Uttar Pradesh

StateCommission

A/3092/2017

Manager Sri Raghunath Cold Storage - Complainant(s)

Versus

Rajendra Singh - Opp.Party(s)

V.S. Bisaria

21 Jan 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/3092/2017
( Date of Filing : 13 Nov 2017 )
(Arisen out of Order Dated 11/10/2017 in Case No. C/74/2016 of District Hapur)
 
1. Manager Sri Raghunath Cold Storage
Hapur
...........Appellant(s)
Versus
1. Rajendra Singh
Bulandshahr
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 21 Jan 2019
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखन

अपील संख्‍या-3092/2017

(सुरक्षित)

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, हापुड़ द्वारा परिवाद संख्‍या 74/2016 में पारित आदेश दिनांक 11.10.2017 के विरूद्ध)

Manager, Shri Raghunath Cold storage, Bulandshahar Road, Hapur, through its Manager Arvind Kumar Gupta.                        ...................अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम

Rajendra Singh S/o Shri Nempal Singh r/o Village Malliyan Avval, Aurangabad, Distt. Bulandshahar (U.P.).                           ................प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री वी0एस0 बिसारिया,                               

                            विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री नवीन कुमार तिवारी,                                    

                          विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक: 05.04.2019        

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

परिवाद संख्‍या-74/2016 राजेन्‍द्र सिंह बनाम संचालक/प्रबन्‍धक श्री रघुनाथ कोल्‍ड स्‍टोरेज बुलन्‍दशहर रोड हापुड़ में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, हापुड़ द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 11.10.2017 के विरूद्ध यह अपील  धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

जिला फोरम ने आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा उपरोक्‍त परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

 

 

-2-

''प्रस्‍तुत परिवाद विपक्षी के विरूद्ध एतदद्वारा आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है।

विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह एक माह के अन्‍दर परिवादी को 1015 कट्टे आलुओं की कीमत अंकन 5,18,227/-रू0 तथा वाद व्‍यय अंकन 5000/-रू0 कुल धनराशि अंकन 5,23,227/-रू0 का नियमानुसार भुगतान करे।

विपक्षी द्वारा परिवादी को एक माह के अन्‍दर उपरोक्‍त धनराशि का भुगतान न किये जाने की स्थिति में परिवादी                  दिनांक 11.11.2017 से भुगतान की दिनांक तक उपरोक्‍त धनराशि पर 06 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज भी प्राप्‍त करने का अधिकारी होगा।''

जिला फोरम के निर्णय से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षी ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री वी0एस0 बिसारिया और प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री नवीन कुमार तिवारी उपस्थित आये हैं।

मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है। मैंने उभय पक्ष की ओर से प्रस्‍तुत लिखित तर्क का भी अवलोकन किया है।

अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी  ने  उपरोक्‍त  परिवाद  जिला  फोरम  के  समक्ष

 

-3-

अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि उसने दिनांक 04.03.2016 से दिनांक 11.08.2016 तक विभिन्‍न तिथियों में कुल 1115 कट्टे आलू का भण्‍डारण अपीलार्थी/विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज में 240/-रू0 प्रति कुन्‍टल की दर पर किराये पर किया। तत्‍पश्‍चात् प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज से 100-100 कट्टा आलू दो बार में प्राप्‍त किया, परन्‍तु ये आलू प्रत्‍यर्थी/परिवादी के शुगर फ्री आलू नहीं निकले और अन्‍दर से काले और मीठे निकले। इस प्रकार गलत माल प्रत्‍यर्थी/परिवादी को दिया गया और माल देने के पूर्व 18,200/-रू0 उससे किराया कोल्‍ड स्‍टोरेज का प्राप्‍त किया गया।

परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि अपीलार्थी/विपक्षी ने उसके साथ जानबूझकर धोखा किया है या कोल्‍ड स्‍टोरेज में लापरवाही के कारण उचित वातावरण न मिलने के कारण आलू अन्‍दर से काला पड़ गया है और मीठा व खराब हो गया है।

परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी के कुल 1115 शुगर फ्री आलू के कट्टे अपीलार्थी/विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज में थे,                  परन्‍तु अपीलार्थी/विपक्षी ने उसे प्रत्‍यर्थी/परिवादी को वापस             नहीं किया है। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी को                दिनांक 17.11.2016 को विधिक नोटिस दिया फिर भी उसने कोई सुनवाई नहीं की तो परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया है।

 

-4-

     जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी ने लिखित कथन प्रस्‍तुत किया है और कहा है कि उसके कोल्‍ड स्‍टोरेज में             दिनांक 04.03.2016, दिनांक 05.03.2016, दिनांक 10.03.2016 और दिनांक 11.03.2016 को कुल 1115 कट्टे ग्राम अकडोली के टीटू किसान द्वारा भण्‍डारित किये गये थे, जो टीटू किसान द्वारा मैसर्स मनोज गोयल, विपिन गोयल, सब्‍जी मण्‍डी मोदीनगर को विक्रय कर दिये गये। उसके बाद मैसर्स मनोज गोयल, विपिन गोयल से प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने उक्‍त माल खरीद लिया और उपरोक्‍त व्‍यक्तियों की सहमति से अपीलार्थी/विपक्षी के कर्मचारी द्वारा उपरोक्‍त माल प्रत्‍यर्थी/परिवादी के नाम स्‍थानान्‍तरित कर दिया गया।

लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से कहा गया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के पिता नेमपाल सिंह ने दिनांक 23.08.2016 को 100 कट्टे शुगर फ्री आलू प्राप्‍त किये, जिसमें प्रत्‍येक कट्टे का वजन 52-54 किलोग्राम था। अपीलार्थी/विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज द्वारा अनलोडिड तक पट्टी बनायी गयी थी, परन्‍तु प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने उपरोक्‍त 100 कट्टे शुगर फ्री आलू के किराये का भुगतान नहीं किया। उसके बाद पुन: प्रत्‍यर्थी/परिवादी के पिता नेमपाल सिंह ने दिनांक 09.11.2016 को 100 कट्टा आलू निकालने को कहा, जिस पर अपीलार्थी/विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज के कर्मचारी ने पूर्व में प्राप्‍त किये गये 100 कट्टे और पुन: मांगे गये 100 कट्टे का किराया भुगतान करने को कहा तो प्रत्‍यर्थी/परिवादी  के  पिता  ने  किराया

 

-5-

जमा करने में आनाकानी की। इस पर अपीलार्थी/विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज ने किराया का भुगतान किये बिना आलू देने से मना कर दिया। तब प्रत्‍यर्थी/परिवादी के पिता नेमपाल सिंह ने 18,200/-रू0 किराया जमा कराया तो उन्‍हें 100 कट्टे शुगर फ्री आलू निकालकर विधिवत प्राप्‍त कराया गया और उसकी अनलोडिड तक पट्टी बनायी गयी। इस प्रकार प्रत्‍यर्थी/परिवादी के 1115 कट्टे आलू में से 200 कट्टे आलू विधिवत् प्राप्‍त किये जा चुके हैं। अपीलार्थी/विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज में प्रत्‍यर्थी/परिवादी के मात्र 915 कट्टे आलू शेष रह गये थे, परन्‍तु दिनांक 08.11.2016 को नोटबन्‍दी के कारण बाजार में आलू का भाव एकदम गिर गया और कोल्‍ड स्‍टोरेज का किराया आलू के मूल्‍य से अधिक हो गया। अत: जानबूझकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपना माल नहीं निकाला, जबकि प्रत्‍यर्थी/परिवादी को 30 सितम्‍बर से पहले कोल्‍ड स्‍टोरेज का किराया जमा कर अपना आलू निकाल लेना आवश्‍यक था।

लिखित कथन के अनुसार अपीलार्थी/विपक्षी कोल्‍ड स्‍टोरेज का 1,32,276/-रू0 किराया प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विरूद्ध अवशेष है।

लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी ने कहा है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रेषित नोटिस का उत्‍तर उसने अपने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से दिनांक 23.11.2016 को भेजा, जो दिनांक 29.11.2016 को उसे प्राप्‍त हुआ है।

लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी ने कहा है कि उसने अपने उत्‍तर नोटिस में स्‍पष्‍ट रूप से लिखा कि  30  सितम्‍बर  के  पूर्व

 

-6-

किसान अथवा व्‍यापारी अपने भण्‍डारित आलू का किराया एवं अन्‍य देय जमा कर आलू निकलवाने की व्‍यवस्‍था करें अन्‍यथा उक्‍त दिनांक के पश्‍चात् कोल्‍ड स्‍टोरेज उसके भण्‍डारित आलू को कमरे से बाहर निकलवाकर ढांग लगवाकर बिना उसकी अनुमति के बाजारी मूल्‍य पर बेचकर अपना किराया व अन्‍य देय वसूल करने का अधिकारी होगा।

जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन के आधार पर निम्‍नलिखित 06 वाद बिन्‍दु विरचित किये हैं:-

1. क्‍या उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-2(1) (घ) में दी गयी परिभाषा के अनुसार परिवादी विपक्षी का उपभोक्‍ता है?

2. क्‍या परिवादी ने विपक्षी कोल्‍ड स्‍टोरेज में भंडारित किये गये आलुओं के 1115 कट्टों में से दिनांक 23.08.2016 को 100 कट्टे तथा दिनांक 09.11.2016 को 100 कट्टे प्राप्‍त किये?

3. क्‍या परिवादी द्वारा विपक्षी कोल्‍ड स्‍टोरेज से दिनांक 09.11.2016 को प्राप्‍त किये गये आलू शुगर फ्री न होकर अन्‍दर से काले और मीठे निकले?

4. क्‍या विपक्षी ने परिवादी के आलुओं के शेष 915 कट्टे परिवादी को वापस नहीं किये?

5. क्‍या विपक्षी ने परिवादी की सेवा में कमी की है?

6. क्‍या परिवादी विपक्षी से कोई अनुतोष प्राप्‍त करने का अधिकारी है?

     जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन के आधार पर  वाद

 

-7-

बिन्‍दु संख्‍या-1 के निस्‍तारण में यह माना है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-2 (1) (घ) के अन्‍तर्गत अपीलार्थी/विपक्षी का उपभोक्‍ता है।

     वाद बिन्‍दु संख्‍या-2 के निस्‍तारण में जिला फोरम ने यह माना है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने जमा 1115 कट्टे आलू में 200 कट्टे आलू प्राप्‍त किये हैं।

     वाद बिन्‍दु संख्‍या-3 के निस्‍तारण में जिला फोरम ने यह माना है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी का यह कथन विश्‍वसनीय है कि उसके द्वारा कोल्‍ड स्‍टोरेज से पुन: निकाले गये 100 कट्टों में आलू मीठा और काला निकला था।

     उपरोक्‍त वाद बिन्‍दु संख्‍या-4 के निस्‍तारण में जिला फोरम ने यह माना है कि अपीलार्थी/विपक्षी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी के 915 कट्टे आलू वापस नहीं किये हैं। अत: वाद बिन्‍दु संख्‍या-5 के निस्‍तारण में जिला फोरम ने यह माना है कि अपीलार्थी/विपक्षी कोल्‍ड स्‍टोरेज ने सेवा में कमी की है। वाद बिन्‍दु संख्‍या-6 के निस्‍तारण में  जिला फोरम ने यह माना है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी को 1015 कट्टा आलू की कीमत 5,18,227/-रू0 अपीलार्थी/विपक्षी से दिलाया जाना उचित है। साथ ही उसे 5000/-रू0 वाद व्‍यय भी दिलाया जाना उचित है। अत: जिला फोरम ने परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए उपरोक्‍त प्रकार से आदेश पारित किया है।

     अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद गलत कथन के आधार पर प्रस्‍तुत किया

 

-8-

है। वह स्‍वयं आलू का दाम कम होने के कारण और कोल्‍ड स्‍टोरेज का किराया अधिक होने के कारण अपना 915 कट्टा आलू नहीं ले गया है। अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता के अनुसार आलू कोल्‍ड स्‍टोरेज से 30 सितम्‍बर से पूर्व निकाला जाना था, परन्‍तु प्रत्‍यर्थी/परिवादी अपना आलू नहीं ले गया फिर भी उसकी सुविधा को देखते हुए अपीलार्थी/विपक्षी ने आलू दिसम्‍बर 2016 तक अपने कोल्‍ड स्‍टोरेज में रखा है।

अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला उद्यान अधिकारी की आख्‍या दिनांक 01.12.2016 से स्‍पष्‍ट है कि आलू अपीलार्थी/विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज में अच्‍छी कण्‍डीशन में दिनांक 30.11.2016 को पाये गये हैं। ऐसी स्थिति में परिवाद पत्र का कथन विश्‍वसनीय नहीं है।

अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम ने जो 5,18,227/-रू0 अपीलार्थी/विपक्षी से प्रत्‍यर्थी/परिवादी को दिलाया है वह उचित नहीं है।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश उचित और युक्तिसंगत है। स्‍वयं अपीलार्थी/विपक्षी के लिखित कथन से यह स्‍पष्‍ट है कि          915 कट्टा आलू प्रत्‍यर्थी/परिवादी को नहीं दिया गया है।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम ने जो आलू की क्षतिपूर्ति हेतु 5,18,227/-रू0 प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्रदान किया है, वह उचित है। जिला फोरम के निर्णय में  किसी

 

-9-

हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।

उभय पक्ष को प्रत्‍यर्थी/परिवादी का 1115 कट्टा आलू अपीलार्थी/विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज में भण्‍डारित होना स्‍वीकार है। इस भण्‍डारित आलू से 200 कट्टा आलू प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा निकाला जाना भी उभय पक्ष के अभिकथन से स्‍पष्‍ट है। अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रस्‍तुत लिखित कथन से भी यह स्‍पष्‍ट है कि अपीलार्थी/विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज से प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपने अवशेष 915 कट्टे आलू की डिलीवरी प्राप्‍त नहीं की है। अपीलार्थी/विपक्षी कोल्‍ड स्‍टोरज के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने आलू का दाम कम होने और कोल्‍ड स्‍टोरेज का किराया अधिक होने के कारण अपने आलू प्राप्‍त नहीं किये हैं। अत: मास दिसम्‍बर 2016 तक अपीलार्थी/विपक्षी ने कोल्‍ड स्‍टोरेज में आलू को रखा है और जिला उद्यान अधिकारी ने भी दिनांक 30.11.2016 को निरीक्षण कर आलू ठीक होने का प्रमाण पत्र दिया है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा यह आलू न लेने पर अपीलार्थी/विपक्षी ने आलू का निस्‍तारण कैसे किया, यह अपीलार्थी/विपक्षी ने स्‍पष्‍ट नहीं किया है।

अपीलार्थी/विपक्षी के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी को 30 सितम्‍बर के पहले आलू निकालने की नोटिस दी गयी थी और यह स्‍पष्‍ट कर दिया गया था कि यदि उक्‍त अवधि तक आलू नहीं निकाला जाता है तो आलू कमरे से बाहर निकलवाकर ढांग लगवाकर बिना उसकी इजाजत के बाजारी मूल्‍य पर बेचकर कोल्‍ड स्‍टोरेज का किराया एवं

 

-10-

अन्‍य देय वसूल करने का अधिकारी अपीलार्थी/विपक्षी होगा, परन्‍तु अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा आलू को बिक्री किये जाने का कथन नहीं किया गया है और न ही यह बताया गया है कि आलू कितने में बिका है। अपीलार्थी/विपक्षी कोल्‍ड स्‍टोरेज द्वारा आलू की बिक्री या निस्‍तारण उत्‍तर प्रदेश कोल्‍ड स्‍टोरेज विनियम अधिनियम 1976 की धारा-17 के प्राविधान का पालन कर सार्वजनिक नीलामी के द्वारा जिला उद्यान अधिकारी को पूर्व सूचना देकर किया जाना लिखित कथन में अभिकथित नहीं है और न ऐसा प्रमाणित होता है, जबकि स्‍वयं अपीलार्थी/विपक्षी के अनुसार जिला उद्यान अधिकारी ने दिनांक 30.11.2016 को निरीक्षण के समय आलू उचित पाया है। ऐसी स्थिति में आलू की बिक्री या निस्‍तारण अपीलार्थी/विपक्षी ने उत्‍तर प्रदेश कोल्‍ड स्‍टोरेज विनियम अधिनियम 1976 की  धारा-17 के प्राविधान के अनुसार न कर अपनी सेवा में स्‍पष्‍ट्या चूक की है।

उपरोक्‍त विवेचना एवं सम्‍पूर्ण तथ्‍यों और साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरान्‍त यह मानने हेतु उचित और युक्तिसंगत आधार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के 915 कट्टे आलू के सम्‍बन्‍ध में अपीलार्थी/विपक्षी ने अपनी सेवा में कमी की है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा पूर्व में प्राप्‍त आलू के खराब होने का प्रत्‍यर्थी/परिवादी के मौखिक कथन के अलावा और कोई साक्ष्‍य नहीं है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा पूर्व में प्राप्‍त आलू यदि खराब थे तो वह उसे जिला उद्यान अधिकारी अथवा कोल्‍ड स्‍टोरेज से सम्‍बन्धित अन्‍य अधिकारियों को

-11-

दिखाकर इस सम्‍बन्‍ध में शिकायत दर्ज करा सकता था अथवा आलू खराब होने का प्रमाण पत्र प्राप्‍त कर सकता था, परन्‍तु ऐसा कोई साक्ष्‍य पत्रावली पर नहीं है। अत: सम्‍पूर्ण तथ्‍यों एवं साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरान्‍त मैं इस मत का हूँ कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्राप्‍त 200 कट्टा आलू खराब होने की बावत उसके कथन पर विश्‍वास करने हेतु उचित आधार नहीं है।

जिला फोरम ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी के आलू का मूल्‍य प्रति कुन्‍टल 1017/-रू0 मानकर क्षतिपूर्ति का निर्धारण किया है। जिला फोरम द्वारा निर्धारित आलू का यह मूल्‍य अधिक है ऐसा अपीलार्थी/विपक्षी दर्शित करने में असफल रहा है। अत: उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी के 915 कट्टे आलू का मूल्‍य उपरोक्‍त दर से 4,65,786/-रू0 निर्धारित किया जाना उचित प्रतीत होता है। अत: उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर मैं इस मत                   का हूँ कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी को उसके 915 कट्टे आलू का मूल्‍य 4,65,786/-रू0 अपीलार्थी/विपक्षी से दिलाया जाना उचित है।

परिवाद पत्र के कथन से यह स्‍पष्‍ट है कि 240/-रू0 प्रति कुन्‍टल की दर से प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपना आलू अपीलार्थी/विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज में भण्‍डारित किया था। इस प्रकार कोल्‍ड स्‍टोरेज का किराया 1,09,920/-रू0 बनता है, जबकि अपीलार्थी/विपक्षी के अनुसार कोल्‍ड स्‍टोरेज का अवशेष किराया 1,32,276/-रू0 है। कोल्‍ड स्‍टोरेज का 915 कट्टा आलू का किराया अपीलार्थी/विपक्षी को दिया जाना प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने नहीं कहा  है।  अत:  प्रत्‍यर्थी/परिवादी  के

 

-12-

915 कट्टे आलू के उपरोक्‍त मूल्‍य 4,65,786/-रू0 में से कोल्‍ड स्‍टोरेज का प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा कथित दर से 1,09,920/-रू0 किराया समायोजित किया जाना उचित है। अत: कोल्‍ड स्‍टोरेज का किराया निकालकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी को आलू की क्षतिपूर्ति हेतु अपीलार्थी/विपक्षी से 3,55,866/-रू0 क्षतिपूर्ति दिलाया जाना उचित है।

जिला फोरम ने आदेशित धनराशि निर्णय की तिथि से एक माह के अन्‍दर अदा न करने पर निर्णय की तिथि के एक माह बाद की तिथि दिनांक 11.11.2017 से भुगतान की तिथि तक                   06 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज देने का आदेश दिया है। अत: उचित प्रतीत होता है कि अपीलार्थी/विपक्षी को आदेशित धनराशि अपील के निर्णय से एक माह के अन्‍दर अदा करने का                 अवसर प्रदान किया जाये और इस अवधि में आदेशित धनराशि अदा न करने पर जिला फोरम के आदेशानुसार उक्‍त तिथि                 दिनांक 11.11.2017 से अदायगी की ति‍थि तक आदेशित धनराशि पर 06 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज दिया जाये।

जिला फोरम ने जो 5000/-रू0 वाद व्‍यय प्रदान किया है, वह उचित है।

उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय व आदेश संशोधित करते हुए अपीलार्थी/विपक्षी कोल्‍ड स्‍टोरेज को आदेशित किया जाता है कि  वह  इस  निर्णय  की  तिथि  से

 

-13-

एक माह के अन्‍दर प्रत्‍यर्थी/परिवादी के 915 कट्टे आलू की क्षतिपूर्ति हेतु उसे 3,55,866/-रू0 अदा करे। यदि इस अवधि में भुगतान नहीं किया जाता है तो प्रत्‍यर्थी/परिवादी उपरोक्‍त धनराशि पर जिला फोरम के आदेशानुसार दिनांक 11.11.2017 से अदायगी की तिथि तक 06 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज पाने का अधिकारी होगा।

उपरोक्‍त के अतिरिक्‍त अपीलार्थी/विपक्षी कोल्‍ड स्‍टोरेज प्रत्‍यर्थी/परिवादी को जिला फोरम द्वारा आदेशित वाद व्‍यय की धनराशि 5000/-रू0 भी अदा करेगा।

अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जायेगी।

इस अपील में पारित अन्‍तरिम आदेश दिनांक 15.11.2017 के अनुपालन में यदि जिला फोरम के समक्ष 1,00,000/-रू0 अपीलार्थी/विपक्षी ने जमा किया है तो अर्जित ब्‍याज सहित यह धनराशि प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अवमुक्‍त की जायेगी।

 

 

               (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)           

                    अध्‍यक्ष             

 

 

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1    

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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