Rajasthan

Nagaur

177/2013

Smt. Rameshwari Devi - Complainant(s)

Versus

Rajasthan State - Opp.Party(s)

Sh. Dinesh Heda

25 Jan 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 177/2013
 
1. Smt. Rameshwari Devi
Ramsar,Nagaur
...........Complainant(s)
Versus
1. Rajasthan State
Collector,Nagaur
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Brijlal Meena PRESIDENT
 HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya MEMBER
 HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya MEMBER
 
For the Complainant:Sh. Dinesh Heda, Advocate
For the Opp. Party: Sh. Gopalram Godara, Advocate
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर

 

परिवाद सं. 177/2013

 

रामेष्वरी पत्नी हनुमान विष्नोई, जाति- विष्नोई, निवासी- रामसर, तहसील-जायल व जिला- नागौर (राज.)।                                                                                                                                                                 -परिवादी     

बनाम

 

1.            राजस्थान राज्य जरिये जिला कलक्टर, नागौर।

2.            मुख्य चिकित्सा अधिकारी, चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, नागौर।

3.            डाॅ. जयकरण चारण, जे.के. हाॅस्पीटल, डीडवाना रोड, नागौर।

4.            आईसीआईसीआई लोम्बार्ड इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड जरिये षाखा प्रबन्धक, भगवती भवन, दूसरी मंजिल, पीएल मोटर्स, एमआई रोड, जयपुर (राज.)।

                               

               

                                      -अप्रार्थीगण

 

समक्षः

1. श्री बृजलाल मीणा, अध्यक्ष।

2. श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।

3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।

 

उपस्थितः

1.            श्री दिनेष हेडा, अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।

2.            श्री हनुमानराम पोटलिया, अधिवक्ता, वास्ते अप्रार्थीगण।

 

    अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986

 

                      आ  दे  ष                      दिनांक 25.01.2016

 

 

1.            परिवाद-पत्र के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादिया ने राजस्थान सरकार के चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के नसबंदी कार्यक्रम के अन्तर्गत दिनांक 16.12.2006 को नसबंदी आॅपरेषन करवाया। जिसका केस कार्ड संख्या 8/12 है। नसबंदी के बाद अप्रार्थी संख्या 1 के द्वारा हस्ताक्षरित व मोहर अंकित कर नसबंदी प्रमाण-पत्र दिया गया।

आॅपरेषन के बाद परिवादिया के पांचवी संतान पैदा हो गई, नसबंदी आॅपरेषन असफल हो गया। पांचवी संतान का पालन-पोशण करना कठिन हो गया। परिवादिया को भारी आर्थिक व मानसिक यातना से गुजरना पड रहा है।

अप्रार्थी संख्या 2 के समक्ष क्षतिपूर्ति के लिए निवेदन किया। विधिक नोटिस भी दिया परन्तु क्षतिपूर्ति राषि नहीं दी गई।

उक्त आॅपरेषन दिनांक 16.12.2006 को अप्रार्थी संख्या 1 व 2 के अधीन पंजीकृत अप्रार्थी संख्या 3 के हाॅस्पीटल में अप्रार्थी संख्या 3 के द्वारा ही किया गया। नसबंदी प्रमाण-पत्र चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवाद कल्याण विभाग राजस्थान सरकार द्वारा मुद्रित करवाकर अप्रार्थी संख्या 3 के हस्ताक्षर व मोहर द्वारा जारी किया गया। नसबंदी आॅपरेषन असफल होने की स्थिति में राज्य सरकार के द्वारा अप्रार्थी संख्या 4 से एक बीमा पाॅलिसी ली हुई है। इसके तहत नसबंदी आॅपरेषन असफल होने की सूरत में क्षतिपूर्ति राषि का भुगतान अप्रार्थी संख्या 4 के द्वारा किया जाना है।

परिवादिया को पांचवी अनचाही संतान को 21 वर्श तक लालन-पालन करना पडेगा जिसके अन्तर्गत भोजन, वस्त्र, षिक्षा व दवा पर 1500/- रूपये प्रतिमाह के हिसाब से 3,78,000/- कम से कम व्यय करने पडेंगे। अन्य खान-खुराक व उच्च षिक्षा आदि पर कुल 5,38,000/- रूपये पर खर्च करने पडेंगे। अतः उक्त समस्त रकम मय ब्याज व हर्जा-खर्चा के अप्रार्थीगण से दिलाई जावे।

 

2.            अप्रार्थी संख्या 1 व 2 का जवाब संक्षेप में निम्न हैः- परिवार नियोजन के प्रमाण-पत्र पर अप्रार्थी संख्या 1 के हस्ताक्षर नहीं है। प्रार्थिया द्वारा राजस्थान सरकार के चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम के तहत यह नसबंदी नहीं करवाई गई है। अप्रार्थी संख्या 3 राज्य सरकार के अधीन पंजीकृत नहीं थे। सरकार की योजना के अनुसार नसबंदी कार्यक्रम में अप्रार्थी संख्या 3 पंजीकृत नहीं था।

यदि प्रार्थिया द्वारा गर्भवती होने की समय पर सम्बन्धित चिकित्सक को सूचना दी जाती तो बच्चा उत्पन्न करने से बचा जा सकता था।

 

3.            अप्रार्थी संख्या 3 की ओर से षपथ-पत्र पेष किया गया।

 

4.            बहस उभय पक्षकारान सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अध्ययन एवं मनन किया गया। जहां तक परिवादिया का नसबंदी आॅपरेषन के बाद पांचवी संतान को जन्म देने का प्रष्न है। पत्रावली पर उपलब्ध दस्तावेजात प्रदर्ष 2 से भली भांति प्रमाणित है। इसका कोई खण्डन अप्रार्थीगण की ओर से नहीं हो सका है।                                                                         जहां तक परिवादिया रामेष्वरी का राजस्थान सरकार के चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अधीन अधिकृत चिकित्सक अप्रार्थी संख्या 3 द्वारा नसबंदी किये जाने का प्रष्न है। प्रदर्ष 1 से इस बात की पुश्टि होती है कि राज्य सरकार के उक्त विभाग ने अप्रार्थी संख्या 3 को अधिकृत किया हुआ था। इसी के तहत डाॅ. जयकरण चारण द्वारा परिवादिया का नसबंदी आॅपरेषन किया गया। यद्यपि अप्रार्थी संख्या 1 व 2 ने इस प्रमाण-पत्र को अप्रार्थी संख्या 3 द्वारा स्वःरचित व फर्जी होना बताया है परन्तु प्रदर्ष 1 के सम्बन्ध में यदि यह फर्जी है और अप्रार्थी संख्या 3 ने अपने स्तर पर इसको तैयार किया है तो राज्य सरकार के उक्त विभाग को अप्रार्थी संख्या 3 के विरूद्ध कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए थी। ऐसी सूरत में जबकि उनके अनुसार उक्त कार्यवाही एवं प्रमाण-पत्र राज्य सरकार के नाम फर्जी तैयार किया जाना बताया गया है। हमारी राय में अप्रार्थी संख्या 1 व 2 द्वारा महज अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए यह एक बहाना बनाया गया है जो विष्वसनीय नहीं है।

अप्रार्थी संख्या 3 ने अपना षपथ-पत्र प्रस्तुत कर यह बताया है कि उसे नसबंदी आॅपरेषन हेतु मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, नागौर आदेष करते थे। उसने षिविर में आॅपरेषन अप्रार्थी संख्या 2 के आदेष से ही किये हैं। उसने आॅपरेषन में कोई लापरवाही नहीं बरती है।

अप्रार्थी संख्या 4 ने समय सीमा अवधि में जवाब पेष नहीं किया था इसलिए इसे रिकोर्ड पर नहीं लिया गया।

 

5.            हमारी राय में अप्रार्थी संख्या 3 की लापरवाही के लिए, जिसके कारण परिवादिया ने पांचवी संतान को जन्म दिया, उसके लिए अप्रार्थी संख्या 1 व 2 जिम्मेदार है। क्योंकि अप्रार्थी संख्या 3 ने अप्रार्थी संख्या 1 व 2 के निर्देषन में कार्य किया।

यदि अप्रार्थी संख्या 1 व 2 का अप्रार्थी संख्या 4 से कोई एमओयू है तो अप्रार्थी संख्या 1 व 2 परिवादिया को की जाने वाली क्षतिपूर्ति की राषि नियमानुसार प्राप्त कर सकते हैं। अप्रार्थी संख्या 4 की ओर से यह बताया गया कि आॅपरेषन असफल होने पर बीमा कम्पनी का क्षतिपूर्ति का दायित्व 30,000/- रूपये तक है। इस प्रकार से परिवादिया अपना परिवाद अप्रार्थी संख्या 1 व 2 के विरूद्ध साबित करने में सफल रही है। परिवादिया का परिवाद विरूद्ध अप्रार्थी संख्या 1 व 2 के निम्न प्रकार से स्वीकार किया जाता है तथा आदेष दिया जाता है किः-

 

 

आदेश

 

6.            अप्रार्थी संख्या 1 व 2, परिवादिया को 30,000/- रूपये एवं इस रकम पर दिनांक 11.07.2013 से तारकम वसूली 9 प्रतिषत वार्शिक ब्याज दर से ब्याज राषि भी अदा करें। साथ ही अप्रार्थी संख्या 1 व 2 परिवादिया को परिवाद-व्यय के 4,000/- रूपये एवं मानसिक संताप बाबत् 5,000/- रूपये भी अदा करें।

 

                आदेश आज दिनांक 25.01.2016 को लिखाया जाकर खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

 ।बलवीर खुडखुडिया।           ।बृजलाल मीणा।       ।श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य।

                 सदस्य                   अध्यक्ष                   सदस्या

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Brijlal Meena]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya]
MEMBER

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