राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-3426/1999
(जिला उपभोक्ता फोरम, उन्नाव द्वारा परिवाद संख्या-21/97 में पारित निर्णय दिनांक 15.11.99 के विरूद्ध)
प्रबंधक कोल्ड स्टोरेज दही चौकी उन्नाव। .........अपीलार्थी@विपक्षी
बनाम्
राज मंगल सिंह पुत्र मन्नू सिंह हिन्दू खेड़ा मजरा थाना व
परगना व तहसील व जिला उन्नाव। ........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2. मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री आलोक रंजन, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :कोई नहीं।
दिनांक 08.07.2015
मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम उन्नाव के परिवाद संख्या 21/97 में पारित निर्णय एवं आदेश दि. 15.11.99 के विरूद्ध योजित की गई है। जिला मंच द्वारा निम्न आदेश पारित किया गया है:-
'' परिवाद को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए आदेश दिया जाता है कि इस निर्णय की प्रति प्राप्त होने के तीस दिनों के अंदर विपक्षी, परिवादी को उसके 25.20 कुन्तल आलू का 10 प्रतिशत सड़न और सूखन के लिए काटकर रूपया 156/- प्रति कुन्तल की दर से दिनांक 12.10.96 से भुगतान की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर के साथ भुगतान करेगा और उसके द्वारा जमा किया गया भण्डारण शुल्क भी उसे वापस कर देगा तथा वाद व्यय हेतु उसे रू. 1000/- भी भुगतान करेगा।''
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी ने अप्रैल माह में विपक्षी कोल्ड स्टोरेज में 28 बोरा आलू जिसका वजन 25.20 कुन्तल था, जमा किया था आलू निकालने वह दिनांक 12.10.96 को जब गया तो विपक्षी ने आलू रखने का किराया रूपया 42/- प्रति बोरा की दर से रू. 1176/- लिया और उसकी मूल रसीद भी ले लिया और जब परिवादी अंदर गया तो उसने पाया कि वहां केवल दो अढ़ाई कुन्तल सड़ा हुआ आलू पड़ा था। परिवादी ने तब विपक्षी से अपने आलू की कीमत और जमा हुआ किराया मांगा तो विपक्षी आलू की कीमत रू. 100/- प्रति बोरा की दर से देने लगा, जिसे परिवादी ने स्वीकार नहीं किया और यह परिवाद
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दायर कर दिया।
पीठ ने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता की बहस को सुना तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का परिशीलन किया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
अपीलार्थी ने आधार अपील के प्रस्तर-4 में कहा है कि वर्ष 1996 में आलू का उत्पादन बहुत अधिक हुआ था तथा आलू निकालने के समय रू. 30/- से रू. 40/- कुन्तल ही था, इसलिए बहुत से व्यक्ति व काश्तकार जानबूझकर आलू उठाने नहीं आए, क्योंकि उसका मूल्य किराए से भी बहुत कम था, परन्तु पत्रावली पर कोई ऐसा साक्ष्य नहीं है जिससे अपीलार्थी के कथन की पुष्टि होती हो। यदि उसके कथन को मान भी लिया जाए तो अपीलार्थी को कोल्ड स्टोरेज अधिनियम के अंतर्गत नियमानुसार कार्यवाही करनी चाहिए थी। जिला मंच ने साक्ष्यों की पूर्ण विवेचना करते हुए अपना निर्णय दिया है, जो कि विधिसम्मत है, पीठ उसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं पाती है, अत: उपरोक्त विवेचना के दृष्टिगत प्रस्तुत अपील खारिज किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील खारिज की जाती है।
(राम चरन चौधरी) (राज कमल गुप्ता)
पीठासीन सदस्य सदस्य
राकेश, आशुलिपिक
कोर्ट-5