Uttar Pradesh

StateCommission

A/2010/2181

Allahabad Bank - Complainant(s)

Versus

Rajaram Pandey - Opp.Party(s)

Avdhesh Shukla

05 Feb 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2010/2181
( Date of Filing : 30 Dec 2010 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Allahabad Bank
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Rajaram Pandey
a
...........Respondent(s)
First Appeal No. A/2010/1841
( Date of Filing : 27 Oct 2010 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. A I Co
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Raja Ram Pandey
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 05 Feb 2024
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-2181/2010

इलाहाबाद बैंक (संशोधित) इण्डियन बैंक, मारकुण्‍डी ब्रांच द्वारा ब्रांच मैनेजर, मारकुण्‍डी ब्रांच, जिला सोनभद्र

 

बनाम

राजाराम पाण्‍डेय पुत्र तारकेश्‍वर पाण्‍डेय, निवासी ग्राम महुआ खुर्द, परगना अगोरी, अचलगंज, जिला सोनभद्र तथा दो अन्‍य

 

एवं

अपील संख्‍या-1841/2010

एग्रीकल्‍चर इंश्‍योरेंस कं0‍ आफ इण्डिया लि0, द्वारा रिजनल मैनेजर, रिजनल आफिस द्वितीय तल, 'मेरी गोल्‍ड' 4-शाहनजफ रोड, हजरतगंज, लखनऊ 226001

 

बनाम

राजाराम पाण्‍डेय पुत्र तारकेश्‍वर पाण्‍डेय, निवासी ग्राम महुआ खुर्द, परगना अगोरी, पोस्‍ट अदलगंज, जिला सोनभद्र तथा तीन अन्‍य

 

 

समक्ष:-                                                  

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

अपीलार्थी, बैंक की ओर से          : श्री अवधेश शुक्‍ला।

प्रत्‍यर्थी सं0-1 की ओर से           : श्री आर.के. गुप्‍ता एवं श्री                          

                                                ए.के. मिश्रा।

प्रत्‍यर्थी सं0-2/अपीलार्थी की ओर से   : श्री दिनेश कुमार।

दिनांक : 05.02.2024 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.        परिवाद संख्‍या-23/2004, राजाराम पाण्‍डेय बनाम महाप्रबंधक जनरल इंश्‍योरेंस कारपोरेशन आफ इण्डिया तथा चार अन्‍य

-2-

में विद्वान जिला आयोग, सोनभद्र द्वारा पारित  निर्णय एवं आदेश  दिनांक 2.7.2010 के विरूद्ध अपील संख्‍या-2181/2010, विपक्षी संख्‍या-4 की ओर से तथा अपील संख्‍या-1841/2010, विपक्षी सं0-1 की ओर से प्रस्‍तुत की गयी है।

2.        उपरोक्‍त दोनों अपीलें एक ही निर्णय/आदेश से प्रभावित होकर प्रस्‍तुत की गयी हैं, इसलिए दोनों अपीलों का निस्‍तारण एक ही निर्णय/आदेश द्वारा एक साथ किया जा रहा है। इस हेतु अपील संख्‍या-2181/2010 अग्रणी अपील होगी।

3.        परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी ग्राम मौजा महुऑंव जनपद सोनभद्र में खाता संख्‍या 10 एवं 11 का कृषक है, जिसका रकबा 31.223 हेक्‍टेयर सह खातेदार है, जिसमें परिवादी का 1/5 भाग है। वर्ष 2002 में सम्‍पूर्ण रकबा में धान की फसल बोई गयी थी, परन्‍तु वर्षा न होने के कारण पूरी फसल सूख गयी। परिवादी द्वारा किसान क्रेडिट योजना के तहत अंकन 75,000/-रू0 का ऋण प्राप्‍त किया गया था। परिवादी का, गांव कृषक बीमा योजना के अंतर्गत बीमा था, जिसमें परिवादी की फसल का बीमा भी शामिल था। बीमा की प्रीमियम राशि अंकन 1922/-रू0 परिवादी के खाते से दिनांक 20.7.2002 को काटकर बीमा कंपनी को प्रेषित कर दी गयी। चूंकि फसल सम्‍पूर्ण रूप से नष्‍ट हो चुकी है, इसलिए परिवादी बीमित राशि प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है।

4.        बीमा कंपनी का कथन है कि प्रीमियम की राशि देरी से मिलने के कारण प्रीमियम की राशि वापस लौटा दी गयी, इसलिए परिवादी के प्रति बीमा कंपनी का कोई उत्‍तरदायित्‍व नहीं है।

 

-3-

5.        बैंक का कथन है कि परिवादी को खरीफ की फसल के दौरान सम्‍पूर्ण राशि हेतु बीमा की पात्रता नहीं बनती थी, क्‍योंकि वर्ष 2002-03 खरीफ की फसल के दौरान समस्‍त ऋण का उपयोग नहीं किया गया, इसलिए उनकी फसल का बीमा नहीं किया गया उनकी पात्रता नहीं बनती थी, उन पर राशि बकाया थी।

6.        पक्षकारों की साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि परिवादी पर ऋण की राशि बकाया होने के बावजूद खरीफ की फसल के लिए भी दिये गये ऋण के बीमा के लिए पात्रता बनती थी। तदनुसार विपक्षी सं0-1, 3 व 4 के विरूद्ध क्षतिपूर्ति का आदेश पारित किया गया।

7.        अपीलार्थी बैंक के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि परिवादी की फसल को जिस सीमा तक क्षति कारित हुई है, उसी सीमा तक क्षतिपूर्ति का आंकलन किया जाना चाहिए। लिखित कथन में अपीलार्थी बैंक की ओर से यह अभिवाक नहीं लिया गया है कि यथार्थ में परिवादी ने फसल की जो क्षति बतायी है, उतनी क्षति कारित नहीं हुई है, अपितु कम क्षति कारित हुई है। चूंकि जो अभिवाक लिखित कथन में नहीं लिया गया, उसे अपील के ज्ञापन में या मौखिक बहस के दौरान अपीलीय स्‍तर पर नहीं उठाया जा सकता। अपीलार्थी बैंक का यह अभिवाक न होने के कारण इस बिन्‍दु पर इस पीठ द्वारा कोई विचार नहीं किया जा सकता कि फसल की हानि किस सीमा तक हुई थी। परिवादी ने सशपथ साबित किया है कि वर्षा न होने के कारण धान की फसल को सम्‍पूर्णतया: में हानि हुई थी। इस निष्‍कर्ष को परिवर्तित करने का कोई आधार नहीं है।

 

-4-

8.        बीमा कंपनी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि चूंकि प्रीमियम की राशि देर से प्राप्‍त हुई, इसलिए उसे वापस कर दिया गया और कोई पा‍लिसी जारी नहीं की गयी। यह तर्क तथ्‍यों से साबित है, इसलिए बीमा कंपनी पर क्षतिपूर्ति की अदायगी का कोई दायित्‍व नहीं बनता। इसी प्रकार विपक्षी सं0-3 तत्‍कालीन शाखा प्रबंधक का व्‍यक्तिगत रूप से क्षतिपूर्ति का कोई दायित्‍व नहीं बनता। यद्यपि उनके द्वारा कोई अपील फाईल नहीं की गयी है, परन्‍तु अपील न फाईल करने के बावजूद निर्णय/आदेश में विपक्षी सं0-3, तत्‍कालीन शाखा प्रबंधक को क्षतिपूर्ति की राशि के दायित्‍व से उनमोचित करने के लिए आदेश देने के लिए विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में परिवर्तन आवश्‍यक है। तदनुसार विपक्षी सं0-1, बीमा कंपनी द्वारा प्रस्‍तुत की गयी अपील संख्‍या-1841/2010 स्‍वीकार होने योग्‍य है तथा बीमा कंपनी के विरूद्ध निर्णय/आदेश अपास्‍त होने योग्‍य है। विपक्षी सं0-3, तत्‍कालीन शाखा प्रबंधक के विरूद्ध पारित निर्णय/आदेश भी अपास्‍त होने योग्‍य है तथा क्षतिपूर्ति की अदायगी के लिए उत्‍तरदायित्‍व केवल विपक्षी सं0-4, बैंक का है। तदनुसार विपक्षी सं0-4, बैंक द्वारा प्रस्‍तुत की गयी अपील संख्‍या-2181/2010 निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

9.        अपील संख्‍या-2181/2010 निरस्‍त की जाती है।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित संबंधित

 

 

-5-

जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

अपील संख्‍या-1841/2010 स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 2.7.2010 अपीलार्थी बीमा कंपनी के सन्‍दर्भ में अपास्‍त किया जाता है तथा विपक्षी सं0-3, तत्‍कालीन शाखा प्रबंधक के विरूद्ध पारित निर्णय/आदेश भी अपास्‍त किया जाता है।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु वापस की जाए।

उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वंय वहन करेंगे।

इस निर्णय/आदेश की मूल प्रति अपील संख्‍या-2181/2010 में रखी जाए एवं इसकी एक सत्‍य प्रति संबंधित अपील में भी रखी जाए।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

 

(सुधा उपाध्‍याय)                           (सुशील कुमार(

  सदस्‍य                                   सदस्‍य

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

   कोर्ट-3

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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