राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तर प्रदेश, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-२५१६/२०००
(जिला उपभोक्ता फोरम/आयोग, गाजियाबाद द्धारा परिवाद सं0-१२४/१९९९ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक २६-०८-२००० के विरूद्ध)
मारूति उद्योग लिमिटेड द्वारा duly constituted attorney, ग्यारहवॉं तल, जीवन प्रकाश बिल्डिंग, २५, कस्तूरबा गांधी मार्ग, नई दिल्ली।
........... अपीलार्थी/विपक्षी सं0-१.
बनाम
१. राजेन्द्र कुमार त्यागी पुत्र श्री परमानन्द त्यागी, डी-१४६, सैक्टर-२३, राज नगर, गाजियाबाद, यू0पी0।
.................प्रत्यर्थी/परिवादी।
२. रोहन मोटर्स लि0, ४३२, मुकन्द नगर, जी0टी0 रोड, गाजियाबाद, यू0पी0।
.................प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-२.
समक्ष :-
१. मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
२. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :- श्री अंकित श्रीवास्तव विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित :- कोई नहीं।
दिनांक :- १४-११-२०२२.
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित।
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी द्वारा जिला उपभोक्ता फोरम/आयोग, गाजियाबाद द्धारा परिवाद सं0-१२४/१९९९ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक २६-०८-२००० के विरूद्ध योजित की गई है।
वाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी ने दिनांक ११-०५-१९९८ को विपक्षी सं0-१ मै0 मारूति उद्योग लि0 द्वारा निर्मित एक मारूति कार विपक्षी सं0-२ मै0 रोहन मोटर्स लि0, गाजियाबाद से खरीदी थी। इस मारूति वेन का नं0 यू0पी0-१४ एच/६३०० था तथा इसका इंजन नम्बर १६७९५७५ है। परिवादी के अनुसार उक्त वेन खरीद के दिनांक से ही इंजन में निर्माण सम्बन्धी तकनीकी कमियों के कारण सुचारू रूप
-२-
से नहीं चली। उक्त तकनीकी कमियों को दूर करने के लिए गाड़ी विपक्षी सं0-१ कम्पनी के अधिकृत वर्कशाप विपक्षी सं0-२ के यहॉं खड़ी रही। तकनीकी कमियॉं वारण्टी अवधि में आयीं। विपक्षी सं0-२ बार-बार प्रयास करने के बाबजूद उक्त तकनीकी कमियों को दूर करने में असफल रहा। गाड़ी अपेक्षित औसत से कम औसत भी दे रही थी। इंजन में वाइब्रेशन अधिक था वह बार-बार ठीक करवाने पर भी ठीक नहीं हुआ और ज्यों की त्यों बना रहा। दिनांक २८-०७-१९९७ को उक्त वाहन विपक्षी सं0-२ रोहन मोटर्स के यहॉं दिखाया गया जिसने परिवादी की अनुमति की पूर्व अनुमति के बिना इंजन को खोल दिया और सामान बदल दिया फिर भी गाड़ी ठीक नहीं हुई। चूँकि उक्त वाहन कई-कई दिनों तक विपक्षी के वर्कशाप में खड़ा रहा अत्एव परिवादी को अपने कारोबार में परेशानी हुई तथा उसे मानसिक पीड़ा भी हुई। विवश परिस्थितियों में परिवादी ने परिवाद विद्वान जिला फोरम के सम्मुख योजित किया।
विपक्षी सं0-१/अपीलार्थी मारूति उद्योग ने अपने लिखित कथन में कथन किया कि उसने परिवादी को एक वर्ष अथवा १६,००० कि0मी0 चलने की वारण्टी दी थी। उक्त् वारण्टी के अधीन परिवादी का वाहन बदला नहीं जा सकता है बल्कि वारण्टी कार्ड में वर्णित पार्ट्स की खराबी तथा बिना मूल्य बदलने व वेन को मरम्मत करने का दायित्व विपक्षी सं0-१ का है। विपक्षी सं0-२ ने प्रश्नगत वेन का इंजन नहीं खोला था बल्कि केवल इंजन के हैड पोर्सन को खोलकर आवश्यक पुर्जे जो मरम्मत के लिए आवश्यक थे बिना किसी मूल्य के परिवादी के वाहन में डाल दिए थे।
विपक्षी सं0-२ ने अपने लिखित कथन में परिवादी द्वारा दिनांक २८-०७-१९९८ को प्रश्नगत वेन को मरम्मत हेतु अपने यहॉं आना स्वीकार किया तथा यह भी स्वीकार किया कि उसने वाहन में आवश्यक सामान तथा पुर्जे डाले थे किन्तु इस तथ्य से इन्कार किया कि उसने उक्त कार्य के लिए इंजन खोला था। डाले गए सामान का कोई मूल्य लेने से भी उसने इन्कार किया। बिना किसी विशेषज्ञ राय के यह निर्धारित नहीं हो सकता कि वाहन में निर्माण सम्बन्धी कोई खराबी थी।
उभय पक्षकारों को सुनने एवं पत्रावली पर उपलब्ध समस्त साक्ष्यों पर विस्तार से विचार करने के उपरान्त उपलब्ध अभिलेखों के आधार पर जिला फोरम द्वारा निम्न
-३-
आदेश पारित किया गया :-
‘’ वादी का प्रस्तुत वाद आंशिक रूप से केवल विरोधी पक्षकार सं0-१ मारूति उद्योग जीवन प्रकाश, कस्तूरबा मार्ग, नई दिल्ली के विरूद्ध डिक्री एवं स्वीकार किया जाता है। विरोधी पक्षकार सं0-एक को आदेश दिया जाता है कि इस निर्णय के दो माह के अन्दर वादी के वाहन मारूति वेन के इंजन नं0 १६७९५७५ को बदल दे और वादी को उसके पते पर बदलने की तारीख व स्थान पंजीकृतडाक से सूचित कर दे। विरोधी पक्षकार सं0-एक वादी को ५०००/- रूपये बतौर मानसिक उत्पीड़न व ५००/- रूपये वाद व्यय के रूप में उपलब्ध करायेगा। वादी का प्रस्तुत वाद जहॉं तक विरोधी पक्षकार संख्या-२ का प्रश्न है, खारिज किया जाता है। ‘’
इस निर्णय से क्षुब्ध होकर प्रस्तुत अपील योजित की गई।
हमारे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री अंकित श्रीवास्तव को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों एवं प्रश्नगत निर्णय व आदेश का परिशीलन व परीक्षणण किया गया। प्रत्यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रस्तुत अपील विगत लगभग २२ वर्षों से लम्बित है। अपील पत्रावली पर उपलब्ध आदेश फलक के परिशीलन से यह स्पष्ट पाया गया कि प्रस्तुत अपील पूर्व में सुनवाई हेतु लगभग २५ तिथियों पर सूचीबद्ध हुई। प्रत्यर्थी/परिवादी को यद्यपि नोटिस भेजी गई परन्तु उसकी ओर से कोई उपस्थित नहीं है और न ही कोई प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया है।
दौरान् बहस अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री अंकित श्रीवास्तव द्वारा कथन किया गया कि प्रश्नगत वाहन में निर्माण सम्बन्धी तकनीकी खराबी का उल्लेख परिवादी द्वारा किया गया परन्तु कोई तकनीकी विशेषज्ञ की आख्या इस सम्बन्ध में विद्वान जिला फोरम के सम्मुख प्रस्तुत नहीं की गई और न ही अपीलीय स्तर पर कोई तकनीकी विशेषज्ञ आख्या प्रस्तुत की गई है। उन्होंने यह भी कथन किया कि वाहन पहली पेड सर्विस तक १०,९५५ कि0मी0 चल चुकी थी अत्एव वाहन में कोई निर्माण सम्बन्धी दोष नहीं था और जो भी कमियॉं वाहन में पाई गईं उनका निवारण अपीलार्थी के अधिकृत सर्विस सेण्टर पर किया गया।
अत्एव उपरोक्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए हम यह पाते हैं कि अपील
-४-
में बल प्रतीत होता है क्योंकि प्रत्यर्थी सं0-१/परिवादी द्वारा वस्तुत: वाहन में प्रारम्भ से ही निर्माण सम्बन्धी दोष को सिद्ध करने के लिए कोई तकनीकी विशेषज्ञ की आख्या न तो विद्वान जिला फोरम के सम्मुख प्रस्तुत की गई और न ही अपीलीय स्तर पर प्रस्तुत की गई है। तदनुसार विद्वान जिला फोरम द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश विधि सम्मत न होने के कारण अपास्त करते हुए प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
प्रमोद कुमार,
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-१,
कोर्ट नं0-१.