Uttar Pradesh

StateCommission

A/2011/2012

M/s Lajja Ram Cold Storage - Complainant(s)

Versus

Raj Bahadur - Opp.Party(s)

J P Saxena

06 Aug 2015

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2011/2012
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. M/s Lajja Ram Cold Storage
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Raj Bahadur
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Mahesh Chand MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 06 Aug 2015
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील सं0-२०१२/२०११

 

(जिला मंच, फर्रूखाबाद द्वारा परिवाद सं0-५४५/१९९७ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक    १९-०९-२०११ के विरूद्ध)

 

मै0 लज्‍जा राम कोल्‍ड स्‍टोरेज प्रा0लि0, नारायनपुर, गढि़या, पोस्‍ट कन्‍धरापुर, जिला फर्रूखाबाद द्वारा डायरेक्‍टर श्रीमती शकुन्‍तला कटियार।               ...............     अपीलार्थी/विपक्षी।

बनाम्

राज बहादुर पुत्र श्री होमकरन निवासी नारायनपुर, गढि़या, पोस्‍ट कन्‍धरापुर, जिला फर्रूखाबाद

                                                ................       प्रत्‍यर्थी/परिवादी।   

 समक्ष:-

 

१-  मा0, श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य।

२.  मा0 श्री महेश चन्‍द, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित        :- श्री जे0पी0 सक्‍सेना विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित          :- श्री विनय कुमार वर्मा विद्वान अधिवक्‍ता।

 

दिनांक : २१-०७-२०१६.

 

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

      यह अपील, जिला मंच, फर्रूखाबाद द्वारा परिवाद सं0-५४२/१९९७ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक २०-०९-२०११ के विरूद्ध योजित की गयी है।  

संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के कथनानुसार उसने अपीलार्थी कोल्‍ड स्‍टोरेज में दिनांक १९-०२-१९९७ से दिनांक २३-०३-१९९७ के मध्‍य कुल ६९४ बोरा आलू बजन ३४७.५७ कुन्‍तल बीज एस.-४ का भण्‍डारण किया था। दिनांक २०-०८-१९९७ को समाचार पत्र दैनिक जागरण में अपीलार्थी द्वारा सूचना प्रकाशित करायी कि कोल्‍ड स्‍टोरेज में रखा आलू किल्‍ला दे गया है। तब प्रत्‍यर्थी/परिवादी अपीलार्थी कोल्‍ड स्‍टोरेज गया तथा अपना आलू निकालना चाहा, तब उसे आलू नष्‍ट होने की बात बतायी गयी, किन्‍तु आलू दिखाने से मना कर दिया। अपीलार्थी ने चालाकी से प्रत्‍यर्थी/परिवादी का आलू कोल्‍ड स्‍टोरेज से निकाल कर बेच दिया तथा आलू भण्‍डारण से सम्‍बन्धित समस्‍त कागजात जला दिए। कथित आलू भण्‍डारण के    समय प्रत्‍यर्थी/परिवादी को पूर्ण आश्‍वासन दिया गया था कि कोल्‍ड स्‍टोरेज में आलू सुरक्षित रखा

 

 

 

-२-

जायेगा, किन्‍तु अपीलार्थी के संचालकों की लापरवाही व चालाकी के कारण प्रत्‍यर्थी/परिवादी का आलू नष्‍ट हो गया। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने आलू व वारदाने के मूल्‍य की अदायगी तथा क्षतिपूर्ति हेतु परिवाद जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत किया।

अपीलार्थी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपने कोल्‍ड स्‍टोरेज में प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा कथित आलू का भण्‍डारण किया जाना स्‍वीकार किया। अपीलार्थी का यह कथन है कि अपीलार्थी द्वारा आलू के रख-रखाव में कोई लापरवाही नहीं बरती गयी। आलू के रख-रखाव में पूर्ण सावधानी के बाबजूद आलू की खराबी के कारण आलू में किल्‍ला निकलने पर आलू निकालने हेतु प्रत्‍यर्थी/परिवादी को सूचना भेजी गयी तथा समाचार पत्र के माध्‍यम से भी इस सन्‍दर्भ में सूचना प्रकाशित की गयी। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने आलू भण्‍डारण का किराया भी नहीं अदा किया तथा किराया बाद में देने का आश्‍वासन देकर कोल्‍ड स्‍टोरेज से आलू निकाल लिया गया तथा बेच दिया गया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने किराया अदा न करने के उद्देश्‍य से परिवाद योजित किया।

विद्वान जिला मंच प्रत्‍यर्थी/परिवादी के परिवाद को स्‍वीकार करते हुए अपीलार्थी को आदेशित किया कि वह प्रत्‍यर्थी/परिवादी के भण्‍डारित आलू का मूल्‍य ६१,७३७/- रू० परिवाद योजित करने की तिथि से सम्‍पूर्ण भुगतान की तिथि तक ०६ प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज की दर से ब्‍याज सहित निर्णय की तिथि से ३० दिन के अन्‍दर भुगतान करे। इसके अतिरिक्‍त ५००/- रू० बतौर मानसिक व शारीरिक क्षति की प्रतिपूर्ति हेतु एवं २००/- रू० परिवाद व्‍यय के रूप में प्रत्‍यर्थी/परिवाद को भुगतान किया जाय।  

इस निर्णय से क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गयी। 

हमने अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री जे0पी0 सक्‍सेना तथा प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री विनय कुमार वर्मा के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।

अपीलार्थी की ओर से तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि वर्ष १९९७ में आलू की फसल का अत्‍यधिक उत्‍पादन हुआ था जिससे आलू का दाम बाजार में अत्‍यधिक घट गया था। इसके अतिरिक्‍त कोल्‍ड स्‍टोरेज का किराया भी देय था। भण्‍डारित आलू की गुणवत्‍ता भी उत्‍तम नहीं थी, जिससे पर्याप्‍त सावधानी के बाबजूद आलू खराब होने लगा। अपीलार्थी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी   को आलू निकालने के लिए सूचित किया तथा दैनिक जागरण समाचार पत्र में आलू निकालने के

 

 

 

-३-

लिए समाचार प्रकाशित किया गया। तदोपरान्‍त प्रत्‍यर्थी/परिवादी बिना कोल्‍ड स्‍टोरेज का किराया दिए आलू ले गया। निकासी से सम्‍बन्धित गेट पास अपीलार्थी ने विद्वान जिला मंच के समक्ष प्रेषित किये थे। जिनका उचित परिशीलन विद्वान जिला मंच द्वारा नहीं किया गया।

अपीलार्थी की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि विद्वान जिला मंच ने प्रश्‍नगत निर्णय में आलू के मूल्‍य की गणना भी गलत की है तथा कोल्‍ड स्‍टोरेज के बताये गये किराये की धनराशि भी नहीं घटायी है। स्‍वयं प्रत्‍यर्थी/परिवादी के कथनानुसार वह अगस्‍त १९९७ में आलू लेने आया था। अगस्‍त १९९७ में कृषि उत्‍पादन मण्‍डी समिति द्वारा निर्धारित आलू का भाव १४५/- रू० प्रति कुन्‍तल था, किन्‍तु इस तथ्‍य की ओर विद्वान जिला मंच द्वारा ध्‍यान नहीं दिया गया।

अपीलार्थी का आलू के मूल्‍य की अदायगी का दायित्‍व न बताते हुए अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता ने फूल चन्‍द्र बनाम फराज कोल्‍ड स्‍टोरेज (प्रा0) लि0, IV (2008) CPJ 150 के मामले में राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ द्वारा दिए गये निर्णय एवं मॉं चामुण्‍डा कोल्‍ड स्‍टोरेज बनाम हरियाणा IV (2012) CPJ 703 के मामले में माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा दिए गये निर्णय पर विश्‍वास व्‍यक्त किया गया।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा भण्‍डारित आलू की बिक्री स्‍वयं अपीलार्थी के संचालकों द्वारा की गयी। यदि कुछ आलू नष्‍ट भी हुआ तो उसका दायित्‍व प्रत्‍यर्थी/परिवादी का नहीं होगा, क्‍योंकि अपीलार्थी ने आलू भण्‍डारण उसे सुरक्षित रखने के आश्‍वासन के साथ कोल्‍ड स्‍टोरेज में किया था। प्रत्‍यर्थी/परिवादी के आलू की क्षतिपूर्ति से बचने के लिए अपीलार्थी द्वारा असत्‍य अभिकथित किया जा रहा है कि आलू प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्राप्‍त किया गया। विद्वान जिला मंच ने पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य का उचिުत परिशीलन करते हुए प्रश्‍नगत निर्णय पारित किया है।

प्रस्‍तुत मामले में जब अपीलार्थी का यह स्‍पष्‍ट कथन है कि भण्‍डारित आलू प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्राप्‍त कर लिया गया है तब इस तथ्‍य को साबित करने का दायित्‍व भी अपीलार्थी का ही होगा। अपीलार्थी ने इस सम्‍बन्‍ध में गेट पास की रसीदें जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत कीं, किन्‍तु जिला मंच ने इन रसीदों की विश्‍वसनीयता को इस आधार पर स्‍वीकार नहीं

 

 

-४-

किया कि मामले की परिस्थितियों के आलोक में यह अपीलार्थी का दायित्‍व था कि गेट पास की इन रसीदों पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी अथवा उसके अधिकृत प्रतिनिधि के हस्‍ताक्षर होना साबित करते, किन्‍तु अपीलार्थी द्वारा गेट पास पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी अथवा उसके अधिकृत प्रतिनिधि के हस्‍ताक्षर होना साबित नहीं किया गया। ऐसी परिस्थिति में विद्वान जिला मंच ने अपीलार्थी के इस कथन को स्‍वीकार नहीं किया कि भण्‍डारित आलू प्रत्‍यर्थी/परिवादी को वापस किया गया। मामले की परिस्थितियों के आलोक में विद्वान जिला मंच का यह निष्‍कर्ष हमारे विचार से त्रुटिपूर्ण नहीं है।

निर्विवाद रूप से आलू का भण्‍डारण उसे सुरक्षित रखे जाने के उद्देश्‍य से ही किया गया था। अपीलार्थी द्वारा ऐसी कोई साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं की गयी, जिससे यह विदित हो कि यह भण्‍डारण किसी निश्चित अवधि के लिए किया गया था तथा इस निश्चित अवधि के बाद प्रश्‍नगत आलू जमाकर्ता के जोखिम पर भण्‍डारित होंगे। ऐसी परिस्थिति में यदि भण्‍डारण की अवधि के मध्‍य भण्‍डारित आलू में कोई क्षति होती है तो स्‍वाभाविक रूप से उसकी क्षति की प्रतिपूर्ति का दायित्‍व कोल्‍ड स्‍टोरेज स्‍वामी अर्थात् अपीलार्थी का ही माना जायेगा।

अपीलार्थी के अनुसार अगस्‍त १९९७ के निर्धारित मूल्‍य के अनुसार आलू का मूल्‍य निर्धारित किया जाना चाहिए था, अपीलार्थी की ओर से प्रस्‍तुत यह तर्क स्‍वीकार किए जाने  योग्‍य नहीं है क्‍योंकि अगस्‍त १९९७ में भी वस्‍तुत: भण्‍डारित आलू प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्राप्‍त नहीं कराया गया। मामले की परिस्थितियों के आलोक में जिस माह में आलू भण्‍डारित किया गया, उस माह में कृषि मण्‍डी परिषद द्वारा निर्धारित मूल्‍य के अनुसार आलू के मूल्‍य की गणना करके हमारे विचार से विद्वान जिला मंच द्वारा कोई त्रुटि नहीं की गयी है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा सन्‍दर्भित उपरोक्‍त फूल चन्‍द्र बनाम फराज कोल्‍ड स्‍टोरेज (प्रा0) लि0 के मामले में राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ द्वारा दिए गये निर्णय एवं मॉं चामुण्‍डा कोल्‍ड स्‍टोरेज बनाम हरियाणा के मामले में माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा दिए गये निर्णय का लाभ प्रस्‍तुत मामले में अपीलार्थी को नहीं दिया जा सकता है, क्‍योंकि उपरोक्‍त सन्‍दर्भित निर्णयों के तथ्‍य एवं परिस्थितियॉं प्रस्‍तुत मामले के तथ्‍य एवं परिस्थितियों से भिन्‍न हैं।

 

 

-५-

महत्‍वपूर्ण तथ्‍य यह अवश्‍य है कि क्षतिपूर्ति की गणना में जिला मंच ने कोल्‍ड स्‍टोरेज के किराये की धनराशि को घटाया नहीं है। परिवाद के अभिकथनों में परिवादी का यह कथन नहीं है कि कोल्‍ड स्‍टोरेज के किराये की धनराशि की अदायगी उसके द्वारा अपीलार्थी को की जा चुकी थी, जबकि अपीलार्थी का यह स्‍पष्‍ट कथन है कि कोल्‍ड स्‍टोरेज में आलू के भण्‍डारण हेतु २२,७८५/- रू० किराए की अदायगी प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा की जानी थी, किन्‍तु इस धनराशि की अदायगी प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी को नहीं की गयी।

ऐसी परिस्थिति में हमारे विचार से क्षतिपूर्ति की धनराशि की गणना में किराये की उपरोक्‍त धनराशि मु० २२,७८५.०० रू० घटाया जाना न्‍यायोचित होगा। इसके अतिरिक्‍त शेष बिन्‍दुओं पर जिला मंच के निर्णय में किसी प्रकार का हस्‍तक्षेप करने का कोई औचित्‍य प्रतीत नहीं होता है। तद्नुसार अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।

देश

      प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। जिला मंच, फर्रूखाबाद द्वारा परिवाद सं0-५४२/१९९७ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक २०-०९-२०११ इस सीमा तक संशोधित किया जाता है कि प्रश्‍नगत भण्‍डारित आलू के मूल्‍य ६१,७३७.०० रू० में से कोल्‍ड स्‍टोरेज के किराये की धनराशि २२,७८५.०० रू० घटाकर शेष धनराशि ३८,९५२.०० रू० भण्‍डारित आलू के मूल्‍य की बाबत् देय होगी। शेष आदेश की यथावत् पुष्टि की जाती है। 

उभय पक्ष अपीलीय व्‍यय-भार अपना-अपना स्‍वयं वहन करेंगे।

उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

  

 

                                               (उदय शंकर अवस्‍थी)

                                                पीठासीन सदस्‍य

 

 

                                                  (महेश चन्‍द)

                                                    सदस्‍य

 

 

 

प्रमोद कुमार,

वैय0सहा0ग्रेड-१,

कोर्ट-४.

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Mahesh Chand]
MEMBER

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