Uttar Pradesh

StateCommission

A/2007/1075

Kopal Hospital - Complainant(s)

Versus

Raj kumar - Opp.Party(s)

Isar Husain & Piyush Mani Tripathi

24 Sep 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2007/1075
( Date of Filing : 21 May 2007 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Kopal Hospital
Barelly
...........Appellant(s)
Versus
1. Raj kumar
Barelly
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 24 Sep 2024
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-1075/2007

M/S Kopal Hospital, Near Satya Petrol Pump

Versus  

Raj Kumar S/O Shri Hem Raj

समक्ष:-                                                             

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

उपस्थिति:-

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री इसार हुसैन, विद्धान अधिवक्‍ता, 

                                                 सुश्री तरूषि गोयल, विद्धान अधिवक्‍ता

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित:- कोई नहीं

दिनांक :24.09.2024 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

  1.            परिवाद संख्‍या-101/2006, राजकुमार बनाम मैसर्स कोपल हॉस्पिटल  में विद्वान जिला आयोग, (प्रथम) बरेली द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक 21.03.2007 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना गया। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
  2.          परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी दिनांक 20.02.2006 को 02 वर्ष पूर्व पैर में हड्डी टूटने के कारण लगे हुए रॉड को निकलवाने के लिए भर्ती हुआ था। विपक्षी ने रॉड को निकालने के लिए 2 ऑपरेशन किये। इस दौरान रॉड टूट गया और पैर से बाहर नहीं निकाला जा सका और परिवादी को मजबूरन अस्‍पताल से दिनांक 28.02.2006 को डिस्‍चार्ज कर दिया गया। परिवादी अत्‍यधिक शारीरिक, मानसिक पीड़ा में रहा और उसे शील अस्‍पताल राजेन्‍द्र नगर बरेली में दिनांक 08.02.2006 को भर्ती होना पड़ा। वहां पर रॉड निकाला गया। जिला उपभोक्‍ता आयोग के समक्ष विपक्षी की ओर से कोई आपत्ति प्रस्‍तुत नहीं की गयी। एकतरफा निर्णय पारित करते हुए इलाज मे खर्च राशि तथा मानसिक प्रताड़ना के मद में देय राशि 25,000/-रू0 कुल 65,000/-रू0 के लिए क्षतिपूर्ति का आदेश पारित किया गया है।
  3.        अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि उनको कोई सूचना प्राप्‍त नहीं हुई। जिला उपभोक्‍ता आयोग ने अपने निर्णय मे स्‍पष्‍ट उल्‍लेख किया है कि दिनांक 23.01.2007 को एकपक्षीय रूप से वाद की सुनवाई की गयी। एकपक्षीय रूप से वाद की सुनवाई उस समय होती है जब यह निर्धारित किया जा चुका होता है कि विपक्षी पर नोटिस की तामील पर्याप्‍त हो चुकी है। नोटिस की तामील पर्याप्‍त हुए बिना एकपक्षीय सुनवाई का आदेश पारित नहीं किया जा सकता और इस तथ्‍य की उपधारणा भारतीय साक्ष्‍य अधिनियम की धारा 114 के अंतर्गत की जा सकती है (तत्‍समय लागू) कि जिला उपभोक्‍ता आयोग ने जो आदेश पारित किया है वह न्‍यायिक रूप से तथा सम्‍यक प्रक्रिया  का अनुपालन करते हुए पारित किया है कि जब तक इसका विशिष्‍ट खण्‍डन न किया गया हो। जिला उपभोक्‍ता आयोग की पत्रावली के आदेश पंजिका की प्रतिलिपि प्रस्‍तुत कर इस तथ्‍य का खण्‍डन कर सकते थे कि उन्‍हें कभी भी सूचना प्राप्‍त नहीं हुई, परंतु ऐसा नहीं किया गया, इसलिए सभी कार्य सुचारू रूप से किये जाने की उपधारणा स्‍थापित है। अत: परिवादी द्वारा वर्णित तथ्‍यों एवं उनके समर्थन में प्रस्‍तुत की गयी साक्ष्‍य का कोई खण्‍डन न होने के कारण निर्णय एवं आदेश को परिवर्तित करने का कोई आधार नहीं है। विशेषता उस स्थिति में जबकि परिवादी ने इस तथ्‍य को सशपथ साबित किया है कि दिनांक 20.02.2006 को विपक्षी के अस्‍पताल में भर्ती हुआ और वहां पर ऑपरेशन करते समय राड टूट गयी और पैर से नहीं निकाली जा सकी और अस्‍पताल द्वारा दिनांक 28.02.2006 को डिस्‍चार्ज कर दिया गया। बगैर पर्याप्‍त इलाज के डिस्‍चार्ज करना या उच्‍च दर्जा प्राप्‍त अस्‍पताल को रेफर न करना स्‍वयं में लापरवाही का द्योतक है, इसलिए जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्‍तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है। तदनुसार अपील खारिज होने योग्‍य है।

आदेश

        प्रस्‍तुत अपील खारिज की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता   आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश की पुष्टि की जाती है।

                उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वंय वहन करेंगे।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित संबंधित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

    आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

          

(सुधा उपाध्‍याय)(सुशील कुमार)

सदस्‍य सदस्‍य

 

      संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2

  

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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