राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-1454/2001
ब्रांच मैनेजर इलाहाबाद बैंक, ब्रांच सलखन, पोस्ट सलखन
जिला सोनभद्र। .........अपीलार्थी@विपक्षी
बनाम्
1.राजेन्द्र पुत्र श्री रमा शंकर निवासी कुरूहल थाना चोपन जिला
सोनभद्र।
2.दि न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लि0 राबर्टगंज जिला सोनभद्र।
.......प्रत्यर्थीगण/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री दीपक मेहरोत्रा के सहयोगी श्री मनोज
कुमार, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक 18.03.2021
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या 266/2000 राजेन्द्र बनाम प्रबंधक इलाहाबाद बैंक तथा एक अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दि. 31.05.2001 को बैंक द्वारा अपील में चुनौती दी गई है। जिला उपभोक्ता मंच सोनभद्र के 2 सदस्यों द्वारा यह आदेश पारित किया है कि ऋण की राशि में 1/3 परिवादी, 1/3 शाखा प्रबंधक, 1/3 पोस्टमार्टम के डाक्टर के वेतन से अदा की जाएगी।
2. इस निर्णय व आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि यह निर्णय/आदेश विधि विरूद्ध है। समस्त तथ्यों को संदिग्ध मानते हुए प्रश्नगत आदेश को पारित किया गया है।
3. केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया एवं प्रश्नगत निर्णय व आदेश का अवलोकन किया गया।
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4. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी की 5 राशि बकरी और एक राशि बकरा बीमार होकर दि. 12.12.97 को मर गए, जिसकी सूचना विपक्षीगण को दी गई, परन्तु विपक्षीगण द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई, इसलिए परिवाद प्रस्तुत करते हुए अंकन रू. 10000/- बीमा क्लेम और रू. 5000/- मानसिक प्रताड़ना के रूप में मांग किया गया।
5. बैंक का कथन है कि परिवादी द्वारा जो सूचना उपलब्ध कराई गई है वह बीमा कंपनी को प्रेषित कर दी गई है, उनके द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गई है।
6. विपक्षी संख्या 2 बीमा कंपनी का कथन है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट संदिग्ध है, इसलिए बीमा क्लेम नकार दिया गया है। जिला उपभोक्ता मंच ने अपने निर्णय में उल्लेख किया है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट संदेहात्मक है। ग्राम प्रधान की रिपोर्ट भी अनियमित है। इस निष्कर्ष के बावजूद शाखा प्रबंधक स्वयं परिवादी तथा चिकित्साधिकारी को दोषी मानते हुए उपरोक्त आदेश पारित किया गया है। यथार्थ में यह निर्णय व आदेश हास्यास्पद है। परिवादी द्वारा विपक्षीगण की सेवा में कमी मानते हुए परिवाद प्रस्तुत किया गया है, जबकि जिला उपभोक्ता मंच ने स्वयं परिवादी को दोषी मानते हुए उसे भी उत्तरदायी ठहराया गया है।
7. शाखा प्रबंधक की सेवा के कमी के बिन्दु पर कोई निष्कर्ष नहीं दिया गया है, परन्तु आदेश में लिख दिया गया कि शाखा प्रबंधक 1/3 राशि अदा करने के लिए उत्तरदायी हैं, जबकि शाखा प्रबंधक द्वारा लिखित कथन में उल्लेख किया गया और शपथपत्र से साबित किया कि परिवादी ने जो सूचना उपलब्ध कराई गई है वह बीमा कंपनी को प्रेषित कर दी गई है, इसलिए शाखा प्रबंधक को उत्तरदायी ठहराने का कोई उत्तरदायी नहीं है।
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8. जिला उपभोक्ता मंच ने तीसरा आदेश डाक्टर के संबंध में पारित किया गया है, परन्तु चूंकि डाक्टर द्वारा कोई अपील प्रेषित नहीं की गई है, अत: इस बिन्दु पर कोई विचार नहीं किया जा रहा है, परन्तु बैंक की ओर से सेवा में किसी प्रकार की कमी नहीं की गई है, उनके विरूद्ध पारित किया गया निर्णय/ आदेश आधारविहीन है। तदनुसार अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
9. अपील स्वीकार की जाती है। बैंक के विरूद्ध पारित निर्णय/आदेश अपास्त किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना अपील-व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्ध करा दी जाए।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार) सदस्य सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-2