जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।
अध्यासीनः डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष
पुरूशोत्तम सिंह...............................................सदस्य
श्रीमती सुधा यादव........................................सदस्या
उपभोक्ता वाद संख्या-268/2012
राघवेन्द्र नरायण षुक्ला एडवोकेट पुत्र श्री ब्रज किषोर षुक्ला निवासी मकान नं0-128/347 के-ब्लाक किदवई नगर कानपुर नगर।
................परिवादी
बनाम
1. उत्तर मध्य रेलवे द्वारा स्टेषन अधीक्षक, कानपुर सेन्ट्रल, कानपुर-208004
2. महाप्रबन्धक, उत्तर मध्य रेलवे, मुख्यालय इलाहाबाद-211001
3. महाप्रबन्धक, पष्चिम मध्य रेलवे मुख्यालय जबलपुर-482001
...........विपक्षीगण
परिवाद दाखिल होने की तिथिः 26.04.2012
निर्णय की तिथिः 23.02.20 17
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःः निर्णयःःः
1. परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि परिवादी को यात्री ट्रेन सं0-18203 बेतवा एक्सप्रेस से परिवादी का चोरी गया मय सामान एरिस्ट्रोक्रेट सूटकेस जिसमें कपड़े, आभूशण, कीमती साड़ियॉं, सूट इत्यादि की कीमत रू0 75,000.00 व सूटकेस की कीमत रू0 4000.00 कुल रू0 79,000.00 विपक्षीगण से दिलाया जाये, आर्थिक, षारीरिक व मानसिक कश्ट हेतु क्षतिपूर्ति रू0 3,00,000.00 तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय दिलाया जाये।
2. परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी ट्रेन सं0-18203 बेतवा एक्सप्रेस से षयनयान में दिनांक 21.02.12 को अपने साले के वैवाहिक समारोह से रायपुर से कानपुर सेन्ट्रल वापस आ रहा था। परिवादी का आरक्षण पी0एन0आर0 नं0-6304026623 में परिवादी को कोच सं0-एस-5 में बर्थ सं0-71 तथा पी0एन0आर0 नम्बर- 6504026114 में परिवादी की पत्नी, बच्चे व अन्य सगे सम्बन्धी को कोच सं0-एस-5 में बर्थ सं0-49 से 54 तक आरक्षित की गई। परिवादी ने
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अपने साथ (एरिस्ट्रोक्रेट) 24 इंच सूटकेस को सुरक्षा की दृश्टि से डबल चैन बांध कर परिवादी की पत्नी की लोअर बर्थ के नीचे कुन्डे से बांध दिया और षयन हेतु अपनी-अपनी बर्थों में सभी लोग लेट गये और सो गये तथा परिवादी व उसके सामान की कोच में संपूर्ण सुरक्षा की जिम्मेदारी का दायित्व विपक्षीगण का होता है। परिवादी की पत्नी अपने भाई के विवाह समारोह में एक सोने की अॅगूठी भी उपहार स्वरूपम ायके से प्राप्त हुई थी तथा एक अंगूठी परिवादी स्वयं पहनकर तथा एक अंगूठी परिवादी की पत्नी पहन कर गयी थी। लम्बा सफर व रात की यात्रा होने के कारण उपरोक्त तीनों अंगूठियों को एरिस्ट्रोक्रेट सूटकेस में बंद कर दिया था तथा कीमती कपड़े आदि उसी सूटकेस में रखे थे। यात्रा के दौरान परिवादी के साढू श्री बृजेष बाजपेई तथा परिवादी की सास श्रीमती सोमवती तिवारी भी वापसी यात्रा में परिवादी के साथ थी। जब ट्रेन प्रातः 6ः30 बजे सतना स्टेषन पहुॅची तब परिवादी की पत्नी श्रीमती मीनू का ध्यान अपने सूटकेस पर गया, तो जानकारी हुई कि सूटकेस चोरी कर लिया गया। उक्त सूटकेस में परिवादी की पत्नी की दो सोने की अंगूठी, एक परिवादी की अंगूठी, जिनकी कीमत लगभग रू0 35,000.00 तथा पत्नी की छः कीमती साड़ियॉ जिनकी कीमत लगभग रू0 6000.00 तथा परिवादी के दो गरम सूट जिनकी कीमत लगभग रू0 15000.00 तथा 5 जोड़ी अन्य कपड़े जिनकी कीमत लगभग रू0 4000.00 तथा परिवादी के बच्चों के आधुनिक कपड़े व सूट कीमत लगभग रू0 10,000.00 तथा सूटकेस में सुरक्षा की दृश्टि से रू0 5000.00 नकद भी रखे थे। परिवादी ने घटना की जानकारी देने के लिए टी0टी0ई0 को सभी कोचों में ढूॅढ़ता रहा तब काफी प्रयास के बाद परिवादी को टी0टी0ई0 वातानुकूलित कोच में मिला, परन्तु टी0टी0ई0 ने परिवादी के प्रकरण पर कोई विषेश रूचि नहीं दिखाई और टी0टी0ई0 ने कहा कि बांदा स्टेषन में कन्डेक्टर से मिले। जब परिवादी की ट्रेन बांदा स्टेषन पहुॅची तो परिवादी ने अपना संपूर्ण प्रकरण कन्डक्टर को बताया। कन्डक्टर द्वारा परिवादी से कहा गया कि आप टी0सी0 से मिलकर उसको जानकारी दे।
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टी0सी0 से मिलकर परिवादी ने अपने प्रकरण को बताया तब टी0सी0 परिवादी की बर्थ के पास आया और बर्थ के नीचे कुन्डे से लटकी कटी हुई चैन दिखाई गयी तब टी0सी0 द्वारा कहा गया कि आप कानपुर सेन्ट्रल में अपनी रिपोर्ट दर्ज करायें। जब उक्त ट्रेन दिनांक 22.02.12 को 12ः30 बजे दिन में कानपुर सेन्ट्रल पहुॅची तब परिवादी द्वारा पूरा घटनाक्रम जी0आर0पी0 कानपुर सेन्ट्रल पर लिखित तहरीर देकर अपनी रिपोर्ट मु0अ0सं0-138/2012 अंतर्गत धारा-379 आई0पी0सी0 दर्ज करायी गयी तथा थाने में मौजूद पुलिस अधिकारियों को कटी हुई चैन भी दिखाई, परन्तु पुलिस द्वारा चैन को कब्जे में नहीं लिया गया और कहा कि मामला जी0आर0पी0 सतना से सम्बन्धित है, जब वहां के जांच अधिकारी आपके पास आये तो उनको आप कटी हुई चैन दे दें। उपरोक्त अभियोग के सम्बन्ध में परिवादी के कोई भी बयान नहीं लिये गये और न ही कोई प्राथमिकी की विवेचना की गयी और न ही मौका मुआयना किया गया और न ही सह यात्रियों में से किसी के बयान लिये गये। परिवादी को संदेह है कि विपक्षीगण के संरक्षण में ही अपराधियों द्वारा अपराध व चोरियॉं की जा रही हैं, जिसमें विपक्षीगण की लापरवाही सिद्ध होती है। विपक्षीगण द्वारा सेवा में कमी का मामला स्पश्ट रूप से प्रतीत होता है। जी0आर0पी0 का स्टाफ मध्य रात्रि से ही नहीं दिखाई पड़ा था। आरक्षित कोच में बगैर लापरवाही के अनाधिकृत व्यक्ति प्रवेष नहीं कर सकता है। परिवादी की संपूर्ण सुरक्षा की जिम्मेदारी यात्रा प्रारम्भ करने से यात्रा समाप्ति तक यात्रियों की जान व माल की सुरक्षा की जिम्मेदारी विपक्षीगण की होती है। विपक्षीगण बतौर रू0 3,00,000.00 क्षतिपूर्ति अदा करने के लिए उत्तरदायी हैं।
3. विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र में उल्लिखित कतिपय तथ्यों का खण्डन किया गया है और यह कहा गया है कि रेलवे प्रषासन उस क्षति के लिए उत्तरदायी नहीं है, जो सामान बुक न किया गया हो। परिवादी का यह उत्तरदायित्व था कि वह अपने सामान को रेलवे से बुक
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कराता अथवा अपने व्यक्तिगत जोखिम पर अपने साथ ले जाता। स्वयं परिवादी के कथनानुसार अभिकथित चोरी की घटना सतना की बतायी गयी है, जो कि सतना न्यायालय के क्षेत्राधिकार में आता है। इसमें उत्तर मध्य रेलवे का कोई सम्बन्ध नहीं है। बेतवा एक्सप्रेस का प्रबन्धन कानपुर स्टाफ द्वारा नहीं किया जाता है। इसलिए कानपुर सेन्ट्रल से भी प्रषासनिक प्रकरण का कोई सम्बन्ध नहीं है। इसीलिए जी0आर0पी0 कानपुर के द्वारा प्रकरण से सम्बन्धित समस्त प्रपत्रों को दिनांक 27.02.12 को स्थानान्तरित कर दिया गया था, जो कि थाना प्रभारी जी0आर0पी0 कानपुर के द्वारा रेलवे प्रषासन को दी गयी रिपोर्ट से स्पश्ट है। धारा-100 भारतीय रेलवे अधिनियम 1989 के अनुसार भी रेलवे प्रषासन का कोई उत्तरदायित्व नहीं बनता है। अतः परिवाद खारिज किया जाये।
4. परिवाद योजित होने के पष्चात विपक्षी सं0-3 को पंजीकृत डाक से नोटिस भेजी गयी, लेकिन पर्याप्त अवसर दिये जाने के बावजूद भी विपक्षी सं0-3 फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं आया। अतः विपक्षी सं0-3 पर पर्याप्त तामीला मानते हुए दिनांक 30.09.13 को विपक्षी सं0-3 के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही किये जाने का आदेष पारित किया गया।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5. परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 26.04.12, 10.12.13 एवं 01.11.14 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची के साथ संलग्न कागज सं0-1 लगायत् 10 व सूची कागज सं0-2 के साथ संलग्न कागज सं0-2/1 लगायत् 2/5 दाखिल किया है।
विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
6. विपक्षी सं0-1 व 2 ने अपने कथन के समर्थन में ए0पी0 त्रिपाठी डिवीजनल ट्रैफिक मैनेजर का षपथपत्र दिनांकित 21.01.13 व जीतेन्द्र कुमार, असिस्टेंट कामर्षियल मैनेजर का षपथपत्र दिनांकित 12.06.12 व 06.08.16 दाखिल किया है।
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निष्कर्श
7. फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक परिषीलन किया गया।
उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि उभयपक्षों की ओर से अपने-अपने कथन के समर्थन में षपथपत्र प्रस्तुत किये गये हैं। परिवादी की ओर से षपथपत्र के अतिरिक्त भी प्रस्तर-5 में उल्लिखित अन्य अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत किये गये हैं, जिनका उल्लेख आगे किया जायेगा।
विपक्षीगण की ओर से प्रमुख तर्क यह किया गया है कि चूॅकि परिवादी द्वारा प्रष्नगत सामान को बुक नहीं किया गया था, इसलिए धारा-100 भारतीय रेल अधिनियम 1989 के अंतर्गत विपक्षीगण का कोई उत्तरदायित्व, परिवादी के चोरी गये सामान की क्षतिपूर्ति अदायगी करने का नहीं बनता है। अपने उपरोक्त कथन के समर्थन में विपक्षीगण की ओर से भारतीय रेल अधिनियम 1989 का उल्लेख किया गया है। उक्त धारा के प्राविधान के अवलोकन से विदित होता है कि उक्त धारा की अंतिम पंक्ति में यह प्राविधान दिया गया है कि सामान के मामले में जो कि यात्री द्वारा अपने साथ लेकर रेल यात्रा में ले जाया जा रहा हो, यह भी प्राविधान दिया गया है कि उक्त सामान विनश्टीकरण, खो जाने पर अथवा सामग्री के क्षरण होने पर विपक्षीगण की लापरवाही अथवा विपक्षीगण के किसी नौकर के कदाचरण के कारण हुआ हो, तो विपक्षीगण का उत्तरदायित्व बनता है। उपरोक्त प्राविधान से सुस्पश्ट है कि विपक्षीगण प्रस्तुत मामले में उत्तरदायी हैं। क्योंकि परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र में स्पश्ट कहा गया है कि उसके द्वारा टी0टी0ई0 से संपर्क किया गया था। टी0टी0ई0 के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी। मध्य रात्रि के पष्चात रेलवे बल का कोई कर्मचारी कम्पार्टमेंट में नहीं दिखाई दिया। इसके अतिरिक्त टी0टी0ई0 का यह उत्तरदायित्व बनता है कि आरक्षित कोच में कोई अनारक्षित व्यक्ति प्रवेष न करे। टी0टी0ई0 के द्वारा अपने कर्तव्य का सम्यक रूप से पालन नहीं किया गया है। इस सम्बन्ध में परिवादी की ओर से विधि निर्णय 2013 ;3द्ध ब्च्त् 337 ;छब्द्ध यूनियन ऑफ इण्डिया बनाम डा0 षोभा अग्रवाल में
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प्रति पादित विधिक सिद्धांत का उल्लेख किया गया है। मा0 राश्ट्रीय आयोग का संपूर्ण सम्मान रखते हुए स्पश्ट करना है कि तथ्यों की एकरूपता के कारण उपरोक्त विधि निर्णय में प्रतिपादित विधिक सिद्धांत प्रस्तुत मामले में लागू होता है। इसके अतिरिक्त विपक्षीगण की ओर से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-11 का उल्लेख करते हुए यह कहा गया है कि चूॅकि घटना सतना की बतायी गयी है, इसलिए अद्योहस्ताक्षरी फोरम को प्रस्तुत प्रकरण को निर्णीत करने का क्षेत्राधिकार नहीं है। इस सम्बन्ध में परिवादी की ओर से यह तर्क प्रस्तुत किया गया है कि चूॅकि भारतीय रेलवे प्रषासन से सम्बन्धित विभाग कानपुर नगर में है। इसलिए कानपुर फोरम को प्रस्तुत मामले को निर्णीत करने का विधिक अधिकार प्राप्त है। फोरम परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये उपरोक्त तर्कों से पूर्णतया सहमत है।
परिवादी की ओर से अपने सामान की क्षति के सम्बन्ध में अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत किये गये हैं, जो क्रमषः कागज सं0-7 पन्नालाल बनारसीदास ज्वैलर्स से सोने की अंगूठी क्रय करने से सम्बन्धित बिल दिनांकित 20.02.12 बावत रू0 20,550.00, कागज सं0-8 कपड़े क्रय करने से सम्बन्धि बिल सं0-6414 बावत रू0 1840.00, बिल सं0-6423 बावत रू0 730.00, बिल सं0-6413 बावत रू0 2770.00, बिल सं0-6415 बावत रू0 570.00 व कागज सं0-9 राजरतन का बिल दिनांकित 29.12.11 बावत रू0 3726.00 तथा कागज सं0-2/1 पन्नालाल बनारसीदास ज्वैलर्स से सोने की अंगूठी क्रय करने से सम्बन्धित बिल बावत रू0 16700.00 इस प्रकार उपरोक्त कुल सामान क्रय करने में परिवादी का हुआ खर्च रू0 46,886.00 है।
अतः उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों के आलोक में तथा उपरोक्तानुसार दिये गये कारणों से फोरम इस निश्कर्श पर पहुॅचता है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद, रू0 46,886.00 मय 8 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से दिनांक 21.02.2012 से तायूम वसूली तक के लिए तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय के लिए स्वीकार किये जाने योग्य है। जहां तक
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परिवादी की ओर से याचित अन्य उपषम का सम्बन्ध है- उक्त याचित उपषम के लिए परिवादी द्वारा कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत न किये जाने के कारण परिवादी द्वारा याचित अन्य उपषम के लिए परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
ःःआदेषःःः
7. परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध आंषिक रूप से इस आषय से स्वीकार किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अंदर विपक्षीगण, परिवादी को, परिवादी के प्रष्नगत सामान की क्षति के रूप में रू0 46,886.00 मय 8 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से, दिनांक 21.02.12 से तायूम वसूली अदा करें तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय भी अदा करें।
(पुरूशोत्तम सिंह) ( सुधा यादव ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्य सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर कानपुर नगर।
आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
(पुरूशोत्तम सिंह) ( सुधा यादव ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्य सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर कानपुर नगर।