(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
पुनरीक्षण संख्या-163/2018
असिस्टण्ट इंजीनियर, दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0 तथा अन्य
बनाम
राजेश कुमार पुत्र श्री बिहारी लाल
समक्ष:-
1. माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
पुनरीक्षणकर्तागण की ओर से उपस्थित : श्री दीपक मेहरोत्रा,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी की ओर से उपस्थित : श्री आलोक रंजन,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक : 21.08.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद सं0-395/2017, विद्वान जिला आयोग, औरैया द्वारा पारित आदेश दिनांक 25.10.2017 एवं दिनांक 20.8.2018 के विरूद्ध पुनरीक्षण आवेदन प्रस्तुत किया गया है। विद्वान जिला आयोग ने परिवादी के विरूद्ध जारी आर.सी. को स्थगित करने का आदेश पारित किया है तथा विद्युत कनेक्शन जोड़ने का आदेश पारित किया है।
2. उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया तथा प्रश्नगत आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
3. पुनरीक्षणकर्तागण के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि परिवादी पर एक करोड़ रूपये से अधिक का विद्युत शुल्क बकाया है, जिसकी वसूली के लिए वसूली प्रमाण पत्र जारी हुआ है, इस राशि को वसूलने का आदेश दिए बिना या आंशिक राशि जमा कराए बिना विद्युत कनेक्शन जोड़ने का आदेश तथा आर.सी. जारी करने का आदेश देना विधि
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विरूद्ध है, जबकि परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि चूंकि विद्युत कनेक्शन उपलब्ध नहीं है, इसलिए विद्युत कनेक्शन जोड़ने का आदेश विधिसम्मत है साथ ही विद्युत बिल विवादित हैं, इसलिए आर.सी. को स्थगित करने का आदेश भी विधिसम्मत है।
4. किसी भी बकाया राशि को वसूल करने के लिए जारी वसूली प्रमाण पत्र के विरूद्ध परिवाद प्रस्तुत करना और उस परिवाद पर आर.सी. की कार्यवाही को स्थगित करने या निरस्त करने का कोई अधिकार विद्वान जिला आयोग को प्राप्त नहीं है। अत: स्पष्ट है कि विद्वान जिला आयोग द्वारा इस संबंध में विधि विरूद्ध आदेश पारित किया गया है। आर.सी. जारी होने पर किसी दीवानी न्यायालय तक को आर.सी. के संबंध में सुनवाई करने का अधिकार प्राप्त नहीं है तब उपभोक्ता फोरम में इस अधिकार के निहित होने का प्रश्न ही नहीं उठता। अत: यह आदेश अपास्त होने योग्य है।
5. द्वितीय आदेश के संबंध में परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि विद्युत चोरी की घटना पुलिस द्वारा सही नहीं पायी गयी, इसलिए विद्युत कनेक्शन जोड़ने का आदेश विधिसम्मत है। यद्यपि चेकिंग रिपोर्ट की प्रमाणिकता प्रथम सूचना रिपोर्ट के पश्चात एफ.आर. लगाने के परिणाम के संबंध में इस अवसर पर निष्कर्ष देना उचित नहीं है, परन्तु चूंकि परिवादी पर एक भारी राशि बकाया दर्शायी जा रही है। अत: इस स्थिति में बिना कोई राशि जमा किए विद्युत संयोजन जोड़ने का आदेश देना उचित प्रतीत नहीं होता। अत: यह आदेश भी अपास्त होने योग्य है। तदनुसार प्रस्तुत पुनरीक्षण आवेदन स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
6. प्रस्तुत पुनरीक्षण स्वीकार किया जाता है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित आदेश दिनांक 25.10.2017 एवं दिनांक 20.8.2018
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अपास्त किए जाते हैं। यद्यपि विद्वान जिला आयोग में यह अधिकार निहित रहेगा कि परिवादी से आंशिक धनराशि जमा कराने के पश्चात या विवादित विद्युत शुल्क की धनराशि के बराबर बैंक गारण्टी आदि प्राप्त करने के पश्चात विद्युत कनेक्शन जोड़ने का अंतरिम आदेश पारित किया जा सकता है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
निर्णय/आदेश आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
दि. 21.8.2023
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2