Uttar Pradesh

StateCommission

A/2005/1868

Mahindra and Mahindra Ltd - Complainant(s)

Versus

Raj Kumar Tiwari - Opp.Party(s)

K N Shukla

16 Nov 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2005/1650
( Date of Filing : 05 Oct 2005 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Narain Automobiles
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Raj Kumar Tiwari
a
...........Respondent(s)
First Appeal No. A/2005/1868
( Date of Filing : 04 May 2005 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Mahindra and Mahindra Ltd
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Raj Kumar Tiwari
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 16 Nov 2021
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील संख्‍या-1650/2005

मैसर्स नारायन आटोमोबाइल्‍स 4 शाह नजफ रोड लखनऊ द्वारा

मैनेजिंग डायरेक्‍टर।                      ...........अपीलार्थी@विपक्षी

बनाम

राज कुमार तिवारी पुत्र स्‍व0 नंद लाल तिवारी निवासी ग्राम

भेटमुवा पोस्‍ट हैदरगढ़ जिला बाराबंकी व 2 अन्‍य।  .......प्रत्‍यर्थीगण/परिवादी

अपील संख्‍या-1868/2005

मैसर्स महिन्‍द्रा एण्‍ड महिन्‍द्रा लि0 द्वारा एरिया मैनेजर, आटोमोटिव

सेन्‍टर, महिन्‍द्रा टावर, फैजाबाद रोड, नियर एच.ए.एल. लखनऊ।

                                         ...........अपीलार्थी@विपक्षी

बनाम

राज कुमार तिवारी पुत्र स्‍व0 नंद लाल तिवारी निवासी ग्राम

भेटमुवा पोस्‍ट हैदरगढ़ जिला बाराबंकी व 2 अन्‍य।     .......प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

1. मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री के0एन0 शुक्‍ला, विद्वान  अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री एस0बी0 श्रीवास्‍तव, विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक 29.12.2021

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.   परिवाद संख्‍या 679/2000 राजकुमार तिवारी बनाम महिन्‍द्रा एण्‍ड  महिन्‍द्रा व 2 अन्‍य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 01.07.2005 के विरूद्ध अपील संख्‍या 1650/05 मेसर्स नारायण आटो मोबाइल द्वारा  द्वारा प्रस्‍तुत की गई है जबकि अपील संख्‍या 1868/05 मैसर्स महिन्‍द्रा एण्‍ड महिन्‍द्रा लि0 प्रस्‍तुत की गई है। चूंकि दोनों अपीलें एक ही निर्णय के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई हैं, इसलिए दोनों अपीलों का निस्‍तारण एक ही साथ किया जा रहा है। इस हेतु अपील संख्‍या 1650/05 अग्रणी होगी।

 

 

-2-

2.   परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी ने अपनी जीविका हेतु महिन्‍द्रा एण्‍ड महिन्‍द्रा जीप दि. 28.02.02 को विपक्षी संख्‍या 2 से खरीदी थी, जिसकी कुल कीमत 422000/- थी। अंकन रू. 290000/- विपक्षी संख्‍या 2 द्वारा फाइनेन्‍स किए गए थे। जीप की वारंटी 3 साल थी। वारंटी की अवधि के दौरान दि. 29.03.03 को जीप खराब हो गई, अत: परिवादी जीप ठीक कराने के लिए दि. 29.03.03 को अधिकृत वर्कशाप में ले गया। 10 दिन के अंदर ठीक करने का आश्‍वासन दिया गया, परन्‍तु जीप वर्कशाप में 250 दिन तक रही। विपक्षी संख्‍या 3 द्वारा पुराना इंजन लगाकर गाड़ी वापस कर दी। परिवादी जीप का प्रयोग नहीं कर सका, इसलिए अंकन एक लाख रूपये का नुकसान हुआ। चूंकि नया इंजन नहीं लगाया गया, इसलिए जीप चलाने योग्‍य नही रही, अत: परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

3.   विपक्षी संख्‍या 2 का कथन है कि परिवादी एवं विपक्षी संख्‍या 1 के मध्‍य विवाद का निस्‍तारण मुम्‍बई न्‍यायाधिकरण क्षेत्र के अंतर्गत आता है, अत: इस फोरम में वाद चलने योग्‍य नहीं है। यह भी उल्‍लेख है कि समस्‍त किश्‍तें जमा नहीं की गईं।

4.   विपक्षी संख्‍या 4 का कथन है कि परिवादी ने जीप अपने उपयोग के लिए नहीं खरीदी, बल्कि व्‍यवसाय हेतु खरीदी है, इसलिए वह उपभोक्‍ता नहीं है। यह भी उल्‍लेख किया गया कि वर्कशाप में जीप केवल 75 दिन रही और नया आफ इंजन ब्‍लाक लगाया गया।

5.   विपक्षी संख्‍या 1 का कथन है कि जीप की गारंटी एक साल थी, दो साल की वारंटी ड्राइव लाइन पर थी। परिवादी ने जीप में आफ इंजन

 

-3-

असेम्‍बली लगाई गई और जीप व्‍यवसाय हेतु खरीदी थी, इसलिए उपभोक्‍ता परिवाद संधारणीय नहीं है।

6.   सभी पक्षकारों के साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात जिला उपभोक्‍ता  मंच द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि पंचाट की धारा का उल्‍लेख करने मात्र से जिला उपभोक्‍ता मंच का अधिकार समाप्‍त नहीं हो जाता और परिवादी पर बकाया राशि को अदा करने का दायित्‍व परिवादी पर डाला गया, परन्‍तु  गाड़ी नया इंजन लगाकर वापस लौटाने के लिए कहा गया और जीप का इंजन न बदलने की स्थिति में रू. 275000/- अदा करने का आदेश दिया गया।

7.   इस निर्णय व आदेश द्वारा प्रस्‍तुत की गई अपील का सार यह है कि जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित आदेश विधि विरूद्ध है। इंजन पूर्व में नया आफ इंजन ब्‍लाक पूर्व में लगा दिया गया। वारंटी अवधि समाप्‍त हो चुकी थी, इसलिए वारंटी अवधि के बाद नया इंजन बदलने का कोई प्रावधान नहीं है।

8.   दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍ताओं को सुना। प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।

9.   परिवाद संख्‍या 579/2000 में निर्णय दि. 01.07.05 को पारित किया गया है, जबकि यह अपील संख्‍या 1650/05 दि. 04.10.05 को प्रस्‍तुत की गई है, जो समयावधि से बाधित है। अपील प्रस्‍तुत करने में देरी को माफ करने के लिए आवेदन संख्‍या 15 प्रस्‍तुत किया गया है, जिसमें उल्‍लेख है कि शपथपत्र में देरी के कारणों का वर्णन किया गया है। शपथपत्र में यह उल्‍लेख है कि दि. 01.07.05 को निर्णय पारित हो जाने के पश्‍चात दि. 10.08.05 को निर्णय की प्रति प्राप्‍त की गई तथा इस पर लीगल राय मांगी

-4-

गई, लीगल राय दि. 01.10.05 को दी गई। दि. 03.10.05 को अपील दाखिल करने का निर्देश दिया गया और दि. 04.10.05 को अपील का ड्राफ्ट तैयार हुआ और अपील प्रस्‍तुत की गई। उपरोक्‍त वर्णित सभी आधार पर्याप्‍त आधार की श्रेणी में नहीं आते। दि. 01.07.05 को निर्णय न हो जाने के पश्‍चात प्रतिलिपि प्राप्‍त करने में अनावश्‍यक देरी की गई है। चूंकि सभी पक्षकार जिला उपभोक्‍ता मंच के समक्ष उपस्थित थे, इसलिए निर्णय की कापी की प्रति प्राप्‍त करने के लिए 40 दिन का समय लेने की कोई आवश्‍यकता नहीं है। पक्षकारों को मालूम था कि निर्णय पारित हो चुका है, इसलिए निर्णय पारित होने के तुरंत पश्‍चात निर्णय की प्रति के लिए आवेदन प्रस्‍तुत किया जा सकता था। इसी प्रकार कानूनी राय मांगने, अपील की देरी  माफ करने का विधिसम्‍मत आधार नहीं है, अत: देरी के आधार पर खारिज होने योग्‍य है।

10.  अपील संख्‍या 1868/05 दि. 08.11.05 को प्रस्‍तुत की गई है। इस अपील को प्रस्‍तुत करने में हुई देरी को माफ करने के लिए आवेदन संख्‍या  15 प्रस्‍तुत किया गया, जिसमें उल्‍लेख है कि शपथपत्र में वर्णित तथ्‍यों के आधार पर देरी माफ की जाए। शपथपत्र में उल्‍लेख है कि निर्णय की कापी दि. 10.08.05 को प्राप्‍त की गई, इसके पश्‍चात अधिवक्‍ता की सलाह मांगी गई, इसलिए प्राप्‍त करने के पश्‍चात अपील का ज्ञापन तैयार किया गया और अपील प्रस्‍तुत की गई है। अपील में वर्णित कारण देरी माफ करने के लिए पर्याप्‍त आधार नहीं कहे जा सकते। इसी प्रकार कानूनी राय मांगने, अपील की देरी माफ करने का विधिसम्‍मत आधार नहीं है, अत: देरी के आधार पर खारिज होने योग्‍य है। तदनुसार उपरोक्‍त दोनों अपीलें खारिज होने योग्‍य हैं।

 

-5-

आदेश

     उपरोक्‍त दोनों अपीलें खारिज की जाती हैं।

     उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

     इस निर्णय की प्रति अपील संख्‍या 1868/2005 में भी रखी जाए।

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की

वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

           

       (राजेन्‍द्र सिंह)                      (सुशील कुमार)                                                                                                                                                 सदस्‍य                             सदस्‍य

 

     निर्णय आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

        (राजेन्‍द्र सिंह)                      (सुशील कुमार)                                                                                                                                                  सदस्‍य                             सदस्‍य         

राकेश, पी0ए0-2

कोर्ट-2

 

        

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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