,०४,४५४/-रू० प्रश्‍नगत फ्लैट क्रय करने हेतु अपीलकर्ता/विपक्षी कम्‍पनी को निर्विवाद रूप से अदा किए हैं। किश्‍तों की समय से प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अदायगी न किये जाने के कारण अपीलकर्ता/विपक्षी ने फ्लैट का आबंटन दिनांक १६-०१-२०१३ को निरस्‍त कर दिया, किन्‍तु आबंटन निरस्‍त करने के साथ ही अपीलकर्ता/विपक्षी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा जमा की गयी धनराशि उसे वापस नहीं लौटायी। अपीलकर्ता/विपक्षी द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया किपत्र दिनांकित १६-०१-२०१३ द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को यह सूचित किया गया था कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी जमा की गयी धनराशि अपीलकर्ता/विपक्षी के कार्यालय से वापस प्राप्‍त कर सकता है, किन्‍तु प्रत्‍यर्थी/परिवादी धनराशि प्राप्‍त करने हेतु अपीलकर्ता के कार्यालय नहीं आया। आबंटन पत्र दिनांकित २८-०२-२०११ की शर्त सं0-१(बी) में यह तथ्‍य उल्लिखित है कि किश्‍तों का भुगतान समय से न किया जाने की स्थिति में आबंटन निरस्‍त कर दिया जायेगा तथा अपार्टमेण्‍ट के बेसिक मूल्‍य का १० प्रतिशत जब्‍त करके शेष धनराशि बिना किसी ब्‍याज के वापस की जायेगी। शर्त सं0-१(ई) के अनुसार अपवाद स्‍वरूप अपीलार्थी/विपक्षी कम्‍पनी अपना अपने विवेकानुसार विलम्‍ब से किये जाने वाले भुगतान पर १८ प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज प्राप्‍त कर सकती है। पक्षकारों के मध्‍य निष्‍पादित संविदा में यह तथ्‍य उल्लिखित नहीं है कि आबंटन निरस्‍त किये जाने के उपरान्‍त जमा की गयी धनराशि तत्‍काल आबंटी को प्राप्‍त नहीं करायी जायेगी,

 

-९-

बल्कि उसके लिए आबंटी को पुन: अपीलकर्ता/विपक्षी कम्‍पनी के कार्यालय में सम्‍पर्क करना पड़ेगा। आबंटन निरस्‍त करने के उपरान्‍त तत्‍काल आबंटी को उसके द्वारा जमा की गयी धनराशि वापस न किया जाने का कोई औचित्‍य नहीं है। इसके अतिरिक्‍त प्रस्‍तुत प्रकरण के सन्‍दर्भ में मई २०१० में प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलकर्ता/विपक्षी कम्‍पनी में १,३१,६०९/- रू० बतौर बुकिंग धनराशि जमा किया था। २५ अक्‍टूबर २०१० तक प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने कुल १,५३,८६५/- रू० अपीलकर्ता/विपक्षी कम्‍पनी में प्रश्‍नगत फ्लैट के सन्‍दर्भ में जमा किया, किन्‍तु प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्रश्‍नगत फ्लैट का आबंटन पत्र दिनांक २८-०२-२०११ को जारी किया गया। यदि अपीलकर्ता/विपक्षी के इस तर्क को स्‍वीकार भी कर लिया जाय कि दिनांक २५-०५-०१० तक प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने संविदा की शर्तों के अनुसार सम्‍पूर्ण बुकिंग धनराशि जमा नहीं की थी, किन्‍तु स्‍वयं अपीलकर्ता/विपक्षी ने यह स्‍वीकार किया है कि दिनांक २९-१०-२०१० तक प्रत्‍यर्थी/परिवादी सम्‍पूर्ण बुकिंग की धनराशि जमा कर चुका था। इसके बाबजूद प्रत्‍यर्थी/परिवादी के पक्ष में प्रश्‍नगत फ्लैट के सन्‍दर्भ में दिनांक २८-०२-२०११ तक आबंटन पत्र जारी न किया जाने का कोई औचित्‍य नहीं है।

      हमारे विचार से दिनांक २९-१०-२०१० को संविदा के अनुसार बुकिंग की सम्‍पूर्ण धनराशि प्राप्‍त करने के बाबजूद आबंटन पत्र जारी न करके एवं दिनांक १६-०१-२०१३ को प्रश्‍नगत आबंटन निरस्‍त करने के बाबजूद तत्‍काल आबंटी द्वारा जमा की गयी धनराशि उसे अदा न करके अपीलकर्ता/विपक्षी कम्‍पनी ने सेवा में त्रुटि की है। ऐसी परिस्थिति में हमारे विचार से अपीलकर्ता/विपक्षी, प्रत्‍यर्थी/परिवादी को उसके द्वारा अपीलकर्ता कम्‍पनी में जमा की गयी धनराशि मु० ४,०४,४५४/- रू० जिला मंच में प्रश्‍नगत परिवाद योजित करने की तिथि से सम्‍पूर्ण धनराशि की अदायगी तक ०९ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज सहित अदा करने के लिए उत्‍तरदायी है।

      परिणामस्‍वरूप, प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाने योग्‍य है।

आदेश

      प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। जिला मंच, गौतम बुद्ध नगर द्वारा परिवाद सं0-९६/२०१३, राजेश कुमार बनाम पंचशील बिल्‍डटेक प्रा0लि0, में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक २८-०२-२०१४ अपास्‍त करते हुए अपीलकर्ता/विपक्षी कम्‍पनी को निर्देशित किया जाता है

 

-१०-

कि वह प्रत्‍यर्थी/परिवादी को उसके द्वारा अपीलकर्ता कम्‍पनी में जमा  की गयी धनराशि मु० ४,०४,४५४/- रू० जिला मंच में प्रश्‍नगत परिवाद योजित करने की तिथि से सम्‍पूर्ण धनराशि की अदायगी तक ०९ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज सहित इस निर्णय की तिथि से एक माह के अन्‍दर अदा करे। तद्नुसार परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है।    

उभय पक्ष इस अपील का व्‍यय-भार स्‍वयं अपना-अपना वहन करेंगे।

      उभय पक्ष को इस आदेश की सत्‍य प्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

     

                                               (उदय शंकर अवस्‍थी)

                                                  पीठासीन सदस्‍य

 

 

                                                  (संजय कुमार)

                                                     सदस्‍य

प्रमोद कुमार

वैय0सहा0ग्रेड १,

कोर्ट नं०-३.  

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Sanjay Kumar]
PRESIDING MEMBER

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