(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-381/2001
मारूति उद्योग लिमिटेड, कारपोरेट आफिस, 11th फ्लोर, जीवन प्रकाश 25 के. जी. मार्ग, नई दिल्ली।
बनाम
श्री राजीव कृष्ण पुत्र स्व0 श्री के.एन. श्रीवास्तव, निवासी ए-216, इंदिरा नगर, लखनऊ तथा एक अन्य।
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री अंकित श्रीवास्तव,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0-1 की ओर से उपस्थित : श्री सतीश चन्द्र श्रीवास्तव,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0-2 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक : 16.10.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-7/1998, राजीव कृष्ण बनाम कानपुर ट्रैक्टर्स लि0 तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, द्वितीय लखनऊ द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 10.1.2001 के विरूद्ध यह अपील विपक्षी सं0-2 की ओर से प्रस्तुत की गई है।
2. विद्वान जिला आयोग ने विवादित गाड़ी में निर्माण संबंधी त्रुटि पाने पर नयी गाड़ी उपलब्ध कराने या गाड़ी की कीमत वापस लौटाने का आदेश विपक्षी सं0-2, निर्माता कंपनी के विरूद्ध
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पारित किया है तथा अंकन 10,000/-रू0 भी अदा करने का आदेश दिया है।
3. उपरोक्त निर्णय के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री अंकित श्रीवास्तव तथा प्रत्यर्थी सं0-1 की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री सतीश चन्द्र श्रीवास्तव उपस्थित हुए। प्रत्यर्थी सं0-2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। अपीलार्थी एवं प्रत्यर्थी सं0-1 के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
4. प्रत्यर्थी सं0-1/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि उन्हें विद्वान जिला आयोग के आदेश के अनुक्रम में वाहन की कीमत प्राप्त हो चुकी है, इसलिए विवाद को समाप्त करने के उद्देश्य से अंकन 10,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति के आदेश को समाप्त किया जा सकता है। चूंकि स्वंय प्रत्यर्थी सं0-1/परिवादी इस तथ्य को स्वीकार कर रहे हैं कि उन्हें वांछित अनुतोष प्राप्त हो चुका है, इसलिए अंकन 10,000/-रू0 को समाप्त करने का आदेश पारित करना उचित है। तदनुसार प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
5. प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 10.1.2001 इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2 द्वारा अंकन 10,000/-रू0 (दस हजार रूपये) देय नहीं होंगे। साथ ही ब्याज 15 प्रतिशत के स्थान पर 6 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से देय होगा।
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उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3