Uttar Pradesh

StateCommission

A/2004/458

Meerut Development Authority - Complainant(s)

Versus

Rajendra Kumar - Opp.Party(s)

Ram Raj

02 Feb 2009

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2004/458
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Meerut Development Authority
A
...........Appellant(s)
Versus
1. Rajendra Kumar
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखन

               अपील संख्‍या-458 /2004      मौखिक           

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, मेरठ द्वारा परिवाद सं0 364/2003 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 28-01-2004 के विरूद्ध)

मेरठ डेव्‍लपमेंट अथारिटी, मेरठ, द्वारा सेक्रेटरी।

                                           .अपीलार्थी/ विपक्षी                                                                                                                                                          

                          बनाम

श्री राजेन्‍द्र कुमार पुत्र श्री कान्‍ती प्रसाद, निवासी- 33, कूचा नील, मेरठ।

                                        ...प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

1- माननीय श्री आर0सी0 चौधरी, पीठासीन सदस्‍य।

2- माननीय श्री राज कमल गुप्‍ता, सदस्‍य,

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित:  श्री राम राज के सहयोगी श्री सर्वेश कुमार

                           शर्मा, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित  :  कोई नहीं।

दिनांक:15-04-2015

माननीय श्री राज कमल गुप्‍ता, सदस्‍य, द्वारा उदघोषित

निर्णय

      अपीलार्थी द्वारा यह अपील जिला उपभोक्‍ता फोरम मेरठ द्वारा परिवाद सं0 364/2003 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 28-01-2004 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई है, जिसके द्वारा यह आदेश पारित किया गया है कि एतद्द्वारा परिवादी का परिवाद स्‍वीकार किया जाता है तथा विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि वे परिवादी को उसके द्वारा जमा की ई राशि अंकन 11,000-00 रूपये जमा करने की तिथियों से भुगतान की तिथि तक पन्‍द्रह प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज के साथ एक माह में वापस करें। इसके अलावा तीन हजार रूपये बतौर हर्जाना एवं दो हजार रूपये इस परिवाद का व्‍यय अदा करें।

     संक्षेप में केस के तथ्‍य इस प्रकार से हैं कि परिवादी ने विपक्षी की शताब्‍दी नगर योजना के अर्न्‍तगत एक भवन दुर्बल आय वर्ग के लिये अंकन 3,000-00 दिनांक 16-09-1989 को जमा कराकर पंजीकरण कराया था।

 

(2)

उक्‍त योजना के अर्न्‍तगत श्रेणी डी के भवन की कीमत अंकन 33,000-00 रूपये निर्धारित की गई। विपक्षी द्वारा बिना आवंटन  किये आवंटन राशि  की मांग  की गई जो परिवादी ने दिनांक 16-11-1989 को अंकन  4,000-00 रूपये जमा करा दिये गये। उसके करीब तीन साल बाद परिवादी को एक पत्र प्राप्‍त हुआ कि जिसके अनुसार आवंटन राशि पुन: मांगी गई। परिवादी ने विपक्षी की मांग पर पुन: उक्‍त राशि 4,000-00 रूपये दिनांक 29-05-1992 को जमा करा दिये, परन्‍तु विपक्षी द्वारा मौके पर कोई सुविधा व विकास कार्य नहीं कराया गया। विपक्षी द्वारा इतनी कीमत बढ़ा दी गई कि योजना का उद्देश्‍य ही समाप्‍त हो गया, क्‍योंकि 700-00 रूपये प्रतिमाह आमदनी वाले व्‍यक्ति ही उक्‍त योजना में भवन प्राप्‍त करने के लिये पात्र थे। विपक्षी द्वारा परिवादी की जमा राशि अंकन 11,000-00 रूपये का 13-14 वर्षो तक लाभ उठाया गया और उसको कोई भवन उपलब्‍ध नहीं कराया गया। अत: परिवादी विपक्षी से अपनी जमा शुदा राशि मय ब्‍याज हर्जा-खर्चा वापस पाने का हकदार है।

     विपक्षी ने अपना उत्‍तर पत्र प्रस्‍तुत किया, जिसमें यह कथन किया है कि परिवादी द्वारा जिस प्रकार से कथन किया गया है, वह अस्‍वीकार है। परिवादी द्वारा तीन हजार रूपये जमा करके पंजीयन कराना स्‍वीकार किया गया है। परिवादी ने 4,000-00 रूपये जमा करने की रसीद कार्यालय में उपलब्‍ध नहीं कराई, इसलिए पुन: आवंटन राशि जमा करने हेतु विपक्षी द्वारा दिनांक 10-04-1992 को पत्र जारी किया गया। परिवादी को आवंटित भवन का विकास कार्य पूरा है। परिवादी द्वारा उक्‍त राशि जमा नही कराई गई। परिवादी द्वारा गलत तथ्‍यों पर वाद योजित किया गया है, जो हर हालत में खण्डित होने योग्‍य है।

 

 

(3)

     इस सम्‍बन्‍ध में अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री राम राज के सहयोगी श्री सर्वेश कुमार शर्मा, उपस्थित है। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क को सुना गया तथा जिला उपभोक्‍ता फोरम के निर्णय/आदेश दिनांकित-28-01-2004 का अवलोकन किया गया।

     केस के तथ्‍यों परिस्थितियों में एवं अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता को सुनने तथा जिला उपभोक्‍ता फोरम द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 28-01-2004 का अवलोकन करने के उपरान्‍त हम यह पाते है कि जिला उपभोक्‍ता फोरम द्वारा जो निर्णय/आदेश पारित किया गया है, वह न्‍यायसंगत है, उसमें कोई त्रुटि नहीं पाया जाता है। अत: अपीलकर्ता की अपील खारिज होने योग्‍य है।

आदेश

     अपीलकर्ता की अपील खारिज की जाती है तथा जिला उपभोक्‍ता फोरम मेरठ द्वारा परिवाद सं0 364/2003 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 28-01-2004 की पुष्टि की जाती है।

     उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

 

   (आर0सी0 चौधरी)                   ( राज कमल गुप्‍ता )

    पीठासीन सदस्‍य                         सदस्‍य

आर.सी.वर्मा, आशु. ग्रेड-2

कोर्ट नं0-5

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta]
MEMBER

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