Gorav kumar filed a consumer case on 03 May 2018 against Rajeev Sons in the Muradabad-II Consumer Court. The case no is CC/28/2017 and the judgment uploaded on 15 May 2018.
Uttar Pradesh
Muradabad-II
CC/28/2017
Gorav kumar - Complainant(s)
Versus
Rajeev Sons - Opp.Party(s)
03 May 2018
ORDER
न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-द्वितीय, मुरादाबाद
परिवाद संख्या-28/2017
गौरव कुमार (एडवोकेट) आयु लगभग 32 वर्ष पुत्र श्री भगवान दास निवासी सम्राट अशोक नगर लाइनपार तहसील व जिला मुरादाबाद। ….परिवादी
बनाम
1-राजीव सन्स सिविल लाइन निकट पीएमएस स्कूल मुरादाबाद द्वारा इसके प्रोपराइटर।
2-मैसर्स माइक्रोसॉफ्ट सर्विस सेंटर शाखा सूरज इलेक्ट्रानिक्स नीम की प्याऊ बाजार गंज मुरादाबाद द्वारा इसके प्रोपराइटर।
3-माइक्रोसॉफ्ट कार्यो. इंडिया प्रा.लि. 10वीं मंजिल टॉवर वी एवं सी डीएलएफ बिल्डिंग नं.-5 (ईपीआईटीओएमई) डीएलएफ साइवर सिटी डीएलएफ फेस-3 गुडगांव-122002 द्वारा अपने प्रोपराइटर। ….विपक्षीगण
वाद दायरा तिथि: 27-02-2017 निर्णय तिथि: 03.05.2018
उपस्थिति
श्री पवन कुमार जैन, अध्यक्ष
श्री सत्यवीर सिंह, सदस्य
(श्री पवन कुमार जैन, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित)
निर्णय
इस परिवाद के माध्यम से परिवादी ने यह अनुतोष मांगा है कि विपक्षीगण से उसे परिवाद के पैरा-1 में उल्लिखित मोबाइल के बदले या तो नया मोबाइल दिलाया जाये अथवा मोबाइल का मूल्य अंकन-5200/-रूपये दिलाया जाये। क्षतिपूर्ति की मद में 10 हजार रूपये और परिवाद व्यय की मद में 10 हजार रूपये परिवादी ने अतिरिक्त मांगे हैं।
संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी ने दिनांक 23-4-2015 को माइक्रोसॉफ्ट कंपनी का एक मोबाइल विपक्षी-1 से अंकन-5200/-रूपये में खरीदा था। इस मोबाइल का विवरण परिवाद के पैरा-1 में है। मोबाइल की यद्यपि एक साल की वारंटी थी किन्तु खरीदने के बाद से ही मोबाइल में समस्याएं आने लगीं। चलते-चलते उसका स्विच अपने आप आफ हो जाता था, हैंग होकर बात करते-करते कट जाता था और उसमें आवाज भी सही नहीं आ रही थी। परिवादी ने विपक्षी-1 से शिकायत की, उसकी सलाह के अनुसार परिवादी ने मोबाइल को फुल चाजिंग पर लगाकर रखा किन्तु मोबाइल में समस्याएं पहले की तरह बनी रहीं। मई, 2016 में मोबाइल लेकर परिवादी विपक्षी-1 के पास गया, उसने परिवादी को सर्विस सेंटर पर जाने के लिए कहा। विपक्षी-2 मोबाइल का सर्विस सेंटर है, वहां जब परिवादी गया तो सर्विस सेंटर के कहने पर उसने मोबाइल ठीक करने के लिए वहीं छोड़ दिया। सर्विस सेंटर ने मांगने के बावजूद भी रसीद नहीं दी। 15-20 दिन बाद जब परिवादी ने मोबाइल वहां से लिया तब भी उसने सही काम नहीं किया और चलते-चलते बन्द हो जाता था। सर्विस सेंटर पर कई बार ले जाने के बावजूद मोबाइल ठीक नहीं हुआ, उसका टच पैनल भी ठीक से काम नहीं कर रहा था। परिवादी के अनुसार विपक्षी-1 ने उसे डिफेक्टिव मोबाइल दिया है। विपक्षीगण द्वारा सेवा प्रदान करने में कमी की है। परिवादी ने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाये जाने की प्रार्थना की।
परिवाद के साथ परिवादी द्वारा मोबाइल खरीदने की रसीद की छायाप्रति कागज सं.-3/4 दाखिल की।
विपक्षी-1 की ओर से शपथपत्र से समर्थित प्रतिवाद पत्र कागज सं.-5/1 लगायत 5/2 दाखिल हुआ, जिसमें प्रश्नगत मोबाइल परिवादी को बेचा जाना तो स्वीकार किया किन्तु शेष परिवाद कथनों से इंकार करते हुए अग्रेत्तर कथन किया कि उत्तरदाता विपक्षी-1 के विरूद्ध परिवादी को कोई वाद कारण उत्पन्न नहीं हुआ। परिवादी को सील्ड मोबाइल सही हालत में बेचा गया था, मोबाइल की शिकायत लेकर कभी भी परिवादी उत्तरदाता के पास नहीं आया, उसने परिवादी को सेवा प्रदान करने में कोई कमी नहीं की। विपक्षी-1 ने परिवाद को खारिज किये जाने का अनुरोध किया।
मोबाइल के सर्विस सेंटर विपक्षी-2 की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं.-6/1 लगायत 6/3 दाखिल हुआ, जिसमें कहा गया कि कभी भी परिवादी प्रश्नगत मोबाइल लेकर विपक्षी-2 के प्रतिष्ठान पर नहीं आया। परिवादी ने कोई जॉबशीट दाखिल नहीं की, जिससे प्रकट है कि परिवादी का यह कथन असत्य है कि वह मोबाइल लेकर विपक्षी-2 के पास आया था। परिवादी ने कभी भी विपक्षी-2 के पास मोबाइल की कोई शिकायत दर्ज नहीं करायी और परिवाद असत्य कथनों पर दायर किया गया है। विपक्षी-2 की ओर से परिवाद को खारिज किये जाने की प्रार्थना की गई।
मोबाइल की निर्माता कंपनी विपक्षी-3 की ओर से तामील के बावजूद कोई उपस्थित नहीं हुआ, उसकी ओर से कोई प्रतिवाद पत्र भी दाखिल नहीं हुआ। अतएव फोरम के आदेश दिनांक 05-10-2017 के अनुपालन में विपक्षी-3 के विरूद्ध परिवाद की सुनवाई एकपक्षीय की गई।
परिवादी ने अपना साक्ष्य शपथपत्र कागज सं.-8/1 लगायत 8/2 दाखिल किया।
विपक्षी-1 व 2 की ओर से पृथक से कोई साक्ष्य दाखिल नहीं हुआ।
हमने परिवादी और विपक्षी-1 व 2 के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
स्वीकृत रूप से विपक्षी-1 मोबाइल का विक्रेता है, उसके इस कथन का खण्डन परिवादी ने नहीं किया है कि उसने परिवादी को प्रश्नगत मोबाइल सील्ड हालत में बेचा था, ऐसी दशा में विपक्षी-1 के विरूद्ध परिवादी को वाद हेतुक उत्पन्न होना प्रमाणित नहीं है।
जहां तक विपक्षी-2 का प्रश्न है, उसके विरूद्ध परिवादी ने अपने साक्ष्य शपथपत्र में जो कथन किये हैं, उनका सशपथ खण्डन करने का विपक्षी-2 साहस नहीं कर पाये हैं, ऐसी दशा में परिवादी के सशपथ कथन कि मोबाइल में वारंटी पीरियड के दौरान ही परिवाद में उल्लिखित दोष उत्पन्न हो गये थे, जिनके निराकरण हेतु परिवादी कई बार विपक्षी-2 के पास गया किन्तु विपक्षी-2 के प्रयास के बावजूद मोबाइल ठीक नहीं हो पाया, पर अविश्वास किये जाने का कोई कारण दिखायी नहीं देता। मोबाइल में विद्यमान दोषों के संदर्भ में परिवादी द्वारा किये गये सशपथ कथनों का चूंकि विपक्षी-2 अथवा विपक्षी-3 की ओर से सशपथ कोई खण्डन नहीं आया है, ऐसी दशा में यह माने जाने का कारण है कि प्रश्नगत मोबाइल में प्रारम्भ से ही निर्माण संबंधी दोष थे। परिवादी को उक्त मोबाइल के बदले में उसकी कीमत विपक्षी-2 व 3 से ब्याज सहित दिलाया जाना न्यायोचित दिखायी देता है। तद्नुसार परिवाद स्वीकार होने योग्य है।
परिवाद योजित किये जाने की तिथि से वास्तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित अंकन-5200/-रूपये की वसूली हेतु यह परिवाद विपक्षी-2 व 3 के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। परिवादी इन विपक्षीगण से परिवाद व्यय की मद में अंकन-2500/-रूपये अतिरिक्त पाने का भी अधिकारी होगा। इस आदेशानुसार धनराशि प्राप्त करने से पूर्व परिवादी को परिवाद के पैरा-1 में उल्लिखित मोबाइल और उसकी एक्सेसरीज विपक्षी-2 व 3 को वापस करनी होगी।
(सत्यवीर सिंह)(पवन कुमार जैन)
अध्यक्ष
आज यह निर्णय एवं आदेश हमारे द्वारा हस्ताक्षरित तथा दिनांकित होकर खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।
(सत्यवीर सिंह)(पवन कुमार जैन)
अध्यक्ष
दिनांक: 03-05-2018
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