Uttar Pradesh

Muradabad-II

cc/59/2013

Chaudhary Rajendra Singh - Complainant(s)

Versus

Rajdhani Telecom - Opp.Party(s)

24 Jul 2015

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum -II
Moradabad
 
Complaint Case No. cc/59/2013
 
1. Chaudhary Rajendra Singh
Chamber No. 418 Hawalaat Road Sanik Kalyan Office Court Compound Moradabad
...........Complainant(s)
Versus
1. Rajdhani Telecom
Budha Bazar In Front Of Andhra Bank Moradabad
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्‍यक्ष

  1.   विपक्षीगण से नया मोबाइल दिलाऐ जाने हेतु परिवादी ने यह परिवाद योजित किया है। मानसिक एवं आर्थिक क्षति की मद में विपक्षीगण से उसने 50,000/- रूपया तथा परिवाद व्‍यय की मद में 10,000/-रूपया विपक्षीगण से अतिरिक्‍त मांगे हैं।
  2.   संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी ने विपक्षी सं0-3 के माध्‍यम  से दिनांक 17/05/2012 को स्‍पाइस कम्‍पनी का मोबाइल सैट 1,999/- रूपये में खरीदा था। मोबाइल विपक्षी सं0-3 ने परिवादी को कोरियर के जरिये भिजवाया। मोबाइल की डिलिवरी के समय परिवादी को मोबाइल का बिल नहीं दिया गया। परिवादी को बताया गया था कि वारण्‍टी एक साल की है। विपक्षी सं0-1, स्‍पाइस कम्‍पनी का स्‍थानीय सेवा प्रदाता है। दिनांक 04/08/2015 को मोबाइल के चार्जिग  सिस्‍टम में खराबी आयी जिसे सही कराने के लिए परिवादी विपक्षी सं0-1 के पास  आया तब विपक्षी सं0-1 ने बिल की मांग की। चॅूंकि परिवादी को बिल उपलब्‍ध नहीं हुआ था अत: तत्‍काल वह बिल की कापी विपक्षी सं0-1 को नहीं दे सका। विपक्षी सं0-1 के यह कहने पर कि इस समय परिवादी अपने खर्चे पर मोबाइल ठीक करा लें बिल आने पर धनराशि वापिस कर दी जाऐगी, परिवादी ने मोबाइल ठीक कराया। परिवादी ने 250/- रूपये का भुगतान किया। परिवादी के अनुरोध पर विपक्षी सं0-3 ने दिनांक 10/08/2012 को मोबाइल का बिल उपलब्‍ध कराया। बिल लेकर परिवादी विपक्षी सं0-1 के पास गया और रिपेयर हेतु परिवादी से लिये गये 250/- रूपये वापिस देने की मांग की तो परिवादी को बताया गया कि यह धनराशि विपक्षी सं0-2 द्वारा परिवादी को सीधे भेज दी जायेगी। परिवादी के अनुसार उसे उक्‍त राशि वापिस नहीं की गयी। 28 फरवरी, 2013 को मोबाइल में पुन: तकनीकी खराबी आयी। विपक्षी सं0-1 के पास जाने पर उसने परिवादी से पुन: 250/- रूपये की मांग की। परिवादी के अनुसार मोबाइल वारण्‍टी अवधि में था। बिना पैसे लिये मोबाइल को ठीक करने से विपक्षी सं0-1 ने इन्‍कार कर दिया और इस प्रकार परिवादी को सेवा प्रदान करने में कमी की गयी। परिवादी ने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
  3.   विपक्षी सं0-1 ने प्रतिवाद पत्र कागज सं0-8/1 लगायत 8/4 दाखिल किया। विपक्षी सं0-1 ने प्रतिवाद पत्र में परिवादी के इस कथन से इन्‍कार नहीं किया है कि वह विपक्षी सं0-4 का स्‍थानीय प्रतिनिधि है। उसने दिनांक 04/08/2012 को 250/- रूपये शुल्‍क लेकर परिवादी का मोबाइल ठीक करने के तथ्‍यों को स्‍वीकार किया है, किन्‍तु विपक्षी द्वारा परिवाद में अपने विरूद्ध लगाऐ गऐ आरोपों से इन्‍कार किया है। उत्‍तरदाता विपक्षी सं0-1 के अनुसार परिवादी ने उसे मोबाइल क्रय करने का बिल नहीं दिखाया था, यदि उसे बिल दिखाया जाता तो वह वारण्‍टी अवधि में औपचारिकताऐं पूरी कर नि:शुल्‍क सेवायें प्रदान करता। परिवादी का यह कथन असत्‍य  हैं कि मोबाइल रिपेयर राशि प्राप्‍त करते समय परिवादी से कहा गया था कि बिल  दिखाने पर उसे रिपेयर हेतु ली गई राशि वापिस कर दी जायेगी। परिवादी कभी भी उसके पास बिल लेकर नहीं आया। 28 फरवरी, 2013 को उत्‍तरदाता विपक्षी के पास  आया हो और उससे मोबाइल की कोई शिकायत परिवादी ने की हो परिवादी का ऐसा कथन मिथ्‍या है। यदि परिवादी आया होता तो जॉब शीट बनाकर उसका मोबाइल नि:शुल्‍क  ठीक  किया  गया  होता।  उत्‍तरदाता  विपक्षी  ने  यह  कहते हुऐ कि परिवादी को नियमानुसार सेवा प्रदान करने में कोई कमी नहीं की गई, परिवाद को खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की।
  4.   विपक्षी सं0-3 ने अपना उत्‍तर पत्र कागज सं0-9/1 लगायत 9/7 दाखिल किया। विपक्षी सं0-3 के अनुसार विपक्षी सं0-1 मोबाइल का अधिकृत सर्विस सेन्‍टर है यदि मोबाइल में कोई निर्माण सम्‍बन्‍धी दोष है तो उसे दूर करने की जिम्‍मेदारी विपक्षी सं0-1 की थी। विपक्षी सं0-3 के स्‍तर से परिवादी को सेवा प्रदान करने में कोई   कमी नहीं की गयी। उत्‍तरदाता विपक्षी सं0-3 चॅूंकि नोएडा में व्‍यवसाय करता है अत: इस फोरम को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है। विपक्षी सं0-3 की  ओर से अपने विरूद्ध परिवाद को सव्‍यय खारिज किये जाने की प्रार्थना की गयी।
  5.   विपक्षी सं0-2 ने प्रतिवाद पत्र कागज सं0-19/1 लगायत 19/6 दाखिल  किया। उत्‍तरदाता विपक्षी सं0-2 के अनुसार उसके विरूद्ध परिवादी को कोई वाद हेतुक उत्‍पन्‍न नहीं हुआ, वह प्रश्‍नगत मोबाइल का न तो निर्माता है और न ही उसका  अधिकृत सर्विस सेन्‍टर है ऐसी दशा में उसे अनावश्‍यक रूप से पक्षकार बनाया गया है। विपक्षी सं0-1 चॅूंकि मोबाइल का अधिकृत सर्विस सेन्‍टर है अत: मोबाइल में आयीं कमियों को दूर करने की जिम्‍मेदारी विपक्षी सं0-1 की थी। विपक्षी सं0-2 ने अपने विरूद्ध परिवाद को सव्‍यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की। 
  6.   विपक्षी सं0-4 की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-33/1 लगायत 33/5 प्रस्‍तुत   किया गया। परिवाद के अनुसार विपक्षी सं0-4  परिवादी द्वारा खरीदे गये मोबाइल की निर्माता कम्‍पनी है। विपक्षी सं0-4 की ओर से कहा गया है कि परिवादी ने उसे ब्‍लैकमेल करने और अनुचित लाभ प्राप्‍त करने हेतु असत्‍य कथनों के आधार पर यह परिवाद योजित किया है। अग्रेत्‍तर कथन किया गया है कि खरीदे गये मोबाइल की मोबाइल खरीदने की तारीख से एक वर्ष के लिए लिमिटिड वारण्‍टी  थी जो वारण्‍टी में उल्लिखित शर्तों के अधीन थी। वारण्‍टी केवल निर्माण सम्‍बन्‍धी   दोषों की बाबत थी।  मोबाइल की टूट-फूट की कोई वारण्‍टी नहीं थी। परिवादी के मोबाइल में चार्जिग जैक की जो समस्‍या आयी थी वह वारण्‍टी से कवर नहीं थी ऐसी दशा में बिना शुल्‍क दिये परिवादी का मोबाइल ठीक किये जाने का  कोई उत्‍तरदायित्‍व  उनका नहीं था। विपक्षी सं0-4 की ओर से परिवाद को खारिज किये जाने की प्रार्थना की गयी।
  7.   परिवाद के साथ परिवादी द्वारा मोबाइल खरीदे जाने  की रसीद, विपक्षी सं0-1 का अधिकृत सर्विस सेन्‍टर होने विषयक लिष्‍ट, विपक्षी सं0-3 द्वारा दिनांक  04/08/2012 को रिपेयरिंग की मद में चार्ज किये गये 250/- रूपये की रसीद तथा  परिवादी द्वारा खरीदे गये दूसरे मोबाइल की रसीद की फोटो प्रतियों को दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0- 3/5 लगायत 3/13 हैं। परिवादी ने सूची कागज सं0-23/4 के माध्‍यम से मोबाइल खरीद की असल रसीद, रिपेयर हेतु विपक्षी सं0-1 को दिये गये  250/-  रूपये की असल रसीद और स्‍पाइस कम्‍पनी  के अधिकृत सर्विस सेन्‍टरों की लिस्‍ट को दाखिल किया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-23/5 लगायत 23/7 हैं।
  8.   परिवादी ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-23/1 लगायत 23/3 दाखिल  किया। विपक्षी सं0-1 की ओर से विपक्षी सं0-1 के मालिक श्री शाहनवाज ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-24 प्रस्‍तुत किया। विपक्षी सं0-3 की ओर से उनके अधिकृत प्रतिनिधि श्री सचिन देव का साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-25/1 लगायत 25/5 तथा विपक्षी सं0-2 की ओर से उनके अधिकृत प्रतिनिधि श्री संजीव मेहरा ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-26/1 लगायत 26/5 प्रस्‍तुत किया। विपक्षी सं0-4 ने अवसर दिये जाने के बावजूद साक्ष्‍य शपथ पत्र प्रस्‍तुत नहीं किया।
  9.   परिवादी ने प्रत्‍युत्‍तर में रिज्‍वांइडर शपथ पत्र कागज सं0-27/1 लगायत 27/2  दाखिल किया।
  10.   परिवादी तथा विपक्षी सं0-1, 2 एवं 3 ने अपनी-अपनी लिखित बहस दाखिल  की। विपक्षी सं0-4 ने लिखित बहस दाखिल नहीं की।
  11.   हमने परिवादी तथा विपक्षी सं0-1 के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया। विपक्षी सं0-2, 3 एवं विपक्षी सं0-4 की ओर से बहस हेतु कोई उपस्थित नहीं हुऐ।
  12.   परिवादी अधिवक्‍ता है उसने अपनी बहस स्‍वयं की। परिवादी का कथन है कि यदि उसे विपक्षी सं0-1 द्वारा संतोषप्रद सेवा प्रदान की गई होती तो मात्र 1,999/- रूपये के मोबाइल का मुकदमा वह फोरम के समक्ष दायर नहीं करता। परिवादी ने विपक्षी सं0-4 द्वारा दाखिल वारण्‍टी की शर्तों कागज सं0-33/6 की ओर हमारा ध्‍यान आकर्षित किया और कहा कि इन शर्तों में उल्‍लेख है कि मोबाइल की उसे खरीदने की तारीख से एक साल की वारण्‍टी थी। मोबाइल 17/5/2012 को खरीदा गया जैसा कि इनवाइस 3/10 से प्रकट है। परिवादी का तर्क है कि मोबाइल के चार्जिग सिस्‍टम  में खराबी आने की बजह से वह दिनांक 4/8/2012 को मोबाइल ठीक कराने के लिए  विपक्षी सं0-1 के पास गया था। मोबाइल यधपि वारण्‍टी अवधि में था फिर भी उससे 250/- रूपये चार्ज कर लिये गये दोबारा खराबी आने पर 28 फरवरी, 2013 को वह पुन: मोबाइल लेकर विपक्षी सं0-1 के पास गया तो पुन: उससे रिपेयर के लिए  250/- रूपये की मांग की गयी, उस समय भी मोबाइल वारण्‍टी अवधि में था। ​परिवादी के अनुसार उपरोक्‍त कृत्‍यों से प्रकट है कि विपक्षी सं0-1 ने परिवादी को सेवा प्रदान करने में कमी की।
  13.   विपक्षी सं0-2 और विपक्षी सं0-3 दोनों ने अपने-अपने प्रतिवाद पत्र में यह कथन किया कि विपक्षी सं0-1 मोबाइल का सेवा प्रदाता है। इस बात की पुष्टि परिवादी द्वारा दाखिल कागज सं0-3/11, जिसकी असल कागज सं0-23/5 है, से होती है। विपक्षी सं0-1 ने अपने प्रतिवाद पत्र में दिनांक 04/8/2012 को परिवादी को मोबाइल रिपेयर किया जाना और 250/- रूपया रिपेयर चार्ज लिया जाना तो स्‍वीकार किया है किन्‍तु परिवादी के इस कथन से इन्‍कार किया है कि 28 फरवरी, 2013 को परिवादी मोबाइल की शिकायत लेकर पुन: विपक्षी सं0-1 के पास आया  था। यधपि परिवादी ने अपने रिज्‍वाइंडर शपथ पत्र कागज सं0-27/11 में अपने परिवाद कथनों की पुन: पुष्टि की है, किन्‍तु यदि तर्क के लिए यह मान भी लिया जाये कि 28 फरवरी, 2013 को परिवादी मोबाइल ठीक कराने विपक्षी सं0-1 के पास नहीं गया था तब भी पत्रावली पर जो साक्ष्‍य सामग्री उपलब्‍ध है उससे यह प्रमाणित है  कि विपक्षी सं0-1 ने परिवादी को सेवा प्रदान करने में लापरवाही और कमी की थी। च्
  14.   विपक्षी सं0-1 ने अपने प्रतिवाद पत्र में परिवादी का मोबाइल रिपेयर के लिए दिनांक 04/8/2012 को 250/- रूपया चार्ज किया जाना स्‍वीकार किया है, कारण उसने यह बताया है कि परिवादी ने मांगने पर मोबाइल की रसीद नहीं दिखाई थी  जिस कारण परिवादी को नि:शुल्‍क सेवा नहीं दी गयी। परिवादी ने बहस के दौरान कहा कि मोबाइल उसने कोरियर से मंगाया था। विपक्षी सं0-3 ने बाद में उसे मोबाइल की रसीद भेजी। मोबाइल खरीदने की असल इनवायस पत्रावली का कागज सं0-23/6 है जिसकी नकल परिवादी ने अपने परिवाद पत्र के साथ कागज सं0-3/10 के रूप  में दाखिल की है। यदि दिनांक 04/8/2012 को विपक्षी सं0-1 द्वारा परिवादी से 250/- रूपया चार्ज किये जाने के कारण मोबाइल की रसीद न दिखाया जाना था तो विपक्षी सं0-1 से अपेक्षित था कि परिवाद की सुनावाई के दौरान वह परिवादी को उससे चार्ज किये गये 250/- रूपया वापिस करने का प्रस्‍ताव करता, किन्‍तु विपक्षी सं0-1  ने ऐसा नहीं किया बल्कि वह पूरी प्रतिष्‍ठा के साथ इस परिवाद का प्रतिवाद कर रहा है। यदि विपक्षी सं0-1 ने 250/-  रूपया  वापिस  करने  का प्रस्‍ताव  इस परिवाद की सुनवाई के दौरान किया होता तो हम यह मान सकते थे कि दिनांक 04/8/2012 को 250/- रूपया चार्ज किये जाने का कारण परिवादी द्वारा रसीद न दिखाया जाना था। विपक्षी  सं0-1 द्वारा 250/- रूपया वापसी  का प्रस्‍ताव न किया  जाना  और वारण्‍टी अवधि में होते हुऐ भी परिवादी से 250/- रूपया रिपेयर के चार्ज किया जाना सेवा प्रदान करने में कमी किया जाना दर्शाता है। हमारे मत में मोबाइल के चार्जिग जैक में उत्‍पन्‍न कमी के फलस्‍वरूप अभिकथित रूप से चार्जिग जैक में किया गया रिप्‍लेसमेंट निर्माण सम्‍बन्‍धी दोष है। यधपि प्रति पक्ष की ओर यह कहा गया है कि मोबाइल फिजिकली डेमेज्‍ड था, किन्‍तु इस कथन के समर्थन में विपक्षी सं0-1 कोई प्रमाण प्रस्‍तुत करने में असफल रहा है। स्‍वीकृत रूप से यह सेवा में कमी का मामला है और सेवा में कमी विपक्षी सं0-1 व विपक्षी सं0-4 के स्‍तर से होना पाया गया है।
  15.   उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर हम इस निष्‍कर्ष पर पहुँचे हैं कि विपक्षी सं0-1 व विपक्षी सं0-4 के विरूद्ध परिवाद सव्‍यय स्‍वीकार होने योग्‍य है। परिवादी को मोबाइल की कीमत तथा क्षतिपूर्ति की मद में 5,000/- (पाँच हजार रूपया) और  परिवाद व्‍यय की मद में 2,500/- (दो हजार पाँच सौ रूपया) दिलाया जाना हम  न्‍यायोचित समझते हैं।                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                       आदेश                                                                                                                                                                                                                                                                                                                           विपक्षी सं0-1 व विपक्षी सं0-4 के विरूद्ध परिवाद सव्‍यय स्‍वीकार किया जाता है। परिवाद योजित किये जाने की तिथि से वास्‍तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित मोबाइल की कीमत 1,999/- (एक हजार नौ  सौ निन्‍यानवें रूपया) विपक्षी सं0-1 व विपक्षी सं0-4 से पाने का परिवादी अधिकारी है। विपक्षी सं0-1 व विपक्षी सं0-4 से परिवादी 2,500/- (दो  हजार पाँच सौ  रूपया) परिवाद व्‍यय की मद में तथा 5,000/- (पाँच हजार रूपया) क्षतिपूर्ति की मद में अतिरिक्‍त पाने का अधिकारी होगा। यह धनराशि प्राप्‍त करने से पूर्व परिवादी परिवाद  के पैरा सं0-1 में उल्लिखित मोबाइल विपक्षी सं0-1 को वापिस करेगा। इस आदेश का अनुपालन 2 माह में सुनिश्‍चत किया जाये। 

 

     (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)                   (पवन कुमार जैन)

        सामान्‍य सदस्‍य                           अध्‍यक्ष

     जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद                      जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

        24.07.2015                         24.07.2015

 

  1.  

     हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 24.07.2015 को खुले फोरम में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।

 

    (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)                   (पवन कुमार जैन)

        सामान्‍य सदस्‍य                         अध्‍यक्ष

     जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद                      जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

        24.07.2015                         24.07.2015

 

 

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