Uttar Pradesh

StateCommission

A/2010/364

Iffco Tokio General Insurance Co - Complainant(s)

Versus

Rajesh Kumar Shukla - Opp.Party(s)

A. k. Malothar

19 Jan 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2010/364
( Date of Filing : 03 Mar 2010 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Iffco Tokio General Insurance Co
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Rajesh Kumar Shukla
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 19 Jan 2019
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील सं0-३६४/२०१०

(जिला मंच, रायबरेली द्वारा परिवाद सं0-४०/२००७ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक १५-०१-२०१० के विरूद्ध)

इफको टोकियो जनरल इंश्‍योरेंस कं0लि0, कारपोरेट आफिस चतुर्थ तल, पाम कोर्ट, २०/०४, सुखराली चौक, मेहरौली, गुड़गॉंव रोड, गुड़गॉंव, हरियाणा।

                                            ............. अपीलार्थी/विपक्षी सं0-२.

बनाम

१. राजेश कुमार शुक्‍ला पुत्र स्‍व0 नन्‍द किशोर शुक्‍ला निवासी ग्राम व पोस्‍ट मोहम्‍मदपुर, कुचरिया, जिला रायबरेली।

                                               ............     प्रत्‍यर्थी/परिवादी।

२. साधन सहकारी समिति, उत्‍तरपारा, विकास क्षेत्र राही, रायबरेली द्वारा सैक्रेटरी।

                                             ............   प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-१.

समक्ष:-

१-  मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य।

२-  मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित  : श्री अशोक मेहरोत्रा विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री आर0के0 मिश्रा विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक :- २०-०२-२०१९.

 

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

 

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, जिला मंच, रायबरेली द्वारा परिवाद सं0-४०/२००७ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक १५-०१-२०१० के विरूद्ध योजित की गयी है।

संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के कथनानुसार परिवादी के पिता स्‍व0 नवल किशोर शुक्‍ला वित्‍त पोषक जिला सहकारी बैंक लि0 शाखा उत्‍तरपारा जिला रायबरेली के क्रैडिट कार्डधारक किसान थे। परिवादी के पिता ने इफको टोकियो बीमा कम्‍पनी में चल रही योजना के अनुसार खाद बीमा स्‍वास्‍थ्‍य योजना के अन्‍तर्गत ०३ बोरी यूरिया तथा ०३ बोरी डी0ए0पी0 खाद लिया तथा बैंक से प्राप्‍त चेकबुक से दिनांक    ०३-१२-२००२ को २०५५/- रू० का चेक काटकर समिति को भुगतान कर दिया। दिनांक  २६-०३-२००३ को परिवादी के पिता की मोटर दुर्घटना में मृत्‍यु हो गई। उक्‍त बीमा योजना

 

 

 

-२-

के अन्‍तर्गत ४,०००/- रू० प्रति बोरी के हिसाब से २४,०००/- रू० क्षतिपूर्ति के रूप में परिवादी प्राप्‍त करने का अधिकारी है। परिवादी द्वारा बीमा दावा प्रस्‍तुत किया गया किन्‍तु बीमा कम्‍पनी द्वारा भुगतान नहीं किया गया। परिवादी ने अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी को विधिक नोटिस भी दी। अन्तिम नोटिस दिनांक १५-१२-२००६ को दी गई लेकिन कोई क्षतिपूर्ति नहीं दी गई। अत: परिवाद जिला मंच के समक्ष योजित किया गया।

अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी ने प्रश्‍नगत बीमा यो‍जना के अन्‍तर्गत परिवादी को क्षतिपूर्ति का अधिकारी नहीं माना। साथ ही बीमा कम्‍पनी का यह भी कथन है कि परिवादी द्वारा प्रेषित दावा कालबाधित है।

जिला मंच ने परिवादी का परिवाद स्‍वीकार करते हुए अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी को निर्देशित किया कि निर्णय के ०२ माह के अन्‍दर अपीलार्थी, परिवादी को २४,०००/- रू० दावा दायर करने की तिथि से रकम अदा होने की तिथि तक ६ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज सहित अदा करे। 

इस निर्णय से क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गई।

हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री अशोक मेहरोत्रा तथा प्रत्‍यर्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री आर0के0 मिश्रा के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि प्रश्‍नगत प्रकरण में प्रत्‍यर्थी/परिवादी के पिता स्‍व0 नवल किशोर शुक्‍ला द्वारा दिनांक ०३-१२-२००२ को प्रश्‍नगत बीमा योजना के अन्‍तर्गत खाद क्रय किया गया। परिवादी के पिता की मृत्‍यु दिनांक २६-०३-२००३ को मोटर दुर्घटना में होनी अभिकथित किया गया है। अपीलार्थी ने परिवादी का दावा दिनांक २५-०८-२००३ को अस्‍वीकृत कर दिया। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि परिवादी के पिता के मृत्‍यु मार्च, २००३ में होने के उपरान्‍त परिवाद वर्ष २००७ में वाद कारण उत्‍पन्‍न होने की तिथि से लगभग ०४ वर्ष बाद संस्थित किया गया। अत‍: परिवाद उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की धारा-२४ ए से बाधित था। जिला मंच के समक्ष अपीलार्थी द्वारा यह आपत्ति प्रस्‍तुत की गई किन्‍तु जिला मंच द्वारा अपीलार्थी की इस आपत्ति पर ध्‍यान न देते हुए प्रश्‍नगत निर्णय पारित

 

 

-३-

किया गया।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि परिवाद योजित किए जाने की तिथि से पूर्व परिवादी ने अपीलार्थी को ०५-१०-२००४ को नोटिस भेजी। भुगतान न होने पर पुन: २६-०२-२००५ को उसके बाद १५-१२-२००६ को नोटिस भेजी गई, किन्‍तु कोई भुगतान नहीं किया गया। अत: परिवाद वर्ष २००७ दायर किया गया। ऐसी परिस्थिति में परिवाद कालबाधित नहीं माना जा सकता।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि परिवादी द्वारा अभिकथित कोई नोटिस अपीलार्थी को प्राप्‍त नहीं हुई। इस सन्‍दर्भ में कोई साक्ष्‍य प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत नहीं की। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि मात्र पत्राचार के आधार पर समय सीमा विस्‍तारित नहीं मानी जा सकती। अपीलार्थी के इस तर्क में बल है। यह तथ्‍य निर्विवाद है कि अपीलार्थी के पिता की सड़क दुर्घटना में दिनांक २६-०३-२००३ को मृत्‍यु हो गई। परिवादी का यह कथन है कि परिवादी द्वारा नोटिस दिए जाने के बाबजूद उसका बीमा दावा स्‍वीकार नहीं किया गया। निश्चित रूप से परिवादी के पिता की मृत्‍यु की तिथि से ही वाद कारण उत्‍पन्‍न होना माना जायेगा। ऐसी परिस्थिति में परिवादी के के लिए यह आवश्‍यक था कि उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की धारा-२४ ए के अन्‍तर्गत निर्धारित समय सीमा ०२ वर्ष के अन्‍दर परिवाद जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत करते। मात्र कथित पत्राचार के आधार पर समय सीमा विस्‍तारित नहीं की जा सकती। परिवादी ने परिवाद के प्रस्‍तुतीकरण में हुए विलम्‍ब को क्षमा किए जाने हेतु कोई प्रार्थना पत्र भी जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत नहीं किया। ऐसी परिस्थिति में हमारे विचार से परिवाद कालबाधित था। परिवाद कालबाधित होने के बाबजूद जिला मंच द्वारा इस तथ्‍य पर ध्‍यान न देते हुए प्रश्‍नगत निर्णय पारित किया गया। अत: प्रश्‍नगत निर्णय त्रुटिपूर्ण होने के कारण अपास्‍त किए जाने योग्‍य है।  

आदेश

      अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला मंच, रायबरेली द्वारा परिवाद सं0-४०/२००७ में

 

 

-४-

पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक १५-०१-२०१० अपास्‍त किया जाता है।

      इस अपील का व्‍यय-भार उभय पक्ष अपना-अपना स्‍वयं वहन करेंगे।

      उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

 

                                     

                                                (उदय शंकर अवस्‍थी)

                                                  पीठासीन सदस्‍य

 

 

                                                  (गोवर्द्धन यादव)

                                                      सदस्‍य

 

 

 

 

प्रमोद कुमार

वैय0सहा0ग्रेड-१,

कोर्ट नं.-१.  

 

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
MEMBER

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