Uttar Pradesh

StateCommission

A/1999/502C

M/S Ansal Housing - Complainant(s)

Versus

Rajavji Tiwari - Opp.Party(s)

Anil Kumar Srivastava

01 Nov 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1999/502
( Date of Filing : 27 Feb 1999 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. M/s Ansal Housing
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Ragavji Tiwari
a
...........Respondent(s)
First Appeal No. A/1999/502A
( Date of Filing : 04 May 1999 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Ansal Housing
1
...........Appellant(s)
Versus
1. Miss Crista Wesley
a
...........Respondent(s)
First Appeal No. A/1999/502B
( Date of Filing : 21 Feb 1999 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. M/S Ansal Housing
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Shahad Chandra Tiwari
a
...........Respondent(s)
First Appeal No. A/1999/502C
( Date of Filing : 05 May 1999 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. M/S Ansal Housing
Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. Rajavji Tiwari
Lucknow
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 01 Nov 2021
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

                                                     

अपील सं0 :- 502/1999

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, द्वितीय लखनऊ द्वारा परिवाद सं0- 457/1995 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 18/01/1999 के विरूद्ध)

 

मेसर्स अंसल हाउसिंग एण्‍ड कन्‍स्‍ट्रक्‍शन लिमिटेड हेविंग इटस ब्रांच आफिस एट सपरू मार्ग, लखनऊ

  1.                                                                                     अपीलार्थी  

बनाम

 

श्रीमती चन्‍द्र मैसी वर्मा पत्‍नी आर0एस0एन0 वर्मा, निवासी द्वितीय/36-बी, नार्थन रेलवे, हॉस्पिटल कॉलोनी चारबाग, लखनऊ।

  •                                                                                                 प्रत्‍यर्थी

समक्ष

  1. मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष
  2. मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य

उपस्थिति:

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:-       कोई नहीं

प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:-         कोई नहीं

दिनांक:- 29.11.2021     

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

  •           

 

         प्रस्‍तुत अपील सर्वश्री अंसल हाउसिंग एण्‍ड कन्‍स्‍ट्रक्‍शन लिमिटेड द्वारा इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांकित 18.01.1999 के विरूद्ध प्रस्‍तत की गयी है:-

-2-

     संक्षेप में प्रस्‍तुत वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा  एक अनुबंध 11.07.1989 किया था। भवन का कुल मूल्‍य 1,47,000/- रूपये निश्चित हुआ था। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के अनुसार 1990 के अंत तक अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा कब्‍जा दिया जाना था, कब्‍जा देने में विपक्षी द्वारा विलम्‍ब किया गया और 27.06.1995 को कब्‍जा दिया गया।

          अपीलार्थी/विपक्षी का कथन है कि भवन का निर्माण करने में विलम्‍ब इ‍सलिए हुआ कि लखनऊ विकास प्राधिकरण ने 1991 में प्‍लान में परिवर्तन कर दिया। अनुबंध की शर्तों के अनुसार इस परिवर्तन के 1.5 वर्ष के अन्‍दर उसे भवन का निर्माण पूरा करना था। परिवादिनी को कब्‍जा तब तक नहीं दिया जा सकता था जब तक कि प्राधिकरण द्वारा विक्रय पत्र निष्‍पादित न कर दिया जाये। विक्रय पत्र का निबंधन अप्रैल 1995 में परिवादिनी ने कराया। अत: कब्‍जा देने में विलम्‍ब नहीं हुआ,जो धनराशियां परिवादिनी से ली गयी हैं वह शर्तों के अनुसार ली गयी है। अत: परिवादिनी कोई भी धनराशि वापस पाने की अधिकारिणी नहीं है। अतएव उपरोक्‍त शिकायतकर्ता द्वारा रूपये 25,000/- क्षतिपूर्ति एवं 2,000/- वाद व्‍यय शिकायत मत्र के माध्‍यम से मांगा गया। उभय पक्ष के अधिवक्‍ता अनुपस्थित हैं। प्रस्‍तुत अपील लगभग 25 वर्षों से लम्बित है।

           हमारे द्वारा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का परिशीलन किया गया था। विद्धान जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश में इंगित तथ्‍यों को अवलोकित करने के उपरान्‍त  निम्‍न तथ्‍य पाये गये यह कि अपीलार्थी कम्‍पनी की ओर से यह स्‍पष्‍ट नहीं किया गया कि उसने विकास कार्य कब शुरू किया तथा निर्माण कार्य की स्‍वीकृति उसे कब प्राप्‍त हुई जो शर्त समझौते पत्र में अंकित की गयी थी। उसका भी पालन अपीलार्थी/विपक्षी कम्‍पनी द्वारा सुनिश्चित नहीं किया गया तथा यह कि लखनऊ विकास प्राधिकरण के माध्‍यम से निबंधन कार्यवाही पूरी हो जाने के पश्‍चात अपीलार्थी/विपक्षी कम्‍पनी द्वारा कब्‍जा दिया जाने का कथन किया गया।

           हमारे द्वारा यह पाया गया कि अनुबंध की शर्तों से यही निष्‍कर्ष निकलता है कि समयान्‍तर्गत निर्माण पूरा करके कब्‍जा देने का आश्‍वासन अपीलार्थी निर्माता कम्‍पनी द्वारा दिया गया था परंतु अपीलार्थी कम्‍पनी द्वारा समय से विकास व निर्माण पूरा करने के लिए प्रर्याप्‍त व्‍यवस्‍था नहीं की गयी।

-3-

    विद्धान जिला फोरम द्वारा अपीलार्थी निर्माता कम्‍पनी को यह निर्देश दिया गया कि वह तीन माह में परिवादिनी को स्‍वीकृत मानचित्र प्राप्‍त करा दे तथा प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को 27,036 रूपये तथा जमा की तिथि से 18 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज तथा 1,47,000/- रूपये पर 01.01.1994 से 26.05.1995 तक 18 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज, 5,000/- रूपये क्षतिपूर्ति व 2,000/- रूपये वाद व्‍यय के रूप में अदा करें अन्‍यथा उपरोक्‍त समस्‍त धनराशि पर 02 प्रतिशत मासिक ब्‍याज देय होगा। हमारे द्वारा उपरोक्‍त जिला फोरम द्वारा पारित उपरोक्‍त निर्णय एवं आदेश का समुचित परिशीलन किया गया। पत्रावली पर उपलब्‍ध प्रपत्र तथा विद्धान जिला फोरम द्वारा उपरोक्‍त आदेश में किसी प्रकार की कोई त्रुटि नहीं पायी गयी। उपरोक्‍त आदेश का समर्थन किया जाता है। तदनुसार अपील खारिज की जाती है।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

 

(न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)(विकास सक्‍सेना)

  •  

संदीप आशु0 कोर्ट 1

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

                                                     

अपील सं0 :- 502ए/1999

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, द्वितीय लखनऊ द्वारा परिवाद सं0- 456/1995 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 18/01/1999 के विरूद्ध)

 

मेसर्स अंसल हाउसिंग एण्‍ड कन्‍स्‍ट्रक्‍शन लिमिटेड हेविंग इटस ब्रांच आफिस एट सपरू मार्ग, लखनऊ

  1.                                                                                     अपीलार्थी  

बनाम

 

क्रिस्‍टा वेसली, पुत्री रेव0एस0 वेसली निवासी द्वितीय/36-बी, नार्थन रेलवे, हॉस्पिटल कॉलोनी चारबाग लखनऊ।

  •                                                                                                 प्रत्‍यर्थी

समक्ष

  1. मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष
  2. मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य

उपस्थिति:

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:-       कोई नहीं

प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:-         कोई नहीं

दिनांक:- 29.11.2021     

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

  •           

 

         प्रस्‍तुत अपील सर्वश्री अंसल हाउसिंग एण्‍ड कन्‍स्‍ट्रक्‍शन लिमिटेड द्वारा इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांकित 18.01.1999 के विरूद्ध प्रस्‍तत की गयी है:-

 

-2-

     संक्षेप में प्रस्‍तुत वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा  एक अनुबंध 11.07.1989 किया था। भवन का कुल मूल्‍य 1,47,000/- रूपये निश्चित हुआ था। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के अनुसार 1990 के अंत तक अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा कब्‍जा दिया जाना था, कब्‍जा देने में विपक्षी द्वारा विलम्‍ब किया गया और 27.06.1995 को कब्‍जा दिया गया।

          अपीलार्थी/विपक्षी का कथन है कि भवन का निर्माण करने में विलम्‍ब इ‍सलिए हुआ कि लखनऊ विकास प्राधिकरण ने 1991 में प्‍लान में परिवर्तन कर दिया। अनुबंध की शर्तों के अनुसार इस परिवर्तन के 1.5 वर्ष के अन्‍दर उसे भवन का निर्माण पूरा करना था। परिवादिनी को कब्‍जा तब तक नहीं दिया जा सकता था जब तक कि प्राधिकरण द्वारा विक्रय पत्र निष्‍पादित न कर दिया जाये। विक्रय पत्र का निबंधन अप्रैल 1995 में परिवादिनी ने कराया। अत: कब्‍जा देने में विलम्‍ब नहीं हुआ,जो धनराशियां परिवादिनी से ली गयी हैं वह शर्तों के अनुसार ली गयी है। अत: परिवादिनी कोई भी धनराशि वापस पाने की अधिकारिणी नहीं है। अतएव उपरोक्‍त शिकायतकर्ता द्वारा रूपये 25,000/- क्षतिपूर्ति एवं 2,000/- वाद व्‍यय शिकायत मत्र के माध्‍यम से मांगा गया। उभय पक्ष के अधिवक्‍ता अनुपस्थित हैं। प्रस्‍तुत अपील लगभग 25 वर्षों से लम्बित है।

         हमारे द्वारा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का परिशीलन किया गया था। विद्धान जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश में इंगित तथ्‍यों को अवलोकित करने के उपरान्‍त निम्‍न तथ्‍य पाये गये यह कि अपीलार्थी कम्‍पनी की ओर से यह स्‍पष्‍ट नहीं किया गया कि उसने विकास कार्य कब शुरू किया तथा निर्माण कार्य की स्‍वीकृति उसे कब प्राप्‍त हुई जो शर्त समझौते पत्र में अंकित की गयी थी। उसका भी पालन अपीलार्थी/विपक्षी कम्‍पनी द्वारा सुनिश्चित नहीं किया गया तथा यह कि लखनऊ विकास प्राधिकरण के माध्‍यम से निबंधन कार्यवाही पूरी हो जाने के पश्‍चात अपीलार्थी/विपक्षी कम्‍पनी द्वारा कब्‍जा दिया जाने का कथन किया गया।

           हमारे द्वारा यह पाया गया कि अनुबंध की शर्तों से यही निष्‍कर्ष निकलता है कि समयान्‍तर्गत निर्माण पूरा करके कब्‍जा देने का आश्‍वासन अपीलार्थी निर्माता कम्‍पनी द्वारा दिया गया था परंतु अपीलार्थी कम्‍पनी द्वारा समय से विकास व निर्माण पूरा करने के लिए प्रर्याप्‍त व्‍यवस्‍था नहीं की गयी।

-3-

    विद्धान जिला फोरम द्वारा अपीलार्थी निर्माता कम्‍पनी को यह निर्देश दिया गया कि वह तीन माह में परिवादिनी को स्‍वीकृत मानचित्र प्राप्‍त करा दे तथा प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को 27,036 रूपये तथा जमा की तिथि से 18 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज तथा 1,47,000/- रूपये पर 01.01.1994 से 26.05.1995 तक 18 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज, 5,000/- रूपये क्षतिपूर्ति व 2,000/- रूपये वाद व्‍यय के रूप में अदा करें अन्‍यथा उपरोक्‍त समस्‍त धनराशि पर 02 प्रतिशत मासिक ब्‍याज देय होगा। हमारे द्वारा उपरोक्‍त जिला फोरम द्वारा पारित उपरोक्‍त निर्णय एवं आदेश का समुचित परिशीलन किया गया। पत्रावली पर उपलब्‍ध प्रपत्र तथा विद्धान जिला फोरम द्वारा उपरोक्‍त आदेश में किसी प्रकार की कोई त्रुटि नहीं पायी गयी। उपरोक्‍त आदेश का समर्थन किया जाता है। तदनुसार अपील खारिज की जाती है।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

 

(न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)(विकास सक्‍सेना)

  •  

संदीप आशु0 कोर्ट 1

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

                                                     

अपील सं0 :- 502बी/1999

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, द्वितीय लखनऊ द्वारा परिवाद सं0- 458/1995 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 18/01/1999 के विरूद्ध)

 

मेसर्स अंसल हाउसिंग एण्‍ड कन्‍स्‍ट्रक्‍शन लिमिटेड हेविंग इटस ब्रांच आफिस एट सपरू मार्ग, लखनऊ

  1.                                                                                     अपीलार्थी  

बनाम

 

शरद चन्‍द्र तिवारी पुत्र श्री पी0एन0 तिवारी निवासी हाउस नं0 280 सेक्‍टर एन आशियाना कॉलोनी कानपुर रोड़ स्‍कीम लखनऊ।

  •                                                                                                 प्रत्‍यर्थी

समक्ष

  1. मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष
  2. मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य

उपस्थिति:

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:-       कोई नहीं

प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:-         कोई नहीं

दिनांक:- 29.11.2021     

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

  •           

 

         प्रस्‍तुत अपील सर्वश्री अंसल हाउसिंग एण्‍ड कन्‍स्‍ट्रक्‍शन लिमिटेड द्वारा इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांकित 18.01.1999 के विरूद्ध प्रस्‍तत की गयी है:-

 

-2-

     संक्षेप में प्रस्‍तुत वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि शिकायतकर्ता राघव जी तिवारी एवं शरद चन्‍द्र तिवारी द्वारा जो कि सगे भाई हैं, द्वारा अपीलार्थी कम्‍पनी से एक-एक भवन क्रय करने हेतु माह अक्‍टूबर नवम्‍बर 89 में बुकिंग करायी गयी, जिसमें श्री राघव जी तिवारी द्वारा 1,86,000/- रूपये तथा शरद चन्‍द्र तिवारी द्वारा 1,72,000/- रूपये की राशि तय हुई। बुकिंग राशि का 10 प्रतिशत बुकिंग के समय जमा किया गया तथा शिकायतकर्ता राघव जी द्वारा 19.03.1990 को 75 प्रतिशत मूल्‍य तथा शरद चन्‍द्र द्वारा द्वारा 19.04.1990 को उपरोक्‍त 75 प्रतिशत प्राप्‍त कराया गया। विपक्षी अपीलार्थी द्वारा उपरोक्‍त क्रेताओं को भवन का      कब्‍जा मार्च 91 तक देना थ परंतु अपीलार्थी/विपक्षी कम्‍पनी द्वारा 09/12.1992 को परिवादी शिकायतकर्ता राघव जी से 40,460/- रूपये विभिन्‍न मदों के अंतर्गत जमा करने हेतु आदेशित किया, जिसका विरोध आवण्टि द्वारा किया गया तथा यह कथन किया गया कि बाकी के बचे 5 प्रतिशत की धनराशि उपरोक्‍त शिकायतकर्ता/आवण्‍टक को अपीलार्थी/विपक्षी कम्‍पनी द्वारा कब्‍जा देने के समय देय थी।

          अपीलार्थी कम्‍पनी द्वारा यह कथन किया गया कि चूंकि उपरोक्‍त आवण्टित फ्लैट में निर्माण लागत में वृद्धि हो गयी थी अतएव उसके द्वारा अतिरिक्‍त धनराशि की मांग की गयी, जबकि शिकायतकर्ता द्वारा यह कथन किया गया कि कब्‍जा देने में अपीलार्थी कम्‍पनी द्वारा विरोध किया गया तथा जमा धनराशि पर ब्‍याज शर्तों से अधिक प्राप्‍त किया गया था एवं स्‍वीकृत मानचित्र दिलाये जाने के मद में भी धनराशि प्राप्‍त की गयी। अतएव उपरोक्‍त शिकायतकर्ता द्वारा रूपये 25,000/- क्षतिपूर्ति एवं 2,000/- वाद व्‍यय शिकायत मत्र के माध्‍यम से मांगा गया। उभय पक्ष के अधिवक्‍ता अनुपस्थित हैं। प्रस्‍तुत अपील लगभग 23 वर्षों से लम्बित है। हमारे द्वारा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का परिशीलन किया गया था। विद्धान जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश में इंगित तथ्‍यों को अवलोकित करने के उपरान्‍त निम्‍न तथ्‍य पाये गये यह कि अपीलार्थी कम्‍पनी की ओर से यह स्‍पष्‍ट नहीं किया गया कि उसने विकास कार्य कब शुरू किया तथा निर्माण कार्य की स्‍वीकृति उसे कब प्राप्‍त हुई जो शर्तें समझौते पत्र में अंकित की गयी थी उसका भी पालन विपक्षी कम्‍पनी द्वारा सुनिश्चित नहीं किया गया तथा यह कि लखनऊ विकास प्राधिकरण के माध्‍यम से निबंधन कार्यवाही पूरी हो जाने के पश्‍चात विपक्षी कम्‍पनी द्वारा कब्‍जा दिया जाने का कथन किया गया।

-3-

             हमारे द्वारा यह पाया गया कि अनुबंध की शर्तों से यही निष्‍कर्ष निकलता है कि बुकिंग से 1.5 वर्ष में निर्माण पूरा करके कब्‍जा देने का आश्‍वासन अपीलार्थी निर्माता कम्‍पनी द्वारा दिया गया था क्‍योंकि लिखित शर्तों के अनुसार मूल्‍य का 10 प्रतिशत बुकिंग के समय 75 प्रतिशत बुकिंग से एक माह की अवधि में तथा 5 प्रतिशत कब्‍जा के समय देना था। अपीलार्थी कम्‍पनी द्वारा जारी की गयी स्‍कीम के अंतर्गत्‍ मूल्‍य का 10 प्रतिशत के अंतर्गत छूट दिया जाना था जबकि शिकायतकर्तागण द्वारा लगभग 95 प्रतिशत मूल समय की अवधि में प्रदान किया गया परंतु अपीलार्थी कम्‍पनी द्वारा समय से विकास व निर्माण पूरा करने के लिए प्रर्याप्‍त व्‍यवस्‍था नहीं की गयी। विद्धान जिला फोरम द्वारा अपीलार्थी निर्माता कम्‍पनी को यह निर्देश दिया गया कि वह तीन माह में दोनों परिवादीगण को स्‍वीकृत मानचित्र प्राप्‍त करा दे तथा परिवादी राघव जी तिवारी को 25,844 रूपये 47 पैसे तथा उसकी जमा की तिथि से 18 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज की दर से 01 वर्ष का ब्‍याज व रूपये 7,000/- अदा करे अन्‍यथा उपरोक्‍त समस्‍त धनराशि पर 02 प्रतिशत मासिक ब्‍याज देय होगा। इस तरह परिवादी शरद चन्‍द्र तिवारी को 48,769 रूपये 93 पैसे तथा उस पर जमा की तिथि से 18 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज तथा उसके द्वारा जमा किये गये मूल्‍य 1,72,000/- रूपये पर 01 वर्ष से 18 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज व 7,000/- रूपये अदा करें। अन्‍यथा इस समस्‍त राशि पर 02 प्रतिशत ब्‍याज देय होगा।

        हमारे द्वारा उपरोक्‍त जिला फोरम द्वारा पारित उपरोक्‍त निर्णय एवं आदेश का समुचित परिशीलन किया गया। पत्रावली पर उपलब्‍ध प्रपत्र तथा विद्धान जिला फोरम द्वारा उपरोक्‍त आदेश में किसी प्रकार की कोई त्रुटि नहीं पायी गयी। उपरोक्‍त आदेश का पूर्णत: समर्थन किया जाता है। तदनुसार अपील खारिज की जाती है।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

 

(न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)(विकास सक्‍सेना)

  •  

संदीप आशु0 कोर्ट 1

 

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

                                                     

अपील सं0 :- 502सी/1999

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, द्वितीय लखनऊ द्वारा परिवाद सं0- 455/1995 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 18/01/1999 के विरूद्ध)

 

मेसर्स अंसल हाउसिंग एण्‍ड कन्‍स्‍ट्रक्‍शन लिमिटेड हेविंग इटस ब्रांच आफिस एट सपरू मार्ग, लखनऊ

  1.                                                                                     अपीलार्थी  

बनाम

 

राघव जी तिवारी पुत्र श्री पी0एन0 तिवारी निवासी हाउस नं0 279 सेक्‍टर एन आशियाना कॉलोनी कानपुर रोड़ स्‍कीम लखनऊ।

  •                                                                                                 प्रत्‍यर्थी

समक्ष

  1. मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष
  2. मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य

उपस्थिति:

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:-       कोई नहीं

प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:-         कोई नहीं

दिनांक:- 29.11.2021     

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

  •           

         प्रस्‍तुत अपील सर्वश्री अंसल हाउसिंग एण्‍ड कन्‍स्‍ट्रक्‍शन लिमिटेड द्वारा इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांकित 18.01.1999 के विरूद्ध प्रस्‍तत की गयी है:-

-2-

     संक्षेप में प्रस्‍तुत वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि शिकायतकर्ता राघव जी तिवारी एवं शरद चन्‍द्र तिवारी द्वारा जो कि सगे भाई हैं, द्वारा अपीलार्थी कम्‍पनी से एक-एक भवन क्रय करने हेतु माह अक्‍टूबर नवम्‍बर 89 में बुकिंग करायी गयी, जिसमें श्री राघव जी तिवारी द्वारा 1,86,000/- रूपये तथा शरद चन्‍द्र तिवारी द्वारा 1,72,000/- रूपये की राशि तय हुई। बुकिंग राशि का 10 प्रतिशत बुकिंग के समय जमा किया गया तथा शिकायतकर्ता राघव जी द्वारा 19.03.1990 को 75 प्रतिशत मूल्‍य तथा शरद चन्‍द्र द्वारा द्वारा 19.04.1990 को उपरोक्‍त 75 प्रतिशत प्राप्‍त कराया गया। विपक्षी अपीलार्थी द्वारा उपरोक्‍त क्रेताओं को भवन का      कब्‍जा मार्च 91 तक देना थ परंतु अपीलार्थी/विपक्षी कम्‍पनी द्वारा 09/12.1992 को परिवादी शिकायतकर्ता राघव जी से 40,460/- रूपये विभिन्‍न मदों के अंतर्गत जमा करने हेतु आदेशित किया, जिसका विरोध आवण्‍टी द्वारा किया गया तथा यह कथन किया गया कि बाकी के बचे 5 प्रतिशत की धनराशि उपरोक्‍त शिकायतकर्ता/आवण्‍टक को अपीलार्थी/विपक्षी कम्‍पनी द्वारा कब्‍जा देने के समय देय थी।

          अपीलार्थी कम्‍पनी द्वारा यह कथन किया गया कि चूंकि उपरोक्‍त आवण्टित फ्लैट में निर्माण लागत में वृद्धि हो गयी थी अतएव उसके द्वारा अतिरिक्‍त धनराशि की मांग की गयी, जबकि शिकायतकर्ता द्वारा यह कथन किया गया कि कब्‍जा देने में अपीलार्थी कम्‍पनी द्वारा विरोध किया गया तथा जमा धनराशि पर ब्‍याज शर्तों से अधिक प्राप्‍त किया गया था एवं स्‍वीकृत मानचित्र दिलाये जाने के मद में भी धनराशि प्राप्‍त की गयी। अतएव उपरोक्‍त शिकायतकर्ता द्वारा रूपये 25,000/- क्षतिपूर्ति एवं 2,000/- वाद व्‍यय शिकायत मत्र के माध्‍यम से मांगा गया। उभय पक्ष के अधिवक्‍ता अनुपस्थित हैं। प्रस्‍तुत अपील लगभग 23 वर्षों से लम्बित है। हमारे द्वारा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का परिशीलन किया गया था। विद्धान जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश में इंगित तथ्‍यों को अवलोकित करने के उपरान्‍त निम्‍न तथ्‍य पाये गये यह कि अपीलार्थी कम्‍पनी की ओर से यह स्‍पष्‍ट नहीं किया गया कि उसने विकास कार्य कब शुरू किया तथा निर्माण कार्य की स्‍वीकृति उसे कब प्राप्‍त हुई जो शर्तें समझौते पत्र में अंकित की गयी थी उसका भी पालन विपक्षी कम्‍पनी द्वारा सुनिश्चित नहीं किया गया तथा यह कि लखनऊ विकास प्राधिकरण के माध्‍यम से निबंधन कार्यवाही पूरी हो जाने के पश्‍चात विपक्षी कम्‍पनी द्वारा कब्‍जा दिया जाने का कथन किया गया।

-3-

             हमारे द्वारा यह पाया गया कि अनुबंध की शर्तों से यही निष्‍कर्ष निकलता है कि बुकिंग से 1.5 वर्ष में निर्माण पूरा करके कब्‍जा देने का आश्‍वासन अपीलार्थी निर्माता कम्‍पनी द्वारा दिया गया था क्‍योंकि लिखित शर्तों के अनुसार मूल्‍य का 10 प्रतिशत बुकिंग के समय 75 प्रतिशत बुकिंग से एक माह की अवधि में तथा 5 प्रतिशत कब्‍जा के समय देना था। अपीलार्थी कम्‍पनी द्वारा जारी की गयी स्‍कीम के अंतर्गत्‍ मूल्‍य का 10 प्रतिशत के अंतर्गत छूट दिया जाना था जबकि शिकायतकर्तागण द्वारा लगभग 95 प्रतिशत मूल समय की अवधि में प्रदान किया गया परंतु अपीलार्थी कम्‍पनी द्वारा समय से विकास व निर्माण पूरा करने के लिए प्रर्याप्‍त व्‍यवस्‍था नहीं की गयी। विद्धान जिला फोरम द्वारा अपीलार्थी निर्माता कम्‍पनी को यह निर्देश दिया गया कि वह तीन माह में दोनों परिवादीगण को स्‍वीकृत मानचित्र प्राप्‍त करा दे तथा परिवादी राघव जी तिवारी को 25,844 रूपये 47 पैसे तथा उसकी जमा की तिथि से 18 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज की दर से 01 वर्ष का ब्‍याज व रूपये 7,000/- अदा करे अन्‍यथा उपरोक्‍त समस्‍त धनराशि पर 02 प्रतिशत मासिक ब्‍याज देय होगा। इस तरह परिवादी शरद चन्‍द्र तिवारी को 48,769 रूपये 93 पैसे तथा उस पर जमा की तिथि से 18 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज तथा उसके द्वारा जमा किये गये मूल्‍य 1,72,000/- रूपये पर 01 वर्ष से 18 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज व 7,000/- रूपये अदा करें। अन्‍यथा इस समस्‍त राशि पर 02 प्रतिशत ब्‍याज देय होगा।

         हमारे द्वारा उपरोक्‍त जिला फोरम द्वारा पारित उपरोक्‍त निर्णय एवं आदेश का समुचित परिशीलन किया गया। पत्रावली पर उपलब्‍ध प्रपत्र तथा विद्धान जिला फोरम द्वारा उपरोक्‍त आदेश में किसी प्रकार की कोई त्रुटि नहीं पायी गयी। उपरोक्‍त आदेश का पूर्णत: समर्थन किया जाता है। तदनुसार अपील खारिज की जाती है।

  आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें। 

 

 

 

(न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                       (विकास सक्‍सेना)                           

      अध्‍यक्ष                                    सदस्‍य

संदीप आशु0 कोर्ट 1

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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