(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-850/2010
प्रबंधक इण्डिया इनफो-लाइन पी.लि.
बनाम
राज कुमार पुत्र लखपत तथा एक अन्य
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री अरविन्द कुशवाहा के कनिष्ठ
सहायक श्री आशीष शर्मा।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री सुशील कुमार मिश्रा।
दिनांक : 12.03.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-14/2009, राज कुमार तथा एक अन्य बनाम प्रबंधक इण्डिया इंफोलाइन प्रा0लि0 में विद्वान जिला आयोग, गोण्डा द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 31.7.2009 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर बल देने के लिए अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित नहीं है। यद्यपि उनके सहायक अधिवक्ता उपस्थित हैं, जिनके द्वारा कोई बहस नहीं की गयी, केवल प्रत्यर्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री सुशील कुमार मिश्रा को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादीगण द्वारा विपक्षी कंपनी में एक खाता खोला गया और इंटरनेट से समस्त सामग्री क्रय करने का सुझाव दिया गया। परिवादीगण से विपक्षी द्वारा क्रमश:
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अंकन 89,842/-रू0 एवं अंकन 2,00,000/-रू0 प्राप्त कर लिये गये, परन्तु यथार्थ में कोई खाता नहीं खोला गया और दिनांक 18.3.2008 को खाता खोलने और धनराशि वापस करने से इंकार कर दिया गया। परिवाद पत्र प्रस्तुत होने पर विपक्षी को पंजीकृत डाक से नोटिस प्रेषित की गयी, परन्तु कोई उपस्थित नहीं हुआ, इसलिए एकतरफा सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया गया कि परिवादीगण द्वारा जमा राशि 12 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस लौटायी जाय।
3. इस निर्णय/आदेश के विरूद्ध अपील इन आधारों पर प्रस्तुत की गयी है कि विद्वान जिला आयोग ने साक्ष्य विहीन निर्णय पारित किया है। चूंकि परिवादी ने अपना खाता नहीं खोला था तथा विपक्षी द्वारा कोई सेवा प्रदान नहीं की गयी थी, इसलिए उपभोक्ता संबंध स्थापित नहीं थे और उनके द्वारा कोई रसीद भी जारी नहीं की गयी है। यथार्थ में राम शंकर मिश्रा नामक व्यक्ति, जिनका कंपनी में खाता था, उनके द्वारा एक डी.डी. एवं बैंकर्स चेक अंकन 2,89,842/-रू0 जमा किया गया। इस त्रुटि के लिए राम शंकर मिश्रा उत्तरदायी हैं न कि अपीलार्थी और राम शंकर मिश्रा को पक्षकार भी नहीं बनाया गया है। परिवादी ने कभी भी कंपनी में खाता नहीं खोला और न ही कोई ड्राफ्ट जमा किया।
4. पत्रावली के अवलोकन से जाहिर होता है कि अपीलार्थी की ओर से दस्तावेज सं0-19 पर राम शंकर मिश्रा के खाते का विवरण प्रस्तुत किया है, जिसके अवलोकन से जाहिर होता है कि अंकन 89,842/-रू0 एवं अंकन 2,00,000/-रू0 की अदायगी राम शंकर मिश्रा द्वारा इण्डिया इंफोलाइन लिमिटेड को की गयी है और
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उनके द्वारा रसीद भी दाखिल की गयी है, जो पत्रावली पर दस्तावेज सं0-17 एवं 18 पर उपलब्ध है। यह सही है कि राम शंकर मिश्रा को परिवाद में पक्षकार नहीं बनाया गया है, परन्तु परिस्थितियां यह जाहिर करती हैं कि राम शंकर मिश्रा अपीलार्थी कंपनी के लिए कार्यरत थे और अपने कर्मचारी या एजेंट के किसी भी कार्य के लिए कंपनी उत्तरदायी है। फिर यह भी कि कंपनी द्वारा विद्वान जिला आयोग के समक्ष परिवाद में वर्णित तथ्यों का खण्डन नहीं किया गया है और अखण्डनीय साक्ष्य के आधार पर निर्णय/आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
5. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3