Uttar Pradesh

Chanduali

MA/11/2015

Namvar - Complainant(s)

Versus

Raj India Auto Private L.T.D - Opp.Party(s)

Abhinav Singh

11 Jul 2016

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum, Chanduali
Final Order
 
Miscellaneous Application No. MA/11/2015
In
Miscellaneous Application No. 0
 
1. Namvar
Vill-Chokae Poliya Po-Ballipur Th- Bluaa Chandauli
Varanasi
UP
...........Appellant(s)
Versus
1. Raj India Auto Private L.T.D
Pindara Varanasi
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Shashi Yadav MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

 न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम,चन्दौली।
प्रकीर्ण वाद 11                                                सन् 2015ई0
नामवर                        बनाम   राज इण्डिया आटो प्रा0लि0
11-7-2016
    पत्रावली प्रस्तुत हुई। पक्षकारों के अधिवक्तागण उपस्थित है। परिवादी द्वारा परिवाद दाखिल करने में हुए बिलम्ब को क्षमा करने हेतु दिये गये प्रार्थना पत्र अन्र्तगत धारा 24 क(।।) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम पर उभय पक्ष के अधिवक्तागण को सुना गया तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।
    उपरोक्त बिन्दु पर हम लोगों द्वारा गम्भीरतापूर्व विचार किया गया। धारा 24-क के प्राविधान निम्नवत हैः-
’’24-क-परिसीमा की अवधि (।) जिला पीठ,राज्य आयोग या राष्ट्रीय आयोग किसी परिवाद को तब तक ग्रहण नहीं करेगा जबतक कि वह वाद कारण उत्पन्न होने के दिनांक से दो वर्ष के भीतर दाखिल न किया गया हो। (2)उपधारा(1) में किसी बात के होते हुए भी उपधारा (1) में विनिर्दिष्ट अवधि के पश्चात प्रस्तुत कोई परिवाद ग्रहण किया जा सकेगा यदि परिवादी जिला पीठ,राज्य आयोग या राष्ट्रीय आयोग जैसी भी स्थिति हो, का यह समाधान कर देता है कि ऐसी अवधि में परिवाद दायर न करने के लिए उसके पास पर्याप्त कारण था।
    परन्तु ऐसा कोई परिवाद ग्रहण नहीं किया जायेगा जबतक जिला पीठ,राज्य आयोग या राष्ट्रीय आयोग जैसी भी स्थिति हो, ऐसे बिलम्ब को क्षमा करने के कारण अभिलिखित नहीं करता।’’
    धारा24-क के उपरोक्त प्राविधान से यह स्पष्ट है कि वाद कारण उत्पन्न होने के दिनांक से 2 वर्ष के भीतर परिवाद जिला फोरम में दाखिल किया जा सकता है। यदि वाद कारण उत्पन्न होने के 2 वर्ष के अन्दर परिवाद दाखिल नहीं किया गया है तो दावा उसी स्थिति में ग्रहण किया जा सकता है जब परिवादी यह समाधान कर देता है कि उपरोक्त निर्धारित समय सीमा की अवधि में परिवाद दायर न करने का उसके पास पर्याप्त कारण रहा है। इस प्रकार स्पष्ट है कि यदि निर्धारित समय सीमा के बाद परिवाद प्रस्तुत किया जाता है तो उक्त धारा 24-क (।।) के प्राविधानों के अन्र्तगत विलम्ब का सम्यक कारण प्रदर्शित करना आवश्यक है अर्थात इस संदर्भ में परिवादी को आवेदन पत्र देकर समाधान करना होगा कि किन कारणों की वजह से वाद कारण उत्पन्न होने की तिथि 2 वर्ष के भीतर दावा प्रस्तुत नहीं किया जा सका। यदि परिवादी ने दावा दाखिल करते समय आवेदन देकर ऐसे कारण स्पष्ट नहीं किये है तो धारा24-क की उपधारा (।।) के प्राविधान का कोई लाभ उसे प्रदान नहीं किया जा सकता है।
    प्रस्तुत मामले में धारा 24-क(।।) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्र्तगत दिये गये प्रार्थना पत्र के समर्थन में परिवादी नामवर ने अपना शपथ पत्र दाखिल किया है जिसमे यह कहा गया है कि उसने विपक्षी संख्या 2 के यहाॅं से एक आटो रिक्शा दिनांक 15-5-2013 को खरीदा था जिसका मेमो सीरियल नम्बर 1425 है लेकिन जब उक्त वाहन का रजिस्ट्रेशन करवाने परिवादी उप संभागीय परिवहन कार्यालय पहुंचा तब ज्ञात हुआ कि वाहन का सेल सर्टिफिकेट जो उसे दिया गया है वह दिनांक 21-12-2012 का है और डिलेवरी सर्टिफिकेट दिनांक 15-5-2013 का है इसलिए आटो रिक्शा का रजिस्ट्रेशन नहीं हो सकता। इस सम्बन्ध में परिवादी विपक्षीगण से सम्पर्क किया तो विपक्षी संख्या 2 ने कहा कि सारे कागजात मेरे पास जमा कर दो गाडी का रजिस्ट्रेशन हो जायेगा। परिवादी के बार-बार दौडाने के बावजूद वाहन का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ और परिवादी से कहा गया कि वह विपक्षी संख्या 1 से सम्पर्क करे। विपक्षी संख्या 1 से सम्पर्क करने पर उसने भी परिवादी को आश्वासन दिया कि वाहन का रजिस्ट्रेशन करवा दिया जायेगा लेकिन उसने भी रजिस्ट्रेशन नहीं कराया तब परिवादी ने यह परिवाद दाखिल किया है।
    इस प्रार्थना पत्र के विरूद्ध विपक्षी संख्या 1 की ओर से जो आपत्ति दाखिल हुई है उसमे मुख्य रूप से यह कहा गया है कि परिवादी ने आटो रिक्शा विपक्षी संख्या 2 के यहाॅं से क्रय किया है जो विपक्षी संख्या 1 का सब डीलर नियुक्त है। परिवादी ने आटो रिक्शा दिनांक 21-12-2012 को खरीदा है जैसा कि सेल सर्टिफिकेट में दर्शित है वाहन क्रय करने के बाद परिवादी ने उसका रजिस्ट्रेशन नहीं कराया और बिना रजिस्ट्रेशन के ही वाहन का संचालन करता रहा जब बिना रजिस्ट्रेशन के वाहन संचालन मे ंउसे असुविधा होने लगी तब विलम्ब से वाहन का रजिस्ट्रेशन कराने का प्रयास किया और रजिस्ट्रेशन में उत्पन्न बाधा से बचाव हेतु 
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कूटरचित मैन्यूवल डिलेवरी सर्टिफिकेट बनाकर यह दावा दाखिल किया गया है। यदि परिवादी को सेल इन्वायस सेल सर्टिफिकेट डिलेवरी के पहले का दिया गया था तो इसकी शिकायत उसे तत्काल करनी चाहिए थी लेकिन उसने ऐसा कुछ भी नहीं किया है और परिवादी के कथन में कोई सच्चाई नहीं है। अतः परिवादी धारा 24-क (।।) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का लाभ पाने का अधिकारी नहीं है और उसका प्रकीर्ण वाद निरस्त किये जाने योग्य है।
    इसी प्रकार विपक्षी संख्या 2 ने भी आपत्ति दाखिल की है और आपत्ति के साथ संलग्न शपथ पत्र में मुख्य रूप से यह कहा गया है कि परिवादी ने विपक्षी संख्या 2 के यहाॅं से दिनांक 15-5-2013 को कोई आटो रिक्शा नहीं खरीदा था और न ही कोई पूछताछ करने आया था एवं न ही रजिस्ट्रेशन हेतु कोई कागजात दिया था। विपक्षी संख्या 2 को गलत रूप से पक्षकार बनाया गया है और परिवाद काफी विलम्ब से दाखिल किया गया है और विलम्ब क्षमा किये जाने योग्य नहीं है तथा परिवादी का परिवाद पत्र अन्र्तगत धारा 24-क (।।) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्र्तगत निरस्त किये जाने योग्य है।
    परिवादी के अधिवक्ता द्वारा तर्क दिया गया कि परिवादी ने विपक्षी संख्या 2 के यहाॅं से आटो रिक्शा दिनांक 15-5-2013 को क्रय किया था। इस सम्बन्ध में परिवादी की ओर से डिलेवरी सैटीस्फेक्शन नोट कागज संख्या 4/1 दाखिल किया गया है और इस पर विक्रता तथा परिवादी के हस्ताक्षर मौजूद है लेकिन विपक्षी की ओर से जो सेल सर्टिफिकेट कागज संख्या 4/2 जारी हुआ है वह दिनांक 21-12-2012 का है और सेल इन्वायस भी दिनांक 21-12-2012 का है इससे यह स्पष्ट है कि विपक्षी ने सेल सर्टिफिकेट वास्तव में वाहन क्रय किये जाने की तिथि से काफी पहले की तारीख का दिया है जबकि वास्तविकता यह है कि परिवादी ने वाहन दिनांक 15-5-2013 को ही खरीदा है और इसके बाद जब परिवादी वाहन के रजिस्ट्रेशन के लिए उप सम्भागीय परिवहन कार्यालय गया तब वाहन का रजिस्ट्रेशन करने से इस आधार पर इन्कार किया गया कि विलम्ब के कारण रजिस्ट्रेशन किया जाना सम्भव नहीं है इसके बाद परिवादी विपक्षी संख्या 2 के यहाॅं गया और सारी बात बताया तब विपक्षी संख्या 2 ने यह कहा कि वाहन का कागजात हमारे पास जमा कर दो रजिस्ट्रेशन करा दिया जायेगा तब परिवादी ने वाहन के कागजात विपक्षी संख्या 2 के यहाॅं जमा कर दिया वह काफी दिनों तक परिवादी को दौडाता रहा और अन्त में यह कहा कि विपक्षी संख्या 1 से सम्पर्क करिये तब रजिस्ट्रेशन हो जायेगा इसके बाद परिवादी ने विपक्षी संख्या 1 से सम्पर्क किया और उन्होंने भी परिवादी को आश्वासन दिया कि उसके वाहन का रजिस्ट्रेशन करवा दिया जायेगा लेकिन काफी समय व्यतीत होने के बावजूद जब अन्तिम रूप से परिवादी को यह ज्ञात हो गया कि उसे अनावश्यक रूप से परेशान किया जा रहा है और विपक्षीगण वाहन का रजिस्ट्रेशन नहीं करवायेगे तब परिवादी को परिवाद दाखिल करने का वाद कारण उत्पन्न हुआ । इस प्रकार परिवादी ने जानबूझकर कोई विलम्ब नहीं किया है और जो भी विलम्ब हुआ है वह वास्तव में विपक्षीगण द्वारा परिवादी के वाहन के रजिस्ट्रेशन कराने का झूठा आश्वासन देने के कारण ही हुआ है ऐसी स्थिति में विलम्ब क्षमा करके परिवादी का मुकदमा दर्ज किया जाना आवश्यक है। इस सम्बन्ध में परिवादी की ओर से राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग महाराष्ट्र मुम्बई मेसर्स ज्योति इनपेक्स बनाम दि न्यू इण्डिया एश्योरेंस कम्पनी लि0 तथा अन्य का हवाला दिया गया है।
    विपक्षीगण की ओर से उनके अधिवक्तागण ने मुख्य रूप से यह तर्क दिया है कि परिवादी ने प्रश्नगत वाहन दिनांक 21-12-2012 को ही खरीदा था और इसलिए सेल सर्टिफिकेट भी दिनांक 21-12-2012 का जारी किया गया है वास्तव में परिवादी ने स्वयं अपने वाहन का समय से रजिस्ट्रेशन नहीं कराया और बिना रजिस्ट्रेशन के ही वाहन चलाता रहा और जब बिना रजिस्ट्रेशन के वाहन चलाने में परेशानी होने लगी तब वह स्वयं विलम्ब से रजिस्ट्रेशन कराने के लिए गया है और रजिस्ट्रेशन न होने पर उसने दिनांक 15-5-2013 का फर्जी डिलेवरी सर्टिफिकेट बनाकर यह दावा दाखिल किया है। परिवादी का परिवाद विलम्ब से दाखिल किया गया है और विलम्ब क्षमा करने का समुचित कारण नहीं है अतः प्रार्थना पत्र अन्र्तगत धारा 24-क (।।) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम निरस्त किये जाने योग्य है। अपने अभिकथनों के समर्थन में विपक्षी संख्या 1 की ओर से ए0आई0आर 2011(एससी)212 डा0 वी0एन0श्रीखण्डे बनाम श्रीमती अनिता सेना फर्नाडिज,2012(3) सी0पी0आर068(एनसी) श्री शंकर लाल एल सचदेव बनाम दि मैनेजिंग डायरेक्टर स्कोडा आटो इण्डिया प्रा0लि0 तथा अन्य, 2015 (4)सी0पी0आर0 264(एनसी)ब्रांच मैनेजर श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेन्स कम्पनी लि0 बनाम
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मुकीर अहमद सिद्दकी की विधि व्यवस्थाएं दाखिल की गयी है। इसी प्रकार विपक्षी संख्या 2 की ओर से 2016(1)सी0पी0आर0659(एनसी)मेसर्स फेयरडील इलेक्ट्रानिक्स बनाम जासमिन प्रभाकर मेहता तथा अन्य की विधि व्यवस्था का हवाला दिया गया है।
    उपरोक्त विधि व्यवस्थाओं का पूर्ण सम्मान किया जाता है किन्तु फोरम की राय में इन विधि व्यवस्थाओं का कोई लाभ विपक्षीगण को नहीं दिया जा सकता क्योंकि प्रस्तुत मुकदमें के तथ्य एवं परिस्थितियां उदृत मुकदमों के तथ्य एवं परिस्थितियों से नितान्त भिन्न है।
    उभय पक्ष के अधिवक्तागण के तर्को को सुनने तथा पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि परिवादी ने अपने परिवादी तथा शपथ पत्र में स्पष्ट रूप से यह कहा है कि उसने विपक्षी संख्या 2 से वाहन दिनांक 15-5-2013 को क्रय किया था लेकिन विपक्षी के द्वारा जो सेल सर्टिफिकेट दिया गया है वह दिनांक 21-12-2012 का था। परिवादी की ओर से कागज संख्या 4क के रूप में जो डिलेवरी सैटीस्फेक्शन नोट का कागज दाखिल किया गया है वह दिनांक 15-5-2013 का है जबकि सेल सैटीस्फेशन कागज संख्या 4/2 दिनांक 21-12-2012 का है। इस प्रकार प्रथम दृष्टया पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि वाहन डिलेवरी जिस दिन हुई उसके काफी पहले की तिथि दिनांक 21-12-2012 का सेल सर्टिफिकेट विपक्षीगण की ओर से जारी किया गया है। यद्यपि विपक्षीगण का यह कथन है कि डिलेवरी सैटीफैक्शन का कागज कूटरचित है किन्तु इस स्तर पर पत्रावली पर ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है जिसके आधार पर उपरोक्त अभिलेख को कूटरचित सिद्ध किया जा सके। परिवादी के अभिलेखों से यह स्पष्ट होता है कि वाहन की डिलेवरी दिनांक 15-5-2013 को हुई है और उसने प्रस्तुत मुकदमा दिनांक 15-6-2015 को दाखिल किया है अर्थात वाहन के डिलेवरी से लगभग 2 वर्ष 1 माह बाद परिवादी ने दावा दाखिल किया है। परिवाद दाखिल करने की समय सीमा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्राविधानों के मुताबिक 2 वर्ष है। परिवादी ने स्पष्ट रूप से यह कहा है कि जब वाहन खरीदने के बाद रजिस्ट्रेशन कराने के लिए उप संभागीय परिवहन कार्यालय गया तब उसे यह जानकारी हुई कि विपक्षीगण ने उसे जो सेल सर्टिफिकेट दिया है वह बैकडेट में दी गयी है जिसके कारण वाहन का रजिस्ट्रेशन नहीं हो सकता। तब वह विपक्षी संख्या 2 के पास गया विपक्षी संख्या 2 ने उससे वाहन का कागजात जमा कराया और रजिस्ट्रेशन कराने का आश्वासन देता रहा काफी दिनों तक दौडाने के बाद विपक्षी संख्या 2 ने परिवादी को विपक्षी संख्या 1 के पास भेजा और विपक्षी संख्या1 भी उसे काफी दिनों तक आश्वासन देता रहा कि वाहन का रजिस्ट्रेशन करा दिया जायेगा किन्तु जब उसने भी रजिस्ट्रेशन नहीं कराया तब परिवादी ने यह परिवाद दाखिल किया है। इस प्रकार वाद का कारण तभी से उत्पन्न माना जायेगा जब विपक्षीगण ने वाहन का रजिस्ट्रेशन कराने से इन्कार कर दिया या फिर उनके कृत्य से परिवादी को यह विश्वास हो जाय कि उनके द्वारा रजिस्ट्रेशन नहीं कराया जायेगा ऐसी स्थिति में मुकदमें के सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए फोरम की राय में परिवादी को परिवाद दाखिल करने में जो भी विलम्ब हुआ है उसका समुचित एवं पर्याप्त कारण मौजूद है और फोरम की राय में न्यायहित में विलम्ब को क्षमा करते हुए परिवादी का परिवाद दर्ज किये जाने योग्य है और परिवादी का प्रार्थना पत्र अन्र्तगत धारा 24-क (।।) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में स्वीकार किये जाने योग्य है।
    अतः परिवादी का प्रार्थनापत्र अन्र्तगत  धारा 24-क (।।) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम स्वीकार किया जाता है। मुकदमा मूल नम्बर पर दर्ज रजिस्टर हो। पत्रावली वास्ते प्रतिवाद पत्र दिनांक 2-8-2016 को पेश हो।

(शशी यादव)                                               (रामजीत सिंह यादव)
  सदस्या                                                        अध्यक्ष

CC/37/2016

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Shashi Yadav]
MEMBER

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