जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण अजमेर
श्री हीरासिंह चैहान पुत्र श्री खुमान सिंह, जाति- रावत, निवासी- प्लाॅट नं.-6, गली नं.7, न्यू गोविन्द नगर, रामगंज, अजमेर ।
प्रार्थी
बनाम
1. कोषाधिकारी एवं जिला सचिव, राजस्थान पेंषनर्स मेडिकलन रिलहफ फण्ड, अजमेर(राज)-305001
2. न्यासी बोर्ड, राजस्थान राज्य पेंषनर्स चिकित्सा रियायत योजना, निदेषालय, पेंषन एवं पेंषनर्स वेलफेयर विभाग, जयपुर(राज.)-302001
अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 247/2013
समक्ष
1. गौतम प्रकाष षर्मा अध्यक्ष
2. विजेन्द्र कुमार मेहता सदस्य
3. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
उपस्थिति
1.श्री सूर्यप्रकाष गांधी,अधिवक्ता, प्रार्थी
2. अप्रार्थी की ओर से विभागीय प्रतिनिधि उपस्थित
मंच द्वारा :ः- आदेष:ः- दिनांकः- 02.03.2015
1. प्रार्थी की ओर से यह परिवाद एक सेवानिवृत्त राज्य कर्मचारी होने से चिकित्सा पुर्नभरण हेतु अप्रार्थीगण के विरूद्व लाया गया है ।
2. परिवाद के तथ्योनुसार प्रार्थी की पत्नी दिनंाक 16.2.2011 से 2.8.2011 तक एम्स अस्पताल, दिल्ली में भर्ती रही तथा उसके बाद दिनांक 22.2.2011 तक एम्स अस्पतल में चैकअप के लिए उसे जाना पडा । आगे दर्षाया कि उसकी पत्नी का एम्स अस्पताल में फरवरी, 2011 से जून, 2011 तक इलाज चला जिसमें कुल राषि रू. 1,26,020.20 पै. खर्च हुई । जिसके पुर्नभुगतान हेतु अप्रार्थीगण को आवेदन किया लेकिन अप्रार्थीगण ने पुनः पत्र दिनांक 23.9.2011 से दर्षाया कि पेंषनर ने राज्य के बाहर अस्पताल में इलाज करवाया है जो बिना रेफर के करवाया । अतः पुर्नभरण देय होने योग्य नहीं बतलाया । प्रार्थी का कथन है कि उसकी पत्नी का इलाज आपातकालीन स्थिति में करवाया है क्योंकि यदि तत्काल इलाज नही ंकरवाया जाता तो उसकी पत्नी की आंखों की रोषनी को खतरा था । इस संबंध में एम्स अस्पताल के चिकित्सक ने भी प्रमाण पत्र जारी किया है । अतः प्रार्थी के क्लेम को अप्रार्थीगण द्वारा गलत रूप से अस्वीकार किया एवं पुनर्भरण की राषि दिलाए जाने की प्रार्थना की है ।
3. अप्रार्थीगण की ओर से जवाब पेष हुआ जिसमें दर्षाया है कि किसी पेंषनधारी को राज्य के बाहर के अस्पताल में इलाज हेतु सक्षम चिकित्सा अधिकारी द्वारा मामला रेफर करवाया जाना होता है जांे इस प्रकरण में नहीं हुआ है तथा राजस्थान सिविल सेवाएं(चिकित्सा परिचर्या नियम),2008 के नियम 10(2) के अनुसार यदि किसी रोग का उपचार एसएमएस सहित राज्य के किसी चिकित्सालय में नहीं होने पर मेडिकल बोर्ड की अभिषंषा होने पर राज्य से बाहर इलाज करवाया जा सकता है जो प्रार्थीया के मामले में नहीं करवाया गया है । अतः प्रार्थी को पुर्नभरण का यह अस्वीकार होने योग्य है जो सहीं रूप से अस्वीकार किया गया ।
4. हमने बहस पक्षकारान सुनी एवं पत्रावली का अनुषीलन किया ।
5. प्रार्थी द्वारा इस परिवाद से उसकी पत्नी के ईलाज पर फरवरी, 2011 से जून, 2011 तक खर्च हुई राषि रू. 1,26,000/- की मांग की है । अप्रार्थी विभाग द्वारा प्रार्थी के इस क्लेम को इस आधार पर अस्वीकार कर दिया कि यह राषि फोलोअप ट्रीटमेंट की है जो राजस्थान सिविल सेवाएं(चिकित्सा परिचर्या नियम),2008 के नियम 10(4) के अनुसार देय नहीं है । प्रार्थी की पत्नी एम्स अस्पताल, दिल्ली में दिनंाक 16.1.2011 से 2.2.2011 तक भर्ती रही । इस तरह से निर्विवाद रूप से प्रष्नगत राषि जो 4 बिलों की है वह उक्त अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद की अवधि की है । नियम 10(4)(उपरोक्त) के अनुसार फोलोअप ट्रीटमेंट के खर्च की राषि पुर्नभरण योग्य नहीं मानी गई है एवं प्रार्थी के ये सभी बिल क्रमषः दिनंाक 9.3.2011, 15.4.2011,10.5.2011 एवं 14.6.2011 के है । अतः अप्रार्थी विभाग द्वारा प्रार्थी के क्लेम को अस्वीकार करने में कोई भूल नहीं की है एवं प्रार्थी के क्लेम को सही रूप से अस्वीकार किया गया है । परिणामस्वरूप प्रार्थी का परिवाद खारिज होने योग्य है । अतः आदेष है कि
-ःः आदेष:ः-
6. प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार किया जाकर खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
(विजेन्द्र कुमार मेहता) (श्रीमती ज्योति डोसी) (गौतम प्रकाष षर्मा)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
7.. आदेष दिनांक 02.03.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
सदस्य सदस्या अध्यक्ष