Uttar Pradesh

StateCommission

A/1998/2790

Unit Trust of India - Complainant(s)

Versus

Rajendra Agrwal - Opp.Party(s)

A. Moin

13 Aug 2015

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1998/2790
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Unit Trust of India
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Rajendra Agrwal
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Chandra Bhal Srivastava PRESIDING MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या– 2790/1998

 ( जिला उपभोक्‍ता फोरम पीलीभीत द्वारा परिवाद सं0-82/1997 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित-22-12-1997 के विरूद्ध)

  1. Unit Trust of India 13 Merchant Chambers Sir Vitja;das Thackersey Marg New Marine Lines, Mumbai-400 020
  2. Unit Trust of India Regency Plaza, 5 Park Road Lucknow- 226001

                                                      ..अपीलार्थीगण/विपक्षीगण

                                    बनाम

  1. Rajendra Agarwal Basant Colony, Near old Government Hospital, Distt. Pilibhit. U.P.
  2. Capital Investment & Financial Consultant Stock & Share Brokers, First Floor Handa Place, Station Road, Pilibhit (U.P)
  3. Goraw Kumar Shivaji Street Near H.P.O. Ferozabad- 283 208   

                                                 ...प्रत्‍यथीगण/परिवादीगण

 

समक्ष:-

माननीय श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्‍य।

माननीय श्रीमती बाल कुमारी, सदस्‍य।

अपीलकर्ता की ओर से उपस्थिति: श्री ए0 मुईन के सहयोगी श्री उमेश कुमार श्रीवास्‍तव,

                            विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थिति   : कोई नहीं।

दिनांक- .10-12-2015

माननीय श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्‍य, द्वारा उद्घोषित

निर्णय

      अपीलकर्ता ने यह अपील जिला उपभोक्‍ता फोरम पीलीभीत द्वारा परिवाद सं0-82/1997 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित-22-12-1997 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई है, जिसमें जिला उपभोक्‍ता फोरम के द्वारा निम्‍न आदेश पारित किया गया है:-

“परिवादी का परिवाद स्‍वीकार किया जाता है। परिवादी विपक्षीगण से मु0 6690-00 रूपये दिनांक 16-03-1993 से धन प्राप्‍त होने तक इस धनराशिपर 12 प्रतिशत साधारण ब्‍याज भी पाने का अधिकारी है। परिवादी प्रत्‍येक विपक्षी से पॉच-पॉच सौ रूपये क्षतिपूर्ति एवं खर्चे के रूप में भी पाने का अधिकारी है।” 

संक्षेप में केस के तथ्‍य इस प्रकार से है कि परिवादिनी ने दिनांक 16-03-1993 को यू0टी0आई0 की मास्‍टर प्‍लस स्‍कीम के 400 शेयर विपक्षी सं0-1 के द्वारा 22.30 रूपये प्रति शेयर की दर से खरीदा और इसका कुल धन 8920-00 रूपये विपक्षी सं0-1 को अदा कर दिया था। परिवादी ने उक्‍त 400 शेयर अपने नाम हस्‍तान्‍तरित कराने के लिए विपक्षी सं0-2 को दिनांक 11-10-1993 को भेजा। उसमें से मात्र 100 शेयर परिवादी के नाम हस्‍ता‍न्‍तरित होकर विपक्षी सं0-2 से दिनांक 18-01-1994 को प्राप्‍त हुए, परन्‍तु शेष 300 शेयर उसके नाम में

 

(2)

प्राप्‍त नहीं हुए। अतत: दिनांक 19-09-1996 को विपक्षी सं0-2 ने उसे सूचित किया कि इन तीन सौ शेयर के प्रथम खरीदार को डुप्‍लीकेट 300 शेयर जारी किये गये हैं, क्‍योंकि इन शेयरों के धारक ने अपने पत्र दिनांक 08-11-1994 द्वारा विपक्षी सं0-2 को अपने इन शेयरों के खो जाने की सूचना दी थी। तत्‍पश्‍चात परिवादी ने विपक्षी सं0-1 से सम्‍पर्क किया और उसे सब तथ्‍यों से अवगत कराया तो विपक्षीसं0-1 ने उसे विश्‍वास दिलाया और एक माह के अन्‍दर या तो डुप्‍लीकेट शेयर उसे दिलाएगा अथवा उसका धन उसे वापस दिलाएगा। इसके पश्‍चात विपक्षी सं0-1 परिवादी को टालता रहा। अन्‍तत: दिनांक 28-02-1997 को परिवादी ने विपक्षीसं0-1 को लिखित नोटिस दिया, परन्‍तु विपक्षी सं0-1 ने उसका कोई जवाब नहीं दिया।

जिला उपभोक्‍ता फोरम के समक्ष विपक्षी सं0-1 द्वारा प्रतिवाद पत्र दाखिल किया गया, जिसमें परिवादी को शेयर बेचा जाना स्‍वीकार किया गया है। यह भी कहा गया है कि शेयर हस्‍तांरण की कार्यवाही परिवादी ने स्‍वयं की और उसमें विपक्षी सं0-1 की कोई सहायता नहीं ली। अत: वह इसके लिए जिम्‍मेदार नहीं है। उसने यह भी कहा है कि यह वाद कालबाधित है, क्‍योंकि इस वाद को प्रस्‍तुत करने का कारण दिनांक 16-05-1993 को उत्‍पन्‍न हुआ है।

विपक्षीसं0-2 ने अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया और उसमें कथन किया है कि परिवादी द्वारा कथित रूप से 400 शेयर में से 100 शेयर मूल रूप से सिपरा विश्‍वास नाम के व्‍यक्ति को आवंटित किये गये थे और शेष 300 शेयर मूल रूप से आवंटन गौरव कुमार नाम के व्‍यक्ति को किया गया था, परिवादी के नाम 100 शेयर जो सिपरा विश्‍वास नाम के व्‍यक्ति के थे। वह हस्‍तान्‍तरित कर दिये गये है, परन्‍तु गौरव कुमार नाम के 300 शेयर उसके नाम हस्‍तांतरित नहीं हुए है, क्‍योंकि वह शेयर परिवादी को कभी प्राप्‍त नहीं हुए। इसके अतिरिक्‍त मूल आवंटी गौरव कुमार ने विपक्षी सं0-2 को सूचित किया कि उसके शेयर सर्टीफिकेट खो गये है। अत: उसे डुप्‍लीकेट शेयर अगस्‍त 1993 में जारी कर दिये गये थे। विपक्षी सं0-1 ही परिवादी को क्षतिपूर्ति के लिए जिम्‍मेदार है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता ए0 मुईन के सहयोगी श्री उमेश कुमार श्रीवास्‍तव को सुना गया। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। अपील आधार एवं जिला उपभोक्‍ता फोरम के निर्णय/आदेश का अवलोकन किया गया।

केस के तथ्‍यों परिस्थ्‍िातियों से यह स्‍पष्‍ट है कि उपरोक्‍त प्रकरण शेयर के खरीद-फरोख्‍त से सम्‍बन्धित है और जिला उपभोक्‍ता फोरम में पोषणीय नहीं है। जिला उपभोक्‍ता फोरम के द्वारा जो निर्णय/आदेश पारित किया गया है, वह विधि सम्‍मत् नहीं है और निरस्‍त किये जाने योग्‍य है। अपीलकर्ता की अपील स्‍वीकार होने योग्‍य है।

 

 

 

(3)

आदेश

तद्नुसार अपीलकर्ता की अपील स्‍वीकार की जाती है  तथा जिला उपभोक्‍ता फोरम पीलीभीत द्वारा परिवाद सं0-82/1997 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित-22-12-1997 को निरस्‍त किया जाता है।

      उभय पक्ष अपना-अपना अपील व्‍यय स्‍वयं वहन करेगें।

 

(आर0सी0 चौधरी)                               ( बाल कुमारी )

 पीठासीन सदस्‍य                                   सदस्‍य

आर.सी.वर्मा, आशु.

कोर्ट नं05

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Chandra Bhal Srivastava]
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