Rajasthan

Churu

46/2014

Kishan Lal - Complainant(s)

Versus

Rajasthan Watar Solusation - Opp.Party(s)

DRS

16 Dec 2014

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 46/2014
 
1. Kishan Lal
S/o Mohan Lal Meghwal Civel Line Churu
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Shiv Shankar PRESIDENT
  Subash Chandra MEMBER
  Nasim Bano MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

प्रार्थी की ओर से श्री धन्नाराम सैनी अधिवक्ता उपस्थित।  अप्रार्थी की ओर से कोई भी उपस्थित नहीं। प्रार्थी अधिवक्ता एक पक्षीय बहस सुनी गई। प्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में परिवाद के तथ्यों केा दौहराते हुए तर्क दिया कि प्रार्थी ने अप्रार्थी से एक एक्यूफ्रेश एम.ई.जी./सी. माॅडल का 8500 रूपये मंे दिनांक 15.04.2013 को जरिये बिल संख्या 679 से खरीद किया था। अप्रार्थी ने उक्त एक्यूफ्रेश पर एक साल की गारण्टी दी थी अर्थात् एक्यूफ्रेश में किसी भी प्रकार की कोई दोष होने पर निःशुल्क ठीक किया जावेगा या नया बदल कर दिया जावेगा। प्रार्थी अधिवक्ता ने तर्क दिया कि उक्त एक्यूफ्रेश दो माह बाद ही खराब हो गया जिसकी शिकायत प्रार्थी ने अप्रार्थी को की। जिसने आश्वासन दिया कि शीघ्र ही कम्पनी का मेकेनीक आयेगा और प्रार्थी का उक्त एक्यूफ्रेश ठीक करवा दिया जावेगा। परन्तु प्रार्थी के बार-बार निवेदन करने के बावजूद प्रार्थी का एक्यूफ्रेश ठीक करने हेतु कोई मेकेनिक नहीं आया और ना ही अप्रार्थी ने एक्यूफ्रेश कम्पनी का पूर्ण पता प्रार्थी को दिया। अप्रार्थी ने अपने द्वारा विक्रित एक्यूफ्रेश की एक साल की गारण्टी दी थी। खराब होने पर ठीक नहीं किया। अप्रार्थी का उक्त कृत्य स्पष्ट रूप से सेवादोष है। इसलिए प्रार्थी अधिवक्ता ने परिवाद स्वीकार करने का तर्क दिया। अप्रार्थी बावजूद तामिल मंच में उपस्थित नहीं होने पर दिनांक 21.05.2014 को अप्रार्थी के विरूद्ध एक पक्षीय कार्यवाही अमल में लायी गयी।

           प्रार्थी की ओर से परिवाद के समर्थन में स्वंय का शपथ-पत्र, बिल दिनांक 15.04.2013 दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया है। पत्रावली का ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। मंच का निष्कर्ष निम्न प्रकार है।

           प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत बिल दिनांक 15.04.2013 का अवलोकन किया गया। उक्त बिल दिनांक 15.04.2013 को अप्रार्थी ने प्रार्थी के नाम से जारी करते हुए एक्यूफ्रेश की एक साल की गारण्टी अंकित की है। जो प्रार्थी के साक्ष्य अनुसार दो माह में ही खराब हो गया। प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत अभिवचन व साक्ष्य अप्रार्थी की अनुपस्थिति के कारण अखण्डनीय रही है। इसलिए प्रार्थी के अभिवचन व साक्ष्य को नहीं मानने का कोई आधार नहीं है। परन्तु प्रकरण में प्रार्थी ने एक्यूफ्रेश की निर्माता कम्पनी को पक्षकार नहीं बनाया क्योंकि अप्रार्थी ने प्रार्थी को निर्माता कम्पनी का पूर्ण पता नहीं बताया। एक्यूफ्रेश में कोई निर्माण सम्बंधी दोष है ऐसी भी कोई साक्ष्य पत्रावली पर नहीं है। प्रार्थी को विक्रित एक्यूफ्रेश 2 माह में ही खराब हो गया जिसको अप्रार्थी द्वारा ठीक न करना अप्रार्थी का सेवादोष है। इसलिए प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थी के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।

           अतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थी के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकार किया जाकर उसे आदेश दिया जाता है कि वह प्रार्थी के एक्यूफ्रेश को प्रस्तुत करने पर उसे ठीक करे। अप्रार्थी को यह भी आदेश दिया जाता है कि वह प्रार्थी को 1,500 रूपये मानसिक क्षतिपूर्ति व 1,500 रूपये परिवाद व्यय के रूप में भी अदा करे। अप्रार्थी उक्त आदेश की पालना आदेश की दिनांक से 2 माह के अन्दर-अन्दर करेगा। पत्रावली फैसला शुमार होकर दाखिल दफ्तर हो।

 

 
 
[HON'BLE MR. Shiv Shankar]
PRESIDENT
 
[ Subash Chandra]
MEMBER
 
[ Nasim Bano]
MEMBER

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