राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-3191/2002
केरला ऑटोमोबाइल्स लिमिटेड, 287, अनारकली कॉम्प्लेक्स, झंडेवालान एक्सटेंशन, नई दिल्ली-110055
........... अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
1- राज बहादुर श्रीवास्तव, पुत्र शिव मंगल लाल, निवासी ग्राम पनिवा, जिला बलिया।
…….. प्रत्यर्थी/परिवादी
2- ऑटो सेल्स, हरवंशपुर, जिला आजमगढ़ द्वारा प्रोपराइटर संजय राय
3- पाण्डेय ऑटो सेल्स, गढ़वाल रोड, पौहारीपुर, जिला बलिया।
…….. प्रत्यर्थी/विपक्षीगण
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
अपीलार्थी के अधिवक्ता : कोई नहीं।
प्रत्यर्थीगण के अधिवक्ता : कोई नहीं।
दिनांक :- 15.5.2023
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी/ केरला ऑटोमोबाइल्स लिमिटेड द्वारा इस आयोग के सम्मुख धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, बलिया द्वारा परिवाद सं0-251/2001 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 03.5.2002 के विरूद्ध योजित की गई है।
अपीलार्थी के अधिवक्ता अनुपस्थित है। प्रस्तुत अपील 21 वर्ष से अधिक समय से लम्बित है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा परिवाद सं0-251/2001 में दिनांक 03.5.2002 को निम्न आदेश पारित किया गया है:-
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''परिवाद पत्र एकपक्षीय रूप से आज्ञप्त किया जाता है। विपक्षीगण को निर्देशित किया जाता है कि वे दो माह के भीतर परिवादी को वॉछित विक्रयपत्र प्राप्त करा दें तथा क्रय की तिथि दिनांक 08.12.2000 से बैंक दर पर परिवादी द्वारा लिए गये ऋण पर 12-1/2 प्रतिशत वार्षिक की दर से वास्तविक भुगतान की तिथि तक की अवधि का एवं मानसिक व शारीरिक संताप के परिशमन हेतु 5000.00 रू0 तथा वाद व्यय के रूप में 1000.00 रू0 का भुगतान करेंगे। ऐसा न करने पर सम्पूर्ण धनराशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज देय होगा।''
इस न्यायालय के सम्मुख अपील प्रस्तुत किये जाने पर इस न्यायालय द्वारा परिवाद सं0-251/2001 व निष्पादन कार्यवाही को आदेश दिनांक 13.01.2003 के द्वारा स्थगित किया गया। स्थगन आदेश के अनुपालन में अपीलार्थी द्वारा कोई कार्यवाही अथवा उपरोक्त जिला उपभोक्ता आयोग के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित नहीं किया गया।
अपील की पत्रावली के अवलोकन से यह ज्ञात हुआ कि प्रत्यर्थी सं0-3 को भेजी गई नोटिस ''पता नही चला'' एवं प्रत्यर्थी सं0-2 को भेजी गई नोटिस ''प्रतिष्ठान बन्द हो चुका'' कि आख्या के साथ वापस प्राप्त होना उल्लिखित पाया गया। प्रत्यर्थी सं0-1 पर भी नोटिस की तामीली पर्याप्त नहीं मानी गई। पूर्व में अपीलार्थी की ओर से अधिवक्ता श्री विजय कुमार यादव उपस्थित होते रहे एवं अनेकों तिथियों पर अपील स्थगित की जाती है।
मेरे द्वारा अपील पत्रावली का सम्यक परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।
यह तथ्य निर्विवादित रूप से अपील की पत्रावली में उल्लिखित पाया गया कि परिवादी द्वारा प्रधान मंत्री रोजगार योजना के तहत
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सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया शाखा मनियर से 1,00,000.00 रू0 का ऋण 12.50 प्रतिशत की दर से प्राप्त किया गया व परिवाद में विपक्षी सं0-2 व 3 से माह दिसम्बर, 2000 में एक थ्री व्हीलर वाहन क्रय किया गया। यह कथन किया गया कि विपक्षी सं0-2 व 3 द्वारा उक्त वाहन विक्रय के सम्बन्ध में कोई विक्रय पत्र जारी नहीं किया गया तथा उक्त कथन के अनुसार आटो रिक्शा का प्रयोग नहीं किया गया, जो बेकार पडा है, विपक्षीगण से शिकायत पर भी कोई कार्यवाही नहीं की गई, तदोपरांत परिवाद प्रस्तुत किया गया, जो एक पक्षीयरूप से जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा आज्ञप्त किया गया है, जिसके द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी को निर्देशित किया गया कि वह दो माह की अवधि में परिवादी को वॉछित विक्रय पत्र उपलब्ध कर दे तथा क्रय की तिथि दिनांक 08.12.2000 से बैंक दर पर परिवादी द्वारा लिये गये ऋण पर 12.50 की दर से ब्याज का भुगतान करें, साथ ही मानसिक व शारीरिक संताप एवं वाद व्यय के रूप में क्रमश: 5,000.00 रू0 व 1,000.00 रू0 का भुगतान करें।
पत्रावली के आदेश फलक से यह स्पष्ट पाया गया कि विपक्षी सं0-2 व 3 जिनके विरूद्ध परिवाद आज्ञप्त किया गया, के प्रतिष्ठान एवं पते पर कोई कार्यवाही सुनिशित नहीं की जा सकी अर्थात नोटिस चस्पा नहीं की जा सकी। चूंकि सम्बन्धित वाहन वर्ष-2000 में विक्रय किया गया एवं इस न्यायालय द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग ऊपर उल्लिखित आदेश को स्थगित किया गया अत्एव उक्त आदेश का अनुपालन अब 23 वर्षों के पश्चात किया जाना सम्भव नहीं है। वाहन भी विगत 23 वर्षों से यदि निष्प्रयोज्य है तब उसका पंजीकरण अथवा विक्रय प्रपत्र इत्यादि निर्गत किये जाने का कोई औचित्य नहीं प्रतीत होता है। विपक्षी सं0-2 व 3 अनुपस्थित हैं। परिवादी भी अनुपस्थित हैं न ही उनकी ओर से कोई उपस्थित हुआ, न ही पक्ष प्रस्तुत किया गया, अत्एव समस्त
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तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए अपील अंतत: निस्तारित करते हुए जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित आदेश को समाप्त किया जाता है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
हरीश सिंह,
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,
कोर्ट नं0-1