Uttar Pradesh

StateCommission

A/2934/2016

HDFC Ergo General Insurance Co. Ltd - Complainant(s)

Versus

Raja Ram - Opp.Party(s)

Manoj Kumar Dubey

20 Jan 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2934/2016
( Date of Filing : 07 Dec 2016 )
(Arisen out of Order Dated 26/10/2016 in Case No. C/112/2015 of District Firozabad)
 
1. HDFC Ergo General Insurance Co. Ltd
Kolkatta
...........Appellant(s)
Versus
1. Raja Ram
Firozabad
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 20 Jan 2023
Final Order / Judgement

(सुरक्षित)

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

अपील सं0 :-2934/2016

 (जिला उपभोक्‍ता आयोग, फिरोजाबाद द्वारा परिवाद सं0-112/2015 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 26/10/2016 के विरूद्ध)

H.D.F.C. Ergo General Insurance Company Ltd, through its General Manager, IInd  Floor, P-2558, CIT Scheme, Kankurguchee, Kolkata-700054.

  1.                                                                          Appellant  

Versus   

Raja Ram, Son of Sri Ram Sanehi, resident of Village & Post Kayatha, P.S. Narkhi, District Firozabad.

  •                                                                                       Respondent  

     समक्ष

  1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य
  2. मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य

उपस्थिति:

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:-श्री मनोज कुमार दुबे  

प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:-श्री सुशील कुमार मिश्रा

 

दिनांक:-13.03.2023

माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

  1.          परिवाद सं0-112/2015 राजाराम बनाम महा प्रबन्‍धक द्वारा एचडीएफसी इरगो जनरल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड में जिला उपभोक्‍ता आयोग, फिरोजाबाद द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 26.10.2016 के विरूद्ध अपील प्रस्‍तुत की गयी है, जिसके माध्‍यम से प्रत्‍यर्थी/परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए परिवादी को प्रश्‍नगत ट्रैक्‍टर की बीमित राशि, मानसिक व शारीरिक क्षति के लिए 2,000/- रूपये वाद व्‍यय हेतु 2,000/-रू0 दिलवाये जाने का आदेश पारित किया है।
  2.      प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन यह आया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी संयुक्‍त साझेदारी में प्रश्‍नगत ट्रैक्‍टर जिसका इंजन नम्‍बर ई0 75314 व चेसिस नम्‍बर 920913122655 तथा निर्माण वर्ष 2013 का था। उक्‍त ट्रैक्‍टर को दिनांक 17.05.2014 को बीमा कम्‍पनी से बीमित कराया था। दिनांक 18.05.2014 को उक्‍त ट्रैक्‍टर प्रत्‍यर्थी/परिवादी के मामा हाकिम सिंह के निवास स्‍थान के बाहर से रात्रि में अज्ञात चोरों द्वारा चोरी कर लिया गया, जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांक 16.07.2014 को पुलिस क्षेत्राधिकारी के आदेश पर दर्ज कराया गया, जबकि पूर्व में पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज करने से मना कर दिया था। पुलिस विवेचना में ट्रैक्‍टर का कोई पता नहीं चल सका। अंतिम सूचना दाखिल की गयी, जो सक्षम न्‍यायालय द्वारा दिनांक 06.12.2014 को स्‍वीकार की गयी। बीमा कम्‍पनी को दिनांक 28.07.2014 को रजिस्‍ट्री डाक द्वारा सूचना दी गयी, जिस पर इन्‍वेस्‍टीगेटर नियुक्‍त हुआ, जिसने क्‍लेम फार्म भरके मांगा। क्‍लेम न दिये जाने पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने एक विधिक नोटिस दिनांकित 24.09.2014 दे दिये, जिसमें गलती से पॉलिसी का नम्‍बर गलत लिख गया था। बीमा कम्‍पनी के कहने पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने पुन: सही विवरण प्रेषित किया, किन्‍तु प्रत्‍यर्थी/ परिवादी को बीमा की धनराशि नहीं दी गयी, जिस कारण यह परिवाद योजित किया गया।
  3.      अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी द्वारा जवाबदावा प्रस्‍तुत किया गया, जिसमें यह कथन किया गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी स्‍वच्‍छ हाथों से न्‍यायालय के समक्ष नहीं आया है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने दिनांक 24.09.2014 को वाहन का क्‍लेम दाखिल किया था, जबकि दिनांक 18.05.2014 को वाहन चोरी हो गया था। पुलिस में भी प्रथम सूचना रिपोर्ट 58 दिन के उपरान्‍त दिनांक 16.07.2014 को योजित की गयी थी। इस प्रकार बीमा कम्‍पनी को 129 दिन बाद और प्रथम सूचना रिपोर्ट 58 दिन बाद योजित की गयी है। इस प्रकार बीमा की शर्तों का उल्‍लंघन किया गया। विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम ने पुलिस को सूचना में हुई देरी को इस आधार पर संतुष्टिकारक उत्‍तर माना कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा पुलिस में पूर्व में रिपोर्ट दर्ज करने का प्रयास किया गया था, किन्‍तु पुलिस द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज न करने पर क्षेत्राधिकारी के आदेश पर देरी से प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करायी जा सकी। अत: यह नहीं माना जा सकता कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने देरी से किया है। इस आधार पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी का परिवाद उपरोक्‍त प्रकार से आंशिक रूप से स्‍वीकार किया गया, जिससे व्‍यथित होकर बीमा कम्‍पनी द्वारा अपील प्रस्‍तुत की गयी है।
  4.      अपील में मुख्‍य रूप से यह आधार लिये गये हैं कि जिला उपभोक्‍ता मंच ने इस बिन्‍दु पर विचार नहीं किया है कि विपक्षी की ओर से सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है तथा प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने जानबूझकर देरी से बीमा कम्‍पनी को सूचना दी एवं पुलिस में प्रथम सूचना रिपोर्ट देरी से दर्ज करायी। विद्धान जिला उपभोक्‍ता मंच ने मनमाने तौर पर बिना किसी आधार पर परिवादी का परिवाद आज्ञप्‍त कर दिया है। अत: प्रश्‍नगत निर्णय अपास्‍त होने योग्‍य एवं अपील स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।
  5.      अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री मनोज कुमार दुबे एवं प्रत्‍यर्थी के विद्धान अधिवक्‍ता श्री सुशील कुमार मिश्रा को विस्‍तार से सुना गया। पत्रावली एवं निर्णय/आदेश का अवलोकन किया।  
  6.              बीमा को खारिज किये जाने के संबंध में मुख्‍य रूप से यह आधार लिया गया है कि बीमा कम्‍पनी को चोरी द्वारा कथित हानि के 129 दिन बाद सूचना दी गयी है, जबकि बीमा पॉलिसी की शर्तों की शर्त सं0 1 के अनुसार दुर्घटना के संबंध में किसी भी हानि की दशा में प्रत्‍यर्थी/परिवादी को शीघ्रता से बीमा कम्‍पनी को सूचना देनी है। इस शर्त को रेपुडिएट पत्र जिसकी प्रति संलग्‍नक 2 के रूप में अभिलेख पर है। उक्‍त पत्र दिनांक 30.12.2014 के अवलोकन से स्‍पष्‍ट होता है कि इसमें बीमा की उक्‍त शर्त का अधूरा उल्‍लेख किया गया है। उक्‍त शर्त निम्‍नलिखित प्रकार से है:-

     “Notice shall be given in writing to the Company immediately upon the occurrence of any accidental loss or damage and in the event of any claim and thereafter the insured shall give all such information and assistance as the company shall require. Every letter claim writ summons and/or process or copy thereof shall be forwarded to the company immediately on receipt by the insured. Notice shall also be given in writing to the company immediately the insured shall have knowledge of any impending prosecution inquest or Fatal inquiry in respect of any occurrence which may give rise to a claim under this policy. Incase of theft or criminal act which may be the subject of a claim under this policy the insured shall give immediate notice to the police and co-operate with the company in securing the conviction of the offender.”  

  1.      इस शर्त के प्रथम भाग का उल्‍लेख किया गया है, जिसमें दुर्घटना से होने वाली हानि पर बीमा कम्‍पनी को तुरंत एवं शीघ्र सूचना दिये जाने का उल्‍लेख है किन्‍तु शर्त के दूसरे भाग का उल्‍लेख पत्र में नहीं किया गया है, जिसमें यह उल्‍लेख है कि आपराधिक कृत्‍य से अथवा चोरी से वाहन को हानि होने पर प्रथम सूचना रिपोर्ट को तुरंत दर्ज करानी होगी और पुलिस को सहयोग अपराधियों के विरूद्ध कार्यवाही नहीं करना होगा। प्रस्‍तुत मामले में जो रेपुडिएट पत्र में उपरोक्‍त चोरी हुई है। उसने मात्र बीमा कम्‍पनी को देरी से सूचना दिये जाने का उल्‍लेख है।
  2.      इस संबंध में माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा पारित निर्णय गुरसिंदर सिंह प्रति श्रीराम जनरल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड प्रकाशित I (2021) CPJ PAGE 96 (S.C.) उल्‍लेखनीय है। इस निर्णय में माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने यह निर्णीत किया है कि चोरी अथवा आपराधिक कृत्‍य से वाहन की हानि होने पर पुलिस को शीघ्र सूचना दिया जाना आवश्‍यक है एवं पुलिस को शीघ्र सूचना न दिये जाने पर बीमा की शर्त का उल्‍लेख माना जायेगा।
  3.      प्रत्‍यर्थी/परिवादी का इस संबंध में कथन इस प्रकार आया है कि उसने पुलिस को सूचना देकर प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखाने का प्रयास किया एवं रिपोर्ट न लिखे जाने पर क्षेत्राधिकारी से आवेदन करके तथा उनके आदेश पर प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखी गयी। यह मात्र वादी का कथन मात्र है कि उसके द्वारा पुलिस को सूचना दी गयी। कोई भी साक्ष्‍य इस संबंध में प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने प्रस्‍तुत नहीं किया है। अभिलेख पर जो भी प्रमाण है, उससे यह स्‍पष्‍ट होता है कि 58 दिन बाद पुलिस को सूचना देकर के प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की गयी है। इस प्रकार बीमा की शर्त का उल्‍लंघन होना माना जाता है, किन्‍तु ऐसी शर्त के उल्‍लंघन में सम्‍पूर्ण क्‍लेम को निरस्‍त करना उचित नहीं है, जबकि यह परिस्थिति अनिश्चित हैं कि वास्‍तव में पुलिस ने प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखने से मना किया था अथवा नहीं और प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा इसका प्रयास किया गया था अथवा नहीं। अत: ऐसी दशा में सम्‍पूर्ण क्‍लेम को निरस्‍त किये जाने के स्‍थान पर बीमा की शर्तों के उल्‍लंघन के कारण बीमा की धनराशि का कुछ प्रतिशत कटौती ‘’नॉन स्‍टेण्‍डर्ड बेसिस’’ पर किया जाना उचित प्रतीत होता है।
  4.           इस संबंध में माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा निर्णय श्रीराम जनरल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड प्रति अब्‍दुल शाह प्रकाशित IV (2019) CPJ page 582 (N.C.) का उल्‍लेख करना उचित होगा। इस संबंध में प्रथम सूचना रिपोर्ट देरी से दर्ज की गयी। परिवादी का आरोप था कि पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज करने से मना कर दिया था, जिस कारण वाहन की चोरी की सूचना समय से दर्ज नहीं हो सकी। माननीय राष्‍ट्रीय आयोग ने यह माना कि सम्‍पूर्ण क्‍लेम को अस्‍वीकार किया जाना उचित नहीं है तथा नॉन स्‍टेण्‍डर्ड बेसिस पर बीमे की धनराशि में कटौती करके क्षतिपूर्ति दी जा सकती है।
  5.           इस संबंध में पुन: माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा पारित निर्णय नेशनल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी प्रति तरलोक सिह IV (2019) CPJ page 183 (N.C.) का उल्‍लेख करना उचित होगा। इस निर्णय में भी प्रथम सूचना रिपोर्ट देरी से दर्ज हुई, साथ ही परिवादी के पक्ष में अन्‍य कमियां भी थी। माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा 50 प्रतिशत कटौती करते हुए नॉन स्‍टेण्‍डर्ड बेसिस पर आईडीवी मूल्‍य के 50 प्रतिशत दिलवाया जाना उचित पाया।
  6.           माननीय राष्‍ट्रीय आयोग के समक्ष मामले श्रीराम जनरल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी प्रति कमलेश प्रकाशित IV (2019) CPJ PAGE 186 (N.C.) में इन्‍हीं दशाओं में नॉन स्‍टेण्‍डर्ड बेसिस पर आईडीवी मूल्‍य के 60 प्रतिशत परिवादी को दिलवाया जाना उचित पाया गया।
  7.           समस्‍त परिस्थितियों को देखते हुए प्रस्‍तुत मामले में बीमे की शर्त का उपरोक्‍त उल्‍लंघन होने के कारण आईडीवी मूल्‍य का 60 प्रतिशत प्रत्‍यर्थी/परिवादी को दिलवाया जाना उचित है। इस धनराशि पर वाद योजन की तिथि से वास्‍तविक अदायगी तक 06 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज भी दिलवाया जाना उचित प्रतीत होता है। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।
  8.  

अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि आईडीवी मूल्‍य 4,98,750/-रू0 का 60 प्रतिशत मु0 2,99,250/-रू0 प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अदा करें। इस धनराशि पर वाद योजन की तिथि से वास्‍तविक अदायगी तक 06 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज भी अदा करें।

             आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

(विकास सक्‍सेना)(सुशील कुमार)

  •  

 

     संदीप आशु0कोर्ट नं0 2

 

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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