Uttar Pradesh

Kanpur Nagar

CC/51/12

SASHANK - Complainant(s)

Versus

RAILWAY - Opp.Party(s)

SC. AGNIHOTRI

27 Feb 2017

ORDER

CONSUMER FORUM KANPUR NAGAR
TREASURY COMPOUND
 
Complaint Case No. CC/51/12
 
1. SASHANK
SISA MAU
...........Complainant(s)
Versus
1. RAILWAY
KANPUR CENTRL
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. RN. SINGH PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Sudha Yadav MEMBER
 HON'BLE MR. PURUSHOTTAM SINGH MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 27 Feb 2017
Final Order / Judgement

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।

   अध्यासीनः      डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष    
    पुरूशोत्तम सिंह...............................................सदस्य
    सुधा यादव.....................................................सदस्या
    

उपभोक्ता वाद संख्या-51/2012
षषांक श्रीवास्तव पुत्र श्री कौषल कुमार श्रीवास्तव निवासी मकान नं0-84/58 जरीब चौकी थाना सीसामऊ, कानपुर नगर।
                                  ................परिवादी
बनाम
1.    वरिष्ठ मण्डल परिचालन प्रबन्धक, पूर्व मध्य रेलवे मुगलसराय मण्डल
2.    स्टेषन अधीक्षक, अनवरगंज रेलवे स्टेषन, कानपुर नगर द्वारा स्टेषन अधीक्षक।
3.    स्टेषन अधीक्षक, कानपुर सेन्ट्रल स्टेषन, कानपुर नगर द्वारा स्टेषन अधीक्षक
                                    ...........विपक्षीगण
परिवाद दाखिला तिथिः 31.01.2012
निर्णय तिथिः 08.03.2017

डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1.      परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि परिवादी को मानसिक एवं भावनात्मक व भविश्य अंधकारमय होने के कारण क्षतिपूर्ति रू0 10,00,000.00, लिखा-पढ़ी एवं टिकट खर्चा हेतु रू0 1000.00 तथा परिवाद व्यय दिलाया जाये।
2.     परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी विकलांग व्यक्ति है और उसने दिनांक 07.02.10 को यात्रा के लिए गाड़ी सं0-2397 महाबोधि एक्सप्रेस में कानपुर से दिल्ली जाने के लिए विकलांग आरक्षण में दो सीटे आरक्षित करायी थीं। जिसमें से एक सीट कोच सं0- एस.डी.-1 में सीट नं0-3 परिवादी की थी और दूसरी सीट मीनू श्रीवास्तव सहायक के नाम इसी कोच में सीट सं0-4 आरक्षित थी। दिनांक 07.02.10 को उपरोक्त गाड़ी अपने निर्धारित समय से लगभग 3 घंटे  देर से कानपुर सेन्ट्रल पर आयी।  परिवादी को यह ज्ञात हुआ कि 
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उक्त आरक्षित कोच एस.डी.-1 उक्त गाड़ी में नहीं लगा है। तब परिवादी ने गाड़ी में उपस्थित टी0टी0 व पूंछताछ विभाग से जानकारी की। किन्तु उपस्थित कर्मियों ने सही व समुचित उत्तर नहीं दिया। तब परिवादी ने स्टेषन अधीक्षक से जानकारी की तो उसने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया। परिणामतः परिवादी यात्रा करने से वंचित हो गया। दूसरे दिन दिनांक 08.02.10 को परिवादी की टिकट वापस नहीं ली गयी। परिवादी ने सूचना के अधिकार के तहत डी0आर0एम0 इलाहाबाद मण्डल से सूचना मांगी तो सूचना हेतु षुल्क गलत बताया गया और यह बताया गया कि पोस्टल आर्डर वरिश्ठ मण्डल वित्त प्रबन्धक उत्तर मध्य रेलवे इलाहाबाद को सम्बोधित करते हुए प्रेशित करें। तब परिवादी ने वरिश्ठ मण्डल वित्त प्रबन्धक उत्तर मध्य रेलवे इलाहाबाद से तद्नुसार सूचना मांगी तो उनके कार्यालय द्वारा परिवादी को यह सूचित किया गया कि गाड़ी नं0-2397 महाबोधि एक्सप्रेस में एस.डी.-1 कोच के नामांकन के विशय में मांगी गयी जानकारी का सम्बन्ध इलाहाबाद मण्डल से नहीं है। उसका सम्बन्ध रेलवे मुगलसराय के मण्डल से हाता है। मुगलसराय मण्डल से जानकारी मांगे जाने पर पुनः परिवादी को निर्धारित षुल्क को गलत बताते हुए वित्त सलाहकार एवं मुख्य लेखाधिकारी हाजीपुर के नाम से षुल्क प्रेशित करने के लिए कहा गया। तदोपरान्त परिवादी ने उपरोक्तानुसार षुल्क जमा करके सूचना मांगी गयी। तब परिवादी को दिनांक 25.01.11 को सुरेष चन्द्र श्रीवास्तव वरिश्ठ मण्डल कार्मिक अधिकारी सहमण्डल जनसूचना अधिकारी पूर्व मध्य रेलवे मुगलसराय द्वारा यह जानकारी उपलब्ध करायी गयी कि गाड़ी सं0-2397 में एस.डी.-1 किस क्रम में उपयोग किया गया इसकी जानकारी नहीं है। वास्तविकता यह है कि कोच सम्बन्धित ट्रेन में लगा ही नहीं था। इसलिए परिवादी को समुचित उत्तर नहीं दिया गया और परिवादी को गलत टिकट निर्गत की गयी। जिससे परिवादी अपनी यात्रा से वंचित रह गया। परिवादी के बहनोई श्री विजय श्रीवास्तव दिल्ली में सिविल इंजीनियर हैं। उन्होंने परिवादी को सलाह दी थी कि वह दिनांक 08/09.02.10 को दिल्ली आ जाये, उन्होंने कई बड़े बिल्डरों से परिवादी की नौकरी की बात कर रखी है, वह नौकरी लगवा देंगे।  किन्तु 
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उपरोक्त कारणों से परिवादी समय से दिल्ली पहुॅचने से वंचित रह गया और उसे नौकरी से भी वंचित होना पड़ा। जिससे परिवादी को घोर मानसिक पीड़ा हुई। विपक्षीगण के द्वारा किये गये गोलमाल और टरकाउ उत्तर के कारण उपरोक्त क्षति प्राप्त करने हेतु परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद योजित किया गया है।
3.    विपक्षी सं0-1 की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों का खण्डन किया गया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि गाड़ी सं0-2397 महाबोधि एक्सप्रेस गया से दिल्ली के बीच में चलती है। दिनांक 07.02.10 को विकलांग कोच गार्ड के कोच/कैबिन के साथ लगा हुआ था। परिवादी एक पढ़ा-लिखा, षिक्षित व्यक्ति है, उसे विकलांग कोटे का किसी भी ट्रेन में अलग कोच नहीं होता है। बल्कि गार्ड के कोच के साथ लगा हुआ कोच ही विकलांग व्यक्तियों के लिए होता है। परिवादी द्वारा यह असत्य कथन किया गया है कि उसके द्वारा टी0टी0 से स्टेषन मास्टर से ट्रेन के सम्बन्ध में कोई जानकारी चाही गयी हो और उनके द्वारा कोई उत्तर नहीं दिया गया। क्योंकि परिवादी द्वारा किसी भी उपरोक्त व्यक्ति का नाम नहीं बताया गया। विपक्षी सं0-1 को अनावष्यक पक्षकार बनाया गया है। इसी आधार पर परिवाद सव्यय खारिज किया जाये।
4.    विपक्षी सं0-3 की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र का खण्डन किया गया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि परिवादी द्वारा कोई पूछताछ विकलांग कोच के सम्बन्ध में विपक्षी उत्तरदाता से नहीं की गयी। पूछताछ कार्यालय द्वारा मात्र गाड़ियों के आने व जाने के सम्बन्ध में सूचना दी जाती है। परिवादी द्वारा किसी भी टी0टी0 का नाम नहीं बताया गया है। जबकि हर टी0टी0 व स्टेषन मास्टर की यूनीफार्म में नेमस्लिप लगी होती है। स्टेषन मास्टर की ड्यूटी प्रातः 10 बजे से षायं 5 बजे तक होती है। इसलिए परिवादी द्वारा रात को स्टेषन मास्टर से जानकारी करने की बात 
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असत्य, निराधार एवं दूशित मंषा से कही गयी है। परिवादी एक पढ़ा-लिखा व्यक्ति था, विकलांगों के लिए कोई अलग कोच नहीं लगता है, बल्कि विकलांगो का कोच हमेषा गार्ड के कोच से मिला हुआ होता है। परिवादी को कोई परिवाद कारण उत्पन्न नहीं हुआ है। अतः परिवाद खारिज किया जाये।
5.    परिवाद योजित होने के पष्चात विपक्षी सं0-2 को जरिये रजिस्टर्ड डाक नोटिस भेजी गयी, किन्तु विपक्षी सं0-2 बावजूद विधिक नोटिस फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं आया। अतः फोरम द्वारा दिनांक   14.08.13 को विपक्षी सं0-2 के विरूद्ध परिवाद एकपक्षीय चलाये जाने का आदेष पारित किया गया।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
6.    परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 08.05.14 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची के साथ संलग्न कागज सं0-1 लगायत 7 दाखिल किया है।
विपक्षी सं0-1 की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
7.    विपक्षी सं0-1 ने अपने कथन के समर्थन में संजय कुमार सीनियर डिवीजनल ऑपरेटिंग मैनेजर का षपथपत्र दिनांकित 14.03.13 तथा आधार राज सीनियर डिवीजनल ऑपरेटिंग मैनेजर का षपथपत्र दिनांकित 12.06.14 दाखिल किया है।
विपक्षी सं0-3 की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
7.    विपक्षी सं0-3 ने अपने कथन के समर्थन में ए0पी0 त्रिपाठी, ट्रैफिक मैनेजर का षपथपत्र दिनांकित 25.02.13 व जीतेन्द्र कुमार ट्रैफिक मैनेजर का षपथपत्र दिनांकित 30.07.14 दाखिल किया है।
निष्कर्श
8.    फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक परिषीलन किया गया।
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    उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि प्रस्तुत मामले में प्रमुख विचारणीय बिन्दु यह है कि क्या परिवादी तथा उसके सहायक की टिकट दिनांक 07.02.10 के लिए गाड़ी नं0-2397 महाबोधि एक्सप्रेस में कानपुर से दिल्ली के लिए विकलांग आरक्षण कोच में आरक्षित थी और उक्त तिथि में परिवादी, विपक्षीगण की सेवा में कमी के कारण अपनी यात्रा कानपुर से दिल्ली नहीं कर सका, जिससे परिवादी को रू0 1,00,000.00 की क्षतिपूर्ति कारित हुई है। यदि हां तो प्रभाव?
    उपरोक्त विचारणीय बिन्दु के सम्बन्ध में परिवादी की ओर से यह कहा गया है कि दिनांक 07.02.10 को परिवादी तथा उसके सहायक की दो सीटे विकलांग आरक्षित कोटे में आरक्षित थीं। किन्तु उक्त तिथि पर उक्त कोच एस.डी.-1 उक्त गाड़ी में लगा नहीं था, जिससे परिवादी अपनी यात्रा नहीं कर सका। परिवादी की नौकरी लगने की संभावना थी। यदि वह दूसरे दिन दिनांक 08.02.10 को दिल्ली पहुॅच गया होता तो उसे नौकरी मिल सकती थी। किन्तु विपक्षीगण की लापरवाही के कारण परिवादी को उक्त नौकरी से वंचित होना पड़ा। जिससे उसे रू0 1,00,000.00 की क्षति कारित हुई है। विपक्षीगण की ओर से परिवादी की ओर से किये गये कथन से इंकार किया गया है और यह कहा गया है कि दिनांक 07.02.10 को गार्ड कोच के साथ विकलांग कोच भी था। 
    परिवादी की ओर से अपने कथन के समर्थन में दिनांक 07.02.10 की आरक्षण की टिकट प्रस्तुत की गयी है। परिवादी के आरक्षण के टिकट से विपक्षीगण को कोई इंकार नहीं है। परिवादी द्वारा अपने उपरोक्त कथन के समर्थन में यह तर्क किया गया है कि परिवादी द्वारा स्टेषन के स्टेषन मास्टर व टी0टी0 व अन्य कर्मचारियों से पूछताछ की गयी थी, पर किसी ने परिवादी को सही सूचना नहीं दी, जो कि विपक्षीगण की सेवा में कमी है। किन्तु परिवादी की ओर से ऐसा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है, जिससे यह सिद्ध होता हो कि उसके द्वारा रेलवे के  उपरोक्त कर्मचारियों से कोई संपर्क प्रष्नगत कोच के  बारे में  किया गया हो।  परिवादी द्वारा
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किसी कर्मचारी के नाम का उल्लेख भी नहीं किया गया है। जबकि विपक्षीगण की ओर से यह कथन किया गया है कि जब रेलवे का कर्मचारी (टी0टी0 व स्टेषन मास्टर) ड्यूटी पर रहता है, तो वह यूनीफार्म पहने होता है। यूनीफार्म में कर्मचारी के नाम की पट्टिका भी लगी होती है। फोरम, विपक्षीगण के उपरोक्त कथन से सहमत है। परिवादी द्वारा यह भी कथन किया गया है कि परिवादी का टिकट भी वापस नहीं लिया गया। किन्तु अपने उपरोक्त कथन को भी परिवादी द्वारा किसी साक्ष्य से साबित नहीं किया गया है। विधि का यह प्रतिपादित सिद्धांत है कि जिन तथ्यों को अन्य प्रलेखीय साक्ष्य से साबित किया जाना हो, उन तथ्यों को मात्र षपथपत्र से साबित नहीं माना जायेगा। परिवादी की ओर से ही सुरेष चन्द्र श्रीवास्तव वरीय मण्डल कार्मिक अधिकारी पूर्व मध्य रेलवे मुगलसराय के पत्रांक सं0-कार्मिक/आर.टी.आई. एक्ट-05/429/मुगल0 दिनांकित 25.01.11 वहक परिवादी की छायाप्रति प्रस्तुत की गयी है। जिसके अवलोकन से स्पश्ट होता है कि दिनांक 07.02.10 को गार्ड कोच के साथ विकलांग कोच था। परिवादी की ओर से विपक्षी द्वारा जारी उपरोक्त पत्र से विपक्षीगण के कथन को बल मिलता है। यद्यपि परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र में एस.डी.-1 कोच में अपना आरक्षण होना बताया गया है। इस प्रकार स्वयं परिवादी के ही कथन में आरक्षित कोच के सम्बन्ध में विरोधाभाश है।
    अतः उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों के आलोक में तथा उपरोक्तानुसार दिये गये निश्कर्श के आधार पर फोरम इस मत का है कि परिवादी द्वारा अपना परिवाद साबित नहीं किया जा सका है। अतः उपरोक्त कारणों से परिवादी का प्रस्तुत परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
ःःःआदेषःःः
9.     परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध खारिज किया जाता है। उभयपक्ष अपना-अपना परिवाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।

  (पुरूशोत्तम सिंह)       ( सुधा यादव )         (डा0 आर0एन0 सिंह)
     वरि0सदस्य           सदस्या                   अध्यक्ष
 जिला उपभोक्ता विवाद    जिला उपभोक्ता विवाद        जिला उपभोक्ता विवाद       
     प्रतितोश फोरम          प्रतितोश फोरम                प्रतितोश फोरम
     कानपुर नगर।           कानपुर नगर                 कानपुर नगर।
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    आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।

  (पुरूशोत्तम सिंह)       ( सुधा यादव )         (डा0 आर0एन0 सिंह)
     वरि0सदस्य           सदस्या                   अध्यक्ष
 जिला उपभोक्ता विवाद    जिला उपभोक्ता विवाद        जिला उपभोक्ता विवाद       
     प्रतितोश फोरम          प्रतितोश फोरम                प्रतितोश फोरम
     कानपुर नगर।           कानपुर नगर                 कानपुर नगर।

 

 
 
[HON'BLE MR. RN. SINGH]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Sudha Yadav]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. PURUSHOTTAM SINGH]
MEMBER

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