(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1785/2006
हिन्दुस्तान इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट एण्ड कम्प्यूटर स्टडीज, आगरा मथुरा रोड, फरह मथुरा तथा एक अन्य
बनाम
राजीव कुमार पुत्र श्री त्रिलोकी नाथ टेंगर, निवासी 350बी, चूनाकंकड़, मथुरा तथा एक अन्य
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री सुशील कुमार शर्मा के
सहायक श्री नन्द कुमार।
प्रत्यर्थी सं0-1 की ओर से उपस्थित : श्री ओ.पी. दुवेल।
प्रत्यर्थी सं0-2 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक : 10.05.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-107/2001, राजीव कुमार बनाम हिन्दुस्तान इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट एण्ड कम्प्यूटर स्टडीज तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, मथुरा द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 30.5.2006 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री सुशील कुमार शर्मा के सहायक श्री नन्द कुमार तथा प्रत्यर्थी सं0-1 के विद्वान अधिवक्ता श्री ओ.पी. दुवेल को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी सं0-2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवादी द्वारा विपक्षीगण के यहां जमा राशि अंकन 41,300/-रू0 इस आधार पर वापस करने का आदेश
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पारित किया है कि विपक्षीगण ने परिवादी से उक्त राशि जमा करा ली गयी है, परन्तु जिस संस्थान में दाखिल लिया गया था, उस संस्थान में पढ़ने से रोक दिया गया, क्योंकि परिवादी को 50 प्रतिशत से कम अंक प्राप्त हुए हैं। परिवाद में वर्णित तथ्यों का कोई खण्डन विपक्षीगण की ओर से नहीं किया गया है, इसलिए अखण्डनीय साक्ष्य के आधार यह धनराशि वापस लौटाने का आदेश पारित किया गया है। चूंकि अपीलार्थीगण को एक विशिष्ठ परीक्षा उत्तीर्ण किए बिना प्रवेश दने का अधिकार प्राप्त नहीं था, इसलिए अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर कार्य किया गया है। अत: इस स्थिति में विपक्षीगण को एक शैक्षिक संस्थान नहीं माना जा सकता और उनके द्वारा जो राशि अवैध रूप से प्राप्त की गयी है, उसे वापस लौटाने के आदेश में कोई अवैधानिकता नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
3. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाय।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2