Rajasthan

Ajmer

CC 410/2013

DULICHAND JAIN - Complainant(s)

Versus

RAJASTHAN GOV - Opp.Party(s)

ADV VIBHAUR GAUR

07 Dec 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC 410/2013
 
1. DULICHAND JAIN
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. RAJASTHAN GOV
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 07 Dec 2016
Final Order / Judgement

जिला    मंच,     उपभोक्ता     संरक्षण,         अजमेर

दुलीचन्द जैन पुत्र स्वर्गीय श्री राजमल जैन, उम्र-83 वर्ष, निवासी- 16, कचंन विला, पाष्र्वनाथ काॅलोनी, दौलत बाग के सामने, अजमेर । 
                                                -         प्रार्थी

                            बनाम

1. राजस्थान सरकार जरिए जिलाधीष, अजमेर ।
2. न्यासी बोेर्ड, राजस्थान राज्य, पेंषनर्स चिकित्सा रियायती योजना, निदेषालय, पेंषन एवं पेंषनर्स कल्याण विभाग, राजस्थान, जयपुर जरिए सचिव
3. कोषाधिकारी एवं जिला सचिव, राजस्थान राज्य पेंषन चिकित्सा रियायती योजना, अजमेर । 
                                               -       अप्रार्थीगण 
                 परिवाद संख्या 410/2013  

                            समक्ष
         1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                 2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
                           उपस्थिति
                  1.श्री विभौर गौड़, अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.अप्रार्थीगण के प्रतिनिधि उपस्थित  

                              
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः- 11.01.2017
 
1.             संक्षिप्त तथ्यानुसार  प्रार्थी पेंषनर है । प्रार्थी  को प्रोस्टेट की बीमारी से ग्रसित होने के कारण दिनंाक 25.7.23011 को एसमएस अस्पताल, जयपुर में  भर्ती कराए जाने पर दिनंाक 10.08.2011 को  उसका आॅपरेषन किया गया । आॅपरेषन एवं आईसीयू में भर्ती होने के कारण आपातकालीन परिस्थितियों की वजह से चिकित्सकों द्वारा जो दवाईयां मंगवाई गई वे बाजार से क्रय की गई और उनका प्रमाणीकरण चिकित्सक द्वारा किया गया । स्वास्थ्य में सुधार होने पर उसने  इलाज में खर्च हुई राषि रू. 10,883/- का क्लेम अप्रार्थी संख्या 3 के समक्ष पेष किए जाने पर उसका क्लेम अप्रार्थी संख्या 3 ने जरिए पत्र दिनंाक
27.4.2012 के इस आधार पर खारिज कर दिया कि क्रय की गई दवाईयों का इन्द्राज मेडिकल डायरी में नहीं किया गया है । काफी पत्राचार किए जाने के बाद  उसके मूल बिल व अन्य दस्तावेजात उसे लौटा दिए गए । इस प्रकार अप्रार्थीगण ने उसका क्लेम खारिज कर सेवा में कमी की है । प्रार्थी ने परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में प्रार्थी ने स्वयं का षपथपत्र पेष किया है । 
2.             अप्रार्थीगण की ओर से जवाब में दर्षाया है कि  प्रार्थी का दावा विभागीय परिपत्र संख्या 3/2012  दिनंाक 8.8.2011 के अनुसार चिकित्सक द्वारा मेडिकल डायरी में लिखी गई दवाईयां पेंषनर द्वारा लाईफ लाईन ड्रग स्टोर से नकद क्रय करने पर नियमानुसार भुगतान देय होने व  प्रार्थी ने इलाज  करने वाले चकित्सक द्वारा डायरी में दवाईयां लिखवाए बिना  दवाईया क्रय की है  इसलिए उक्त आधार पर  प्रार्थी का क्लेम अस्वीकार किया गया था । इसमें उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी कारित नहीं की गई । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है । जवाब के समर्थन में रेखा कुमारी, अतिरिक्त कोषाधिकारी का षपथपत्र पेष हुआ है ।   
3.              प्रार्थी का प्रमुख तर्क रहा है कि उसके पेंषनर होने एवं चिकित्सा में हुए खर्चे के पुनःर्भरण योग्य होने के बावजूद आपाताकालीन परिस्थितियों  में चिकित्सक द्वारा  मंगवाई गई दवाईयों के  बिलों को उपभोक्ता द्वारा प्रस्तुत किए जाने के बावजूद ऐसी दवाईयों के मेडिकल डायरी में उल्लेख नहीं किए जाने के आधार का कारण दर्षाते हुए भुगतान नहीं कर अप्रार्थीगण ने उपभोक्ता के प्रति सेवा में कमी का परिचय दिया है । इस कारण प्रार्थी को गम्भीर मानसिक व आर्थिक  क्षति का सामना करना पड़ा है । परिवाद स्वीकार किया जाना चाहिए । समर्थन में इसी मंच से निर्णित परिवाद संख्या 298/01 हरनाथ सिंह बनाम  निदेषक, मेडिकल हैल्थ,षासन सचिवालय, जयपुर  व अन्य में दिनंाक 31.10.2001 को प्रार्थी के पक्ष  में पारित निर्णय व इसके विरूद्व माननीय राज्य आयेाग में की गई अपील व उक्त अपील में पारित निर्णय के विरूद्व माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा पारित निर्णय व  इसमें  दिए गए दिषा निर्देषों के साथ साथ माननीय राज्य आयेाग में अपील संख्या 2263/92 कोषाधिकारी व अन्य बनाम जे.के.जोषी में पारित निर्णय पर अवलम्ब लिया है । 
4.    अप्रार्थीगण ने खण्डन में तर्क प्रस्तुत किया है कि क्लेम नियमानुसार  सही नहीं होने के कारण अस्वीकार किया गया है । यह भी तर्क प्रस्तुत किया कि प्रार्थी के क्लेम पर मानवता के नाते सहानुभूतिपूर्वक विचार करने हेतु  इसके अप्रार्थी संख्या 2 को भुगतान की अनुषंषा हेतु भिजवाया भी गया था । प्रार्थी का आधार चूंकि उसके द्वारा  क्रय की गई दवाअयों का उल्लेख मेडिकल डायरी में नहीं किया गया था । अतः आपातकालीन परिस्थितियों में चूंकि चिकित्सक द्वारा मेडिकल डायरी में लिखी गई दवाईयों को पेंषनर द्वारा लाईफ लाईन  ड्रग सोसायटी से नगद क्रय करने पर नियमानुसार देय माना गया है एवं प्रार्थी द्वारा  इन्हें इलाज करने वाले चिकित्सक द्वारा डायरी में दवाई लिखवाए बिना क्रय की गई थी जो नियमानुसार गलत थी एवं  देय नहीं थी । फलतः  उनके द्वारा प्रार्थी के प्रति सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की गई है । 
5.     हमने सुना, रिकार्ड देखा व प्रस्तुत नजीर का अवलोकन किया । 
6.    पत्रावली के समग्र अवलोकन, पक्षकारों के  परस्पर अभिवचन व उपलब्ध अभिलेख के आधार पर यह स्वीकृत स्थिति सामने आई है कि प्रार्थी ने अपने इलाज में  हुए खर्च बाबत चिकित्सा पुनःर्भरण बिलो को संबंधित चिकित्सक  द्वारा प्रमाणित कर अप्रार्थीगण को प्रस्ततु किए है किन्तु  इसका इनन्द्राज संबंधित चिकित्सक द्वारा प्रार्थी की मेडिकल डायरी में नहीं किया है ,  उसका क्लेम भी मात्र इस आधार पर अस्वीकृत कर  खारिज किया गया है । राजस्थान राज्य पेंषनर चिकित्सा रियायत योजना के अन्तर्गत  निदेषालय, पेंषन एवं पेंषनर विभाग, राजस्थान, जयपुर  के परिपत्र क्रमांक एफ.(2)10 आरपीएमएपफ/22011-12/5029 दिनंाक 8.8.2011 परिपत्र संख्या 03/2011 के अनुसार पेंषनर द्वारा मेडिक्लेम रिलिफ सोसायटी द्वारा संचालित लाईफ लाईन फ्ल्यूड स्टोर से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त किए बिना क्रय की गई दवाईयों के पुनःर्भरण के संबंध में यह स्पष्ट किया गया है कि कोषाधिकारी, द्वारा उक्त चिकित्सा दावे के पुनःर्भरण   से पूर्व यह सुनिष्चित करना होगा कि  पेंषनर द्वारा क्रय की गई  दवाईयां चिकित्सक द्वारा मेडिकल डायरी में लिखी गई है और वे ही दवाईया क्रय की गई है जो चिकत्सक द्वारा मेडिकल डायरी में लिखी गई है ।  राज्य कर्मचारियों एवं पेंषनर द्वारा चिकित्सा में खर्च हुई राषि बाबत  समय समय पर राज्य सरकार के दिषा निर्देष रहे है तथा पुनःर्भरण के ंसबंध में यह स्वीकृत स्थिति रही है कि चिकित्सक द्वारा मेडिकल डायरी में इन्द्राज के बाद संबंधित काॅपरेटिव स्टोर से खरीदी गई दवाईयों का पुनःर्भरण  किया जाएगा  व यह पुनःर्भगतान उक्त को-आॅपरेटिस  स्टोर में  दवाईयों उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त कर अन्य संस्थान से क्रए किए जाने पर चिकित्सक द्वारा प्रमाणित किए जाने पर प्रस्तुत होने पर ही देय होगी  । प्रार्थी का तर्क रहा है कि चूंकि वह अस्पताल में भर्ती रहा था तथा  आपातकालीन परिस्थितियों  में  मंगवाई गई दवाईयों  का इन्द्राज मेडिकल डायरी मंें करवाया जाना सम्भव नहीं था। अतः उसके द्वारा जीवन रक्षा के लिए  पूर्व में क्रय की गई दवाईयों का भुगतान जो चिकित्सक द्वारा प्रमाणित किया गया है, किया जाना चाहिए । खण्डन में अप्रार्थीगण द्वारा उपरोक्त विवेचन के प्रकाष में पुनःर्भरण देय नहीं  होना बताया गया है  
7.    पत्रावली में एसएमएस मेडिकल काॅलेज,जयपुर के   डिस्चार्ज टिकिट  से यह स्पष्ट है कि प्रार्थी दिनांक  25.7.2011  को अस्पताल में भर्ती हुआ  और उसे दिनंाक 22.8.2011 को डिस्चार्ज किया गया । इस दौरान दिनंाक 10.8.2011 को उसका प्रोस्टेट का आॅपरेषन हुआ  जैसा कि उसका अभिवचन है । उसके द्वारा प्रस्तुत  की गई दवाईयों से संबंधित  परमावष्यकता प्रमाण पत्र के अनुसार इण्डोर पेषेन्ट के रूप में दिनंाक 9.8.2011 से 18.8.2011  तक का पुनःर्भरण बिल प्रस्तुत किया है  व एक अन्य परमावष्यकता प्रमाण पत्र  खरीदी गई दवाईयों के संदर्भ में लाईफ लाईन मेडिकल स्टोर  से दिनंाक 9.8.2011 से 19.8.2011 तक रू. 3237/- का चिकित्सक से प्रमाण्ाित  प्रस्तुत किया है ।  प्रस्तुत किए गए बिलों में दवाईयों के अलावा आपरेषन से संबंधित  अति आवष्यक वस्तुएं यथा ग्लोब्ज, फोक्सिकेटेथ इत्यादि के भी  है  जो नियमानुसार आॅपरेषन  करते समय अस्पताल को उपलब्ध करवाए चाहिए किन्तु ऐसा प्रतीत होता है  प्रार्थी को इन्हें क्रय करने के लिए  मजबूर किया गया हो ।      
8.    अब प्रष्न यह है कि क्या ये  दवाईया आपातकालीन परिस्थितियों  में क्रय की गई ? चूंकि प्रार्थी उक्त वर्णित बीमारी के इलाज के लिए एसएमएस अस्पताल,जयपुर  में दिनंाक  25.7.2011 से 22.8.2011 तक भर्ती रहा तथा दिनंाक 10.8.20911 को उसका आॅपरेषन हुआ है ।  इसी अवधि के दौरान खरीदी गई दवाईयों के बिल  उसने संबंधित चिकित्सक से प्रमाणित करते हुए परमावष्यकता प्रमाण पत्र के रूप में पुनःर्भुगतान हेतु प्रस्तुत किए है । यह राषि देय नहीं होने के बावजूद कोषाधिकारी, अजमेर ने इनके भुगतान एवं आवष्यक स्वीकृति हेतु अप्रार्थी संख्या 2  न्यासी बोर्ड को  अनुषंसा सहित भिजवाया है  जैसा कि  अप्रार्थीगण का  अभिवचन है । अतः कहा जा सकता है कि तत्समय तत्कालीन   ऐसे हालात विद्यमान हो गए  थे जिनके कारण  उक्त दवाईयों का इन्द्राज प्रार्थी द्वारा मेडिकल डायरी मंे नहीं कराया जा सका ।  प्रार्थी प्रोस्टेड बीमारी से ग्रसित होकर जैर इलाज भर्ती होकर उसके स्वंय का आपरेषन सम्पादित किया है ।   सम्भव है कि इन हालात  एवं परिस्थितियों में  संबंधित चिकत्सक से प्रार्थी के रिष्तेदार/ अटेण्डेड  ने मेडिकल  डायरी में  इन्द्राज नहीं करवाया हो । चूंकि बिलों को संबंधित चिकित्सक ने प्रमाणित किया है । अतः हालात में ली गई  दवाईयों पर हुए खर्च की विष्वसनीयता पर कोई प्रष्नचिन्ह  नहीं लगाया जा सकता । जो  विनिष्चय  प्रार्थी की ओर से इस मंच के निर्णय के क्रम में प्रस्तुत हए है, में भी लगभग यही हूबहू स्थिति थी तथा मंच द्वारा  ऐसे इलाज में खर्च हुई पुनःर्भरण  की राषि को  नहीं दिलवाए जाने में अप्रार्थीगण की सेवा  में कमी को उजागर करते हुए  प्रार्थी को राहत दिलवाई है । माननीय राष्ट्रीय आयेाग व माननीय राज्य आयोग में चुनौती दिए जाने के बाद भी  निर्णय यथावत रखा गया था । ऐसे हालात में यह मंच इन परिस्थितियों में प्रार्थी द्वारा क्रय की गई दवाईयों  इत्यादि के संबंध में प्रस्तुत करने में  पुनःर्भरण राषि  प्राप्त करने का हकदार हो , तथ्य से  नकारा नहीं जा सकता ।  इन्हीं परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए न्याय हित में परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है एवं आदेष है कि
                            :ः- आदेष:ः-
 
9.           (1)    प्रार्थी अप्रार्थीगण से चिकित्सा पुर्नभरण की क्लेम  राषि रू.10,883/-  क्लेम खारिज किए जाने की दिनांक से तदायगी 9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज दर सहित प्राप्त करने का अधिकारी होगा । 
            (2)       प्रार्थी अप्रार्थीगण से ंमानसिक संताप पेटे  रू. 10,000   /- एवं  परिवाद व्यय के पेटे रू. 5000/-भी  प्राप्त करने का  अधिकारी होगा ।               
            (3)    क्रम संख्या 1 लगायत  2 में वर्णित राषि अप्रार्थी     प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें   अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।  
          आदेष दिनांक 11.01.2017  को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

                
(श्रीमती ज्योति डोसी)                          (विनय कुमार गोस्वामी )
           सदस्या                                         अध्यक्ष    

 

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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