Uttar Pradesh

StateCommission

A/2008/1153

N I A Co - Complainant(s)

Versus

Raj Kumar - Opp.Party(s)

B.P.Pandey, Shri Umesh Kumar Sharma.

22 Feb 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2008/1381
( Date of Filing : 22 Jul 2008 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Raj Kumar
q
...........Appellant(s)
Versus
1. N I A Co
a
...........Respondent(s)
First Appeal No. A/2008/1153
( Date of Filing : 17 Jun 2008 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. N I A Co
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Raj Kumar
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Vikas Saxena PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 22 Feb 2022
Final Order / Judgement

( सुरक्षित )

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

अपील संख्‍या:- 1381/2008

राज कुमार उम्र 34 वर्ष, पुत्र श्री नरेश चन्‍द्र यादव निवासी- समाबाग चौहान कालोनी, अशोक नगर, इटावा यू०पी०।

                                                                                                                                                      अपीलार्थी

बनाम

मैसर्स न्‍यू इण्डिया इंश्‍योरेंश कम्‍पनी लि0 द्वारा ब्रांच मैनेजर, आफिस    स्‍टेशन रोड इटावा यू०पी०।

                                                                                                                                    प्रत्‍यर्थी   

                                                                                 एवं अपील संख्‍या- 1153/2008

न्‍यू इण्यिा एस्‍योरेंश कम्‍पनी लि0 द्वारा ए.एम. (लीगल सेल) 94,    एम०जी०मार्ग, आपोजिट राज भवन, हजरतगंज लखनऊ।

                                                                                                                                                             अपीलार्थी

                                 बनाम

राज कुमार, पुत्र श्री नरेश चन्‍द्र यादव निवासी- समाबाग चौहान कालोनी, अशोक नगर, इटावा यू०पी०।

                                                                                                                                                            .प्रत्‍यर्थी

समक्ष  :-

     माननीय श्री विकास सक्‍सेना सदस्‍य

      माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍या

      उपस्थिति :

     अपीलार्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित – विद्वान अधिवक्‍ता श्री वी०पी० पाण्‍डेय

      प्रत्‍यर्थी बीमा कम्‍पनी की ओर से - विद्वान अधिवक्‍ता श्री उमेश कुमार शर्मा

 

 

 

2

    दिनांक:   22 .06.2023

 

माननीय सदस्‍य श्री विकास सक्‍सेना द्वारा उदघोषित

  •   

        प्रस्‍तुत अपील संख्‍या-1381/2008 अपीलार्थी राज कुमार की ओर से विद्वान जिला आयोग, इटावा द्वारा परिवाद संख्‍या- 71/2002 (राज कुमार बनाम न्‍यू इण्डिया एश्‍योरेंश कम्‍पनी लि0) एवं अपील संख्‍या-1153/2008 न्‍यू इण्डिया इंश्‍योरेंश कम्‍पनी लि0 द्वारा परिवाद संख्‍या- 71/2002 (राजकुमार बनाम न्‍यू इण्डिया एश्‍योरेंश कम्‍पनी लि0 ) में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक- 24-05-2008 के विरूद्ध योजित की गयी हैं।

               प्रस्‍तुत अपील में उभय-पक्ष एक ही हैं अत: जिला आयोग द्वारा

एक ही निर्णय के द्वारा परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया गया है:-

      परिवादी का परिवाद सव्‍यय स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी एक माह के अन्‍दर वाहन की क्षतिपूर्ति राशि, 61,259.45/- रू० मय 10 प्रतिशत ब्‍याज परिवाद दायर करने की तिथि से तथा 15,000/-रू० हर्जा एवं 1000/-रू० वाद व्‍यय परिवादी को अदा करें। निर्धारित अवधि में धनराशि का भुगतान न होने पर सम्‍पूर्ण धनराशि पर 15 प्रतिशत ब्‍याज देय होगा।

        जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय के विरूद्ध अपील संख्‍या-1153/2008 योजित की गयी है।

     वाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी ने अपनी जीप संख्‍या– यू०पी० 75बी/9599 का बीमा विपक्षी बीमा कम्‍पनी से असीमित दायित्‍वों हेतु कराया था। दिनांक 14-07-2000 को उक्‍त जीप एक ट्रक से टकरा जाने के कारण क्षतिग्रस्‍त हो गयी‍ जिससे

3

 

वाहन की काफी क्षति हुयी। परिवादी ने समस्‍त औपचारिकताएं पूर्ण करते हुए बीमा क्‍लेम बीमा कम्‍पनी के समक्ष प्रस्‍तुत किया परन्‍तु बीमा कम्‍पनी ने क्षतिपूर्ति का भुगतान नहीं किया। वाहन का सर्वे भी विपक्षी द्वारा कराया गया और बिना किसी तथ्‍य के जांच कराए पत्रावली बन्‍द कर दी गयी और बीमा क्‍लेम का भुगतान नहीं किया गया जो कि विपक्षी बीमा कम्‍पनी द्वारा सेवा में की गयी कमी है। अत: जिला आयोग के समक्ष परिवाद दाखिल किया गया।

        विद्वान जिला आयोग ने उभय-पक्ष के अभिकथन एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का सम्‍यक परिशीलन करने के उपरान्‍त परिवाद स्‍वीकार करते हुए प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश पारित किया है जो ऊपर अंकित किया गया है। 

     अपील संख्‍या-1153/2008 में प्रश्‍नगत निर्णय के विरूद्ध अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी न्‍यू इण्डिया एश्‍योरेंश कम्‍पनी लि0 में मुख्‍य रूप से यह आधार लिया गया है कि दिनांक 14-07-2000 को बीमित वाहन के दुर्घटनाग्रस्‍त होने के उपरान्‍त बीमा कम्‍पनी द्वारा तुरन्‍त सर्वेयर नियुक्‍त किया गया। श्री बी०के० अग्रवाल ने मौके पर वाहन का सर्वे किया। इसके उपरान्‍त श्री अमित कुमार अवस्‍थी द्वारा दिनांक 23-07-2000 को वाहन का फाइनल सर्वे किया गया जिसमें वाहन की क्षति का आंकलन 61,259.45/-रू० किया गया। अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी के अनुसार वाहन का बीमा स्‍वयं का माल वहन करने हेतु किया गया था किन्‍तु बीमा पालिसी की शर्तों का उल्‍लंघन करते हुए प्रश्‍नगत जीप में अमर उजाला प्रेस के समाचार पत्र के बण्‍डलों को

4

ले जाया जा रहा था जो निश्चित रूप से बीमा पालिसी की शर्त का उल्‍लंघन है। इस प्रकार परिवादी द्वारा बीमा पालिसी की शर्त का उल्‍लंघन किया गया है जिसके कारण बीमा क्‍लेम रेप्‍युडिएट किया गया है। बीमा कम्‍पनी द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। बीमित व्‍यक्ति वाहन की बीमित धनराशि प्राप्‍त करने का अधिकारी नही हैं एवं उचित प्रकार से बीमा क्‍लेम अस्‍वीकार किया गया है। इन तथ्‍यों को नजरअंदाज करके जिला आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए उपरोक्‍त निर्णय पारित किया है जो अपास्‍त होने योग्‍य है।

        अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी/परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री वी०पी० पाण्‍डेय उपस्थित हुए। प्रत्‍यर्थी बीमा कम्‍पनी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री उमेश कुमार शर्मा उपस्थित हुए हैं।  

          पीठ द्वारा उभय-पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का सम्‍यक परिशीलन किया गया।

अभिलेख पर उपलब्‍ध रेप्‍युडिएशन लेटर दिनांक 07-05-2001 के अवलोकन से यह स्‍पष्‍ट है कि क्‍लेम को निरस्‍त करने का कारण यह दिया गया है कि वाहन "अमर उजाला" के बण्‍डल लादकर कानपुर से इटावा की ओर जा रहा था। दुर्घटना के समय वाहन में सवारियां बैठी हुयीं थी, जबकि उसका उपरोक्‍त वाहन स्‍वयं का सामान ढोने हेतु  प्राइवेट कैरियर ऑन गुड्स (Carrier own Goods) के रूप में बीमित था। अत: उपरोक्‍त तथ्‍यों से ज्ञात होता है कि परिवादी द्वारा बीमा

 

5

पालिसी की शर्त में "उपयोग के समय परिसीमाएं" का स्‍पष्‍ट उल्‍लंघन किया गया है।

 इस प्रकार बीमाकर्ता ने इस आधार पर बीमा पालिसी की शर्तों का उल्‍लंघन किया है कि दुर्घटना के समय वाहन "अमर उजाला" के बण्‍डल लादे हुए था, बीमा क्‍लेम फार्म संलग्‍नक-6 के रूप में अभिलेख पर उपलब्‍ध है। संलग्‍नक-5 "दुर्घटना का विवरण" में अंकित है कि परिवादी ने स्‍वयं यह कहा है कि मेरी गाड़ी में माल "अमर उजाला" के बण्‍डल लादकर इटावा की तरफ ले जाया जा रहा था। इस प्रकार स्‍वयं क्‍लेम फार्म परिवादी की स्‍वीकृति को देखते हुए अस्‍वीकार किया गया है।  इस सम्‍बन्‍ध में विद्वान जिला आयोग ने उचित प्रकार से निष्‍कर्ष दिया है जिसमें यह अंकित किया गया है कि-

यद्यपि कि प्राथिमिकि एवं दावा फार्म में यह उल्‍लेख है कि गाड़ी में अमर उजाला प्रेस कानपुर से पेपर बण्‍डल लाद कर इटावा की तरफ आ रही थी इससे यह अवधारित नहीं किया जा सकता है कि परिवादी अपने उक्‍त वाहन पर किराए पर बण्‍डल ढो रहा था। हो सकता है कि वह अखबार क्रय कर ला रहा हो, विपक्षी की ओर से कोई भी साक्ष्‍य इस तथ्‍य का नही प्रस्‍तुत है कि उक्‍त वाहन पर किराए पर अखबार का बण्‍डल ढोया जा रहा था। मोटर दावा न्‍यायाधिकरण विशेष न्‍यायधीश इटावा वाद संख्‍या– 70/01 एवं 319/2002 में निर्णय दिनांक 17-08-2004 से 0147 भी यह स्‍पष्‍ट है कि बीमा पालिसी की शर्तो का कोई उल्‍लंघन नहीं किया गया। बीमा पालिसी की शर्तो के उल्‍लंघन को सिद्ध करने का भार बीमा कम्‍पनी पर है। यह बिन्‍दु माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय के निर्णयों

6

स्‍कैण्डिया इंश्‍योरेंश कम्‍पनी लि0 प्रति कोकिलाबेन चन्‍द्रावदन ए०आई०आर० 1987 (एस०सी०) 1184 तथा काशीराम यादव प्रति ओरियण्‍टल इंश्‍योरेंश कम्‍पनी लि0 ए०आई०आर० 1989 (एस०सी० 2002 में प्रतिपादित किया गया है। लेकिन बीमा कम्‍पनी उसे सिद्ध करने में असफल रही है जिससे यह स्‍पष्‍ट है कि विपक्षी बीमा कम्‍पनी ने मनमाने तौर पर परिवादी का क्‍लेम निरस्‍त किया है जो सेवा में कमी का द्योतक है।

उपरोक्‍त निष्‍कर्ष उचित प्रतीत होता है क्‍योंकि यह तथ्‍य बीमा कम्‍पनी को साबित करना है कि जो अखबार वाहन पर लदे हुये थे वह व्‍यावसायिक उद्देश्‍य से आ रहे थे एवं प्रश्‍नगत वाहन का प्रयोग व्‍यासायिक उद्देश्‍य से हो रहा था। बिना किसी साक्ष्‍य से साबित किये मात्र बीमा कम्‍पनी द्वारा यह कथन किया जाना कि प्रश्‍नगत वाहन का व्‍यावसायिक उपयोग हो रहा था उचित नहीं है। विद्वान जिला आयोग ने समस्‍त तथ्‍यों को उचित ढंग से विश्‍लेषित करते हुए निर्णय एवं आदेश पारित किया है जो पुष्टि होने योग्‍य है।

जिला आयोग द्वारा अपने आदेश में 61,259.45 रूपये परिवादी को दिलाए जाने हेतु आदेश पारित किया गया है। परिवादी की ओर से प्रस्‍तुत अपील संख्‍या-1381/2008 में परिवादी द्वारा इस धनराशि को कम दर्शाया गया है किन्‍तु यह धनराशि उचित प्रतीत होती है। विद्वान जिला आयोग ने जो 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से 15,000/-रू० हर्जा दिलाए जाने हेतु आदेशित किया है वह उचित नहीं है। अत: इसे अपास्‍त किया जाता है। इसके अतिरिक्‍त निर्धारित अवधि में धनराशि अदा न करने पर 10 प्रतिशत के स्‍थान पर 15 

7

प्रतिशत वार्षिक की दर से दिलाये जाने हेतु आदेशित किया गया है वह भी उचित नहीं है। उक्‍त सीमा आदेश भी निरस्‍त होने योग्‍य है। शेष निर्णय की पुष्टि होने योग्‍य है।   

                आदेश

 प्रस्‍तुत अपील संख्‍या-1153/2008 आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश इस प्रकार संशोधित किया जाता है कि जिला आयोग द्वारा आदेशित धनराशि 61,259.45 रूपये मय 10 प्रतिशत ब्‍याज सहित अदा करने हेतु बीमा कम्‍पनी को आदेशित किया जाता है। जिला आयोग द्वारा जो 15,000/-रू० हर्जा हेतु प्रदान किया गया है उसे अपास्‍त किया जाता है, शेष निर्णय की पुष्टि की जाती है।

 अपील संख्‍या-1381/2008 जो धनराशि बढोत्‍तरी हेतु योजित की गयी है वह निरस्‍त की जाती है।

         प्रस्‍तुत अपील संख्‍या-1153/2008 में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।

       आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

                                                      

            (विकास सक्‍सेना)                           (सुधा उपाध्‍याय)

               सदस्‍य                                                सदस्‍य

           

          कृष्‍णा–आशु0 कोर्ट नं0 3

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.